भारतीय साहित्य
- संस्कृत अधिकांश भारतीय भाषाओं की जननी मानी जाती है।
- पाणिनी कृत ‘अष्टाध्यायी’संस्कृत भाषा का प्राचीनतम ग्रंथ है।
- वैदिक साहित्य के सबसे प्राचीनतम ग्रंथ वेद हैं।
- वेदों की संख्या– 4
- प्रथम वेद – ऋग्वेद में 10 मंडल एवं 1028 सूक्त हैं।
- ऋग्वेद मंत्रों को उच्चारित करने वाले पुरोहित को होतृ कहा जाता था।
- दूसरा वेद – यजुर्वेद में धार्मिक कर्मकांडों /मंत्रों की चर्चा की गई है।
- यजुर्वेद मंत्रों को उच्चारित करने वाले पुरोहित- ‘अध्वर्यु’
- यजुर्वेद गद्य एवं पद्य दोनों में रचा गया है।
- तीसरा वेद – सामवेद
- ऋग्वैदिक मंत्रों के संगीतमय उच्चारण करने की विधि का वर्णन है।
- इसे भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है।
- चौथा एवं अंतिम वेद – ‘अथर्ववेद’
- मनुष्य के दैनिक जीवन से संबंधित विषयों की चर्चा की गई है।
- इसमें 99 रोगों के उपचार की विधि का वर्णन किया गया है।
- अथर्ववेद मंत्रों को उच्चारित करने वाले पुरोहित – ‘ब्रह्मा’
- प्रथम वेद – ऋग्वेद में 10 मंडल एवं 1028 सूक्त हैं।
- इन चारों वेदों के पश्चात् ब्राह्मण ग्रंथों की रचना हई।
- आरण्यकों में दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों की चर्चा की गई है।
- उपनिषद् आरण्यकों के पूरक एवं भारतीय दर्शन का प्रमुख स्रोत हैं।
- उपनिषदों की कुल संख्या – 108
- प्रामाणिक तौर पर 12 उपनिषद् ही हैं।
- इनमें ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडूक्य आदि प्रमुख हैं।
- वेदांगों की कुल संख्या- 6 है
- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष।
- वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखने के उद्देश्य से सूत्र साहित्य की रचना की गई।
- पाणिनी द्वारा लिखित अष्टाध्यायी(संस्कृत भाषा) में लगभग 4 हज़ार सूत्र हैं ।
- पतंजलि ने पाणिनी के ‘अष्टाध्यायी’पर ‘महाभाष्य’ नामक टीका लिखा ।
- पुराणों की कुल संख्या – 18 है।
- प्रमुख पुराण – ब्रह्म, भागवत, पद्म, विष्णु, वायु, अग्नि, मत्स्य तथा गरुड़ पुराण
- सबसे प्राचीन पुराणों में मत्स्य एवं वायु पुराण को माना गया है।
- संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान अमर सिंह ने पुराणों के 5 विषय बताए हैं
- 1.सर्ग, 2.प्रतिसर्ग, 3.वंश, 4.मन्वंतर एवं 5.वंशानुचरित।
- विष्णु पुराण सेमौर्य वंश की जानकारी मिलती है।
- मत्स्य पुराण से सातवाहन एवं शुंग वंश की जानकारी मिलती है।
- वायु पुराण सेगुप्त वंश की जानकारी मिलती है।
- वैदिक काल के बाद संस्कृत के स्थान पर भारतीयों द्वारा बोली जाने वाली सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा – पालि एवं प्राकृत
- बुद्ध ने अपने धर्म-प्रचार के लिये पालि भाषा को माध्यम बनाया।
- प्राचीनतम बौद्ध साहित्य त्रिपिटक की रचना पालि भाषा में की गई है।
- विनयपिटक – बौद्ध भिक्षुओं के दैनिक जीवन से संबंधित नियम
- सुत्तपिटक – धर्म एवं नैतिकता से जुड़े प्रश्न एवं बुद्ध के प्रवचन
- अभिधम्म पिटक -नीतिशास्त्र एवं मनोविज्ञान से जुड़े प्रश्नों की चर्चा
- जातक कथाएँबुद्ध के पूर्वजन्म से संबंधित हैं।
- बौद्धों की गीता के नाम से प्रसिद्ध पुस्तक ‘धम्मपद’ का संबंध सुत्तपिटक से है।
- जैन तीर्थंकरों ने प्राकृत भाषा को अपने धर्मप्रचार का माध्यम बनाया।
- प्रारंभिक जैन साहित्य की रचना मागधी एवं अर्द्धमागधी प्राकृत में की गई है।
- जैनियों के धार्मिक साहित्य – ‘आगम’
- जैन आगमों में 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण, 6 छेद सूत्र, 4 मूल सूत्र की गणना की जाती है।
- द्रविड़ साहित्य में मुख्य रूप से 4 भाषाओं में लिखित साहित्य को शामिल किया जाता है। ये भाषाएँ हैं
- तमिल भाषा
- तेलुगू भाषा
- कन्नड़ भाषा
- मलयालम भाषा
- संगम साहित्य तमिल भाषा में लिखी गई पहली रचना है।
- संगम साहित्य से दक्षिण भारत के चोल, चेर एवं पांड्य राज्यों की जानकारी प्राप्त होती है।
- संगम साहित्य को दो भागों में विभक्त किया जाता है
- आगम् – प्रेम संबंधी रचनाएँ
- पुरम् – युद्ध विषयक रचनाएँ
- तमिल भाषा में रचे गए तीन महाकाव्य हैं
- शिलप्पादिकारम्
- मणिमेखलै
- जीवक चिंतामणि
- तेलुगू भाषा के कुछ शब्द सर्वप्रथम पहली सदी में हाल द्वारा रचित ‘गाथासप्तशती’ में मिलते हैं।
- तेलुगू भाषा को जनभाषा के रूप में लोकप्रिय बनाने का कार्य तेलुगू कवि नन्नाया द्वारा किया गया।
- तेलुगू साहित्य का स्वर्णकाल – विजयनगर साम्राज्य
- विजयनगर शासक बुक्का प्रथम ने तेलुगू भाषा एवं साहित्य की पर्याप्त उन्नति के लिये तेलुगू कवियों को भूमि दान में दी।
- 10वीं शताब्दी के कन्नड़ भाषा के पंपा, पोन्न एवं रन्न को ‘रत्नत्रयी’ के नाम से जाना जाता है।
- आधुनिक मलयालम का पिता‘- थुनचातु एझुथच्चन
- मलयालम का जनकवि – कुंजन नांबियार
भक्तिकाव्य
- प्रेम से परिपूर्ण काव्य है जिसमें भक्त अपने ईश्वर के प्रति प्रेम को पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका, नौकर-मालिक, माता-पिता व संतान के बीच के प्रेम के रूप में अभिव्यक्त करता है।
- भक्ति साहित्य मूल रूप से संयोजनों का काव्य है अर्थात् सांसारिक जीवन जी रहे व्यक्तियों का ईश्वर के साथ तादात्म्य स्थापित करने का प्रयास।
- संस्कृत के संदर्भ में कबीर का कहना है कि- ‘संस्कृत एक स्थिर कूप के जल के समान है जबकि भाषा बहते पानी की तरह होनी चाहिये।’
- 13वीं सदी में संत ज्ञानेश्वर मराठी भाषा के प्रसिद्ध कवि हुए
- नरसी मेहता ने गुजराती भाषा में भक्तिपरक पदों की रचना की
- गुजराती कवि भालण ने रामायण, महाभारत तथा भागवत पुराण की पुरानी इतिवृत्तियों को लेकर अनेक काव्यों की रचना की।
- मध्ययुगीन गुजराती साहित्य के विकास में स्वामी नारायण संप्रदाय का उल्लेखनीय योगदान था।
- मध्यकाल में बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध कवि चंडीदास माने जाते हैं।
कबीर
- कबीर एक प्रसिद्ध समाज सुधारक थे।
- उन्होंने अपनी रचनाओं में वर्णव्यवस्था का कठोर शब्दों में खंडन किया है।
सूरदास
- मध्यकाल में सूरदास कृष्णभक्ति धारा के प्रसिद्ध कवि हुए।
- रचना – ‘सूरसागर’
मीराबाई
- मध्यकाल में पंजाबी भाषा के प्रमुख कवियों में सुल्तान शाहबाहु, शाह हुसैन एवं बुल्लेशाह का नाम उल्लेखनीय है।
- मध्यकाल के दौरान प्रसिद्ध असमी कवि शंकरदेव ने वैष्णव मत का प्रचार करने के लिये नाटकों एवं कीर्तन का प्रयोग किया।
- मध्यकाल में कश्मीर की प्रसिद्ध कवयित्रियों में लल्लेश्वरी एवं हब्बा खातून का नाम उल्लेखनीय है। उन्होंने अनेक सूक्तियों की रचना की जो आत्मिक अनुभव की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं।
- तमिल भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री – ओवैयर
- कन्नड़ भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री – अक्का महादेवी
- पंजाबी भाषा में रचित प्रेम गाथाओं में वारिस शाह का ‘हीर-रांझा’ तथा कवि पिल्लू का मिर्जा साहिबान प्रमुख हैं।
साहित्य का आधुनिक युग
- शुरुआत 1857 की क्रांति के आस-पास हुई।
- ब्रिटिश नागरिक विलियम केरी द्वारा बंगाल के सेरामपुर में मुद्रणालय स्थापित
- इस काल में बांग्ला भाषा के रंगलाल, उर्दू भाषा के मिर्ज़ा ग़ालिब तथा हिंदी भाषा के भारतेंदु हरिश्चंद्र प्रसिद्ध कवि हुए।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र ने पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘कविवचनसुधा‘ एवं ‘हरिश्चंद्र मैगज़ीन‘ की शुरुआत की।
- रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित कविताओं का संग्रह‘गीतांजलि’ को 1913 ई. में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
- हिंदी भाषा में स्वच्छंदतावादी कविता के युग को छायावाद, कन्नड़ भाषा में ‘नवोदय युग’ तथा ओडिया भाषा में ‘सबुज युग‘ कहा गया।
- इस काल के गांधीवादी रचनाकारों का नाम
- हिंदी व उर्दू भाषा के प्रेमचंद
- मराठी भाषा के वी.एस. खांडेकर
- बांग्ला भाषा के ताराशंकर बंधोपाध्याय
- 1936 ई. में भारत में ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की स्थापना हुई।
- हिंदी कविता का प्रगतिशील आंदोलन (1936–43 ई. के बीच)
- जिसे ‘प्रगतिवाद‘ के नाम से जाना गया।
- बांग्ला भाषा के माणिक बंधोपाध्याय मार्क्सवादी विचारधारा के प्रसिद्ध साहित्यकार हुए।
- मलयाली कथा साहित्य लेखक – वैक्कम मोहम्मद बशीर, एस.के. पोटेक्काट एवं शिवशंकर पिल्लै ।
- मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित उर्दू के प्रमुख कवियों में जोश मलीहाबादी एवं फैज़ अहमद फैज़ प्रमुख हैं।
- 1850 ई. के आस-पास पारसी रंगशाला ने भारतीय पौराणिक इतिहास एवं दंतकथाओं पर आधारित नाटकों का मंचन आरंभ किया।
- हिंदी के प्रमुख नाटककार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कुल 17 नाटकों की रचना की।
- आद्य रंगाचार्य को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक से थे।