निर्वाचन आयोग/चुनाव आयोग (Election Commission)
- भारतीय संविधान का भाग 15(अनुच्छेद 324 से 329A तक) में चुनाव आयोग की स्थापना की बात कही गई है।
- निर्वाचन आयोग एक स्थायी व स्वतंत्र निकाय(independent body) है।
- यह एक संवैधानिक संस्था(Constitutional body) है
- इसका गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के उद्देश्य से किया गया था।
- संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार यह देश में चुनाव का संचालन करता है।
- लोकसभा के चुनाव
- राज्यसभा के चुनाव
- राज्य विधानसभाओं के चुनाव
- राष्ट्रपति के चुनाव
- उपराष्ट्रपति के चुनाव
- राज्यों में होने वाले पंचायतों व निगम चुनावों के लिए भारत के संविधान में अलग राज्य निर्वाचन आयोगों की व्यवस्था की गई है।
- चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी।
- निर्वाचन आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है।
- यह वर्ष 1952 से राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनावों का सफलतापूर्वक संचालन कर रहा है।
संरचना(structure)
संविधान के अनुच्छेद-324 में चुनाव आयोग के संबंध में निम्नलिखित उपबंध हैं:
- निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचनआयुक्तों से मिलकर बना होता है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाए।
- 3. मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम करेगा।
- राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सलाह पर प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है।
- निर्वाचन आयुक्तों व प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा की शर्ते व पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाएगी।
- आयोग बहुसदस्यीय संस्था के तौर पर काम कर रहा है, जिसमें तीन निर्वाचन आयुक्त हैं।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों के पास समान शक्तियां होती हैं तथा उनके वेतन, भत्ते भी एक-समान होते हैं, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान होते हैं।
- जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों के बीच विचार में मतभेद होता है तो आयोग बहुमत के आधार पर निर्णय करता है।
- उनका कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु है।
[निर्वाचन आयोग (निर्वाचन आयुक्त सेवा शर्त और कारबार का संव्यवहार)] अधिनियम, 1991/Election Commission (Conditions of Service of Election Commissioners and Transaction of Business) Act, 1991 ] 1994 में संसद से पारित।
- वे किसी भी समय त्यागपत्र राष्ट्रपति कोदे सकते हैं
- राष्ट्रपति उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है। जिस रीति व आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है, अन्यथा नहीं।
- दुर्व्यवहार या असक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत संकल्प पारित करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
- अतः वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर नहीं होता है, हालांकि उन्हें राष्ट्रपति ही नियुक्त करते हैं।
- अन्य निर्वाचन आयुक्त या प्रादेशिक आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
1.संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की अर्हता (Qualification) निर्धारित नहीं की गई है।
2. संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की पदावधि का भी उल्लेख नहीं किया गया है कि कितनी है।
3. संविधान में सेवानिवृत्ति के बाद निर्वाचन आयुक्तों को सरकार द्वारा अन्य दूसरी नियुक्तियों पर रोक नहींलगाई गई है।
शक्ति और कार्य
संसद, राज्य के विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के संदर्भ में चुनाव आयोग की शक्ति व कार्यों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है:
- 1. प्रशासनिक
- 2. सलाहकारी
- 3. अर्द्ध-न्यायिक
विस्तार में शक्ति व कार्य इस प्रकार हैं:
- 1. संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम(delimitation commission act) के आधार पर समस्त भारत के निर्वाचन क्षेत्रों के भू-भाग का निर्धारण करना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और चुनाव चिह्न देने के मामले में हुए विवाद के समाधान के लिए न्यायालय की तरह काम करना।
- निर्वाचन व्यवस्था से संबंधित विवाद की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त करना।
- संसद सदस्यों की निरर्हता से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह देना।
- विधानपरिषद के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित मसलों पर राज्यपाल को परामर्श देना।
- निर्वाचन कराने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता के बारे में राष्ट्रपति या राज्यपाल से आग्रह करना।
- राष्ट्रपति को सलाह देना कि राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में एक वर्ष समाप्त होने के पश्चात् निर्वाचन कराए जाएं या नहीं।
- निर्वाचन में प्रदर्शनों के आधार पर उसे राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय दल का दर्जा देना।
- निर्वाचन आयोग की सहायता उप-निर्वाचन आयुक्त करते हैं। वे सिविल सेवा से लिए जाते हैं
- राज्य स्तर पर, राज्य निर्वाचन आयोग की सहायता मुख्य निर्वाचन अधिकारी करते हैं, जिनकी नियुक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त राज्य सरकारों की सलाह पर करता है।
- इसके नीचे जिला स्तर पर कलेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी होता है । वह जिले में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन अधिकारी व प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करता है।
परिसीमन (Delimitation):
- परिसीमन से तात्पर्य किसी राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करना है।
- परिसीमन की प्रक्रिया में (सामान्यतः) लोकसभा या विधानसभा की सीटों में बिना कोई परिवर्तन किये उनकी सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाता है।
परिसीमन का उद्देश्य:
- परिसीमन का उद्देश्य समय के साथ जनसंख्या में हुए बदलाव के बाद भी सभी नागरिकों के लिये सामान प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना है।
- जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का उचित विभाजन करना जिससे प्रत्येक वर्ग के नागरिकों को प्रतिनिधित्व का समान अवसर प्रदान किया जा सके।
- अनुसूचित वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के लिये आरक्षित सीटों का निर्धारण भी परिसीमन की प्रक्रिया के तहत ही किया जाता है।
परिसीमन आयोग (Delimitation/Boundary Commission):
- परिसीमन आयोग को सीमा आयोग (Boundary Commission) के नाम से भी जाना जाता है।
- प्रत्येक जनगणना के बाद भारत की संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद-82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम लागू किया जाता है।
- परिसीमन अधिनियम के लागू होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा परिसीमन आयोग की नियुक्ति की जाती है और यह संस्था/निकाय निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर काम करती है।
परिसीमन आयोग की संरचना:
- परिसीमन आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
- इसके अतिरिक्त इस आयोग में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त या मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा नामित कोई निर्वाचन आयुक्त।
- संबंधित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त।
- MB Haneefa invented the first Indian voting machine in 1980. It was first used in 1981 in the by-election to North Paravur Assembly Constituency of Kerala in 50 polling stations. The EVMs were commissioned in 1989 by Election Commission of India in collaboration with Bharat Electronics Limited and Electronics Corporation of India Limited.
- The law was amended by the Parliament in December, 1988 and a new section 61A was inserted in the Representation of the People Act, 1951 empowering the Commission to use voting machines. The amended provision came into force with effect from 15th March, 1989
- In 1998, EVMs were used on an experimental basis in 16 Assembly Constituencies in the States of Madhya Pradesh, Rajasthan as well as NCT of Delhi.
- In the 2004 Lok Sabha election, the whole country voted using EVMs.
Voter Verified Paper Audit Trail (VVPAT)
- VVPAT is an independent verification printer machine and is attached to electronic voting machines.
- It allows voters to verify if their vote has gone to the intended candidate.
- When a voter presses a button in the EVM, a paper slip is printed through the VVPAT. The slip contains the poll symbol and name of the candidate.
भारत में चुनाव प्रणाली को महत्त्व प्रदान करते हुए इसमें सुधार हेतु समय-समय पर कई समितियों का गठन किया गया।
- तारकुंडे समिति, दिनेश गोस्वामी समिति, इंद्रजीत गुप्त समिति ,जया प्रकाश नारायण समिति (1974) तथा के. संथानम समिति चुनाव सुधार के लिये लाए गए कुछ प्रमुख समितियों के उदाहरण है।
तारकुंडे समिति(1974-1975) की सिफारिशें-
- वयस्क मताधिकार की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करना। इसे संविधान के 61 वें संशोधन,1988 द्वारा 1989 में मूर्त स्वरूप प्रदान किया गया।
- निर्वाचन के लिये अधिकतम व्यय योग्य राशि का निर्धारण करना।
- राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के चुनाव व्यय का लेखा-जोखा निर्वाचन आयोग के सामने प्रस्तुत करें।
- चुनाव प्रत्याशी एक निश्चित नामांकन राशि जमा करें।
- किंतु इस सिफारिश में बूथ कैप्चरिंग तथा बोगस वोटिंग जैसी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। इसी संदर्भ में दिनेश गोस्वामी समिति गठित की गई।
दिनेश गोस्वामी समिति(1990) की सिफारिशें-
- गोस्वामी समिति का गठन वर्ष 1990 में किया गया था।
- इस समिति ने भारत में होने वाले चुनावों के सम्बन्ध में कई महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें पेश कीं।
- अवैध रूप से लूटे गए बूथों पर फिर से मतदान की व्यवस्था हो।
- मतदान के लिये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाए।
- बोगस मतदान की समस्या से बचने के लिये मतदाता फोटो पहचान पत्र की व्यवस्था की जाए।
- निर्वाचन से संबंधित याचिका की शीघ्र सुनवाई की जाए।
- यदि केंद्रीय या राज्य स्तर के सदन का कोई स्थान खाली हो जाए तो 6 माह के अंदर निर्वाचन की व्यवस्था की जाए।
- किसी भी व्यक्ति को दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों पर चुनाव लड़ने की अनुमति न दी जाए
- निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत राशि बढ़ायी जानी चाहिए।
- ऐसे सभी उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त की जानी चाहिए, जो एक चौथाई नहीं पा सके हों।
- इस समिति की सिफारिशों से बूथ कैप्चरिंग तथा बोगस वोटिंग जैसी समस्याओं का समाधान हुआ। किंतु अभी भी चुनाव व्यय से संबंधित समस्या विद्यमान थी, इस संदर्भ में इंद्रजीत गुप्त समिति का गठन किया गया।
इंद्रजीत गुप्त समिति(1998 ) की सिफारिशें-
- लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव का व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाए।
- ऐसे प्रत्याशी जो अपना वार्षिक आयकर रिटर्न दाखिल करने में असफल हैं, को चुनावों में आर्थिक सहायता न दी जाए।
- 10,000 से अधिक चंदे की राशि ड्राफ्ट अथवा चेक के माध्यम से प्रदान किये जाने की व्यवस्था हो।
- इंद्रजीत गुप्त समिति के बाद चुनाव सुधारों के लिये के. संथानम समिति का गठन हुआ।
के. संथानम समिति(1964 ) की सिफारिशें-
- निर्वाचन में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के लिये न्यूनतम अहर्ता की व्यवस्था हो।
- सभी राजनीतिक दलों का निबंधन हो।
- समय-समय पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाए।
- निर्वाचन मंडलों के अंदर आने वाले नागरिकों की नामावली को अद्यतन बनाया जाए।
- CVC को सरकार द्वारा फरवरी, 1964 में के. संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निरोधक समिति (Committee on Prevention of Corruption) की सिफारिशों पर स्थापित किया गया था। संसद द्वारा अधिनियमित केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 द्वारा इसे सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया।
इन समितियों के कई सुझावों को भारतीय चुनाव प्रणाली में स्वीकार किया गया जिससे भारत में चुनाव की प्रक्रिया अधिक विश्वसनीय तथा पारदर्शी हुई।
- Reduction of voting age from 21 to 18 ( 61st Amendment, 1989)
- भारत के प्रथम मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुकुमार सेन थे
- चुनाव आयोग ने मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार अभियान बंद करने के कानून के एक प्रावधान में संशोधनों को लेकर सलाह देने के लिए एक पैनल गठित किया है. इस पैनल की अध्यक्षता वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा करेंगे. इसमें चुनाव आयोग से आठ अन्य सदस्य होंगे.