कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान (Special provisions for some states)
- संविधान के भाग 21 में अनुच्छेद 371 से 371-J तक 12 राज्यों के संबंध में विशेष प्रावधान किये गये हैं।
राज्यों के लिए विशेष प्रावधान का उद्देश्य
- पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना
- जनजातीय लोगों के आर्थिक एवं सांस्कृतिक हितों की रक्षा करना
- इन राज्यों के कुछ अशांत इलाकों में कानून एवं व्यवस्था की स्थापना करना
- इन राज्यों के स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करना है।
- मूल संविधान में इन राज्यों के लिये विशेष प्रावधान का उल्लेख नहीं थे।
- इन प्रावधानों को संविधान संशोधनों के द्वारा शामिल किया गया है।
महाराष्ट्र एवं गुजरात के लिए प्रावधान
- अनुच्छेद 371, राष्ट्रपति को शक्ति प्रदान करता है कि वह महाराष्ट्र एवं गुजरात के राज्यपालों को कुछ विशेष शक्तिया दें, जो इस प्रकार हैं:
- पृथक विकास बोर्डों की स्थापना
(i) विदर्भ, मराठवाड़ा एवं शेष महाराष्ट्र तथा
(ii) सौराष्ट्र, कच्छ एवं शेष गुजरात के लिये पृथक विकास बोर्डों की स्थापना;
- इन बोर्डों के कार्यों का वार्षिक प्रतिवेदन राज्य विधानसभा में पेश किया जायेगा।
- उक्त वर्णित क्षेत्रों में विकास व्यय हेतु न्यायसंगत आवंटन
नागालैंड के लिए प्रावधान
- अनुच्छेद 371-A के अंतर्गत, नागालैंड राज्य के लिये निम्न प्रावधान किये गये हैं:
- संसद द्वारा नागालैंड से सम्बंधित मामलों के संबंध में बनाया गया अधिनियम तब तक नागालैंड पर लागू नहीं होगा, जब तक राज्य विधानसभा इसका अनुमोदन न कर दे
- नागालैंड में जब तक स्थानीय उपद्रव समाप्त नहीं हो जाते, तब तक राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने का विशेष दायित्व राज्यपाल पर है।
- अपने इन दायित्वों के निवर्हन में राज्यपाल, राज्य की मंत्रिपरिषद से परामर्श कर सकता है लेकिन वह स्वविवेक से निर्णय लेने का अधिकारी है तथा उसका निर्णय ही अंतिम एवं मान्य होगा।
- राज्यपाल के इस विशेष दायित्व को यदि राष्ट्रपति चाहे तो समाप्त कर सकता है।
- राज्य के त्वेनसांग जिले के लिये 35 सदस्यीय क्षेत्रीय परिषद की स्थापना की जायेगी।
- राज्यपाल को इस परिषद से संबंधित अन्य प्रकार के नियम-विनियमों को बनाने का अधिकार होगा।
- नागालैंड के निर्माण से 10 वर्ष की अवधि या आगे भी राज्यपाल के विवेकानुसार इस क्षेत्रीय परिषद के गठन के संबंध में त्वेनसांग जिले के बारे में निम्न प्रावधान लागू होंगेः
- त्वेनसांग जिले के शासन का संचालन राज्यपाल द्वारा किया जायेगा।
- नागालैंड विधानसभा द्वारा बनाया गया कोई भी अधिनियम त्वेनसांग जिले पर तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि इस जिले की क्षेत्रीय परिषद राज्यपाल को इस बारे में अनुशंसा न करे।
- राज्यपाल त्वेनसांग जिले के लिये उचित विनियम बना सकता है। इस प्रकार के किसी विनियम को संसद के अधिनियम या किसी अन्य ऐसे कानून, जो जिले पर लागू होता है, के द्वारा संशोधित या समाप्त किया जा सकता है।
- राज्य मंत्रिपरिषद में त्वेनसांग जिले के लिये एक मंत्री होगा।
- त्वेनसांग जिले के संबंध में अंतिम निर्णय राज्यपाल अपने विवेकानुसार ही लेगा।
- नागालैंड विधानसभा में त्वेनसांग जिले के विधायकों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष तरीके से न होकर, क्षेत्रीय परिषद द्वारा किया जायेगा।
असम एवं मणिपुर के लिए प्रावधान
असम
- अनुच्छेद 371-B के अंतर्गत, असम का राज्यपाल राज्य विधानसभा के जनजातीय क्षेत्रों से चुने गये सदस्यों से या ऐसे सदस्यों से, जिन्हें वह उचित समझता है, एक समिति का गठन कर सकता है।
मणिपुर
अनुच्छेद 371-C : मणिपुर के संबंध में निम्न विशेष प्रकार के प्रावधान करता है:
- राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि यदि वह चाहे तो राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से मणिपुर विधानसभा के लिये चुने गय सदस्यों से एक समिति का गठन कर सकता है।
- राष्ट्रपति, इस समिति का उचित कार्य संचालन सुनिश्चित करने हेतु राज्यपाल को विशेष उत्तरदायित्व भी सौंप सकता है।
- राज्यपाल, राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में प्रतिवर्ष राष्ट्रपति को प्रतिवेदन भेजेगा।
आंध्र प्रदेश अथवा तेलंगाना के लिए प्रावधान
- अनुच्छेद 371-D एवं 371-E में आंध्र प्रदेश के संबंध में विशेष प्रकार के प्रावधान किये गये हैं।
- 2014 में, आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 द्वारा 371-D को विस्तृत करके तेलंगाना राज्य की स्थापना की गई।
- अनुच्छेद 371-E संसद को आन्ध्र प्रदेश राज्य में केंद्रित विश्वविद्यालय की स्थापना करने का अधिकार देता है।
सिक्किम के लिए प्रावधान
- 36वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 के द्वारा राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।
- इस संशोधन के माध्यम से एक नया अनुच्छेद 371-F जोड़ा गया, जिसमे उल्लिखित है कि
- सिक्किम विधानसभा का गठन कम से कम 30 सदस्यों से होगा।
- लोकसभा में सिक्किम को एक सीट दी जायेगी तथा पूरे सिक्किम को एक संसदीय क्षेत्र माना जायेगा।
- राज्य के राज्यपाल का यह विशेष दायित्व है कि वे सिक्किम में शांति स्थापित करने की व्यवस्था करें
- राष्ट्रपति यदि चाहें तो वे भारतीय संघ के राज्यों के लिये बनाये गये किसी नियम को सिक्किम के विशेष संदर्भ में विस्तारित (प्रतिषेध या संशोधन के द्वारा) कर सकते हैं।
मिजोरम के लिए प्रावधान.
- अनुच्छेद 371-G मिजोरम के लिये निम्न विशेष प्रावधान करता है
- संसद द्वारा बनाया गया कोई नियम मिजोरम राज्य पर तब तक लागू नहीं होगा, जब तक की राज्य की विधानसभा ऐसा करने का निर्णय न करे
- मिजोरम विधानसभा में कम से कम 40 सदस्य होंगे।
अरुणाचल प्रदेश एवं गोवा के लिए प्रावधान
अरुणाचल प्रदेश
- अनुच्छेद 371-H में अरुणाचल प्रदेश के लिये निम्न विशेष प्रावधान किये गये हैं:
- 1. अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल पर राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थापना करने का विशेष दायित्व है। यदि राष्ट्रपति चाहें तो राज्य के राज्यपाल के इस विशेषाधिकार पर रोक लगा सकते हैं।
- 2. अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में कम-से-कम 30 सदस्य होंगे।
गोवा
- अनुच्छेद 371-I में गोवा राज्य की विधानसभा में कम से कम 30 सदस्य होंगे।
कर्नाटक लिए प्रावधान
- अनुच्छेद 371J भारतीय संविधान में 98वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2012 द्वारा संविधान में समाहित किया गया।
- अनुच्छेद 371J के अंतर्गत राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह कर्नाटक के राज्यपाल के लिए विशेष दायित्व निश्चित करें
- (i) हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए अलग विकास बोर्डी की स्थापना
- (ii) बोर्ड के संचालन से संबंधी प्रतिवेदन हर वर्ष राज्य विधान सभा के समक्ष रखा जाएगा।