राष्ट्रीय पर्व
गणतंत्र दिवस
- 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अंगीकार किया
26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया। - 31 दिसंबर, 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 26 जनवरी, 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।
- अतः जब भारतीय संविधान बनकर तैयार हुआ तो इसे लागू करने के लिये 26 जनवरी, 1950 के दिन का चुनाव किया गया।
स्वतंत्रता दिवस
- 15 अगस्त 1947 को
- 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री ‘लाल किले’ पर ध्वजारोहण करते हैं
गांधी जयंती
- महात्मा गांधी(‘राष्ट्रपिता’) का जन्मदिवस 2 अक्तूबर को मनाया जाता है।
- गांधीजी के जन्मदिवस (2 अक्तूबर) – ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’
धार्मिक पर्व – हिंदू त्योहार
मकर संक्रांति
- 14 जनवरी (कुछ अपवादों को छोड़कर जब यह 13 या 15 जनवरी को मनाया जाता है) को मनाया जाता है।
- इस अवसर पर लोग प्रातः गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं व सूर्य भगवान की आराधना करते हैं।
- मकर संक्रांति सूर्य उत्तरायण होना प्रारंभ करता है।
- हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।
यह पर्व लगभग पूरे भारत में क्षेत्रीय रीति-रिवाज़ों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है; जैसे-
- पंजाब में ‘लोहड़ी’,
- तमिलनाडु में ‘पोंगल’
- असम में ‘बिहू’
- आंध्र प्रदेश में ‘भोगी’
बसंत पंचमी
- बसंत पंचमी, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह त्योहार मनाया जाता है।
- लोग इस पर्व में पीले वस्त्र धारण करते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
महाशिवरात्रि
- भगवान शंकर और देवी पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में
- फाल्गुन माह के कष्ण पक्ष की चतुर्दशी को
होली
- फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
पहले दिन ‘होलिका दहन’ होता है,
होली मनाए जाने के पीछे प्रमुख पौराणिक कथा ‘हिरण्यकशिपु व भक्त प्रहलाद की है’।
शास्त्रीय संगीत में ‘धमार’ (गायन की एक शैली) का होली से गहरा संबंध है।
भारत में होली का पर्व अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है। - ब्रज की होली /बरसाने में ‘लट्ठमार होली’ मनाई जाती है।
- बिहार का ‘फगुआ’,
- पंजाब का ‘होला-मोहल्ला’
- महाराष्ट्र की ‘रंग पंचमी’ आदि
हनुमान जयंती
- चैत्र मास की पूर्णिमा को
तीज
- तीज श्रावण (सावन) महीने का खास त्योहार है।
- यह पर्व माता पार्वती के भगवान शिव से पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- इस समय महिलाएं अपने मायके जाती हैं ।
- तीज कई नामों से मनाया जाता है।
- हरियाली तीज– सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया को
- कजरी तीज – सावन के कृष्ण पक्ष की तृतीया को
- हरतालिका तीज – भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को
नाग पंचमी
- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है।
रक्षा-बंधन या राखी
- रक्षा-बंधन भाई-बहन के परस्पर स्नेह और प्रेम का त्योहार है
- श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
- महाराष्ट्र में यह त्योहार ‘नारियल पूर्णिमा’ या ‘श्रावणी’ के नाम से प्रचलित है।
- तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और ओडिशा के दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को ‘अवनी अवित्तम’ कहते हैं।
- रक्षा-बंधन के त्योहार को ‘स्वदेशी आंदोलन’ के समय गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने स्वतंत्रता के धागे में पिरोया।
- मेवाड़ की रानी कर्मवती ने मुगल शासक हुमायूँ को रक्षा-सूत्र भेजा था।
कृष्ण जन्माष्टमी
- भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को
- ‘भविष्य पुराण’ के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
- हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार, भगवान श्रीकृष्ण थे।
- उनका जन्म वासुदेव (पिता) और देवकी (माता) के यहाँ हुआ था, परंतु उनका पालन-पोषण माँ यशोदा और नंद ने किया था।
- इस दिन मथुरा और वृंदावन में कृष्ण के जीवन पर आधारित रासलीला का आयोजन किया जाता है।
- महाराष्ट्र में ‘दही-हाँडी’ प्रतियोगिता के रूप में मनाया जाता है।
रामनवमी
- भगवान राम का जन्मोत्सव
- वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्मचैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अयोध्या में हुआ था।
- रामनवमी को ही ‘चैत्र नवरात्र’ या ‘बसंत नवरात्र’ की भी समाप्ति होती है
- दक्षिण भारत में इस दिन को ‘कल्याणोत्सवम्’ के रूप में मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा या माटु पोंगल
- दीपावली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है।
- उत्तर भारत में इसे गोवर्धन पूजा तथा तमिलनाडु में माटु पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
- तमिलनाडु में इस दिन पशु खेलों का आयोजन किया जाता है। यह ‘अन्नकूट’ के नाम से भी मनाया जाता है।
करवाचौथ
- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को
- स्त्रियाँ अपने पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ मनाती हैं।
धनतेरस
- कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि (विष्णु के अवतार और देवताओं के वैद्य के रूप में विख्यात) का जन्म हुआ था।
- भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है।
अक्षय तृतीया
- यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है।
- इसे हिंदू एवं जैन धर्म के लोग मनाते हैं।
- इस दिन से खेती कार्य प्रारंभ किया जाता है।
- राजस्थान में इसे ‘आखा तीज’ के नाम से जाना जाता है।
- जैन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है क्योंकि इसी तिथि को जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने एक वर्ष की तपस्या पूर्ण करने के उपरांत इक्षुरस (गन्ने का रस) से व्रत तोड़ा था।
महालया
- अश्विन माह की अमावस्या को
- पितृ ऋण तथा पूर्वजों के सम्मान में उनको जल अर्पण करके, ऋणमुक्त होने की कामना के साथ यह संपन्न होता है।
- इसी को ‘पिंडदान’ भी कहते हैं।
- ‘पिंडदान’ हेतु गया (बिहार) प्रसिद्ध है।
दुर्गा पूजा और दशहरा
- हिंदू धर्म में दुर्गा को आदिशक्ति माना जाता है।
साल के दो पखवाड़े उनकी आराधना की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। ये दो समय हैं- ‘चैत्र नवरात्र’ –
- अश्विन मास में पड़ने वाला ‘शारदीय नवरात्र’।
- चैत्र नवरात्र से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है।
- नवरात्र के समय दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
- नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ नवरात्र का प्रारंभ होता है।
- दसवें दिन ‘विजयदशमी’ या ‘दशहरा’ का पर्व मनाया जाता है।
- यह पर्व महिषासुर नामक राक्षस पर माता दुर्गा की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- इस संबंध में दूसरी लोक श्रुति यह है कि भगवान राम ने रावण को हराने के लिये देवी दुर्गा की आराधन की ।
- अतः यह पर्व, बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।
अन्य नाम - बंगाल, असम, ओडिशा में दुर्गा पूजा – ‘अकालबोधन’ ‘शारदीय पूजा’, ‘शरदोत्सव’, ‘मायेर पूजो’
- बांग्लादेश – ‘भगवती पूजा’
- गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और महाराष्ट्र – ‘नवरात्र’
- तमिलनाडु – ‘बोम्मई कोलू’
- आंध्र प्रदेश – ‘बोम्माला कोलुवु’
- हिमाचल प्रदेश – ‘कुल्लू दशहरा’
- कर्नाटक – ‘मैसूर दशहरा’
- गुजरात में डांडिया और गरबा नृत्य किये जाते हैं।
दीपावली
- ‘रोशनी का त्योहार’
- शरद ऋतु में कार्तिक मास की अमावस्या को
- माना जाता है कि इस दिन भगवान राम अपना चौदह वर्ष का वनवास काटकर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे।
- ‘जैन’ इस दिन को चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी के मोक्ष प्राप्त करने के उपलक्ष्य में मनाते है
- सिख इसे स्वर्ण मंदिर (1577) के शिलान्यास व गुरु हरगोविंद सिंह जी के जेल से मुक्त होने की खशी में तथा बौद्ध इसे अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने की प्रसन्नता के रूप में मनाते हैं।
- दीपावली त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय, अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान की विजय और निराशा पर आशा की विजय के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज
- भाई दूज या भैया दूज, भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है।
- इसे ‘यमद्वितीया’ भी कहा जाता है।
- यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को, दीपावली के दो दिन बाद भारत और नेपाल में मनाया जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि इस दिन ‘यमराज’ अपनी बहन ‘यमुना’ के घर गए थे और ‘यमुना’ के सत्कार से प्रसन्न होकर उन्होंने यह वरदान दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के यहाँ जाएगा उसे मेरा (यमराज का) भय नहीं सताएगा।
छठ पूजा
- कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को
- यह सूर्य की उपासना का महत्त्वपूर्ण त्योहार है।
- दीपावली के ठीक 6 दिन बाद मनाया जाता है।
- छठ पूजा चार दिवसीय त्योहार है।
- इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को होती है।
- यह त्योहार संतान-सुख की कामना के लिये मनाया जाता है।
- तीसरे दिन दिनभर व्रत रखने के साथ ही डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
- चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं ।
गणेश चतुर्थी
- भादो मास की चतुर्थी से उत्सव की शुरुआत होती है, जो दस-ग्यारह दिन बाद ‘अनंत चतुर्दशी’ को समाप्त होता है।
- ‘शिवाजी’ ने मुगलों के खिलाफ़ महाराष्ट्र के लोगों को एक सूत्र में बांधने के लिये गणेश चतुर्थी मनाने की शुरुआत की थी।
- बाद में ‘तिलक’ ने भी राष्ट्रीय आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिये 1893 में गणेश उत्सव मनाना पुनः प्रारंभ कर दिया।
रथ यात्रा
- ओडिशा के जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का उत्सव पारंपरिक रीति के साथ बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
- जगन्नाथ रथ उत्सव आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया से आरंभ होकर शुक्ल एकादशी तक चलता है।
- रथ यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें जगन्नाथ भी कहते हैं, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा के लिये लकड़ी के रथ बनाए जाते हैं।
- जगन्नाथ रथ – ‘गरुड़ध्वज’ या ‘कपिलध्वज’
- बलराम रथ – तलध्वज
- सुभद्रा रथ – पद्मध्वज
- रथ यात्रा महोत्सव में पहले दिन तीनों रथ को जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक श्रद्धालुओं द्वारा खींचकर ले जाए जाते हैं, दूसरे दिन पूजा आदि के बाद तीनों को अगले सात दिनों के लिये गुंडीचा मंदिर में रखा जाता है।
- आषाढ़ शुक्ल दशमी के दिन वापसी की यात्रा की जाती है, जिसे ‘बाहुड़ा यात्रा’ कहते हैं।
मुस्लिम त्योहार
- ‘ईद-उल-फितर’, ‘ईद-उल-अजहा (जुहा)’ “मिलाद-उन-नबी’, ‘मुहर्रम’ आदि मुस्लिम पर्वो के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि चंद्र कैलेंडर और हिजरी संवत् पर आधारित होने के कारण त्योहारों की तिथियाँ निश्चित नहीं रहती हैं।
ईद-उल-फितर
- रमज़ान के महीने की समाप्ति के बाद जब पहली बार चांद दिखाई पड़ता है तब उसके अगले दिन ‘ईद-उल-फितर’ या ईद का त्योहार मनाया जाता है। यह मुसलमानों का सबसे महत्त्वपूर्ण पर्व है।
- इसे ‘मीठी ईद’ भी कहते हैं।
- माना जाता है कि रमजान माह में ही पैगंबर मुहम्मद को जिब्रील के माध्यम से अल्लाह का संदेश प्राप्त हुआ था
ईद-उल-जुहा या बकरीद
- हज के माह की दसवीं तारीख को यह त्योहार हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है।
- इस दिन हजरत इब्राहिम अल्लाह के प्रति वफादारी साबित करने के लिये अपने पुत्र इस्माइल को कुर्बान करने के लिये राजी हुए थे।
मिलाद-उन-नबी
- इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे माह रबीअल-अव्वल की 12वीं तारीख को मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।
- इस पर्व को ‘बारावफात’ के नाम से भी जाना जाता है।
मुहर्रम
- यह शिया मुसलमानों का शोक पर्व है, जो इस्लामी वर्ष के पहले माह यानी मुहर्रम के 10वें दिन, जिसे ‘आशुरा’ भी कहते हैं, को मनाया जाता है।
- यह शोक पर्व मुहम्मद साहब के नाती, हज़रत इमाम हुसैन एवं उनके परिवार की यजीद द्वारा की गई हत्या की स्मृति के रूप में मनाया जाता है।
शब-ए-बारात
- उर्दू कैलेंडर के शआबान महीने (अगस्त) की 14 या 15 तारीख को
- उस दिन व्यक्ति के कर्मों का मूल्यांकन किया जाता है और उसके अनुसार कर्मफल दिया जाता है।
ईसाई त्योहार
क्रिसमस
- ‘ईसा मसीह’ के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
- 25 दिसंबर को बेथलेहेम में माँ मरियम और यूसुफ के यहाँ ईसा मसीह का जन्म हुआ था।
- इस दिन लोग चर्च जाते हैं, कैरल गाते हैं ।
गुड फ्राइडे
- ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे।
- गुड फ्राइडे के दिन ही उन्हें क्रॉस (सूली) पर चढ़ा दिया गया था।
ईस्टर
- ऐसी मान्यता है कि जब प्रभु यीशु को सूली पर लटका दिया गया था तो उसके तीन दिन बाद वे पुनर्जीवित हो उठे थे।
- इसी दिन को ईसाई ‘ईस्टर दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
स्वर्गारोहण
- ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने के बाद उन्होंने 40 दिन शिष्यों के साथ बिताए एवं पुनः स्वर्ग चले गए। अतः ईस्टर के 40 दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है।
ल्यन्त या लेंट
- इस त्योहार में ईसाई धर्मावलंबी 40 दिन का उपवास रखते हैं, क्योंकि ईसा मसीह ने धर्म प्रारंभ करने के पूर्व 40 दिन तक उपवास रखा था।
सिख त्योहार
गुरु नानक जयंती
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन ‘सिख’ समुदाय अपने प्रथम गुरु, नानक साहेब का जन्मोत्सव मनाता है।
- गुरु नानक साहेब का जन्म15 अप्रैल (वैशाख), 1469 को तलवंडी (वर्तमान शेखपुरा जिला, पाकिस्तान) में हुआ था
- महाराजा रणजीत सिंह के समय 1816 ईसवी से गुरु नानक जयंती को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने लगा।
गुरु गोविंद सिंह जयंती
बैसाखी
- बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में बैसाखी मनाई जाती है।
- बैसाखी मुख्यतः पंजाब या उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है
- इसे बैसाख, बिशु, बिहू आदि के नाम से देशभर में मनाया जाता है।
- बैसाखी रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है।
- गुरु गोविंद सिंह ने बैसाख माह की षष्ठी कोखालसा पंथ की स्थापना की थी, जिस कारण बैसाखी पर्व मनाया जाता है। बैसाखी का पर्व केशगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब में बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
जैन त्योहार
महावीर जयंती
- जैन समुदाय अपने 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव अत्यंत श्रद्धा के साथ पूरे भारत में मनाता है।
- भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को बिहार में लिच्छवी वंश के शासक सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ हुआ था।
पर्युषण पर्व
- यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ होता है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सामान्यतः अगस्त या सितंबर माह में पड़ता है।
दशलक्षण पर्व
- ‘पर्युषण’ पर्व के अंतिम दिन से आरंभ होने वाला दशलक्षण पर्व संयम और आत्मशुद्धि का संदेश देता है।
- दशलक्षण पर्व साल में तीन बार मनाया जाता है।
- दशलक्षण पर्व में जैन धर्म के अनुयायी दस मुख्य लक्षणों को जागृत करने का प्रयास करते हैं। ये दस लक्षण निम्नलिखित हैं
- 1. क्षमा 2. विनम्रता 3. माया का विनाश 4. निर्मलता 5. सत्य
- 6. संयम 7. तप 8. त्याग . 9. परिग्रह का निवारण 10. ब्रह्मचर्य
पंचकल्याणक पर्व
- पंचकल्याणक पर्व महावीर स्वामी को समर्पित जैन पर्व है।
- जैनियों का विश्वास है कि तीर्थंकरों के प्रभाव से मनुष्य का जीवन अर्थपूर्ण और सत्य के अधिक निकट हो जाता है।
- इस पर्व का मुख्य उद्देश्य लोगों तक जैन तीर्थंकरों के संदेश को पहुँचाना है।
- पंचकल्याणक में निम्नलिखित संस्कारों की चर्चा की जाती है
- गर्भ कल्याणक
- जन्म कल्याणक
- दीक्षा कल्याणक
- ज्ञान कल्याणक
- मोक्ष कल्याणक
दीपमालिका पर्व
- यह पर्व जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर ‘महावीर’ के निर्वाण महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- श्री महावीर स्वामी का कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को अवसान और अमावस्या के प्रातः काल निर्वाण हुआ था।
श्रुतपंचमी पर्व
- प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी के दिन श्रुतपंचमी पर्व मनाया जाता है।
- इस दिन पहली बार जैन धर्म के ग्रंथ को पढ़ा गया था।
- लगभग 2000 वर्ष पहले गुजरात के गिरनार पर्वत की गुफाओं में इस दिन जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ ‘षटखंडागम’ की रचना की गई थी।
बौद्ध पर्व
बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती या वेसाक
- बुद्ध पूर्णिमा बौद्धों का एक प्रसिद्ध त्योहार है।
- प्रतिवर्ष बैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्त करने और महापरिनिर्वाण प्राप्त करने के उपलक्ष्य मनाया जाता है।
पारसी त्योहार
- जोरास्ट्रियन या पारसी धर्म की स्थापना ‘ज़ोरास्टर’ (जरथुस्त्र) ने ईरान में की थी।
- पारसी 8वीं से 10वीं शताब्दी ईसवी के मध्य भारत आए।
- पारसी समुदाय शेनशाई, कादमी एवं फसली नामक तीन कैलेंडरों के अनुसार अपने त्योहार मनाता है।
- इनमें से केवल ‘फसली’ कैलेंडर में ही लीप वर्ष का समायोजन किया जाता है।
जमशेद नौरोज़
- यह पारसी नववर्ष का त्योहार है।
- इस पर्व की स्थापना स्वयं ‘पैगंबर ज़ोरास्टर’ ने की थी।
- भारत में बलबन पहला शासक था, जिसने अपने दरबार में नवरोज़ पर्व मनाने की परंपरा की शुरुआत की थी।
- कादिमी और शेनशाही कैलेंडरों के अनुसार जमशेद व नौरोज़ त्योहार क्रमशः जुलाई व अगस्त माह में मनाया जाता है।
पटेटी/पपेटी
- यह पारसी कैलेंडर के अनुसार नववर्ष की पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाला पर्व है।
- इस दिन पारसी ‘अग्नि मंदिर’ जाकर पूर्व में किये गए अपराधों व गलतियों के लिये ‘अहुरमज्दा’ से क्षमा मांगते है।
खोरदाद साल
- पारसी अपने पैगंबर ज़ोरास्टर या जरथुस्त्र का जन्म दिवस खोरदाद साल के रूप में मनाते हैं।
- इसे ‘ग्रेटर नवरोज़’ भी कहा जाता है और यह नवरोज़ के छः दिन बाद मनाया जाता है।
‘जरथुस्त्र नो दीसो’ पर्व
- पारसी समुदाय का शोक पर्व है।
- इस दिन जरथुस्त्र की मृत्यु हुई थी।
गहंबर त्योहार
- गहंबर पारसियों का एक समुदाय है।
- गहंबर त्योहार एक साल में 6 बार मनाया जाता है
यहूदी पर्व
रोश हशन्नाह या नववर्ष
- भारत में तीन यहूदी समुदाय निवास करते हैं
- पूजा स्थल – सिनेगॉग कहा जाता है ।
शब्मथ या शब्बत या शबात
- प्रत्येक सप्ताह यहूदी अपने सभी कार्यों से एक दिन विराम लेकर अपने परिवारों के साथ बिताते हैं।
- इस दिन यहूदी सिनेगॉग जाकर ‘तोराह’ पाठ करते हैं।
पासोवर
- यह यहूदी कैलेंडर के पहले महीने ‘निसान’ की 15वीं तारीख को मनाया जाता है।
- यह पर्व सामान्यतः मार्च या अप्रैल में पड़ता है।
- यह त्योहार यहूदी समुदाय द्वारा तीन हज़ार साल पहले मिस्र की गुलामी से इज़राइल के मुक्त होने की खुशी में मनाया जाता है।
पूरीम
- पूरीम यहूदी कैलेंडर के अनुसार अडार माह का त्योहार है।
- प्राचीन फारस में यहूदी, ‘हमन’ द्वारा दिये गए सामूहिक मृत्युदंड से बच गए थे। अतः उसी की याद में यह त्योहार मनाया जाता है।
उत्तर भारतीय त्योहार
हेमिस महोत्सव
- हेमिस महोत्सव तिब्बती बौद्ध धर्म के संस्थापक ‘संत पद्मसंभवम्’ के जन्मदिवस के अवसर पर ‘हेमिस गोंपा’ में प्रत्येक वर्ष जून माह में मनाया जाता है।
- यह महोत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
फुलैच
- यह हिमाचल प्रदेश की किन्नौर घाटी में मनाया जाने वाला उत्सव है, जो सितंबर माहमें वर्षा ऋतु के समाप्त होने और शरद ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है।
मिंजर त्योहार
- यह चंबा घाटी का प्रसिद्ध त्योहार है।
- गेहूँ, धान, मक्का एवं जौ की बालियों को स्थानीय भाषा में ‘मिंजर’ कहा जाता है।
- इस त्योहार में मिंजर मेला भी लगता है।
- यह त्योहार एक सप्ताह तक चलता है एवं अंतिम दिन मिंजर को रावी नदी में बहाकर यह त्योहार संपन्न होता है।
लोहड़ी
- अच्छी फसल होने के उल्लास में मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व यानी 13 जनवरी को
- यह पर्व पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व आसपास के क्षेत्र में पंजाबी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
सरहुल पर्व
- यह झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के आदिवासियों द्वाराचैत्र मास में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है।
- यह पर्व नववर्ष के आगमन का प्रतीक है।
- बसंत के मौसम में
- सरहुल का शाब्दिक अर्थ है – ‘साल वृक्ष की पूजा’।
करमा पर्व
- यह कृषि से संबंधित पर्व है, जो मुख्यतः झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की जनजातियों (हो, मुंडारी, ओराँव, कुरुख, संथाली, कोरबा आदि) द्वारा
- प्रकृति की पूजा कर अच्छी फसल की कामना करते हैं।
- यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष के एकादशी के दिन मनाया जाता है।
- इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिये प्रार्थना करती हैं।
- इस पर्व के अवसर पर ‘करम’ वृक्ष की पूजा की जाती है।
मड़ई पर्व
- छत्तीसगढ़ के ‘चारमा’ और ‘कुरना’ समुदाय द्वारा
बंदना पर्व
- यह झारखंड मनाया जाने वाला पर्व है।
- यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
- इस पर्व में वे अपने पशुओं को सजाते हैं और त्योहार को समर्पित ‘ओहिरा’ गीत गाते हैं। ।
दक्षिण भारतीय पर्व
पोंगल पर्व
- तमिलनाडु में मनाया जाने वाला कृषि से संबंधित हिंदू पर्व है।
- यह उत्तर भारत के मकर संक्रांति जैसा पर्व है।
- यह कुल चार दिनों तक चलता है।
- पहले दिन
- अच्छी वर्षा के लिये भगवान इंद्र का आभार व्यक्त किया जाता है
- दूसरा दिनभगवान सूर्य की पूजा होती है।
- इस दिन महिलाएं अपने घरों के बाहर नए चावल से पोंगल नामक मीठा व्यंजन बनाती हैं और हल्दी व पान की पत्तियों व गन्ने के साथ भगवान सूर्य को अर्पण करती हैं। इस दौरान महिलाएँ पोंगल गीत गाती हैं और आग के चारों ओर नृत्य भी करती हैं।
- तीसरे दिन होने वाली पूजा को ‘मटू पोंगल’ कहते हैं। इसमें कृषक अपने गाय-बैलों को सजाते हैं और चावल के आटे से मनभावन रंगोली बनाई जाती है। इस दौरान कुछ जगहों पर ‘जल्लीकटू’ नामक बैल-दौड़ का भी आयोजन किया जाता है (पशुओं के खिलाफ़ क्रूरता के चलते सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी हैं लेकिन यह आयोजन हो रहा है।)।
- अंतिम दिन को कन्नुम पोंगल कहते हैं।
- महिलाएँ इस दिन अपने भाइयों और परिवार के सदस्यों के लिये मंगल गीत गाती हैं। वर्तमान समय में विश्व में जहाँ कहीं भी तमिल हैं, वे इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
ओणम पर्व
- ओणम केरल में मनाया जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि इस समय मिथकीय ‘राजा महाबली’ पाताल लोक से अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।
- ओणम का त्योहार मलयालम महीने ‘चिंगम’ जो अगस्त/सितंबर माह में पड़ता है।
- इस समय मानसून से केरल की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है, यह फसल का भी मौसम होता है।
अत्तुवेला महोत्सवम्
- अत्तुवेला महोत्सवम्, एलमकवु भगवती मंदिर, वड्यार वाइकोम केरल में मनाया जाता है।
चेट्टिकुलंगर भरणि त्योहार
- चेट्टिकुलंगर भगवती मंदिर, (कायमकुलम, जिला अलप्पुझा,केरल) में मलयाली महीने कंभम में आयोजित
कोडुंगल्लूर भरणि
- कोडुगल्लूर, भरणि, केरल के त्रिशूर जिले में आयोजित
- माँ भगवती को समर्पित एक वार्षिक उत्सव है।
- उत्सव की शुरुआत ‘कवु तीनडल’ समारोह से की जाती है।
ताइपूय महोत्सवम्, हरिप्पाड, अलप्पुझा जिला
- ताइपूय महोत्सवम् भगवान सुब्रमण्यम को समर्पित एक दिन का उत्सव है
- केरल के मंदिरों में मनाया जाता है।
- इस दौरान धार्मिक नृत्य को कवडियट्टम कहते हैं।
परुमल पेरुन्नाल, पत्तनमतिट्टा ज़िला,केरल
- तिरुवल्ल के परुमल चर्च में वार्षिक पेरुन्नाल अथवा भोज का आयोजन
कांजिरमट्टम कोडिकुत्तु, एर्नाकुलम
- कांजिरमट्टम मस्जिद का निर्माण शेख फरीदुद्दीन के स्मारक के रूप में किया गया था।
- कोडिकुत्तु उत्सव प्रतिवर्ष 13 और 14 जनवरी को मनाया जाता है।
कल्पथी रथोल्सवम्, पलक्कड,केरल
- श्री विश्वनाथ स्वामी मंदिर में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला रथोल्सवम् अथवा रथ उत्सव भगवान विश्वनाथ यानी शिव को समर्पित होता है
- ‘कल्पथी’, एक प्राचीन तमिल ब्राह्मण स्थली है, जिसे ‘दक्षिण काशी’ अथवा ‘दक्षिण की वाराणसी’ के नाम से भी जाना जाता है।
पट्टाम्बी नेर्चा ,केरल
- पट्टाम्बी नेर्चा उत्सव मालाबार के मुस्लिम संत अलूर वालिया पूकुंजिकोया थंगल की स्मृति में मनाया जाता है।
- भरतप्पुझा नदी के तट पर यह समारोह देर रात तक चलता है।
पुलीकली
- ओणम के अवसर पर केरल में पुलीकली नामक बाघ नृत्य करने की परंपरा है।
- त्रिशूर में किया जाने वाला ‘पुलीकली’ अत्यंत प्रसिद्ध है।
पूरम पर्व
- केरल के मंदिरों में अप्रैल-मई के महीने में मनाया जाता करता है।
- ‘त्रिशूरपूरम’, इनमें सबसे अधिक रंगारंग और प्रसिद्ध है।
- इसके अलावा ‘आराटुटपूझा पूरम’ उत्रालिक्कावुपूरम, नेन्मारा वल्लंगि वेल, परियनमपेट पूरम, चिनक्कतूर पूरम भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं।
- त्रिशूरपूरम उत्सव का आयोजन प्राचीन स्थापत्य वाले ‘वडक्कुमनाथ’ मंदिर के प्रांगण में किया जाता है।
चंपकुलम नौका दौड़, अलप्पुझा
- केरल में नौका दौड़ का सिलसिला चंपकुलम वल्लमकली अथवा नौका दौड़ के साथ आरंभ होता है। यह राज्य की सबसे लोकप्रिय नौका दौड़ है।
नेहरू ट्रॉफी नौका दौड़
- केरल के अलप्पुझा जिले में ‘पुन्नमड बैकवाटर‘ में आयोजित।
- अगस्त के दूसरे शनिवार को आयोजित किया जाता है।
- इसमें चंदनवल्लम (स्नेकबोट) और छोटी देशी नौकाओं की दौड़ निकाली जाती है।
अरन्मुला वल्लमकली या सर्प नौका दौड़
- अरन्मुला अथवा अराणमुला वल्लमकली एक नौका दौड़(पंबा नदी में ) है।
- इसका आयोजन ओणम के मौसम में किया जाता है।
- यह समारोह अरन्मुला के पार्थसारथी मंदिर द्वारा संचालित किया जाता है।
पायिप्पड़ नौका दौड़, अलप्पुझा ,केरल
- यह सर्प नौका दौड़पायिप्पड़ नदी, अलप्पुझा में आयोजित की जाती है।
विशु त्योहार
- ‘विशु’ केरल में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला नववर्ष का त्योहार है।
- ‘विशु’ मलयाली कैलेंडर के ‘मेडम’ महीने में(अप्रैल महीने में) मनाया जाता है ।
- दिन की शुरुआत लोग विशुक्कनी से करते हैं
- विशुक्कनी का शाब्दिक अर्थ है- ‘सुबह उठने के बाद पहली वस्तु देखना’।
- ‘विशुक्कनी’ या ‘कनी कनल’ को पिछली रात को तैयार किया जाता है ।
- भारतीय खगोलशास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है और यह समय ‘बसंत विषुव’ का भी होता है, यानी जब दिन और रात बराबर समय के होते हैं, जहाँ से इसको ‘विशु’ नाम मिला है, जिसका संस्कृत में अर्थ होता है- ‘समान’।
उंजल पर्व
- यह पर्व मदुरई, तमिलनाडु में जून-जुलाई में (तमिल माह ‘अनी‘) पूर्ण चंद्र को मनाया जाता है।
- उंजल का शाब्दिक अर्थ है- ‘पालना’ या ‘झूला’।
- इस दिन भगवान सुंदरेश्वर और देवी मीनाक्षी की मूर्तियों को पालने में रखकर झुलाया जाता है।
- इसका आयोजन मीनाक्षी मंदिर में किया जाता है।
चिथिरई पर्व
- यह मदुरई( तमिलनाडु) में भगवान सुंदरेश्वर और देवी मीनाक्षी का विवाह समारोह मनाए जाने का उत्सव है।
- मान्यता है कि भगवान विष्णु की अपनी बहन मीनाक्षी है ।
थाईपुसम
- यह भगवान मुरुगन, जिन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है, की दानवों पर विजय के उपलक्ष्य में तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला महत्त्वपूर्ण पर्व है।
- तमिल कैलेंडर के अनुसार यह पर्व ‘थाई’ माह की पूर्णिमा को (जनवरी या फरवरी माह में) मनाया जाता है।
- मलेशिया के ‘बाटु केव’ में जहाँ ‘मुरुगन’ की विशाल प्रतिमा स्थापित है।
उगादी
- उगादी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है।
- हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन से नववर्ष का प्रारंभ होता है।
- महाराष्ट्र में इसे ‘गुड़ी पड़वा’ के नाम से मनाया जाता है।
- चैत्र महीने का पहला दिन ‘उगादी’ के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन ‘उगादी पचादी’ पकवान बनाया जाता है।
बोठुकम्मा/बतुकम्मा
- तेलंगाना राज्य की महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला यह फूलों का त्योहार है।
- इसे तेलंगाना का ‘पुष्प पर्व’ भी कहा जाता है।
- यह पर्व भाद्रपद अमावस्या, जिसे ‘महालया अमावस्या’ भी कहते हैं, को मनाया जाता है।
- यह पर्व दुर्गा नवरात्र के साथ-साथ नौ दिनों तक चलता है।
- यह पर्व शरद ऋतु के आगमन का सूचक है।
- इस समय महिलाएँ और नवयुवतियाँ तरहतरह के फूलों से ‘गोपुरम्’ की आकृति जैसे थाल सजाती हैं और माँ गौरी की पूजा करती हैं।
कंबाला
- कर्नाटक में
- ‘भैंसा दौड़’
पूर्वोत्तर भारत के पर्व
लोसर
- तिब्बत और हिमालय क्षेत्र में रहने वाले बौद्ध लोसर पर्व को नववर्ष के शभारंभ के रूप में मनाते हैं।
- भारत में ‘लोसर पर्व’ लद्दाख हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में उमंग के साथ मनाया जाता है।
- इन प्रदेशों और नेपाल में रहने वाली जनजातिया
- योलमो, शेरपा, तमांग, गुरुंग, मोन्पा, मेंबा, खांबा, नाह, शेरदुकपेन (महायानीशाखा)।
हॉर्नबिल महोत्सव
- नागालैंड के स्थापना दिवस, 1 दिसंबर को किया जाता है।
- पूरे एक सप्ताह तक
- इसका आयोजन ‘किसामा’ में नागा विरासत ग्राम में किया जाता है।
लोसूंग/लोसांग
- सिक्किम में निवास करने वाली भूटिया और लेप्चा जनजातियों द्वारा दिसंबर माह में ‘सिक्किमी नववर्ष’ के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- इसे ‘नामसूंग’ भी कहा जाता है।
- यह पर्व अच्छी कृषि उपज के लिये मनाया जाता है।
- इस दौरान लोग स्थानीय ढंग से बनी वाइन, जिसे छांग कहते हैं, का सेवन करते हैं।
सागा दावा
- भगवान बुद्ध की जयंती को सिक्किम में ‘सागा दावा’ नाम से मनाया जाता है।
- तिब्बती कैलेंडर के ‘सागा’ माह में पड़ने के कारण इसे ‘सागा दावा’ कहा जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार बैसाख पूर्णिमा को पड़ता है।
बिहू
- असम का सर्वाधिक लोकप्रिय त्योहार बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है
- बोहाग या रोंगाली बिहू -बैशाख – मध्य अप्रैल में
- कांगोली बिहू या काटी बिहू – कार्तिक – मध्य अक्तूबर में
- माघ बिहू या भोगाली बिहू – माघ – मध्य जनवरी में
- बिहू उत्सव कृषि फसल से जुड़ा हुआ है।
- बोहाग बिहू असमिया नववर्ष व बसंत ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में असम में मनाया जाता है।
अंबुबाची मेला
- गुवाहाटी (असम) के कामाख्या मंदिर के पास मानसून के मौसम में यह पर्व मनाया जाता है।
- जनन क्षमता के पर्व ‘अंबुबाची’ मेला को ‘अमेती’ और तांत्रिक जनन क्षमता के पर्व के रूप में भी जाना जाता है।
- अंबु का अर्थ – ‘पानी’
- बाची का अर्थ- ‘प्रजनन’
- इसे ‘पूर्व का महाकुंभ’ भी कहा जाता है।
खर्ची पूजा
- जुलाई-अगस्त में त्रिपुरा में आयोजित की जाती है।
- चौदह देवताओं की सामूहिक पूजा
- सात दिनों तक चलने वाली इस पूजा को चंताई नामक पूजारी संपन्न कराता है।
साजीबू चेइराओबा
- ‘साजीबू चेइराओबा’ मणिपुर की ‘मेईती’ जनजाति द्वारानववर्ष के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है, जो ‘साजीबू’ माह (अप्रैल में) में पडता है।
- लोग ‘लैनिन्थो सनामही’ नामक देवता की पूजा करते हैं।
वान्गाला पर्व
- वान्गाला पर्व मेघालय, असम, त्रिपुरा और बांग्लादेश में रहने वाली ‘गारो’ जनजाति द्वारा मनाया जाता है।
- यह नवंबर महीने में, फसल कटाई के बाद मनाया जाता है।
- इस पर्व में सूर्य देवता, जिन्हें ‘मिसी सलजोंग’ कहा जाता है, को अच्छी फसल के लिये धन्यवाद किया जाता है तथा गाँव का मुखिया जिसे लोक्मा कहा जाता है, वह इन्हें बियर, पके चावल एवं सब्जियाँ अर्पित करता है।
- इसे ‘सौ ड्रमों का पर्व’ भी कहते हैं।
- इस समय लोग ‘दकमंडा’, ‘दकसारी’ नामक सुंदर रंग-बिरंगे परिधान पहनते हैं और ड्रमों की ताल के साथ नृत्य करते हुए स्थानीय गीत गाते हैं।
कांग चिंग्बा
- ‘कांग चिंग्बा’ मणिपुर के मेईती हिंदुओं द्वारा जुलाई में आयोजित की जाने वाली ‘रथयात्रा’ है।
- यह रथयात्रा पुरी में होने वाली रथयात्रा के समान है।
- यह यात्रा इंफाल के श्रीगोविंद जी मंदिर से प्रारंभ होती है।
- इस दौरान स्त्री-पुरुष ‘संकीर्तन’ का गान करते हैं।
- भगवान जगन्नाथ को जिस वाहन से ले जाया जाता है, उसे कांग कहते हैं।
सेक्रेन्यी पर्व
- नागालैंड की ‘अंगामी’ जनजाति द्वारा
- सेक्रन्या पर्व युद्ध में जाने से पूर्व शुद्धीकरण के विधि-विधानों से जुड़ा है।
- इस ‘फौसान्यी’ भी कहा जाता है।
- यह अंगामी कैलेंडर के ‘केजेई माह की 25 तारीख से अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है। केजेई माह सामान्यतः फरवरी के महीने से साम्य रखता है।
मोअत्सु
- नागालैंड के ‘आओ नागा’ जनजाति द्वाराबुआई समाप्ति पर, 1-3 मई के मध्य मनाया जाता है।
- स्थानीय कुओं – को तस्ब् कहते हैं ।
लुई-नगाई-नी त्योहार
- मणिपुर में निवास करने वाली नागा जनजातियों द्वारा मनाया जाने वाला कृषि से संबंधित त्योहार है।
‘ड्री’ त्योहार
- अरुणाचल प्रदेश की जीरो वैली में रहने वाली ‘अपातनी’ जनजाति द्वारा
- कृषि से जुड़ा हुआ त्योहार है।
- इस दौरान ‘तमु’, ‘मेती’ , ‘दन्यी पिलो’ नामक सूर्य और चंद्र देवताओं को अनाज, अंडे और पशुओं की बलि अर्पित की जाती है।
- ‘ड्री’ का शाब्दिक अर्थ है ‘अनाज की कमी के समय उसकी खरीद या उधार मांगना‘।
- ड्री का आयोजन ‘लपांग’ नामक सामुदायिक स्थल पर किया जाता था
- इस त्योहार में महिलाएँ वाइन बनाती हैं तथा पुरुष इसका पान करते हैं।
अंथरियम महोत्सव
- मिज़ोरम का महोत्सव है।
- अंथुरियम महोत्सव का आयोजन आइजोल पर स्थित ‘रेइएक पर्वत’ पर बने रिसॉर्ट में किया जाता है।
नोंगक्रेम नृत्य उत्सव
- मेघालय में पतझड़ के मौसम (नवंबर माह) में स्मिट खीरम सिम्शिप (सांस्कृतिक केंद्र) में मनाया जाता है।
चपचार कूट
- मिज़ोरम में
- फरवरी-मार्च में
- कृषि से संबंधित पर्व है।
- इस दौरान किये जाने वाले प्रमुख नृत्य हैं
- ‘चेराव’ नृत्य
- ‘खुल्लम’ नृत्य
- ‘सरलमकई’ नृत्य
- मिज़ोरम में अन्य कृषि त्योहार :
- चपचार कूट
- मिम कूट
- पावल कूट
पचूल त्योहार
- यह फूलों का त्योहार हैं।
- इसे ओडिशा, बिहार तथा पश्चिम बंगाल के संथाल लोग मनाते हैं।
ब्रह्मोत्सव
- भगवान वेंकेटेश्वर के निवास स्थानतिरुपति (आंध्र प्रदेश) में मनाया जाता है।
हेमिस महोत्सव
- लद्दाख में इसे गुरु पद्मसंभव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
सांस्कृतिक महोत्सव
कोणार्क नृत्य महोत्सव
- कोणार्क मंदिर की पृष्ठभूमि में आयोजित
- आयोजन – फरवरी माह में किया जाता है।
मोढेरा नृत्य महोत्सव
- गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित मोढेरा के ‘सूर्य मंदिर’ की पृष्ठभूमि पर जनवरी में आयोजित ।
जयपुर साहित्य महोत्सव
- आयोजन – जनवरी महीने में ,जयपुर के दिग्गी पैलेस में
- इसकी शुरुआत ‘विलियम डैलरिंपल’ जैसे प्रसिद्ध इतिहासकार ने की थी।
काला घोड़ा कला महोत्सव
- मुंबई में
- जनवरी या फरवरी में इसका आयोजन नौ दिनों तक किया जाता है।
भारत रंग महोत्सव
- थियेटर को समर्पित इस महोत्सव का आयोजन वार्षिक रूप से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा किया जाता है ।
बाल संगम
- प्रत्येक एक वर्ष के बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की थियेटर कंपनी द्वारा बाल संगम का आयोजन किया जाता है।
- इसके साथ ही गुरु-शिष्य परंपरा के तहत बच्चे ‘ओरिगामी’. कठपुतली बनाना व आदिवासी शिल्प का निर्माण करना भी सीखते हैं।
पूर्वोत्तर नाट्य समारोह
- पूर्वोत्तर नाट्य समारोह के माध्यम से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय पूर्वोत्तर राज्यों में कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
ताज महोत्सव
- फरवरी महीने में 10 दिनों के लिये आगरा के शिल्पग्राम कॉम्प्लेक्स में किया जाता है।
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह
- चिल्ड्रेन फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में 14 नवंबर से ‘द गोल्डन एलीफैंट’ के नाम से बाल फिल्म महोत्सव का आयोजन हैदराबाद में किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव
- अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का पहली बार आयोजन 1952 में किया गया था।
- प्रतिवर्ष नवंबर-दिसंबर में गोवा में आयोजित किया जाता है।
त्यागराज संगीत महोत्सव
- आयोजन – तिरुवायुर, तंजौर में , जनवरी माह में किया जाता है।
- तिरुवायुर
- कर्नाटक संगीत के पिता महान संत त्यागराज का जन्म स्थान है।
- आठ दिनों तक चलने वाला संगीत महोत्सव ।
लुंबिनी महोत्सव
- नागार्जुन सागर बांध के समीप हैदराबाद में दिसंबर माह में
- यह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की समृद्ध बौद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।
- तीन दिनों तक चलने वाले महोत्सव
हम्पी महोत्सव
- नवंबर के प्रथम सप्ताह में आयोजित
- कर्नाटक में आयोजित
माउंट आबू महोत्सव
- माउंट आबू (राजस्थान) में आयोजित
- ‘समर फेस्टिवल’ भी कहा जाता है।
- इस महोत्सव की प्रमुख विशेषता ‘शाम-ए-कव्वाली’ का आयोजन है, जिसमें देश के मशहूर कव्वाल बुलाए जाते हैं।
खजुराहो नृत्य महोत्सव
- फरवरी-मार्च के महीने में
- मध्य प्रदेश के खजुराहो में
गंगा महोत्सव
नाट्यांजलि महोत्सव
- चिदंबरम में आयोजित
- वार्षिक महोत्सव की शुरुआत 1981 में की गई थी।
किला रायपुर खेल महोत्सव
- लुधियाना के किला रायपुर में आयोजित खेल महोत्सव को ‘ग्रामीण ओलंपिक’ भी कहा जाता है।
मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव
- दिसंबर या जनवरी के महीने में मामल्लपुरम नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
- इसमें भरतनाट्यम्, कुचिपुड़ी, कथकली, मोहिनीअट्टम, ओडिसी और कथक की मनमोहक प्रस्तुतियाँ देश के जाने-माने कलाकारों द्वारा दी जाती हैं।
रण उत्सव
- गुजरात के कच्छ जिले में ‘रण उत्सव’ का प्रारंभ 17 दिसंबर, 2013 को हुआ।
मेला
गंगासागर मेला
- गंगासागर मेला का आयोजन पश्चिम बंगाल ,कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर ठीक उस स्थान पर किया जाता है, जहाँ गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
- इसलिये इस मेले का नाम गंगासागर मेला है।
- यह मेला हर साल मकर संक्रांति के दिन आयोजित होता है।
- गंगासागर मेला के बारे में कहा जाता है “ सारे तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार “
तरनेतर मेला
- सुरेंद्रनगर (गुजरात) में आयोजित होने वाला यह जनजातीय मेला है।
- यह एक प्रकार का ‘मैरिज मार्ट’ भी है, जहाँ नवयुवक व नवयुवतियाँ भावी जीवन साथी का चुनाव करते हैं।
- यह मेला त्रिनेत्रेश्वर महादेव मंदिर के पास आयोजित किया जाता है।
पुष्कर मेला
- अक्टूबर- नवंबर के महीने में राजस्थानअजमेर के पुष्कर में लगता है
- पुष्कर मेला पशु मेला है।
- यह मेला कार्तिक माहमें लगता है
- पारंपरिक रूप से मेला पुष्कर सरोवर में पवित्र स्नान व ऊँटों के लिये प्रसिद्ध था ।
सूरजकुंड मेला
- सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला है।
- हरियाणा फरीदाबाद में प्रतिवर्ष 1 से 15 फरवरी के बीच आयोजित किया जाता है।
कुंभ मेला
- ऐसी मान्यता है कि इंद्र के बेटे जयंत के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कलश लेकर भागते समय नासिक, उज्जैन, प्रयाग तथा हरिद्वार में कुछ बूंदों के गिरने से ये स्थान पवित्र हो गये।
- नासिक, उज्जैन, प्रयाग तथा हरिद्वार चारों स्थानों पर कुंभ मेला आयोजन होता है।
- प्रत्येक स्थान पर बारहवें वर्ष में इस पर्व का आयोजन होता है।
- यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है और पूरे एक माह तक चलता है।
पौष मेला
- इसका आयोजन शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल में किया जाता है।
- यह कृषकों से संबंधित मेला है।
- इस दौरान गाए जाने वाले बांग्ला लोक संगीत ‘बाउल संगीत’ लोकप्रिय हैं।
सोनपुर मेला
- एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है।
- सोनपुर मेला सोनपुर (बिहार) में लगता है।
- यह कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है।