गिरिधारी गोस्वामी ‘आकाशखूँटी’
- जनम – 04 अगस्त 1965
- जनम थान – ग्राम माराफारी, जिला – बोकारो (झारखण्ड)
- माँयेक नाम – छुमु देवी
- बापेक नाम – देबु लाल गोस्वामी
- सिक्छा – बी०ए०, एम०ए०
- सम्मान-
- बोकारो से ‘खोरठा रत्न‘,
- भेंडरा से ‘सपूत,
- जगतसिंहपुर, उड़ीसा से ‘बाबा जी संग्रहालय सम्मान (2008)‘
- झारखण्ड साहित्य समाज से ‘झारखण्ड मोहर,
- झारखण्ड भाषा साहित्य-संस्कृति अखड़ा से ‘अखड़ा सम्मान 2010 ́
- राँची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग बाठे ले ‘लुआठी’ पतरिका खारित विशेष रूप से सम्मानित करल गेल हे ।
- गिरिधारी गोस्वामीक जी 1993 से बोकारो स्टील प्लांटे काम कर – हथ।
- ई पत्रकारिताक काम 1984 से ‘अमृत वर्षा (हिन्दी दैनिक) के प्रतिनिधि रूपें काम शुरू करला ।
- ई 1997 में कोटा ओपन यूनिवर्सिटी से पत्रकारिताक डिग्री पावल ।
- 1999 में बालीडीह खोरठा कमिटी बनाइके खोरठाक मासिक पतरिका ‘लुआठी’ बहरावे सुरू करल हथ ।
- रचना
- चेठा (खोरठा लघुकथा संग्रह),
- गीता की कसम (हिन्दी लघुकथा संग्रह),
- आगु जनमे (खोरठा एकांकी संकलन)
मुड़फुचका (लघुकथा )
- मुड़फुचका (लघुकथा ) के लेखक – गिरिधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
- दू डाइर जिरहूल फूल (10th खोरठा Book ) – खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद् , रामगढ़
- इस कहानी के तीन पात्र हैं – विजय, नीरू या नीरा और नीरा का पिता
- विजय और नीरू एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। एक दिन नीरू के कहने पर विजय नीरू के पिता से दोनों की शादी का बात करने के लिए जाता है। नीरू का पिता जो की आधुनिक ख्यालात का है। वह बिना गुस्सा किया, विजय की बातों को समझ जाते हैं। लेकिन फिर भी वह कहते हैं, की शादी ब्याह का बात में बहुत सारा नियम धर्म होता है जैसे की लेन, देन , पावना पतिक आदि। तो विजय कहता है कि, नियम धर्म लेनदेन के बारे में उसे कुछ नहीं पता, बस वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं – दहेज की बात उनके पिता जाने। मतलब की विजय दहेज़ लेगा।