वचन खोरठा व्याकरण VACHAN KHORTHA VYAKARAN FOR JSSC
खोरठा भाषा एवं साहित्य
SARKARI LIBRARY
let’s Progress Your Career with Us
MANANJAY MAHATO
SPECIAL FOR JSSC
JSSC CGL/JTET/JPSC/JHARKHAND POLICE/ JHARKHAND SACHIVALYA/
JHARKHAND DAROGA /JHARKHAND CONSTABLE
वचन खोरठा व्याकरण
वचन
शब्दों के संख्यावाचक रुप को वचन कहते हैं।
संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति वस्तु स्थान के एक या एक से अधिक होने का बोध हो उसे वचन कहते हैं।
उदाहरण
लड़का भागता है। / लड़के भागते हैं।
लड़का एक होने बोध करा रहा है, वहीं लड़के कई होने का बोध करा रहे हैं।
डॉ. वासुदेव नन्दन प्रसाद के आधुनिक हिन्दी व्याकरण में वचन की परिभाषा निम्नवत दी है।
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
खोरठा भाषा में हिन्दी, अंग्रेजी की तरह दो वचन होते हैं
1. एकवचन
2. बहुवचन
1. एक वचन-जिस शब्द के किसी वस्तु की एक संख्या का बोध होता हो उसे एक वचन कहा जाता है।
जैसे – छगरी, काड़ा, बरद, आदमी
2. बहुवचन– जिस शब्द से किसी चीज के एक से अधिक संख्या का बोध हो उसे बहुवचन कहा जाता है।
जैसे – छगरीअइन, पठरूवइन, कड़वइन आदि
खोरठा में बहुवचन बनाने के नियम
शब्दों के अंत में वचन बोधक प्रत्यय जोड़कर वचन बोधक शब्द बनाये जाते हैं।
इकारान्त और अकारान्त शब्दों के अंत में अइन प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है।
इकारान्त की अर्थ
जिसके अंत में इ अक्षर हो. उदाहरण – कवि,रवि आदि
आकारांत मतलब
वह शब्द जिसके अंत में ‘आ’ स्वर हो, जैसे- कहा, सुना, खाया आदि।
प्रत्यय
वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
अइन प्रत्यय
छगरी – छगरी+अइन – छगरीअइन
जनि – जनि + अइन – जनिअइन
भेडी – भेड़ी + अइन – भेडिअइन
लड़की – लड़की+अइन – लड़किअइन
अकारान्त शब्द
बरद + अइन – बरदइन
कलम+अइन – कलमइन/ कलमवइन
किन्तु खोरठा में अकारान्त शब्दों को भी शब्द के अंत में आकार या वा जोड़कर आकारान्त बना दिया जाता है।
जैसे
सोनार – सोनरा, सोनरवा
लोहार – लोहरा, लोहरवा
बरद – बरदा
खांची – खंचिआ
आकारान्त शब्दों में ‘वइन’ प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है।
जैसे
बेटा – बेटवा – बेटवइन
बरद – बरदा – बरदवइन
खेत – खेता – खेतइवन
उकारान्त शब्दों के अंत में ‘वइन’ प्रत्यय जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है
जैसे
गरू + वइन – गरूवइन
पठरू + वइन – पठरूवइन
मनुष्यों के बहुवचन रूप बनाने के लिए बंगला के गुला/गुलि/गुलइन/गुलिन शब्दों का प्रयोग किया जाय।
जैसे- छउवागुला, गिदरगुला, मास्टर गुला, नेतागुला, मास्टरनी गुला आदि
इसके अलावे सरबनाम सबदे- “खिन / रिन / सब / इन” शब्द प्रत्यय लगाकर बहुवन बनाया जाता है।
जैसे-
हम – हामरिन- हामिन
तोय – तोहरिन – तोहिन
ऊ – ओखिन / एखिन / सेखिन / जेखिन / तखिन
हमिन सब /तोहिन सब / ओखिन सब आदि।