तमाड़ विद्रोह (1782-1821)
(Tamar Vidroh )
JHARKHAND GK
विद्रोह का प्रारंभ - मुण्डा आदिवासियों
प्रभावित क्षेत्र - तमाड़ ,रांची
अंग्रेजों के विरूद्ध सबसे लम्बा, और सबसे खूनी आदिवासी विद्रोह था।
विद्रोह छः चरणों में संचालित हुआ।
तृतीय चरण (1794-98)
प्रारंभ - 1794 ई. में
नेतृत्व - तमाड़ के ठाकुर भोलानाथ सिंह
अन्य -
सिल्ली के ठाकुर विश्वनाथ सिंह
विशुनपुर के ठाकुर हीरानाथ सिंह
बुंडू के ठाकुर शिवनाथ सिंह
आदिवासी नेता रामशाही मुंडा
कारण
राहे के राजा नरेन्द्र शाही ने 1796 ई. में अंग्रेजों का साथ दिया था
सोनाहतू गाँव में आदिवासियों द्वारा नरेन्द्र शाही का विरोध किया गया।
दमनकर्ता -
कैप्टेन लिमण्ड - 1798 ई. में कई विद्रोहियों को गिरफ्तार कर लिया
कैप्टेन बेन द्वारा भोलानाथ सिंह को गिरफ्तार कर लिया
चतुर्थ चरण (1807-08)
नेतृत्व - दुखन शाही ,1807 ई. में
मुण्डा जनजाति भी शामिल
दमनकर्ता -
कैप्टन रफसीज - 1808 ई. में दुखन शाही गिरफ्तार
पांचवां चरण (1810-12)
नेतृत्व - नावागढ़ क्षेत्र के जागीरदार बख्तर शाह ,1810 ई. में
दमनकर्ता - लेफ्टिनेंट एच. ओडोनेल
बख्तर शाह सरगुजा भाग गया
छठा चरण (1819-21)
नेतृत्व - रूदन मुण्डा तथा कुंटा मुण्डा ,1819 ई. में
अतिरिक्त
दौलतराय मुण्डा, मंगलराय मुण्डा, गाजीराय मुण्डा, मुचिराय मुण्डा,
भदरा मुण्डा, झुलकारी मुण्डा, टेपा मानकी, शंकर मानकी,
चंदन सिंह, घुन्सा सरदार आदि
दमनकर्ता -
ई. रफसेज, ए. जे. कोलविन
तमाड़ के राजा गोविंद शाही द्वारा सहायता मिला
रूदन मुण्डा गिरफ्तार - जुलाई, 1820 में
कुंटा मुण्डा गिरफ्तार - मार्च, 1821 में