जनहित याचिका Public Interest Litigation : SARKARI LIBRARY

जनहित याचिका (Public Interest Litigation)

जनहित याचिका का अर्थ 

  • कोई पीड़ित या शोषित या असमर्थ व्यक्ति जो किसी भी कारणवश न्यायालय नहीं जा सकता तो उसके बदले कोई दूसरा जनभावना वाला व्यक्ति या सामाजिक संगठन पीड़ित व्यक्ति या व्यक्तियों के समूहो  के अधिकार को दिलाने के लिए न्यायालय जा सकता है ,
  • जनहित याचिका की अवधारणा की उत्पत्ति एवं विकास अमेरिका में 1960 के दशक में हुई। 
  • भारत में जनहित याचिका या PIL ,सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक सक्रियता का एक उत्पाद है 
  • इसकी शुरुआत 1980 के दशक के मध्य में हुई 
  • न्यायमूर्ति वी.आर कृष्ण अय्यर तथा न्यायमूर्ति पी.एन भगवतीपीआईएल के अवधारणा के प्रवर्तक रहे हैं
  • सर्वोच्च न्यायालय ने 1998 में  PIL के रूप में प्राप्त याचिकाओं पर कार्यवाही के लिए कुछ दिशानिर्देशों को सूत्रित किया 
  • इन दिशानिर्देशों को 2003 में संशोधित किया गया
  • पीआईएल को अन्य रूप में भी जाना जाता है।
  • सामाजिक क्रिया याचिका [Social Action Litigation (SAL)] 
    • सामाजिक हित याचिका [Social Interest Litigation (SIL)] 
    • वर्गीय क्रिया याचिका  [Class Action Litigation (CAL)] 
  • पीआईएल के वास्तविक उद्देश्य हैं: 
    • (i) कानून के शासन की रक्षा 
    • (ii) सामाजिक-आर्थिक रुप से कमजोर वर्गो की न्याय तक प्रभावकारी पहुँच बनाना
    • (iii) मौलिक अधिकारों का सार्थक रुप में प्राप्त करना।