पादप (Plantae)
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यह सेल्युलोस से बने कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों का समूह है।
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ये स्वपोषी होते हैं और प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा स्वयं का भोजन बनाते हैं।
पादपों का वर्गीकरण /classification of plants
पादपों को निम्न उपवर्गों में बाँटा जा सकता है
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- थैलोफाइटा (Thallophyta)
- ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
- टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
- जिम्नोस्पर्म (Gymnosperm)
- एंजियोस्पर्म (Angiosperm)
थैलोफाइटा (Thallophyta)
- इन पौधों के शरीर की संरचना मूल, तना तथा पत्तियों में विभाजित नहीं होती है।
- इस वर्ग के पौधों को सामान्यतया शैवाल (Algae) कहा जाता है।
- ये मुख्यतः जलीय पादप होते हैं, जैसे- यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा इत्यादि।
- इनमें जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं तथा इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती।
ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
- इस वर्ग के पादपों में संवहनी ऊतक नहीं पाए जाते।
- ये पादप तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होते है।
- इस वर्ग के पौधों को ‘पादप वर्ग का उभयचर’ भी कहा जाता है।
- उदाहरण – मॉस (फ्यूनेरिया), मार्केशिया आदि।
- इनमें जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं तथा इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती।
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
- इन पौधों का शरीर जड़, तना तथा पत्तियों में विभाजित होता है।
- इनमें संवहन ऊतक भी उपस्थित होते हैं।
- उदाहरणार्थ- फर्न, मार्सीलिया, हार्सटेल इत्यादि।
- इनमें जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं तथा इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती।
जिम्नोस्पर्म (Gymnosperm)
- ये पौधे नग्नबीजी होते हैं अर्थात् इनके बीज फलों के अंदर नहीं होते।
- ये पौधे बहुवर्षी, सदाबहार तथा काष्ठीय होते हैं, जैसे- पाइनस तथा साइकस।
एंजियोस्पर्म (Angiosperm)
- इन पौधों के बीज फलों के अंदर बंद रहते हैं।
- इनके बीजों का विकास अंडाशय के अंदर होता है जो बाद में फल बन जाते हैं। इन्हें पुष्पी पादप भी कहा जाता है।
- बीजपत्रों की संख्या के आधार पर एंजियोस्पर्म वर्ग को दो भागों में बाँटा जाता है
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- एकबीजपत्री (monocotyledon) – एक बीजपत्र
- द्विबीजपत्री (dicotyledon) – दो बीजपत्र