सोनापहरी मंदिर, गिरीडीह (Sona Pahari Mandir), इसका रहस्य, खासियत, खुलने और बंद होने का समय, कब और कैसे पहुंचे ,आदि के बारे में जाने

Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर झारखंड के गिरीडीह के बगोदर प्रखंड के गॉव- बेको (गोपालपुर) मे स्थित है. इस मंदिर के बारे में हम पूरे विस्तार में आपको जानकारी देंगे कि आखिरकार इस मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ, इस मंदिर का खासियत क्या है, इसके बारे में लोगों का मान्यता क्या है, आखिर इस मंदिर का वह कौन सा प्रथा है, जिसे भूल कर भी लोग नहीं तोड़ना चाहते हैं, अगर कोई तोड़ने का प्रयास भी करता है गलती से भी तो, उसके साथ कुछ ना कुछ अनहोनी जरूर घटित होता है ?  मंदिर तक कैसे पहुंचे, यहां जाने का सबसे शुभ अवसर कौन सा है, कब हमें जाना चाहिए ? सभी चीजों के बारे में पूरे विस्तार में जानकारी देंगे ?


    Sona Pahari Mandir
    Sona Pahari Mandir



    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर का रहस्य क्या है ?

    सोना पहाड़ी मंदिर वैसे तो गिरिडीह के बगोदर में NH- 2 हाईवे से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से पहाड़ के ऊपर स्थित है।  

    यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 1649 ईसवी के आसपास हुआ था।  शुरुआत में यह मंदिर एक मंडई हुआ करता था। 

    मंडई क्या होता है ? 

    वह स्थान जहां एक गांव या समुदाय के लोगों के द्वारा सामूहिक रूप से पूजा पाठ किया जाता है, मंडई कहलाता है।  

    गांव के लोगों ने मिलकर उसी पहाड़ पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया था और अपने ग्रामीण देवता को पूजते थे। वे उस जगह को मंडई कहते थे। पहले इस मंदिर में सिर्फ गांव के लोग ही पूजा किया करते थे।  धीरे-धीरे गांव के लोगों ने आपस से चंदा एकत्रित किया और इस मंदिर का निर्माण किया। धीरे-धीरे आस पास के लोग अपने मनचाहे मन्नत की उम्मीद लेकर यहां आने लगे।  

    जिन लोगों का मन्नत पूरा हो जाता था, तो मन्नत पूरा होने के बाद वे लोग अपना कथित प्रसाद यहां के देवता को समर्पित करते थे।  धीरे-धीरे बात  लोगों में फैलने लगा कि, यहां पर मन्नत मांगने से मन्नत पूरा हो जाता है। यह बात धीरे-धीरे आसपास के सभी गांवों और स्थानों में फैल गया और दूर-दूर से लोग आने लगे अपना मन्नत की उम्मीद लेकर की शायद उनका मन्नत भी ईश्वर के द्वारा पूर्ण हो जाए और इसी तरह यह मंदिर पूरे झारखंड में प्रसिद्ध हो गया। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर खुलने और बंद होने का समय

    यदि आप यह मंदिर जाना चाहते हैं, तो इस मंदिर का खुलने का समय सुबह 7:00 बजे है और यहां पर पूजा दोपहर  2:00 बजे तक होता है।  इसी बीच में आपको यहां पर आना चाहिए। ध्यान रखें अगर आप आ रहे हैं तो पहले से भोजन ना करें यहां पर उपवास की स्थिति में ही पूजा पाठ करें। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर की खासियत

    इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर आप अगर कोई मन्नत मांगते हैं तो वह मन्नत आपका पूरा हो जाता है जिसके बदले में प्रसाद के रूप में आपको बकरे की बलि देना पड़ता है।  आप मन्नत के रूप में एक बकरे की बलि दो बकरे की बलि या इससे ज्यादा बकरे की बलि भी गछित कर सकते हैं। 

    जिस दंपत्ति का बच्चा नहीं हो रहा है तो बच्चे की चाह में वह मन्नत मांगने आते हैं।  बेरोजगार युवक सरकारी नौकरी की मांग करते हैं और कई सारे लोग अपने बिजनेस में बढ़ोतरी हो उसका भी मन्नत लेकर यहां माथा टेकने आते हैं और मैंने कई सारे लोगों के देखे हैं कि उनका मन्नत पूरा हुआ है। किसी भी प्रकार का काम जिसमें आपको बाधा का सामना करना पड़ रहा है, तो आप उसका समाधान के लिए आप यहां पर आ सकते हैं। 

    सोना पहाड़ी मंदिर के पास का  राम मंदिर

    सोना पहाड़ी मंदिर के पास में ही एक भव्य राम मंदिर का भी निर्माण किया गया है।  इस मंदिर का निर्माण में लगभग तीन करोड़ का खर्च आया है जिसे आसपास के बुजुर्गों के द्वारा ही वाहन किया गया है।  बुजुर्ग लोगों ने ही चंदा एकत्रित कर और कुछ सरकारी काम करने वाले रिटायर्ड बुजुर्गों ने अपने रिटायरमेंट का पैसा इस मंदिर के निर्माण में लगाया है। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर के पास की तालाब की खासियत

    उस मंदिर के पास में ही एक तालाब है, जो काफी गहरा है और तालाब का पानी काफी स्वच्छ और साफ है।  तालाब के बारे में यह मान्यता है कि पुराने समय में वहां के लोग तालाब में रहने वाले देवता से शादी, विवाह या किसी शुभ अवसर पर खाना बनाने के लिए थाली, वर्तन वगैरह मांगते थे, जो कि वहां से उनको मिल जाता था।  फिर शुभ काम पूरा कर लेने के बाद वे लोग फिर से वह थाली वहां के रहने वाले देवता को लौटा देते थे। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर की विशेष प्रथा जिसे भूल के भी ना तोड़े

    यहां की विशेष प्रथा यह है कि यहां पर प्रसाद के रूप में जो कुछ भी चढ़ावा चढ़ाया जाता है तो उसे आप घर नहीं ले जा सकते हैं अगर गलती से भी आप प्रसाद को घर ले जाते हैं तो आपको रास्ते में ही किसी अनहोनी का सामना करना पड़ सकता है या आपके घर में भी अनहोनी हो सकता है।  तो इस बात को अवश्य ध्यान रखें कि यहां का प्रसाद को आप अपने साथ घर कभी ना लेकर जाएं। 

    यहां पर जो कुछ भी प्रसाद चढ़ाते हैं उसे यहीं पर खा करके खत्म करें चाहे वह नारियल हो या बकरे की बलि का मांस। अगर आप यहां बकरे की बलि देते हैं तो आपको पास में ही  मंदिर के नीचे कई सारे घर या होटल  मिल जाएंगे जहां पर आप को पूरा सुविधा मिलता है खाना पकाने का तो वहीं पर जाकर आप कुछ पैसों से उन घर या होटलों से पूरे दिन भर के लिए रूम ले सकते हैं और भोजन की सामग्री बना सकते हैं और वहीं पर खा करके खत्म कर सकते हैं। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर कैसे पहुंचे ?

    सोना पहाड़ी मंदिर वैसे तो गिरिडीह के बगोदर में NH- 2 हाईवे से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से पहाड़ के ऊपर स्थित है।  

    अगर आप बस या अपना गाड़ी से आते हैं तो आपको ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा या NH- 2 हाईवे से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर पर ही स्थित है 


    वहीं पर अगर आप ट्रेन से आते हैं तो आपको धनबाद स्टेशन,पारसनाथ रेल्वे स्टेशन, OR रांची रेल्वे स्टेशन पर उतरना पड़ेगा और स्टेशन से फिर कोई भी गाड़ी ले सकते हैं 


    अगर आप किसी दूसरे राज्य से आते हैं तो आपको रांची एयरपोर्ट पर उतरना पड़ेगा और रांची से फिर गिरिडीह या धनबाद के लिए बस पकड़ कर आ सकते हैं। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर कब जाए ?

    वैसे तो यह मंदिर सालों भर खुला रहता है लेकिन दुर्गा पूजा के अवसर पर कलश स्थापना के बाद अष्टमी तक इस मंदिर में ना जाए उस दौरान मंदिर का प्रांगण बंद रहता है। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर में कँहा रुके ?

    इस मंदिर में रुकने के लिए आपको ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।  बहुत ही सस्ते मैं ही आपको कई सारे घर मिल जाएंगे जो कि आपको कम रेंट पर ही पूरे दिन भर के लिए मिल जाएगा। 

    Sona Pahari Mandir: इन बातों का ध्यान जरूर रखे

    और इस मंदिर में पूजा का समय सुबह 7:00 बजे से लेकर दोपहर के 2:00 बजे तक है।  इस मंदिर में दरवाजा खोलने के बाद से ही यहां पर लोगों का नंबर लगाना पड़ता है।  जब आपका नंबर आएगा तभी आप मंदिर के अंदर घुस पाएंगे और मंदिर में आप खुद से प्रसाद नहीं चढ़ा सकते हैं।  

    प्रसाद वहां पर रहने वाले पंडित ही चढ़ाते हैं आप अपने हाथ से प्रसाद नहीं चढ़ा सकते हैं।

    किसी भी रूप का प्रसाद या चढ़ावा आप अपने साथ कभी भी भूल कर भी घर ना ले जाएं अगर आपका कोई प्रसाद या चढ़ावा बच जाता है तो कोशिश करें कि वहां पर रहने वाले लोगों या जरूरतमंद व्यक्तियों को बांट दें या बचे हुए सामान को पास में ही स्थित तालाब में विसर्जित करते हैं।  

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर में खर्चा कितना है ?

    सबसे पहले मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए आपको प्रसाद खरीदना पड़ेगा जो सभी दुकानों में एक ही दाम पर मिल जाता है।  

    1. साधारण पूजा के लिए आपको ₹50 का प्रसाद मिल जाता है जिसमें आपको एक नारियल और कुछ चढ़ावा और मिलेंगे
    2. वहीं पर अगर आप मन्नत मांगते हैं तो मन्नत का जो प्रसाद का चढ़ावा है तो उसका कीमत ₹130 है, जिसमें आपको दो नारियल और कुछ चढ़ावा और मिलेंगे। 

    मंदिर में प्रवेश करने का 3 नियम है।  

    1. अगर आप साधारण पूजा करना चाहते हैं तो आपको किसी भी प्रकार का टिकट के पैसे नहीं लगेंगे .
    2. लेकिन अगर आप मन्नत मांगते हैं तो मन्नत के लिए आपको ₹10 का टिकट खरीदना पड़ेगा
    3.  वहीं पर अगर आपका मन्नत पूरा हो चुका है और बकरे की बलि देने के लिए आए हैं तो बलि के लिए आपको ₹15 का टिकट कटवाना पड़ेगा
    4. इसके बाद मंदिर में मन्नत के लिए वहां के पंडितों के द्वारा 501  ₹ , ₹351 या 251 ₹ लिया जाता है।  यह कीमत वहां पर जलने वाले अखंड ज्योति के घी के लिए लिया जाता है। 

    Sona Pahari Mandir: सोनापहरी मंदिर मैं किस देवता का पूजा किया जाता है ?

    इस मंदिर में द्वारसैनी बाबा और सैनी माता का पूजा किया जाता है।