सिंधु घाटी हस्तशिल्प

 सिंधु घाटी हस्तशिल्प

सैंधव सभ्यता के अनेक स्थलों की खुदाई से प्राप्त होने वाले पुरातात्त्विक साक्ष्य इस बात को प्रमाणित करते हैं कि सिंधु सभ्यता के लोग शिल्प तकनीक एवं वस्त्र निर्माण कला से परिचित थे। प्राप्त पुरातात्त्विक साक्ष्यों में शिल्प उद्योग से जुड़े विशिष्ट समूहों, जैसे-ताम्रकार, स्वर्णकार, पत्थर तराशने वाले, ईंट निर्माता, बुनकरों, मिट्टी से विभिन्न वस्तुओं को बनाने वालों आदि के संबंध में जानकारी मिली है। 

इस सभ्यता से जुड़े अन्य तथ्य निम्नलिखित हैं 


  • सिंधु सभ्यता में सबसे लोकप्रिय धातु कांस्य थी। इस सभ्यता से जुड़े स्थलों में धात्त्विक शिल्पकला के तौर पर तांबे एवं काँसे के बर्तनों के साक्ष्य मिलते हैं। 

  • चन्हुदड़ो इस काल में शिल्प उत्पादन का प्रसिद्ध केंद्र था। यहाँ मोती निर्माण, सीपी काटने, मुहरों का निर्माण, धातु कार्य आदि किये जाते थे।

  •  मोहनजोदड़ो से एक पुरोहित की मूर्ति प्राप्त हुई है, जो तिपतिया अलंकरण से युक्त है। तिपतिया अलंकरण वस्तुतः वस्त्रों पर कढ़ाई करने की एक कला थी। इससे स्पष्ट होता है कि इस सभ्यता के लोग वस्त्रों पर कढ़ाई करने की कला से भी परिचित थे। 

  •  इसके अतिरिक्त यहाँ विभिन्न स्थलों की खुदाई में प्राप्त कताई-बुनाई के विभिन्न उपकरणों, जैसे- तकली, सुई आदि से भी स्पष्ट होता है कि यहाँ वस्त्र निर्माण केंद्र था। सीपी की वस्तुओं, जैसे कि चूड़ियाँ, जड़ित वस्तुएँ, चम्मच इत्यादि के निर्माण हेतु नागेश्वर व बालाकोट विशिष्ट केंद्र थे, जहाँ से वस्तुएँ अन्य स्थानों पर ले जाई जाती थीं। 

  • इस सभ्यता की विभिन्न आकृतियों एवं डिज़ाइनों के बने मिट्टी के पात्र शिल्पकारों की दक्षता की ओर इशारा करते हैं। 

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