बिरसा आंदोलन Birsa Munda Revolt

 

बिरसा आंदोलन (1895-1900) 

Birsa Movement

Birsa Munda Revolt

Jharkhand Gk

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  • उपनाम - 'मुण्डा उलगुलान'  

    • उलगुलान का अर्थ – विद्रोह 

  • प्रारंभ  - 1895 ई. 

  • नेतृत्व - बिरसा मुण्डा 

  • प्रारंभिक स्वरूप -  सुधारवादी था

  • उद्देश्य 

    • राजनीतिक - स्वतंत्र मुण्डा राज की स्थापना 

    • धार्मिक  

      • इसाई मुण्डाओं को वापस अपने धर्म में लाना

      • विभिन्न बोंगाओं (देवताओं) के स्थान पर सिंगबोंगा की आराधना 

    • आर्थिक - मुण्डाओं की जमीन पर पुनः अधिकार स्थापित करना 

  • आंदोलन का प्रमुख कारण 

    • खूंटकट्टी व्यवस्था की समाप्ति से उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या 

    • मिशनरियों द्वारा भूमि सुधार संबंधी झूठे आश्वासन

    • मुण्डाओं की समस्याओं की समस्या के प्रति अदालतों की उदासीनता

    • 1894 ई. का छोटानागपुर वन सुरक्षा कानून के लागू होने से आदिवासियों के जीवन निर्वाह साधनों पर संकट 

  • बिरसा मुण्डा द्वारा 'सिंगबोंगा धर्म' का प्रतिपादन  - 1895 ई. में 

    • बिरसा मुण्डा ने स्वयं को ‘सिंगबोंगा का दूत' घोषित किया

  • आंदोलन का मुख्यालयखूटी 

  • विद्रोह के समय राँची का उपायुक्त  - स्ट्रेटफील्ड 

  • आंदोलन से सम्बंधित अन्य लोग 

    • सेनापति - गया मुण्डा

      • गया मुण्डा की पत्नी -  मानकी मुण्डा

    • राजनीतिक शाखा प्रमुख - दोन्का मुण्डा 

    • धार्मिक-सामाजिक शाखा प्रमुख - सोमा मुण्डा 


  • प्रमुख गीत -  'कटोंग बाबा कटोंग' नामक  था। 

  • नारा - 'अबुआ राज एटेजाना, महारानी राज टुंडू 

    • अर्थ - अब मुण्डा राज प्रारंभ हो गया है तथा महारानी का राज समाप्त हो गया है 

  • बिरसा मुण्डा को दो बार डोरंडा कारागार (राँची) में कैद कर रखा 

1. पहली बार - 24.08.1895 से 30.11.1897 तक 

  • अंग्रेज अधिकारी मेयर्स द्वारा गिरफ्तारी) 

  • 30 नवंबर, 1897 को महारानी विक्टोरिया की हीरक जयंती के अवसर पर बिरसा मुण्डा को रिहा  

2. दूसरी बार - 03.02.1900 से 09.06.1900 तक 

  • अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह 

    • घोषणा - 24 दिसंबर, 1899 को  डुंबारु  बुरू में

      • 'दिकुओं से अब हमारी लड़ाई होगी तथा उनके खून से जमीन इस तरह लाल होगी जैसे लाल झंडा' 

    • प्रारंभ -  25 दिसंबर, 1899 


  • बिरसा मुण्डा के आंदोलन का समर्थक समाचार-पत्र

    • सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का 'बंगाली' समाचार-पत्र 

  • बिरसा के विद्रोहियों द्वारा आक्रमण 

    • 1900 ई. में डोम्बारी पहाड़ी (सैल रकब पहाड़ी) पर स्थित पुलिस पर 

    • अंग्रेज दमनकर्ताफारबेस व स्ट्रीट फील्ड 

  • बिरसा मुण्डा को पकड़वाने हेतु अंग्रेजों द्वारा घोषित इनाम  -  500 रूपये 

    • पकड़वाने में अंग्रेजों की मदद 

      • बंदगांव के जगमोहन सिंह के शागिर्द वीर सिंह महली ने 

    •  अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार3 मार्च, 1900 ,

      • जमकोपाई जंगल ,चक्रधरपुर में सोते समय 

  • बिरसा मुण्डा की मृत्यु - 9 जून, 1900 ई. को राँची जेल में हैजा की बीमारी से 

  • 300 मुण्डा विद्रोहियों पर ब्रिटिश सरकार द्वारा मुकदमा चलाया गया 

    • 3 को फाँसी की सजा

    • 44 को आजीवन कारावास की सजा 

    • 47 लोगों को कड़ी सजा 

      • गया मुण्डा की पत्नी  - मनकी मुण्डा को 2 वर्ष जेल की सजा 


  • परिणाम 

    • 1902 में गुमला को एवं 1903 में खूंटी  को अलग अनुमंडल का दर्जा 

    • राँची जिले का सर्वेक्षण

    • (CNT Act) पारित - 11 नवंबर, 1908 ई. को 

      • इस कानून के तहत सामूहिक काश्तकारी व्यवस्था (खूंटकट्टी) को पुनः लागू 

      • बंधुआ मजदूरी पर प्रतिबंध 

      • लगान की दरों में कटौती 

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