भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी Special officer for linguistic minorities : SARKARI LIBRARY

 

भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी  (Special Officer for Linguistic Minorities)

संवैधानिक उपबंध 

  • मूल संविधान में भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिये विशेष अधिकारी के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है। 
  • बाद में राज्य पुनर्गठन आयोग (1953-55) ने इस संबंध में सिफारिश की। 
  • 1956 के सातवें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुसार, संविधान के भाग XVII/भाग(17) में अनुच्छेद 350-ख जोड़ा गया। 
  • अनुच्छेद 350-ख में निम्न उपबंध हैं: 
    • 1. भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए एक विशेष अधिकारी होगा, जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा। 
    • 2. विशेष अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान के अधीन भाषाई अल्संख्यक-वर्गों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करेगा। वह राष्ट्रपति को ऐसे सभी मामलों की Report करेगा, जिनमें राष्ट्रपति प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप कर सकता है। राष्ट्रपति ऐसे सभी प्रतिवेदनों को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा और संबंधित राज्यों की सरकारों को भिजवाएगा।

 

संविधान भाषाई सख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी की योग्यता,सेवा-शर्ते,कार्यकाल, वेतन एवं भत्ते आदि के संबंध में कोई उल्लेख नहीं करता है। 

 

भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए आयुक्त 

  • संविधान के अनुच्छेद 350-ख के अनुसार, 1957 में भाषाई अल्पसंख्यक के लिये विशेष अधिकारी के कार्यालय की स्थापना की गयी। इस अधिकारी को भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये आयुक्त (कमिश्नर) का पदनाम दिया गया है।
  • इस आयुक्त का मुख्यालय इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में है तथा बेलगांम (कर्नाटक), चेन्नई (तमिलनाडु) एवं कोलकाता (प. बंगाल) में इसके तीन क्षेत्रीय कार्यालय हैं। 
  • प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय का प्रमुख उप-आयुक्त (असिस्टेंट कमिश्नर) होता है।
  • मुख्यालय में आयुक्त को उसके कार्यों में सहायता देने के लिये एक उपायुक्त एवं एक सहायक आयुक्त होते हैं। आयुक्त इस संदर्भ में राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करता है।
  • केंद्रीय स्तर पर आयुक्त, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। आयुक्त अपने कार्यों का वार्षिक प्रतिवेदन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति को प्रेषित करता है।

 

आयुक्त की भूमिका 

  • आयुक्त भाषाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत योजनाओं के लागू नहीं होने से उपजी शिकायतों को हल करता है। 
  • भाषाई अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकारों/संघीय क्षेत्रों से अनुरोध किया है कि वे भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए की गई संवैधानिक सुरक्षा का प्रचार करें तथा इसके लिए प्रशासनिक कार्यवाही करें। 
  • राज्य सरकारों और संघीय क्षेत्रों के प्रशासकों से कहा गया कि वे सम्बन्धित योजनाओं को लागू करने को प्राथमिकता दें। 
  • आयुक्त ने भाषाई अल्पसंख्यकों की भाषा एवं संस्कृति को संरक्षित करने के सरकारी उपायों को नया आवेग देने के लिए एक 10 सूत्री कार्यक्रम की भी शुरूआत की।

कार्य

1. भाषाई अल्पसंख्यकों को प्रदान की गई सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों का अनुसंधान। 2. भाषाई अल्पसंख्यकों को प्रदान की गई संवैधानिक तथा राष्ट्रीय सहमति प्राप्त सुरक्षा के कार्यान्वयन की स्थिति पर भारत के राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देना। 

3. सुरक्षाओं के कार्यान्वयन को प्रश्नावलियों, दौरों, सम्मेलनों, संगोष्ठियों, बैठकों तथा समीक्षा प्रक्रिया आदि के माध्यम से अनुश्रवण करना। 

 

उद्देश्य 

1. समावेशी विकास तथा राष्ट्रीय अखंडता के लिए भाषाई सपना अल्पसंख्यकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना। 

2. भाषाई अल्पसंख्यकों के बीच उनको उपलब्ध सुरक्षा के संबंध में जागरूकता पैदा करना। 

3. भाषाई अल्पसंख्यकों को संविधान में प्राप्त सुरक्षा तथा मी अन्य सुरक्षाओं, जिन पर राज्यों/संघीय क्षेत्रों की सहमति है, के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना।

4. भाषाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से संबंधित शिकायतों का निवारण करना