- बेतला राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 5 किमी. दूर औरंगा नदी के तट पर स्थित है।
- निर्माण – चेरोवंशी शासकों द्वारा (1619 ई. में निर्माण प्रारंभ)
- यहाँ दो किले हैं
- पुराना किला
- निर्माण – चेरोवंशी शासक प्रताप राय ने (शाहजहाँ का समकालीन)
- नया किला
- निर्माण – चेरो राजा मेदिनी राय ने (औरंगजेब का समकालीन)
- नागपुरी दरवाजा – 40 फीट ऊँचा व 15 फीट चौड़ा
- तीन गुंबदों वाला मस्जिद
- निर्माण – दाउद खाँ ने ,1661 ई. में
नारायणपुर किला, नावागढ़, लातेहार
- निर्माण – चेरोवंशी शासक भागवत राय के लेखपाल जाज दास द्वारा
- निर्माण – चेरोवंशी शासक राजा तड़वन द्वारा
रोहिल्लों का किला ,अलीनगर, जपला (पलामू)
- निर्माण – रोहिल्ला सरदार मुजफ्फर खाँ ने
- आकार – त्रिभुजाकार
चैनपुर का किला, मेदिनीनगर (पलामू)
- निर्माण – पूरनमल के वंशजो ने
- कोयल नदी के तट पर अवस्थित
- चैनपुर बंगला स्मारक स्थित
शाहपुर का किला ,पलामू
- निर्माण – गोपाल राय द्वारा, 1772 ई. में
जपला का किला, पलामू
कुंडा का किला कुंडा (चतरा)
- निर्माण – चेरोवंशी राजा द्वारा ,14वीं शताब्दी में
पद्मा का किला ,पद्मा (हजारीबाग)
- NH-33 के किनारे अवस्थित है।
- इसे राज्य सरकार द्वारा पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र बना दिया गया है।
बादम का किला, हजारीबाग
- निर्माण – रामगढ़ के राजा हेमन्त सिंह के द्वारा
- 1642 ई. में राजा हेमन्त सिंह ने यहाँ एक शिव मंदिर का निर्माण कराया था
राजमहल किला, साहेबगंज
- 15 वीं शताब्दी में अकबर का सेनापति मानसिंह ने किले का निर्माण कराया था
- इस दौरान उन्होंने राजमहल को बंगाल की राजधानी भी बनाया था
- इस किले के भीतर एक जामा मस्जिद का निर्माण भी मानसिंह ने कराया था
तेलियागढ़ किला राजमहल पहाड़ी, साहेबगंज
- उपनाम – बंगाल का प्रवेश द्वार (गेटवे ऑफ बंगाल)
- निर्माण – तेली राजा ने ,मुगल काल में
- किले का उल्लेख
- ‘जहाँगीरनामा‘
- मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक ‘इंडिका’ में गंगा नदी से सटे पहाड़ी पर बड़े बौद्ध विहार का उल्लेख किया है, जिसका संबंध तेलियागढ़ी क्षेत्र से ही है।
अलीगंज किला , पाकुड़
पंचकोट का किला, पंचेत पहाड़, धनबाद
- निर्माण – गोवंशी शासक गोमुखी ने ,1600 ई. में
झरियागढ़ महल, धनबाद
- निर्माण – राजा सबल राय
इचाक का किला ,रामगढ़
- निर्माण – तेज सिंह
गढ़बाँध किला, रामगढ़
- निर्माण – राजा हेमंत सिंह , 1670 ई. में, दामोदर नदी किनारे
- (राजधानी बादम से रामगढ़ स्थानांतरित करते समय) कराया था।
- यह किला 1805 ई. में राजाराम मोहन राय की रामगढ़ यात्रा का गवाह भी बना।
रातू का किला रातू (राँची)
- निर्माण – नागवंशी राजा उदयनाथ शाहदेव ने ,1870 ई. में
शत्रु किला ,रातू
- निर्माण – नागवंशी राजाओं ने
तिलमी का किला ,कर्रा (खूटी)
- निर्माण – अकबर नामक एक नागवंशी ठाकुर ने,1737 ई. में
जैतगढ़ का किला ,पश्चिमी सिंहभूम
- अवस्थित- बैतरणी नदी के किनारे , पश्चिमी सिंहभूम
- निर्माण – पोरहाट नरेश काला अर्जुन सिंह ने
जगन्नाथ का किला / पोराहाट का किला ,पश्चिमी सिंहभूम
- निर्माण – पोराहाट वंश के राजा जगन्नाथ सिंह
चक्रधरपुर की राजवाड़ी, चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम)
- निर्माण – राजा अर्जुन सिंह के पुत्र नरपति(नागपति ) सिंह द्वारा 1910-20 ई. के बीच
- राजा की पुत्री शशांक मंजरी द्वारा इस किले का विक्रय कर दिया गया था।
केसानगढ़ का किला, केसानगढ़ (पश्चिमी सिंहभूम)
- चाईबासा में स्थित है।
- निर्माण – केसना
बहरागोड़ा भवन ,पूर्वी सिंहभूम
- पूर्वी सिंहभूम में अवस्थित इन भवनों का प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नील बनाने हेतु होता था
धालभूमगढ़ किला
- जगन्नाथ ढाल ने धालभूम तथा घाटशिला दोनों स्थानों पर एक किले का निर्माण कराया
- अंग्रेज अधिकारी फर्ग्यूसन ने धालभूम पर आक्रमण के दौरान इन किलो का विध्वंस किया
जगन्नाथपुर का किला
- मिट्टी का किला भी कहा जाता है
नवरतनगढ़ महल / दोयसा का किला,गुमला
- निर्माण – नागवंशी राजा दुर्जनशाल ने ,1585 ई. में
- यह एक पंचमंजिला भवन था लेकिन वर्तमान में इस महल में तीन मंजिल शेष हैं।
- उपनाम – ‘झारखण्ड का हम्पी‘
- इस किले को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
- नागवंशी राजा दुर्जन साल जहांगीर की कैद से रिहा(1615 – 1627) होने के बाद अपनी राजधानी कोकरह से दोयसा बनाई और यहीं पर 5 मंजिला भवन बनाया जिसे नवरत्न गढ़ महल कहा जाता है
- इस महल से मुगल परंपरा के तर्ज पर झरोखा दर्शन दिया जाता था
पालकोट का राजमहल ,गुमला
- निर्माण – यदुनाथ शाह नें
- यदुनाथ साह दोईसा की जगह जब पालकोट को राजधानी बनाई तभी इस भवन का निर्माण हुआ था
नागफनी का राजमहल, सिसई (गुमला)
- निर्माण का समय – 1704 ई.