सफाहोड़ आंदोलन खरवार आंदोलन Safahod Andolan Kharwar Andolan

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सफाहोड़ आंदोलन (1870) / Safahod Andolan

  • साफाहोड़ का अर्थ  – सिंगबोंगा के प्रति समर्पण
  • आंदोलन का नेतृत्व – लाल हेम्ब्रम उर्फ लाल बाबा ,1870 में
  • लाल बाबा ने लोगों को ‘राम-नाम’ का मंत्र दिया
    • मांस-मदिरा के सेवन से रोका 
    • ‘देशोद्धारक दल’ की स्थापना
      • लाल बाबा ने 
      • संथाल परगना में 
  • प्रमुख नेता 
    • लाल बाबा, पैका मुर्मू, पगान मरांडी, रसिक लाल सोरेन ,भतू सोरेन ,बंगम माँझी  
  • इस आंदोलन का संबंध संथाल जनजाति से है। 
  • मूल उद्देश्य  – संथालों में धार्मिक पवित्रता पर बल देना 

 

खरवार आंदोलन (1874) Kharwar Andolan 

  • परंपरागत मूल्यों की पुनर्स्थापना हेतु यह एक जनजातीय सुधारवादी आंदोलन था। 
    • एकेश्वरवाद 
      • सूर्य एवं दुर्गा की उपासना के अतिरिक्त अन्य किसी भी देवी-देवता की उपासना का परित्याग 
    • सामाजिक सुधार 
    • ब्रिटिश सरकार/जमींदारों को कर नहीं देने की अपील
    • खुद लगान प्राप्त करने की व्यवस्था प्रारंभ की
    • सुअर, मुर्गा, हड़िया व नाचने-गाने का परित्याग
    • सिद्धू-कान्हू के जन्म स्थल को तीर्थस्थल के रूप में मान्यता 
    • संथाल विरोधियों का प्रतिकार तथा उपपंथो की संख्या को बारह तक सीमित करना। 
    • उपासकों का वर्गीकरण 
      • सफाहोड़ (समर्पण के साथ उपासना करने वाले)
      • भिक्षुक/बाबाजिया (उदासीनता के साथ उपासना करने वाले) 
      • मेल बरागर (बेमन से उपासना करने वाले)   
  • आंदोलन का नेतृत्व 
    • भागीरथ माँझी उर्फ बाबा (जन्म – गोड्डा के तलडीहा गाँव में)
    • सहयोगी –  ज्ञान परगनैत
    • शुरूआत  – 1874  ई. में 
  • ‘भागीरथ माँझी का आंदोलन’ 
  • भागीरथ मांझी ने स्वयं को बौंसी गाँव का राजा घोषित किया 
  • अंग्रेज सरकार ने भागीरथ माँझी एवं उनके सहयोगी –  ज्ञान परगनैत को गिरफ्तार कर लिया। 
    • 1877 में दोनों को रिहा कर दिया गया 
  • हजारीबाग में इस आंदोलन का नेतृत्व 
    • जगेशर निवास दुबु /दुबु बाबा ने 
  • खरवार आंदोलन का दूसरा चरण 
    • दुविधा गोसाई के नेतृत्व में 
      • 1881 ई. की जनगणना के खिलाफ प्रारंभ किया गया।