मुख्यमंत्री
- राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री वास्तविक प्रमुख होता है।
- राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है, जबकि मुख्यमंत्री सरकार का मुखिया होता है।
मुख्यमंत्री की नियुक्ति
- नियुक्ति राज्यपाल करेगा
- राज्यपाल उसे शपथ दिलाता है।
- कार्यकाल- 5 वर्ष
- त्यागपत्र – राज्यपाल को
- वेतन – राज्य विधानमंडल द्वारा तय
- अनुच्छेद 164 – मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा।
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- चुनाव बाद बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही मुख्यमंत्री नियुक्त करता है
- यदि किसी दल को बहुमत प्राप्त न हो तो राज्यपाल अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सबसे बड़े दल या दलों के समूह के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है आर उसे एक माह के भीतर सदन में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कहता है।
- यदि मुख्यमंत्री की मृत्यु कार्यकाल के दौरान ही हो जाये तो राज्यपाल अपने व्यक्तिगत फैसले द्वारा मुख्यमंत्री की नियुक्ति कर सकता है,लेकिन मुख्यमंत्री की मृत्यु के बाद बहुमत प्राप्त दलनये नेता का चुनाव कर लेता है और राज्यपाल उसे ही मुख्यमंत्री नियुक्त करता है ।
- संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि मुख्यमंत्री नियुक्त होने से पहले कोई बहुमत सिद्ध करे,जरूरी नहीं है ।
- राज्यपाल पहले उसे मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकता है फिर एक उचित समय(छह माह) के भीतर बहुमत सिद्ध करने को कह सकता है।
- ऐसे व्यक्ति जो राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं भी हो, छह माह के लिए मुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन इस समय के दौरान उसे राज्य विधानमंडल के लिए निर्वाचित होना पड़ेगा, ऐसा न होने पर उसका मुख्यमंत्री का पद समाप्त हो जाएगा।
- मुख्यमंत्री को विधानमंडल के दो सदनों में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है।
शपथ
- राज्यपाल उसे शपथ दिलाता है।
कार्यकाल
- मुख्यमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है और वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद पर रहता है।
- राज्यपाल उसे बर्खास्त कर सकता है।
जब मुख्यमंत्री विधानसभा में विश्वास खो(बहुमत प्राप्त नहीं ) देता है तो उसे त्यागपत्र दे देना चाहिए अन्यथा राज्यपाल उसे बर्खास्त कर सकता है।
- अधिकतम कार्यकाल- 5 वर्ष
मुख्यमंत्री के वेतन एवं भत्तों
- निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।
मुख्यमंत्री की शक्तियां एवं कार्य
- 1.मंत्रिपरिषद के संदर्भ में
- 2.राज्यपाल के संबंध में
- 3.राज्य विधानमंडल के संबंध में
- 4.अन्य शक्तियां एवं कार्य
मंत्रिपरिषद के संदर्भ में
- मुख्यमंत्री ,राज्य मंत्रिपरिषद के मुखिया है
- मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल मंत्री नियुक्त करता है।
- वह मंत्रियों के विभागों का वितरण एवं फेरबदल करता है।
- किसी भी मंत्री से त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने का परामर्श दे सकता है।
- मुख्यमंत्री त्यागपत्र देकर पूरी मंत्रिपरिषद को समाप्त कर सकता है।
राज्यपाल के संबंध में
- राज्य के कार्यों/मंत्रिपरिषद् के सभी विनिश्चय के बारे में राज्यपाल को सूचित करे।
- राज्य के कार्यों के बारे में जो जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे
- किसी मंत्री द्वारा किसी विषय पर निश्चय कर दिया है, किन्तु मंत्रिपरिषद् ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा कहने पर मंत्रिपरिषद् उस पर विचार करे ।
- वह अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को परामर्श देता है।
- महाधिवक्ता
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों और
- राज्य निर्वाचन आयुक्त
राज्य विधानमंडल के संबंध में
- वह राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाने एवं उसे स्थगित करने का सलाह देता है।
- वह राज्यपाल को किसी भी समय विधानसभा विघटित करने की सिफारिश कर सकता है।
अन्य शक्तियां एवं कार्य
- वह राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है।
- वह संबंधित क्षेत्रीय परिषद के क्रमवार उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। एक समय में इसका कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
- वह अन्तरराज्यीय परिषद और राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य होता है।इन दोनों परिषदों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
- वह राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है।
राज्यपाल के साथ संबंध
1. अनुच्छेद 163 :
- राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा।
2. अनुच्छेद 164:
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर ही करेगा।
- मंत्रि राज्यपाल के प्रसारपर्यंत अपना पद धारण करेंगे, और
- मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी राज्य विधानसभा के प्रति होगी।
3. अनुच्छेद 167 :
मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह
- मंत्रिपरिषद् के सभी निर्णय के बारे में राज्यपाल को सूचित करे।
- राज्य के कार्यों संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे।