States of matter and Their Properties

रसायन विज्ञान (Chemistry)

  • ‘Chemistry’ शब्द की उत्पत्ति मिस्र के ‘Chemia’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है- काला रंग
  • रसायन विज्ञान पदार्थ की संघटन(composition), संरचना(structure) और गुणों(properties) से संबंधित है।
  • यह परमाणुओं (atoms), अणुओं (molecules) और उनके परिवर्तनों का विज्ञान है।
  • आधुनिक रसायन विज्ञान का जनकएंटोनी लेवायसियर (Antoine Lavoisier) ,फ्रेंच 
  • अध्ययन की सुविधा के लिये रसायन विज्ञान को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
    • भौतिक रसायन विज्ञान (physical chemistry)
    • अकार्बनिक रसायन विज्ञान (inorganic chemistry)
    • कार्बनिक रसायन विज्ञान (organic Chemistry)

Drugs- cisplatin and taxol in cancer therapy.

AZT(Azidothymidine) used for AIDS Victims.

Matter(द्रव्य/पदार्थ)

  • कोई भी वस्तु जिसमें द्रव्यमान(mass) हो और स्थान( space) घेरती हो, द्रव्य कहलाती है.
  • पदार्थ के भौतिक अवस्थाओं(physical States) 
    1. ठोस (solid)
    2. तरल (liquid)
    3. गैस (gas)
    4. प्लाज्मा
    5. बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट (BE-Condensate)

Stats of Matter

Solids(ठोस)

  • ठोस पदार्थों में अवयवी कण(constituent particles) एक-दूसरे के बहुत करीब होते हैं और वे इधर-उधर नहीं जा सकते हैं.
    • ठोसों का निश्चित आयतन(definite volume) होता है
    • ठोसों का निश्चित आकार(definite shape) होता है

Liquids(द्रव)

  • द्रवों में अवयवी कण एक-दूसरे के निकट होते हैं, लेकिन वे चारों ओर घूम सकते हैं
  • द्रवों का निश्चित आयतन(definite volume) होता है 
  • लेकिन द्रवों का आकार निश्चित नहीं (NO definite shape) होता है

Gases(गैस )

  • गैसों में अवयवी कण ठोस और द्रव की तुलना में बहुत दूर होते हैं, और उनकी संचलन(movement) आसान और तेज होती है
  • गैसों का निश्चित आयतन नहीं (NO definite volume)होता है 
  • गैसों का  निश्चित आकार नहीं (NO definite shape) होता है 

प्लाज्मा (Plasma)

  • इस अवस्था में कण अत्यधिक ऊर्जा वाले और अधिक उत्तेजित होते हैं। 
  • ये कण आयनीकृत गैस के रूप में होते हैं। 
  • फ्लोरसेंट ट्यूब्स और नियॉन बल्ब में प्लाज्मा होता है। 
    • नियॉन बल्ब में नियॉन गैस तथा फ्लोरेसेंट ट्यूब में हीलियम या पारे का वाष्प होता है, जो विद्युत ऊर्जा प्रवाहित होने पर आयनीकृत हो जाता है। 
    • आयनीकृत (आवेशित) होने पर ट्यूब या बल्ब के अंदर चमकीला प्लाज्मा तैयार हो जाता है। 
    • प्लाज्मा के कारण ही सूर्य और तारों में भी चमक होती है।

 बोस-आइंस्टीन कंडनसेट (Bose-Einstein Condensate-BEC) 

  • सामान्य वायु के घनत्व के एक लाखवें भाग जितने कम घनत्व वाली गैस को बहुत ही कम तापमान पर ठंडा करने पर BEC अवस्था प्राप्त होती है। 
  • सन् 1920 में भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस ने पदार्थ की पाँचवीं अवस्था के लिये कुछ गणनाएँ की थीं। 
  • उन गणनाओं के आधार पर आइंस्टीन ने पदार्थ की नई अवस्था की भविष्यवाणी की, इसे BEC कहा गया। 
  • सन् 2001 में अमेरिका के एरिक ए. कार्नेल, वोल्फगैंग केटरेले और कार्ल ई. विमैन को BEC अवस्था प्राप्त करने के लिये भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया।

(Macroscopic Level) या बड़े स्तर पर द्रव्यों को निम्नलिखित रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  1. शुद्ध पदार्थ (Pure Substance)
    1. तत्त्व (Element)
      1. धातु (Metal)
      2. अधातु (Non-Metal)
      3. उपधातु (Metalloid)
    2. यौगिक (Compound)
    3. कार्बनिक(Organic)
    4. अकार्बनिक(Inorganic)
  2. मिश्रण (Mixture)
    1. समांगी (Homogeneous)
    2. विषमांगी (Heterogeneous)

शुद्ध पदार्थ (Pure Substances)

  • सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के हों । 
  • एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है।
  • शुद्ध पदार्थों को उनके रासायनिक संघटन के आधार परतत्त्वों या यौगिकों में वर्गीकृत किया जा सकता है। 
  • तत्त्व (Element)
  • यौगिक (Compound)

तत्त्व (Element)

  • पदार्थ जिसे रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता। 
  • तत्त्वों को साधारणतया धातु, अधातु एवं उपधातु में वर्गीकृत किया जा सकता है। 
    • धातु (Metal)
    • अधातु (Non-Metal)
    • उपधातु (Metalloid)

धातुएँ(Metals)  

  • ये चमकीली होती हैं। 
  • ये ताप एवं विद्युत की सुचालक होती हैं
  •  ये तन्य (Ductile) अर्थात् तार के रूप में खींचे जाने योग्य होती हैं। । 
  • ये आघातवर्ध्य (Malleable) अर्थात् पीटकर महीन चादरों में ढाले जाने योग्य होती हैं। 
  • ये प्रतिध्वनिपूर्ण (Sonorous) अर्थात् चोट करने पर घंटी की ध्वनि उत्पन्न करने वाली होती हैं।
  • उदाहरण- सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा, पोटैशियम, पारा (द्रव) इत्यादि। 

अधातुएँ (Non-Metals)

उपधातु (Metalloid)

  • कुछ तत्त्व धातु और अधातु के बीच के गुणों को दर्शाते हैं, इन्हें ‘उपधातु’ कहा जाता है। 
  • उदाहरण- बोरॉन, सिलिकॉन, जर्मेनियम इत्यादि।
  • अभी तक ज्ञात तत्त्वों की संख्या 118 है। 
    • प्राकृतिक तत्त्व – 98  
    • मानव-निर्मित – 20 
    • अधिकतर तत्त्व ठोस हैं, 
    • लेकिन 11 तत्त्व कमरे के तापमान पर गैस हैं, 
    • वहीं 2 तत्त्व- पारा (Hg) और ब्रोमीन (Br) कमरे के तापमान पर द्रव हैं। 

यौगिक (Compound) 

  • वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों के नियत अनुपात(fixed proportion) में संयोजन(combination) से बना होता है, ‘यौगिक’ कहलाता है। 
  • यौगिकका रासायनिक गुण तत्त्वों के रासायनिक गुण से भिन्न होता है।
  • उदाहरण- पानी, कार्बन डाइऑक्साइड,अमोनिया
  • यौगिकों को मुख्यतः कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों में वर्गीकृत किया जाता है।

कार्बनिक यौगिक (Organic Compound)

अकार्बनिक यौगिक (Inorganic Compound)

  • वे यौगिक जिनका मुख्य घटक कार्बन नहीं है. 
  • कार्बन हाइड्रोजन बंध अनुपस्थित होता है। 
  • ये अजैविक स्रोतों, जैसे- चट्टानों, खनिजों आदि से प्राप्त होते हैं।
  • उदाहरण- धावन सोडा (Na2CO3), नमक (NaCl) इत्यादि। 

मिश्रण(Mixture)

  • दो या दो से अधिक तत्त्वों या यौगिकों को किसी भी अनुपात (अनिश्चित अनुपात) में इस प्रकार मिलाया जाए कि संघटकों का रासायनिक गुण परिवर्तित नहीं हो तो इसे ‘मिश्रण’ कहते हैं। 
  • उदाहरण- मिश्रधातु (Alloy), जल में चीनी का विलयन, चीनी और नमक का मिश्रण इत्यादि।

मिश्रण दो प्रकार के हो सकते हैं

  1. समांगी (Homogeneous Mixture)
  2. विषमांगी (Heterogeneous Mixture)

समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixture)

  • ऐसा मिश्रण जिसमें उसके घटक एक-दूसरे में पूरी तरह मिले हुए हों , पूरा मिश्रण समरूप हो, ‘समांगी मिश्रण’ कहलाता है। 
  • समांगी मिश्रण को ‘विलयन’ भी कहते हैं। 
  • उदाहरण- जल में चीनी का विलयन, हवा इत्यादि

विषमांग मिश्रण (Heterogeneous Mixture) 

  •  ऐसा मिश्रण जिसमें उसके घटक एक-दूसरे में पूरी तरह मिले नहीं रहते और मिश्रण के अलग-अलग भागों में घटकों का वितरण समरूप नहीं होता है, ‘विषमांग मिश्रण’ कहलाता है।
  • उदाहरण- जल और तेल का मिश्रण, जल में बालू का घोल, नमक और चीनी का मिश्रण इत्यादि।

मिश्रण तथा यौगिक में अंतर 

यौगिक (Compound)

मिश्रण(Mixture)

वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों के नियत अनुपात में संयोजन से बना होता है, ‘यौगिक’ कहलाता है। 

वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्त्वों के अनिश्चित अनुपात में संयोजन से बना होता है, ‘यौगिक’ कहलाता है। 

किसी यौगिक से इसके अवयवों को भौतिक विधि द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता है ।

किसी मिश्रण से इसके अवयवों को भौतिक विधि द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता है ।

यौगिक का एक निश्चित रासायनिक सूत्र होता है

मिश्रण का कोई निश्चित रासायनिक सूत्र नहीं होता है।

यौगिक का गलनांक, क्वथनांक एवं घनत्व आदि निश्चित होता है।

मिश्रण का गलनांक, क्वथनांक एवं घनत्व आदि निश्चित नहीं होता है।

यौगिक के निर्माण में प्रायः ऊर्जा (ऊष्मा, प्रकाश इत्यादि के रूप में) या तो शोषित होती है या मुक्त होती है।

मिश्रण के निर्माण में ऊर्जा (ऊष्मा, प्रकाश इत्यादि के रूप में) न शोषित होती है और न ही मुक्त होती है।

योगिक का संघटन स्थाई होता है

मिश्रण का संघटन स्थाई नहीं होता है

विलयन (Solution)

  • विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। 
  • उदाहरण के लिये- सोडा जल, नींबू शरबत इत्यादि विलयन हैं। 
  •  विलयन के कणों में समांगिकता होती है। 
  •  विलयन किसी भी भौतिक अवस्था के हो सकते हैं। मिश्रधातु ठोस विलयन का और वायु गैसीय विलयन का प्रकार है।

किसी विलयन के दो भाग होते हैं- 

  1. विलायक (Solvent)
  2. विलेय (Solute)

 

  • विलायक (Solvent): विलयन का वह घटक, जो दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है। प्रायः इसकी मात्रा ज़्यादा होती है। 
  • विलेय (Solute): विलयन का वह घटक जो विलायक में घुला होता है। प्रायः इसकी मात्रा विलायक से कम होती है। 

 

मिश्रधातु (Alloy)

  • धातुओं के समांगी मिश्रण, जिन्हें भौतिक क्रिया द्वारा अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता, फिर भी इन्हें मिश्रण माना जाता है, क्योंकि ये अपने घटकों के गुणों को दर्शाते हैं और पृथक्-पृथक् संघटन रखते हैं। 

विलयन की सांद्रता (Concentration of Solution)

  • विलायक की मात्रा (द्रव्यमान अथवा आयतन) में घुले हुए विलेय पदार्थ की मात्रा को अथवा विलेय पदार्थ की मात्रा को जो विलयन के किसी दी गई मात्रा अथवा आयतन में उपस्थित हो, ‘विलयन की सांद्रता’ कहते हैं। 

विलयन की सांद्रता = विलेय(SOLUTE) की मात्रा / विलयन(SOLUTION) की मात्रा

विलयन की सांद्रता = विलेय(SOLUTE) की मात्रा / विलायक(SOLVENT) की मात्रा

  • दो विलयनों की तुलना के समय जिस विलयन में विलेय ज़्यादा हो, उसे ‘सांद्र विलयन’ (Concentrate Solution) और जिसमें विलेय कम हो, उसे ‘तनु विलयन’ (Dilute Solution) कहते हैं। 

संतृप्त विलयन (Saturated Solution)  

  • ऐसा विलयन जिसमें किसी दिये गए तापमान पर विलेय की अधिकतम मात्रा घुली हो एवं विलयन में और अधिक विलेय मिलाने पर विलेय घुलता नहीं है ‘संतृप्त विलयन’ कहलाता है। 
  • संतृप्त विलयन में उपस्थित विलेय पदार्थ की मात्रा इस तापमान पर विलेय की विलायक में घुलनशीलता कहलाती है। 
  • किसी दिये गए विलायक में समान ताप पर भिन्न-भिन्न विलेयों की घुलनशीलता भिन्न-भिन्न होती है। 

असंतृप्त विलयन (Unsaturated Solution) 

  • यदि विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा संतृप्तता के स्तर से कम हो तो विलयन को ‘असंतृप्त विलयन’ कहते हैं। 

निलंबन(Suspension)

  • ऐसा विषमांगी मिश्रण जिसमें ठोस कण द्रव में परिक्षेपित (Dispersed) हो जाते हैं ‘निलंबन’ कहलाता है।
  • निलंबन में विलेय पदार्थ के कण घुलते नहीं हैं, बल्कि माध्यम की समष्टि (Bulk) में निलंबित रहते हैं। 
  • उदाहरण- पानी में मिट्टी का मिश्रण। 

कोलॉयड (Colloid)

  • ऐसा विषमांग मिश्रण जिसमें कण विलयन के सदृश समान रूप से पुरे विलयन में फैले होते हैं। 
  • निलंबन की अपेक्षा कणों का आकार छोटा होता है और मिश्रण समांगी प्रतीत होता है, परंतु वास्तविकता में यह असमांगी मिश्रण है। 
  • दूध कोलॉयड का उदाहरण है।
  • कोलॉयड में जो कण माध्यम में परिक्षिप्त (Dispersed) होता है उसे ‘परिक्षिप्त प्रावस्था’ (Dispersed Phase) और कोलॉयड में जिस माध्यम में परिक्षिप्त प्रावस्था निलंबित रहती है, ‘परिक्षेपण माध्यम (Dispersing Medium) कहलाते हैं।
  • कोलॉयड को परिक्षेपण माध्यम और परिक्षिप्त प्रावस्था के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। कोलॉयड के सामान्य उदाहरण निम्नलिखित हैं

प्रकार

परिक्षेपण माध्यम

Dispersing Medium

(SOLVENT)

परिक्षिप्त प्रावस्था

Dispersed Phase

(SOLUTE)

उदाहरण

एरोसॉल

aerosol

गैस

द्रव

कोहरा, बादल, कुहासा

एरोसॉल

गैस

ठोस

धुआँ, वाहनों का धुआँ (Exhaust)

फोम

foam

द्रव

गैस

शेविंग क्रीम

इमल्शन (पायस)

emulsion 

द्रव

द्रव

दूध 

सोल

sol

द्रव

ठोस

मैग्नेशिया मिल्क, कीचड़

फोम

ठोस

गैस

रबर, स्पंज, प्यूमिक

जैल

gel

ठोस

द्रव

जैली, पनीर, मक्खन

ठोस सोल

ठोस

ठोस

रंगीन रत्न पत्थर, दुधिया काँच

1. ‘कोहरे’ में निम्नलिखित में से कौन-सा कोलॉइडी तंत्र अभिव्यक्त होता है? 

Which of the following colloidal systems is expressed in ‘fog’?

(a) गैस में द्रव

(b) द्रव में गैस 

(c) गैस में ठोस

(d) द्रव में द्रव

IAS, 1993 

Q. निलंबन कण किसके बीच एक जैसा आकार रखते हैं?

(a) 10-2और 10-4 सेमी

(b) 10-5 और 10-7 सेमी. 

(c) 10-8 और 10-10 सेमी. 

(d) 10-1 और 10-2 सेमी.

SSC Multitasking, 2013 

टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect) 

  • जब प्रकाश किरण किसी कोलॉयड या निलंबन से होकर गुजरती है तो परिक्षिप्त प्रावस्था(Disperesd phase) के कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering) होता है, इसे ‘टिंडल प्रभाव’ कहते हैं। 
  • टिंडल प्रभाव के कारण माध्यम से गुजरते समय प्रकाश का मार्ग दृष्टिगोचर होता है। 
  • घने जंगल के आच्छादन से सूर्य किरण के गुज़रने पर टिंडल प्रभाव देखा जा सकता है। 
  • कमरे के छोटे छिद्र से प्रकाश किरण आने पर टिंडल प्रभाव देखा जा सकता है। 

विलयन, कोलॉयड एवं निलंबन की तुलना 

विलयन

(solution)

कोलॉयड

(colloid)

निलंबन

(suspension)

समांगी मिश्रण

विषमांग मिश्रण

विषमांग मिश्रण

टिंडल प्रभाव नहीं होता है

टिंडल प्रभाव होता है

टिंडल प्रभाव होता है

विलयन स्थाई होता है 

यानी कि शांत छोड़ देने पर विलेय कण नीचे नहीं बैठते हैं

विलयन स्थाई होता है 

विलयन अस्थाई होता है यानी कि शांत छोड़ देने पर भी लेकर नीचे बैठते हैं

विलयन में विलेय कणों का आकार अत्यंत सूक्ष्म होता है । यह व्यास में 1 nm से कम होता है।

10-7 से छोटा

कोलाइड में कणों का आकार वास्तविक विलयन से बड़ा परंतु निलंबन से छोटा होता है। वह व्यास में 1 nm और 100 nm के बीच होता है।

10-5 to 10-7

निलंबन में विलेय कणों का आकार पर्याप्त बड़ा होता है । यह व्यास में 100 nm से  बड़ा होता है।

10-5 से  बड़ा

विलयन के कणों को सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देखा जा सकता।

कोलाइड के कणों को सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देखा जा सकता।

निलंबन के कणों को आसानी से देखा जा सकता।

समुद्री जल , सोडा जल, पानी में चीनी, नमक तथा सिरके का विलयन  आदि ।

दूध , साबुन विलयन, स्याही , रक्त, स्टार्च विलियन

मटमैला जल , जल में आटा, दूधिया मैग्नीशिया, चाॅक जल मिश्रण आदि

 

मिश्रण के घटकों का पृथक्करण 

separation of components of a mixture

  1. अपकेंद्रण (Centrifugation)
  2. वाष्पीकरण (Vaporization) – द्रव से वाष्प में बदलना
    1. वाष्पन (Evaporation) – क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव से वाष्प में बदलना
    2. क्वथन (Boiling)
  3. अवसादन और निस्तारण (Sedimentation and Decantation)
  4. उर्ध्वपातन (Sublimation)
  5. परासरण (Osmosis) :
  6. विपरीत परासरण (Reverse Osmosis-RO)
  7. वर्णलेखन /क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)
  8. आसवन(Distillation)
  9. भाप आसवन (Steam Distillation)
  10. आंशिक आसवन(Fractional Distillation)
  11. रवाकरण /क्रिस्टलीकरण (Crystallization)
  12. स्कंदन (Coagulation)

अपकेंद्रण (Centrifugation)

  • जब द्रव में मौजूद कण इतने छोटे हों कि छानक पत्र के छिद्रों को पार कर जाएँ तो इन कणों को छानन विधि द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता।
  • ऐसे मिश्रणों को जब तेजी से घुमाया जाता है तो भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के कण ऊपर रह जाते हैं। इसे ‘अपकेंद्रण’ कहते हैं। 

अनुप्रयोग 

  • जाँच प्रयोगशाला में रक्त और मूत्र की जाँच में 
  • दूध से क्रीम निकालने में 
  • वॉशिंग मशीन में भीगे कपड़ों से जल निचोड़ने में। 

वाष्पीकरण (Evaporation)

  • solid एवं liquid के मिश्रण को पृथक् करने हेतु इस विधि का प्रयोग करते हैं। 
  • सामान्यतः विलयन के घटकों-विलेय एवं विलायक के पृथक्करण हेतु वाष्पीकरण का प्रयोग किया जाता है। 

अनुप्रयोग 

  • समुद्री जल से नमक बनाने में वाष्पीकरण का प्रयोग किया जाता है। 

अवसादन और निस्तारण (Sedimentation and Decantation)

  • किसी द्रव में अघुलनशील पदार्थ के मिश्रण को पृथक् करने हेतु इस विधि का प्रयोग करते हैं। 
  • ऐसे मिश्रण को शांत छोड़ देने पर अघुलनशील पदार्थ के कण नीचे बैठ जाते हैं। 
  • भारी कणों के नीचे बैठने की प्रक्रिया को ‘अवसादन’ कहते हैं, ऊपर से द्रव को अलग करना ‘निस्तारण’ कहलाता है। 
  • उदाहरण- जल से मिट्टी के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है। 
  • दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को कुछ देर शांत छोड़ देने पर वे अपने घनत्व के अनुसार विभिन्न परतों में पृथक् हो जाते हैं। 

अनुप्रयोग 

  • तेल तथा जल के अघुलनशील मिश्रण को पृथक् करने में। 
  • धातु शोधन के दौरान लोहे को पृथक् करने में। 
    • इस विधि द्वारा हल्के स्लैग को ऊपर से हटा लिया जाता है तथा भट्टी की निचली सतह पर पिघला हुआ लोहा शेष रह जाता है। 

उर्ध्वपातन (Sublimation)

  • ऐसे मिश्रण जिसमें उर्ध्वपातित हो सकने वाले अवयव और उर्ध्वपातित न हो सकने वाले अवयव मिले हों, को पृथक् करने के लिये उर्ध्वपातन विधि का प्रयोग करते हैं। 

अनुप्रयोग 

  • नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को पृथक् करने हेतु। 
  • आयोडीन और पोटैशियम क्लोराइड के मिश्रण से आयोडीन अलग करने में

परासरण (Osmosis)

  • जब दो भिन्न सांद्रताओं के विलयन एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली(semipermeable membrane) से अलग किये गए हों तो, विलायक के अणु झिल्ली को पार कर कम साद्रता (विलेय की) वाले विलयन से, अधिक सांद्रता (विलेय की) वाले  विलयन की ओर गति करता है.
  • यह  एक spontaneous भौतिक प्रक्रिया है, जिसका कारण अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग किये गए विलयनों में सांद्रताओं की विभिन्नता के कारण उत्पन्न परासरण दबाव(osmotic pressure) होता है। 
  • उदाहरण- किशमिश के दाने जल में रखने पर फूल जाते हैं।

विपरीत परासरण (Reverse Osmosis-RO) 

  • जल में विद्यमान अशुद्धियों, जैसे- विभिन्न खनिज, आयन इत्यादि को अलग करने के लिये विपरीत परासरण प्रक्रिया अपनाते हैं। 
  • विपरीत परासरण के लिये परासरण दाब के विरुद्ध दाब सृजित करना पड़ता है। 

क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)

  • इस विधि का प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है, जो एक ही प्रकार के विलायक में घुले होते हैं। 

अनुप्रयोग 

  • डाई में रंगों को पृथक् करने में। 
  • प्राकृतिक रंगों से पिगमेंट पृथक् करने में। 
  • रक्त से नशीले ड्रग्स (Drugs) को पृथक् करने में। 

आसवन(Distillation)

  • इस विधि का प्रयोग ऐसे मिश्रण को पृथक करने में उपयोग किया जाता है, जो विघटित हुए बिना उबलते हैं तथा जिनके घटकों के क्वथनांकों के मध्य अधिक अंतर होता है। 
  • दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को इस विधि द्वारा पृथक् किया जाता है। 
  • उदाहरणः एसीटोन और जल का मिश्रणएल्कोहल व जल का मिश्रण
  • दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों, जिनके क्वथनांक का अंतर 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक् करने हेतु प्रभाजी आसवन विधि (Fractional Distillation Process) का प्रयोग किया जाता है। 

उदाहरण: वायु से विभिन्न गैसों का पृथक्करण तथा पेट्रोलियम उत्पादों में से उनके विभिन्न घटकों का पृथक्करण प्रभाजी आसवन विधि द्वारा होता है।

  • समुद्री जल के शोधन में भी सामान्यतः आसवन विधि प्रयोग में लाई जाती है। 

Q. एल्कोहल-जल मिश्रण से जल को अलग किया जा सकता है

(a) निस्तारण द्वारा

(b) वाष्पन द्वारा

(c) आसवन द्वारा

(d) उर्ध्वपातन द्वारा

SSC Tax Asst. Exam, 2006

क्रिस्टलीकरण (Crystallization) 

  • ठोस पदार्थों को शुद्ध करने में इस विधि को प्रयोग में लाते हैं। 
  • इसके द्वारा क्रिस्टल के रूप में शुद्ध ठोस को विलयन से पृथक् किया जाता है। 

अनुप्रयोग 

  • वाष्पीकरण विधि द्वारा समुद्री जल से नमक प्राप्त करने में। जो नमक प्राप्त किया जाता है, उसमें बहुत-सी अशुद्धियाँ होती हैं।  नमक से अशुद्धियों को दर करने के लिये क्रिस्टलीकरण विधि का उपयोग किया जाता है। 
  • अशुद्ध नमूने से फिटकरी पृथक् करने में 

Q. क्रोमेटोग्राफी की तकनीक का प्रयोग होता है

(a) रंगीन पदार्थों की पहचान करने में 

(b) पदार्थों की संरचना निर्धारण में 

(c) रंगीन पदार्थों के प्रभाजी आसवन में 

(d) एक मिश्रण से पदार्थों को अलग करने में

42nd BPSC (Pre) 1997 

स्कंदन (Coagulation)

  • जल में निलंबित अशुद्धियों को जल से पृथक् करने हेतु उसमें थोडी फिटकरी मिलाने पर, निलंबित कणों का स्कंदन (Coagulation) हो जाता है और वे भारी होकर जल में नीचे बैठ जाते है।
  • कट जाने पर चोट पर फिटकरी लगाने से रक्त कणिकाओं का स्कंदन हो जाता है और रक्त स्राव रुक जाता है।

द्रव्य में अवस्था परिवर्तन 

(Change in State of Matter)

  • द्रव्य की एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तन एक भौतिक परिवर्तन है। इसमें द्रव्य के रासायनिक संघठन में कोई बदलाव नहीं आता। 

ठोस<> द्रव<> गैस

  • विभिन्न कारकों के प्रभाव में द्रव्य की अवस्था में परिवर्तन होता है। द्रव्य की अवस्था परिवर्तन के विभिन्न प्रक्रम निम्नलिखित हैं
    • ठोस से द्रव – गलन (Melting) 
    • द्रव से गैस – वाष्पीकरण (Vaporization)
    • द्रव से ठोस – जमना (Freezing) 
    • गैस से द्रव – संघनन (Condensation) 
    • ठोस से गैस – उर्ध्वपातन (Sublimation) 
    • गैस से ठोस – उर्ध्वपातन उत्क्रमण (Reverse Sublimation) 
  • पदार्थ की अवस्थाएँ दाब और तापमान द्वारा तय होती हैं। 
  • द्रव्य के घटक कणों के बीच की दूरी में अंतर होने के कारण द्रव्य की विभिन्न अवस्थाओं में अंतर होता है। 
  • ठोस का तापमान बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और कण अधिक तेज़ी से कंपन करने लगते हैं। ऊष्मा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा कणों के बीच के आकर्षण बल को प्रभावहीन कर देती है और कण स्वतंत्र होकर गति करने लगते हैं। कणों के बीच की दूरी ठोस अवस्था की अपेक्षा बढ़ जाने से ठोस द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। 

‘गलनांक’ (Melting Point)

  • जिस तापमान पर ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, वह इसका  ‘गलनांक’ (Melting Point) कहलाता है। 
  • द्रव अवस्था में किसी द्रव का तापमान बढ़ाने पर एक निश्चित तापमान पर पहुँचकर कणों में इतनी ऊर्जा आ जाती है कि वे परस्पर आकर्षण बल को तोड़कर स्वतंत्र हो जाते हैं। इस तापमान पर द्रव गैस में बदलने लगता है। 

क्वथनांक (Boiling Point)

  • वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, उसे इसका क्वथनांक (Boiling Point) कहते हैं। 
  • जल के लिये यह तापमान 373K (100°C) होता है। 
  • दाब बढ़ाने से द्रव का क्वथनांक बढ़ जाता है और दाब घटाने से द्रव का क्वथनांक घट जाता है
  • एलपीजी सिलेंडर में पेट्रोलियम गैस को अत्यधिक दाब पर संपीडित द्रव अवस्था में रखा जाता है। 
    • ठोस CO2, जब वायुमंडलीय दाब 1 atm पर हो तो वह द्रव अवस्था में आए बिना ही सीधे गैस में परिवर्तित हो जाती है। यही कारण है कि ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को ‘शुष्क बर्फ’ (Dry Ice) कहते हैं।

हिमांक  (freezing point)

  • किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जलता है, हिमांक कहलाता है 
  • सामान्यता पदार्थ का द्रवणांक एवं हिमांक का मान बराबर होता है 
    • जैसे बर्फ  का द्रवणांक एवं हिमांक 0  डिग्री सेल्सियस है 
  • अशुद्धियों की उपस्थिति के कारण पदार्थ का हिमांक एवं द्रवणांक दोनों कम हो जाता है

 

भौतिक परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन
No Change on Chemical Compostion Of Matters Change on Chemical Compostion Of Matters
Reversible

the initial compound can be obtained again.

Irreversible

the initial compound can Not be obtained again.

New Products are Formed New Products are Not  Formed
Changes Have no effect on chemical bonds of Substance Changes Have effect on chemical bonds of Substance
एक बर्फ का टुकड़ा पिघलाना,

पानी पर बर्फ का बनना,

चीनी का पानी में घुलना,

उबला पानी,

नमक और रेत मिलाना,

पानी और तेल आदि मिलाना

लोहे में जंग लगना, 

लकड़ी का जलना, 

पोलीमराइजेशन, 

वल्कनीकरण, 

ईंधन का दहन, 

एंजाइमों द्वारा सब्सट्रेट का पाचन