तिलका आंदोलन (1783-1785)
(Tilka Aandolan/Tilka Movement )
JHARKHAND GK
शुरूआत - 1783 ई. में
नेतृत्व - तिलका माँझी (जाबरा पहाड़िया)
कारण
अंग्रेजों के दमन व फूट डालो की नीति के विरोध में
अपने जमीन पर अधिकार प्राप्त करने हेतु
प्रमुख उद्देश्य
आदिवासी अधिकारों की रक्षा करना।
अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ना।
सामंतवाद से मुक्ति प्राप्त करना।
आंदोलन का प्रमुख केन्द्र - वनचरीजोर (वर्तमान भागलपुर ) ,संथाल परगना क्षेत्र
आंदोलन के प्रचार-प्रसार हेतु ‘साल के पत्तों' का प्रयोग किया।
तीर मारकर क्लीवलैंड की हत्या
13 जनवरी, 1784 को तिलका माँझी ने
दमनकर्ता - अंग्रेज अधिकारी आयरकूट
तिलका माँझी ने छापेमारी युद्ध (गुरिल्ला युद्ध) का प्रयोग किया।
छापामार युद्ध की शुरूआत - सुल्तानगंज पहाड़ी
तिलका माँझी को पकड़वाने में अंग्रेजों का सहयोग
पहाड़िया सरदार जउराह ने किया।
1785 ई. तिलका माँझी गिरफ्तार कर फाँसी
भागलपुर में बरगद के पेड़ से
इस स्थान को बाबा तिलका माँझी चौक के नाम से जाना जाता है।
झारखण्ड से सर्वप्रथम शहीद होने वाले सेनानी तिलका माँझी हैं।
तिलका माँझी अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह करने वाले प्रथम आदिवासी थे
इनके आंदोलन में महिलाओं ने भी भाग लिया थी।