भूमिज विद्रोह (1832-1833)
Bhumij Vidroh
JHARKHAND GK
भूमिजों को अंग्रेजों द्वारा चुआड़ कहा जाता था।
विद्रोह का प्रसार क्षेत्र - सिंहभूम(ढालभूम) व वीरभूम
नेतृत्व - गंगा नारायण द्वारा
कोल विद्रोह के नेता बिंदराय मानकी का भी समर्थन प्राप्त
घटवालों की सेना का समर्थन
सहयोगी - सूरा नायक, बुली महतो, गर्दी सरदार
विद्रोह का उपनाम - 'गंगा नारायण का हंगामा'
विद्रोह का प्रमुख कारण
उत्तराधिकार के नियमों की अनदेखी ( उपेक्षा)
अंग्रेजों द्वारा गंगा गोविंद सिंह को 1798 ई. में बाड़भूम का राजा नियुक्त
राजा गंगा गोविंद सिंह का सौतेला भाई - माधव सिंह
पहले भी अंग्रेजों ने लक्ष्मण सिंह के स्थान पर रघुनाथ सिंह को राजा नियुक्त
लक्ष्मण सिंह का पुत्र - गंगा नारायण सिंह
जनता पर अनैतिक कर
दिकुओं द्वारा जनता का शोषण
गंगा नारायण के साथ हुआ अत्याचार
बाड़भूम के दीवान माधव सिंह ने अपने चचेरे भाई गंगा नारायण को मिलने वाली जागीर बंद करवा दी।
गंगा नारायण ने माधव सिंह की 26 अप्रैल, 1832 ई. को हत्या कर दी
दमनकर्ता
रसेल ,ब्रैडन व ट्रिमर ,डेन्ट
गंगा नारायण द्वारा खरसावां के ठाकुर चेतन सिंह के राज्य पर हमला
गंगा नारायण अपने समर्थकों के साथ तथा कोल लड़ाकों के साथ मिलकर खरसावां के ठाकुर चेतन सिंह के राज्य पर हमला किया ।
गंगा नारायण की मृत्यु
7 फरवरी, 1833 को
खरसावां के ठाकुर चेतन सिंह के विरूद्ध लड़ते समय
चेतन सिंह ने गंगा नारायण का सिर काटकर कैप्टन विल्किंसन को भेज दिया
ठाकुर चेतन सिंह को इनाम - 5,000 रूपये
गंगा नारायण की मृत्यु के साथ ही विद्रोह समाप्त हो गया।
परिणाम - 1833 ई. के रेगुलेशन-XIII के तहत
राजस्व नीति में परिवर्तन
जंगलमहल जिला को समाप्त कर दिया गया।