कोशिका

  • कोशिका प्रत्येक जीवधारी की आधारभूत संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है। 
  • एककोशिकीय जीव (unicellular organism)
    • ऐसे जीव जो एक कोशिका से बने होते हैं 
  • बहुकोशिकीय जीव(multicellular organisms)
    • ऐसे जीव जो एक से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं । 
  • कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में की थी। 
  • सर्वप्रथम जीवित एवं मुक्त कोशिकाओं की खोज ल्यूवेनहॉक ने की थी। 
  • कोशिका के अध्ययनकोशिका विज्ञान (Cytology) 
  • संसार की सबसे छोटी कोशिका 
    • ‘माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम’ (Mycoplasma gallisepticum) परजीवी जीवाणु की 
  • संसार की सबसे बड़ी कोशिका 
    • शुतुरमुर्ग का अंडा (Egg of Ostrich) 
  • मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे छोटी कोशिका 
    • सेरीबेलम की ग्रैन्यूल सेल (Granule Cell of Cerebellum) 
  • मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी कोशिका 
    • अंडाणु (Ovum) 
  • मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे लंबी कोशिका 
    • तंत्रिका तंत्र का न्यूरॉन (Neuron) 

 

कोशिका की केंद्रक की उपस्थिति के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं

  • 1. प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic Cells)
  • 2. यूकैरियोटिक (Eukaryotic Cells)

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cells)

यूकेरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cells)

स्पष्ट केंद्रक

अभाव

पूर्ण विकसित केंद्रक

केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane)

अनुपस्थित

उपस्थित

केंद्रिका (Nucleolus)

अनुपस्थित

उपस्थित

गुणसूत्रों की संख्या 

केवल एक

एक से अधिक गुणसूत्र

  • DNA प्रोटीन के साथ जुड़ा नहीं होता है।
  • हिस्टोन प्रोटीन का पूर्णतः अभाव होता है।
  • DNA प्रोटीन के साथ जुड़ा हुआ होता है 
  • हिस्टोन प्रोटीनउपस्थित होता है।

70S एवं 80s राइबोसोम

  • केवल 70S 
  • 70S एवं 80s दोनों
  • कोशिका द्रव्य में झिल्ली युक्त कोशिकांग जैसे- माइटोकॉड्रिया, हरित लवक, गॉल्जीकाय, लाइसोसोम अनुपस्थित होते हैं।
  • कोशिका द्रव्य में झिल्ली युक्त सभी कोशिकांग (Cell Organelles) उपस्थित होते हैं।

EXAMPLE

जीवाणु 

नील हरित शैवाल 

(Blue-green Algae)

  • विषाणु एवं जीवाणु को छोड़कर 
  • सभी पौधे तथा जंतु में 

 

कोशिकाद्रव्यी अंगक (Cytoplasmic Organelles)

  1. माइटोकॉण्ड्रिया(Mitochondria)
  2. लवक (Plastid)
    1. हरित लवक (Chloroplast)
    2. वर्णी लवक (Chromoplast)
    3. अवर्णी लवक (Leucoplast) 
  3. अंतःप्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum)
    1. चिकनी अंत:प्रद्रव्यी जालिका
    2. खुरदरी अंतःप्रद्रव्यी जालिका
  4. गॉल्जी काय (Golgi Body)
  5. राइबोसोम्स (Ribosomes)
  6. लाइसोसोम (Lysosome)
  7. स्फीरोसोम (Sphaerosome)
  8. तारक काय व तारक केंद्रक (Centrosome and Centriole)
  9. माइक्रोबॉडीज़
    1. परॉक्सीसोम (Peroxisome)
    2. ग्लाइऑक्सीसोम (Glyoxysome)
  10. रसधानी (Vacuole)
  11. केंद्रक (Nucleus)
    1. केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane):
    2. केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm): 
    3. केंद्रिका (Nucleolus):
    4. क्रोमेटिन जालिका (Chromatin Network): 

 

माइटोकॉण्ड्रिया(Mitochondria) 

  •  यह केवल यूकैरियोटिक कोशिका में पाई जाती है जिसका मुख्य कार्य श्वसन क्रिया को संपादित करना है। 
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में माइटोकॉण्ड्रिया के समरूप मीसोसोम (Mesosome) पाई जाती हैं, जो श्वसन तथा कोशिका विभाजन का कार्य करती हैं। 
  • माइटोकॉण्ड्रिया में ऑक्सीजन की उपस्थिति में भोजन के विखंडन से ऊर्जा मुक्त होती है जो ATP (Adenosine Triphosphate) के रूप में संचित रहती है। 
    • माइटोकॉण्ड्रिया को ‘कोशिका का पॉवरहाउस’ कहा जाता है। 
  • माइटोकॉण्ड्रिया में गोलाकार डी.एन.ए. एवं 70S राइबोसोम पाया जाता है जो कि प्रोकैरियॉटिक कोशिकाओं का लक्षण है।

 

लवक (Plastid)

  • लवक सभी पादप कोशिकाओं व कुछ प्रोटोजोआ (जैसे- युग्लीना) में पाए जाते हैं। 
  • लवक कोशिका में पाए जाने वाले सबसे बड़े अंगक’ होते हैं। 
  • इनमें पाए जाने वाले वर्णकों के आधार पर शिम्पर ने इन्हें 3 वर्गों में बाँटा है
    • हरित लवक (Chloroplast)
    • वर्णी लवक (Chromoplast) 
    • अवर्णी लवक (Leucoplast)

 

हरित लवक (Chloroplast)

  • यह पर्णहरित (Chlorophyll) की उपस्थिति के कारण हरे रंग का होता है। 
  • ये प्रकाश संश्लेषण क्रिया के केंद्र हैं इसलिये ये सिर्फ प्रकाश संश्लेषक पादप कोशिकाओं में ही पाए जाते हैं। 

 

वर्णी लवक (Chromoplast) 

  • ये हरे रंग को छोड़कर पौधों में पाए जाने वाले अन्य रंगों के लिये उत्तरदायी होते हैं। 
  • कच्चे टमाटर पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं क्योंकि उनके हरित लवक, वर्णी लवकों में परिवर्तित हो जाते हैं, अर्थात् तीनों प्रकार के लवक आपस में परिवर्तित हो सकते हैं।

रंग

वर्णक

सेब का लाल रंग

एन्थोसायनिन

टमाटर का लाल रंग

लाइकोपिन

पपीते का पीला रंग

कैरिकाजैन्थिन

गाजर

कैरोटिन 

हल्दी का रंग

जैन्थोफिल

 

अवर्णी लवक (Leucoplast) 

  •  ये रंगहीन लवक है, जो पौधों के संचय(storage organs) अंगों में पाये जाते है। 
  • यह पौधों के सूर्य प्रकाश से वंचित भागों की कोशिकाओं में पाया जाता है अर्थात् जड़ एवं भूमिगत तनों में, जैसे- मक्का, आलू, गेहूँ आदि। 

 

अंतःप्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) 

  • ये कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली चपटी, नलिका सदृश रचनाएँ हैं, जो कोशिका में अंतः झिल्लिका तंत्र (Membranous System) बनाती हैं। 
  • ये केंद्रक से कोशिका झिल्ली तक फैली हुई होती हैं। 
  • यह लाइपोप्रोटीन की बनी होती है। 
  • यह अंतः कोशिकीय परिवहन तंत्र का निर्माण करती है एवं केंद्रक से कोशिका द्रव्य में आनुवंशिक पदार्थों को ले जाने का पथ बनाती है।
  •  यह दो प्रकार की होती हैं
  • चिकनी अंत:प्रद्रव्यी जालिका(SmoothEndoplasmic Reticulum)
    • इसकी सतह पर राइबोसोम्स की अनुपस्थिति के कारण यह चिकनी (Smooth) होती है। 
    • यह लिपिड तथा स्टीरॉइड संश्लेषण(lipid and steroid synthesis) में सहायक होती है। 
  • खुरदरी अंतःप्रद्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum )
    • राइबोसोम्स की उपस्थिति के कारण यह खुरदरी होती है। 
    • यह प्रोटीन संश्लेषण व स्त्रवण में सक्रिय भाग लेती है। 

 

गॉल्जी काय (Golgi Body)

  • गॉल्जी काय को पौधों में डिक्टियोसोम (Dictyosomes) कहा जाता है। 
  • गॉल्जी काय का मुख्य कार्य मैक्रोमॉलिक्यूल्स (Macromolecules) जैसे-कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड, प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड का संवेष्टन (Packaging), संग्रहण (Storage) व स्रवण (Secretion) करना है। 
  • गॉल्जी काय ग्लाइकोलिपिड व ग्लाइकोप्रोटीन निर्माण का प्रमुख स्थल है। 

 

राइबोसोम्स (Ribosomes) 

  • ये राइबो न्यूक्लिक अम्ल (RNA) व प्रोटीन से बनी संरचनाएँ हैं, जिन पर कोई आवरण नहीं पाया जाता। 
  • ये अंत:प्रद्रव्यी जालिका की झिल्लियों की सतह पर सटे होते हैं या फिर अकेले या गुच्छों में कोशिका द्रव्य में बिखरे रहते हैं। 
  • जंतु  कोशिका में इन्हें सर्वप्रथम जॉर्ज पैलेड नामक वैज्ञानिक ने खोजा था, अतः इन्हें पैलेड कण (Palade Particle) भी कहा जाता है। 
  • राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं। 
  • राइबोसोम का निर्माणकेंद्रिका (Nucleolus) के द्वारा होता है। 

 

 लाइसोसोम (Lysosome) 

  • ये जंतु कोशिका में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। 
  • इनका निर्माण गॉल्जी कायों में होता है तथा ये अंतः कोशिकीय पाचन के मुख्य स्थान होते हैं। 
  • कभी-कभी लाइसोसोम अपनी ही कोशिका का पाचन कर कोशिका को नष्ट कर देते हैं, इसी कारण इन्हें ‘आत्महत्या की थैली’ (Suicidal Bag) या पाचन थैली (Digestive Bag) भी कहा जाता है। 

 

स्फीरोसोम (Sphaerosome)

  • ये पादप कोशिका के लाइसोसोम कहे जाते हैं। 
  • ये वसा का संश्लेषण व संग्रहण करते हैं।

तारक काय व तारक केंद्रक (Centrosome and Centriole)

  • यह सभी जंतु कोशिका व निम्न पादपों की कोशिकाओं (फंजाई, ब्रायोफाइटा, फर्न, जिम्नोस्पर्म) में पाया जाता है। 
  • तारक काय दो बेलनाकार संरचनाओं तारक केंद्रकों से मिलकर बना होता है.

 

माइक्रोबॉडीज़ 

परॉक्सीसोम (Peroxisome)  

  • यह पौधों में होने वाले ‘प्रकाशीय श्वसन’ (Photo respiration) तथा कोशिका में हाइड्रोजन परऑक्साइड़ (H2O2) उत्पादन में सहायक होता है। 

ग्लाइऑक्सीसोम (Glyoxysome) 

  • यह मुख्यतः ग्लाइऑक्सीलेट-चक्र (ग्लूकोनियोजेनेसिस) में भाग लेता है। 

 

रसधानी (Vacuole)

  • कोशिका द्रव्य में जल, रस तथा उत्सर्जित पदार्थों को घेरने वाली एक संरचना पाई जाती है, जिसे रसधानी कहते हैं। 
  • रसधानी एकल झिल्ली से घिरी होती है। 
  • पादप कोशिका में यह कोशिका का 90 प्रतिशत तक स्थान घेरती है एवं उसे कठोरता तथा सहारा प्रदान करती है।  
  • कोशिका में ‘अचल संपत्ति’ न्यूक्लिक अम्ल को कहा जाता है। 

 

केंद्रक (Nucleus)

  • केंद्रक की खोज –  रॉबर्ट ब्राउन ने 1831 ई. में की थी। 
  • केंद्रक कोशिका का नियंत्रण केंद्र होता है। 
  • केंद्रक में क्रोमोसोम तथा  जीन उपस्थित रहते हैं। 
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं (बैक्टीरिया यथा नील हरित शैवाल) आदि में केंद्रक पूर्ण विकसित नहीं होता है। इसी कारण इसे इनसिपिएन्ट न्यूक्लियस (Incipient Nucleus) कहते हैं। 

 

केंद्रक निम्नलिखित चार भागों से मिलकर बनता है

  • केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane):
  • केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm): 
  • केंद्रिका (Nucleolus):
  • क्रोमेटिन जालिका (Chromatin Network):

 

केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane): 

  • यह दोहरी परत की एक झिल्ली है जो केंद्रक को चारों ओर से घेरे रहती है। 
  • इसके द्वारा केंद्रक कोशिका द्रव्य से पृथक् रहता है। 
  • बाहरी झिल्ली अंतः प्रद्रव्यी जालिका से जुड़ी होती है, जिस पर राइबोसोम्स भी पाए जाते हैं।

केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm): 

  • केंद्रक के अंदर पाया जाता है
    • गाढ़ा, अर्द्धतरल व पारदर्शी द्रव

केंद्रिका (Nucleolus)

  • केंद्रक के अंदर केंद्रक द्रव्य में एक छोटी गोलाकारझिल्ली रहित रचना पाई जाती है जिसे केंद्रिका कहते हैं। 
  • यह राइबोसोमल RNA का संश्लेषण स्थल है, अतः इसे ‘RNA भंडारगृह’ कहा जाता है। 
  • प्रोटीन संश्लेषण करने वाली कोशिकाओं में केंद्रिका की संख्या अधिक व उनका आकार भी बड़ा होता है। 

क्रोमेटिन जालिका (Chromatin Network): 

  • केंद्रक द्रव्य में अत्यधिक महीन व विस्तृत धागेनुमा रचनाएँ पाई जाती हैं, जिन्हें क्रोमेटिन जाल कहा जाता है। 
  • विभाजन के समय यही क्रोमेटिन जाल मोटी छड़ (Rod) जैसी हो जाती है, जिसे गुणसूत्र (Chromosome) कहा जाता है। 
  • क्रोमेटिन डी.एन.ए. एवं प्रोटीन से बनी रचना होती है। 

 

गुणसूत्र (Chromosome)

  • कोशिका के केंद्रक में गुणसूत्र, महीन लंबे तथा कुंडलित धागे के रूप में दिखाई देते हैं। 
  • गुणसूत्र का शीर्ष भागटेलोमीयर (Telomere) कहलाता है। 
  • गुणसत्र मुख्यतः DNA (= 40%) एवं क्षारीय हिस्टोन प्रोटीन(60%) का बना होता है। 
  • सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में एक निश्चित संख्या में गुणसूत्र पाए जाते हैं। 
  • मनुष्य में 2n = 46 (n = 23 जोड़ा ) गुणसूत्र पाए जाते हैं। 
    • इनमें से 22 जोड़ेस्त्री तथा पुरुष में समान रहते हैं 
    • लेकिन 23 वाँ जोड़ा  स्त्री में XX तथा पुरुष में XY होता है। 
    • इसी 23वें जोड़े को लिंग गुणसत्र कहा जाता है। 
  • मनुष्य की एक कोशिका में DNA, 46 गुणसूत्रों में इकटठा रहता है। 
  • गुणसूत्र आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने के लिये उत्तरदायी होते हैं। 
  • कुछ सरीसृपों ,जैसे- मगरमच्छ, छिपकली इत्यादि में लिंग गुणसूत्र नहीं होते है इन जीवों में लिंग का निर्धारण पर्यावरणीय ताप द्वारा होता है।

 

डीऑक्सी राइबोन्यूक्लिक एसिड(DeoxyriboNucleic Acid – DNA) 

  • DNA एक न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acid) है जो प्रोटीन के साथ मिलकर गुणसूत्र की संरचना बनाता है। 
  • यह कोशिका के केंद्रक में धागे के रूप में फैला रहता है। 
  • डी.एन.ए. की कुछ मात्रा केंद्रक के अतिरिक्त माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाई जाती है। 
  • मूल रूप से यह एक आनुवंशिक पदार्थ है 
    • जो लक्षणों (Traits) या गुणों को माता-पिता से संतानों में पहुँचाने का कार्य करता है। 
  • DNA की संरचना तीन प्रकार के पदार्थों (Materials) से निर्मित होती है
    • नाइट्रोजन क्षार (Nitrogen Base)
    • शुगर (Sugar)
    • फास्फोरिक अम्ल (H3PO4)

 

नाइट्रोजन क्षार (Nitrogen Base)

  1. प्यूरीन (Purine)
    1. एडिनीन (Adenine)
    2. ग्वानीन (Guanine)
  2. पिरिमिडीन (Pyrimidine)
    1. साइटोसीन (Cytosine)
    2. थायमीन (Thymine) (Uracil – RNA)

 

शुगर (Sugar) 

  • DNA में 2-डी ऑक्सि राइबोस तथा RNA में राइबोस नाम की पाँच कार्बन शुगर होती है। 

 

फास्फोरिक अम्ल (H3PO4)

  • DNA के नाइट्रोजन क्षारों में हमेशा एडिनीन (A) का थायमिन (T)  के साथ एवं ग्वानीन (G) का साइटोसीन (C) के साथ युग्मन (Pairing) होता है। 

Pairing = AT & GC

  • RNA में थायमीन (T) के स्थान पर यूरेसिल (U) नामक पिरिमिडीन क्षार पाया जाता है। 
  • DNA की द्विकुंडलित संरचना (Double Helical Structure) दिया 
    • जेम्स वाट्सन तथा फ्राँसिस क्रिक ने 1953 में 
    • उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • शुगर फॉस्फेट बैकबोन (Backbone) 
    • ये न्यूक्लिक अम्ल (DNA एवं RNA) के संरचनात्मक ढाँचे का निर्माण करते हैं। 
    • ये ऋणात्मक रूप से आवेशित एवं जलरागी (Hydrophilic) होते हैं जो DNA बैकबोन को जल के साथ बंधन बनाने में मददगार हैं। 

जलरागी (Hydrophilic) 

  • यह पानी की ओर आकर्षित होता है या यह आसानी से पानी में घुल जाता है ।

 

राइबोन्यूक्लिक एसिड आरएनए (Ribonucleic Acid – RNA)

  • RNA कोशिका द्रव्य में बिखरा रहता है। 
  • यह एकल कुंडलित संरचना(single coiled structure) है। 
  • यह मुख्य रूप से प्रोटीन निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेता है। 
  • यह एक गैर आनुवंशिक पदार्थ है
    • यद्यपि यह कुछ वायरस, जैसे- टोबेको मोजेक वायरस (T.M.V.) आदि में यह आनुवंशिक पदार्थ की तरह कार्य करता है। 
  • RNA तीन प्रकार का होता है
    • मैसेंजर RNA (mRNA)
    • राइबोसोमल RNA (rRNA) – सर्वाधिक 
    • ट्रांसफर RNA (tRNA) – सबसे छोटा RNA

 

मैसेंजर RNA (mRNA)

  • कार्य – DNA में अंकित सूचनाओं को प्रोटीन संश्लेषण स्थल (Protein Synthesis Site) पर लाना  

राइबोसोमल RNA (rRNA)

  • इसका निर्माण केंद्रिका (Nucleolus) में होता है। 
  • यह कोशिका में उपस्थित समस्त RNA का लगभग 80 प्रतिशत होता है। 
  • मुख्य कार्य –  राइबोसोम के संरचनात्मक संगठन में सहायता प्रदान करना 

ट्रांसफर RNA (tRNA)

  • यह सभी RNA में सबसे छोटा RNA है। 
  • मुख्य कार्य  – अमीनो अम्लों को प्रोटीन संश्लेषण स्थल पर लाना 
  •  tRNA की संरचना जानने में भारतीय मूल के जीव विज्ञानी एच.जी.  खुराना (H.G. Khurana) का महत्त्वपूर्ण योगदान है। 
    • उनके इस योगदान के लिये उन्हें नीरनबर्ग (Nirenberg) तथा रॉबर्ट होले (Robert Holley) के साथ संयुक्त रूप से 1968 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

 

DNA तथा RNA के बीच तुलना 

(Comparison between DNA and RNA

गुण 

DNA

RNA

उपस्थिति

केंद्रक, 

माइटोकॉण्ड्रिया  तथा क्लोरोप्लास्ट 

में उपस्थित होता है।

कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) तथा केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm) 

में उपस्थित होता है।

पिरिमिडीन क्षार

pyrimidine base

साइटोसीन तथा  थायमीन

साइटोसीन तथा यूरेसिल

प्यूरीन क्षार

purine base

एडिनीन तथा ग्वानीन

एडिनीन तथा ग्वानीन

पेंटोज शुगर

pentose sugar

डीऑक्सी राइबोस

राइबोस

कार्य

आनुवंशिक सूचनाओं

का हस्तांतरण

प्रोटीन संश्लेषण

 

जीन (Gene)

  • जीन आनुवंशिकता की इकाई है। 
  • जीन DNA का वह भाग है जो किसी विशिष्ट कार्य को संपादित करता है। 
  • वायरस में जीन 
    • DNA तथा RNA से बना होता है 
  • यूकैरियोटिक जीवों  में जीन
    • यह केवल DNA का बना होता है। 
  • मानव में 20,000 से 25,000 जीन्स हैं। 
  • जीन अपना कार्य एंजाइम के माध्यम से करता है, अर्थात् किसी जीव में प्रत्येक जीन एक विशिष्ट एंजाइम का उत्पादन करता है जो विशिष्ट उपापचय (Metabolic) क्रिया को नियंत्रित करता है।

 

पादप कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित पदार्थ(Cellular Excretory Substances)

पादप कोशिका

उत्सर्जित पदार्थ

पोस्ता (Papaver Somniferum) के कच्चे फल से

अफीम (Opium)

सिनकोना की छाल से

कुनैन (Quinine)

राउवेल्फिया की जड़ों से

रेसीन (Reserpine)

तंबाकू की पत्तियों से

निकोटीन (Nicotine)

कॉफी के बीजों से

कैफीन (Caffeine)

चाय की पत्तियों से

थीन (Theine)

भांग (कैनेबिस सटाइवा) से

मैरीजुआना (Marijuana)

एट्रोपा की जड़ों से

एट्रोपीन (Atropine) 

फेरुला (Ferula asafoetida) पौधे की जड़ों से प्राप्त रेजिन

हींग (Asafoetida)

हीबिया पौधे से प्राप्त लेटेक्स

रबर (Rubber)

एकेसिया पौधे की लकड़ी से

कत्था (Catechu)

ओक वृक्ष की छाल से

कार्क (Cork)

 

जंतु कोशिका एवं पादप कोशिका के बीच अंतर

जंतु कोशिका

पादप कोशिका 

आकार 

(Size)

छोटी 

(10-30 micrometre तक) 

बड़ी (10-100micrometre) 

आकृति 

(Shape) 

जंतु कोशिकाएँ विभिन्न आकृतियों की होती हैं।  ये गोलाकार या अनियमित  आकार की हो सकती हैं।

पादप कोशिकाएँ ज़्यादातर आकार में समान होती हैं और चौकोर या घनाकार (cuboid) आकृति में होती हैं।

ऊर्जा का संग्रह

Energy Storage

कार्बोहाइड्रेट व ग्लाइकोजन के रूप में होता है।

स्टार्च के रूप में होता है। 

वृद्धि

(Growth)

कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होने से 

कोशिका के आकार में वृद्धि  करने से 

कोशिका भित्ति (Cell Wall)

कोशिका भित्ति नहीं होती, लेकिन कोशिका झिल्ली पाई जाती है।

कोशिका भित्ति पाई जाती है जो सेलुलोज को  बनी होती है।

सिलिया 

(Cilia)

जंतु कोशिका में पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य कोशिका को गति प्रदान करना है।

यह पादप कोशिका में नहीं पाया जाता।

साइटोकायनेसिस

(Cytokinesis)

जंतु कोशिका में साइंटोकायनेसिस के दौरान केंद्रक द्रव्य विभाजित होकर अलग हो जाता है।

पादप कोशिका में साइटोकायनेसिस के दौरान कोशिका पट्रिका (Cell | Plate) का निर्माण हो जाता है जिससे कोशिका विभाजित होती है।

लवक 

(Plastids)

जंतु कोशिका में लवक नहीं पाए जाते हैं।

पादप कोशिका में लवक यथा हरित लवक (Chloroplasts) जो प्रकाश संश्लेषण के लिये आवश्यक हैं, पाए जाते हैं। 

रसधानी (Vacuole)

कई छोटी-छोटी रसधानियाँ हो सकती हैं।

एक बड़ी केंद्रीय रसधानी होती है जो पादप कोशिका में 90 प्रतिशत स्थान घेरती हैं।

 

कोशिका विभाजन (Cell Division)

  • एक मातृकोशिका/पैतृक कोशिका (Parent Cell)  विभाजित होकर दो नई संतति/पुत्री कोशिकाओं(Daughter Cell) का निर्माण करती है, इस क्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं।
  • कोशिका विभाजन को सर्वप्रथम 1865 ई० में विरचाऊ ने देखा।
  • कोशिका विभाजन तीन प्रकार का होता है
    1. असूत्री विभाजन (Amitosis)
    2. समसूत्री विभाजन (Mitosis)
    3. अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis)

 

असूत्री विभाजन (Amitosis Division): 

  • यह विभाजन जीवाणु, नीलहरित शैवाल, प्रोटोजोआ, विषाणु इत्यादि में होता है। 
  • इस क्रिया में केन्द्र में संकुचन होता है, जिसके फलस्वरूप दो पुत्री कोशिका का निर्माण होता है। 
  • इसके साथ-साथ कोशिका द्रव्य में भी विभाजन होता है। 
  • इस प्रकार एक मातृकोशिका से दो पुत्री कोशिका का निर्माण होता है। 

 

समसूत्री विभाजन (Mitosis)

  • समसूत्री विभाजन की खोज वॉल्टर फ्लेमिंग ने 1879 ई० में की। 
  • यह विभाजन कायिक कोशिकाओं(SOMATIC CELLS) में होता है। 
  • एक मातृ कोशिका से दो पुत्रीकोशिका का निर्माण होता है, प्रत्येक पुत्रीकोशिका में गुणसूत्रों (Chromosome) की संख्या मातृकोशिका में उपस्थित गुणसूत्रों की संख्या के बराबर होती है। 

मातृकोशिका में गुणसूत्रों की संख्या = पुत्रीकोशिका में गुणसूत्रों की संख्या

  • समसूत्री विभाजन कोशिकाओं के गुणन, वृद्धि, मरम्मत आदि के लिये होता है। 
  • अनियंत्रित समसूत्री विभाजन (Uncontrolled Mitosis) से कैंसर हो जाता है। 
  • समसूत्री विभाजन को मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है
  1. (a) केंद्रक विभाजन (Karyokinesis) 
  2. (b) कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis) 

(A) केन्द्रक विभाजन (Karyokinesis) 

  • केन्द्रक विभाजन की प्रक्रिया पाँच अवस्थाओं में पूर्ण होती है.
    1. अंतरावस्था या विरामावस्था (Interphase)
    2. प्रोफेज (Pronhase)
    3. मध्यावस्था (Metaphase)
    4. एनाफेज (Anaphase) 
    5. टेलोफेज (Telophase) 

 

(i)अंतरावस्था या विरामावस्था (Interphase) : 

  • यह अवस्था विभाजन के पूर्व की अवस्था है, यह अत्यधिक क्रियाशील अवस्था है। 
  • इस अवस्था को निम्न भागों में बाँटा गया है
    • G1- phase (Post mitotic gap phase): 
      • इस अवस्था में RNA एवं protein का निर्माण होता है। 
    • S-Phase 
      • DNA का संश्लेषण लेता है जिसे फलस्वरूप यह मात्रा में दोगुना हो जाता है। 
    • G2-phase (pre-mitotic gap jihase) :
      • DNA का संश्लेषण रूक जाता है, किन्तु RNA एवं प्रोटीन का संश्लेषण होता है, Interphase में क्रोमैटिन जाल अकुंडलित एवं पतला होता है, सेन्ट्रोसोम विभाजित हो जाता है। 

 

(ii) प्रोफेज (Pronhase) : 

  • कोशिका के वास्तविक विभाजन की शरूआत प्रोफेज से होती है, इसमें क्रोमैटिन जाल छोटे एवं मोटे होकर गुणसूत्र बनाते हैं.
  • क्रोमोसोम दो अर्द्ध भागों में बंटे जाता है, दोनों भाग एक बिन्दु से जुड़े होते है, इस बिन्दु को सेन्ट्रोमेयर कहते हैं, पूरी रचना chromatid कहलाती है। 
  • इस अवस्था के अंत में केन्द्रक झिल्ली, केन्द्रिका गायब हो जाती है, तुर्कधागे का निर्माण शुरू हो जाता है। 

 

(iii) मध्यावस्था (Metaphase) 

  • इस अवस्था में तुर्कधागे (spindle fibres) का निर्माण हो जाता है, इस पर क्रोमोसोम अपने सेन्ट्रोमेयर द्वारा धागे के बीच में आकर जुड़ जाता है
  • इस विभाजन में 2-10 minute का समय लगता है।

(iv) एनाफेज (Anaphase) : 

  • यह अवस्था सबसे छोटी अवस्था है, विभाजन 2-3 मिनटों में समाप्त हो जाता है। इस अवस्था में सेन्ट्रोमेयर दो भागों में विभाजित हो जाता है। 
  • प्रत्येक गुणसूत्र में दोनों क्रोमैटिड सेन्ट्रोसोम के विभाजन के कारण अलग हो जाते हैं। 
  • गुणसूत्र अब दोनों ध्रुवों की ओर चला जाता है। 

 

(v) टेलोफेज (Telophase) : 

  • यह अवस्था प्रोफेज की उल्टी है। 
  • उसमें केन्द्रक एवं केन्द्रिका स्पष्ट हो जाते हैं। 
  • क्रोमोसोम (Chromosome) पतले हो जाते हैं। 
  • इस प्रकार एक केन्द्रक से दो केन्द्रक का निर्माण हो जाता है। spindle fibre नष्ट हो जाते हैं।

(B) Cytokinasis

  • केन्द्रक के विभाजन के बाद संकुचन द्वारा कोशिका का विभाजन हो जाता है। 
  • इस प्रकार एक मातृ कोशिका से दो पुत्रीकोशिका का निर्माण होता है। 
  • पौधे में Cytokinasis की क्रिया cell plate द्वारा होती है। 

 

समसूत्री विभाजन का महत्व: 

  • जीवों में वृद्धि एवं विकास होता है। 
  • इस विभाजन के द्वारा शरीर की मरम्मत होती है तथा घाव भरता है।

 

अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) 

  • यह विभाजन जनन कोशिका (germ cell) में होता है। 
  • अर्द्धसूत्री विभाजन को न्यूनकारी विभाजन (reduction division) भी कहते हैं। 
  • पुत्रीकोशिका में गुणसूत्रों की संख्यामातृकोशिका में उपस्थित गुणसूत्रों की संख्या की आधी होती है। 
  • इसमें विभाजन की क्रिया दो बार होती है। 
  • विभाजनके बाद चार पुत्री कोशिकाओं का निर्माण होता है। 
  • मियोसिस दो चरणों में पूर्ण होता है
    • (a) अर्द्धसत्री विभाजन I(Meiosis I): गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है
    • (b) अर्द्धसत्री विभाजन II(Meiosis II): प्रत्येक गुणसूत्र के दो अर्द्धगुणसूत्र (Chromatids) अलग-अलग हो जाते हैं।

 

A. मियोसिस-I (Meiosis I)

  • प्रोफेज-I (Prophase I) 
    • लिप्टोटीन (Leptotene)
    • जायगोटिन (Zygotene)
  • मेटाफेज-I (Metaphase I) 
  • ऐनाफेज-I (Anaphase I)
  • टेलोफेज-I (Telophase I) 

प्रोफेज (Prophase) को निम्न उप-अवस्थाओं में बाँटा गया है 

  1. लिप्टोटीन (Leptotene)
  2. जायगोटिन (Zygotene)
  3. पैकीटीन (Pachutenes)
  4. डिप्लोटिन (Deplotene)
  5. दायकाईनेसिस (daikinesis)

 

लिप्टोटीन (Leptotene) : 

  • इस अवस्था में क्रोमैटिन जाल  कुण्डलित एवं लम्बे होते हैं। 

जायगोटिन (Zygotene) : 

  • इस अवस्था में समजात गुणसूत्र (homologous chromosome) जोड़े में व्यवस्थित होते हैं। जिन्हें bivalent कहते हैं।

पैकीटीन (Pachytene)

  • इसमें गुणसूत्र छोटे और मोटे हो जाते हैं। 
  • प्रत्येक समजात गुणसूत्र के क्रोमैटिड अलग-अलग दिखायी देते हैं, उन्हें चतुष्टक कहते हैं। 

डिप्लोटिन (Deplotene)

  • समजात गुणसूत्रों के बीच प्रतिकर्षण उत्पन्न होता है, जिसके फलस्वरूप ये अलग अलग होने लगते हैं, किन्तु कुछ बिन्दुओं पर आपस में जुड़े होते हैं, इस बिंदु को काइज्मा कहते हैं। 
  • इस बिंदु पर क्रोमैटिड के खण्डों के बीच अदला-बदली होती है, इस प्रक्रिया को क्रॉसिंग ओवर कहते हैं। 
  • क्रॉसिंग ओवर के कारण ही संतान माता-पिता से कुछ भिन्न होते हैं। 

 

दायकाईनेसिस (daikinesis)

  • इस अस्वथा मे समजात गुणसूत्र अलग-अलग हो जाते हैं, केन्द्रक तथा केन्द्रिका गायब हो जाते हैं। 
  • तुर्क धागे (spindle fibres) का निर्माण शुरू हो जाता है। 

मेटाफेज-I (Metaphase-I) 

  • तुर्कधागे का निर्माण पूर्ण हो जाता है। 
  • तुर्कधागे (Bivalent spindle fibres) मध्य में सेन्ट्रोमेयर द्वारा जुड़ जाता है।

 

ऐनाफेज-I (Anaphase I)

  • प्रत्येक Bivalent में एक गुणसूत्र एक ध्रुव की ओर तथा दूसरा गुणसूत्र दूसरे ध्रुव की ओर खिंच जाता है। 
  • इसमें सेन्ट्रोमेयर का विभाजन नहीं हो पाता है। इस प्रकार कुल गुणसूत्र में आधा गुणसूत्र एक ध्रुव की ओर तथा आधा गुणसूत्र दूसरे ध्रुव की ओर चला जाता है। 

 

टेलोफेज-I (Telophase-I)

  • दोनों ध्रुवों की ओर केन्द्रक झिल्ली का निर्माण हो जाता है। 
  • इस प्रकार एक मातृकेन्द्रक से दो पुत्रीकेन्द्रक का निर्माण हो जाता है।

मियोसिस II (Meiosis II)

  • केंद्रक के विभाजन के साथ-साथ कोशिका द्रव्य का भी विभाजन हो जाता है इस प्रकार दो पुत्रीकोशिकाओं का निर्माण हो जाता है। इसके बाद इन दोनों कोशिकाओं में पुनः विभाजन शुरू हो जाता है। इस विभाजन को मियोसिस II कहते हैं। 
  • यह विभाजन मिटोसिस जैसा ही होता है। 
  • इसमें निम्न अवस्थाएँ होती हैं (P-MAT)
    1. प्रोफेज-II (Prophase II) 
    2. मेटाफेज-II (Metaphase II)
    3. ऐनाफेज-II (Anaphase II) 
    4. टेलोफेज-II (Telophase II) 

                      

प्रोफेज-II (Prophase II) 

  • केन्द्रक झिल्ली एवं केन्द्रिका गायब हो जाते हैं। 
  • क्रोमैटिड सिकुड़कर छोटे और मोटे होने लगते हैं। 
  • तुर्क धागे का निर्माण शुरू हो जाता है एक-एक centriole दोनों ध्रुवों पर चला जाता है। 

 

मेटाफेज-II 

  • तर्कधागे (spindle fibres) का निर्माण पूर्ण हो जाता है। 
  • क्रोमोसोम सेन्ट्रोमेयर द्वारा spindle fibres के बीच में जुड़ जाता है। 

 

ऐनाफेज-II (Anaphase II)  

  • सेन्टोमेयर का विभाजन हो जाता है, जिसके फलस्वरूप क्रोमोसोम के दोनों क्रोमेटिड एक दूसरे से अलग हो जाते हैं तथा दोनों ध्रुवों की ओर एक-एक चले जाते हैं। 
  • कोशिका में संकुचन शुरू हो जाता है। 

 

टेलोफेज-II (Telophase II) 

  • दोनो  ध्रुवों की ओर केन्द्रक झिल्ली (Nuclear mernbrane) का निर्माण हो जाता है। 
  • केन्द्रिका का निर्माण भी हो जाता है।
  • केन्द्रक के विभाजन के बाद कोशिका द्रव्य भी विभाजित हो जाता है। 
    • एक मातृकोशिका से चार पुत्रीकोशिकाओं का निर्माण हो जाता है। 
    • गुणसूत्रों की संख्या मातृकोशिका में उपस्थित क्रोमोसोम की संख्या की आधी होती है।

 

समसूत्री विभाजन

अर्द्धसूत्री विभाजन

कोशिका

  • यह कायिक कोशिकाओं (Somatic Cells) में होता है
  • द्विगुणित (Diploid) संतति कोशिकाओं का निर्माण 
  • यह जनन कोशिकाओं (Reproductive Cells) में होता है 
  • अगुणित (Haploid) युग्मक बनते हैं जो निषेचन में भाग लेते हैं। 

चरण

  • यह विभाजन केवल एक चरण में पूर्ण होता है।
  • यह विभाजन दो चरणों में पूर्ण होता है।

विभाजन

  • केंद्रक में एक ही विभाजन होता है
  • गुणसूत्रों की संख्या संतति कोशिका में समान रहती है।
  • केंद्रक में दो बार विभाजन होता है
  • चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं। फलतः गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका से आधी रह जाती है। 

पूर्वावस्था

  • इस विभाजन में पूर्वावस्था (Prophase) अपेक्षाकृत सरलकम अवधि की होती है।
  • पूर्वावस्था पाँच उप-अवस्थाओं में बँटी रहती हैं
  • लेप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकिटीन, डिप्लोटीन डाइकाइनेसिस

क्रॉसिंग ओवर

  • इस विभाजन में क्रॉसिंग ओवर नहीं होता 
  • काइज्मैटा नहीं बनते।
  • काइज्मैटा बननेक्रॉसिंग ऑवर होने के कारण ही संतति कोशिकाओं में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं।

संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या

पैतृक कोशिका के समान 

पैतृक कोशिका का  आधा  

संतति कोशिकाओं की संख्या 

  • इस विभाजन से दो संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है। 
  • इस विभाजन से चार संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है।

महत्त्वः

  • वृद्धि, मरम्मत आदि के लिये आवश्यक 
  • लैंगिक जनन करने वाले जीवों में गुणसूत्रों की संख्या समान रखने के लिये आवश्यक
  • जीवों में विभिन्नताओं (Variations) के लिये उत्तरदायी

 

कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (Some Important Facts) 

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में

श्वसन का कार्य

यूकैरियोटिक कोशिका में

श्वसन का कार्य 

  • मीसोसोम (Mesosome) करते हैं
  • माइटोकॉण्ड्रिया करते हैं। 

 

  • कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) 
    • एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली (Semi Permeable Membrane) होती है। 
    • यह कुछ विशिष्ट अणुओं को ही अपने आर-पार आने या जाने देती है। 

गॉल्जी काय (Golgi Body) का मुख्य कार्य 

  • कोशिका (Cell) द्वारा संश्लेषित प्रोटीन, वसा आदि की पैकेजिंग करना है। 
  • उपनाम – कोशिका के अणुओं का Traffic Controller 

हरित लवक (Chloroplast) 

  • उपनाम – कोशिका का रसोईघर (Kitchen of the Cell) 
    • इसमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण होता है। 
  • बुढ़ापे के लियेAgeing Gene ज़िम्मेदार होता है।

नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation)

  • कुछ जीवाणुओं जैसे राइजोबियम के अंदर Nif Gene होता है जिसकी सहायता से ये जीवाणु नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) करने में सक्षम होते हैं। 

 

पेट्री डिश (Petri dish)

  • पादप और जंतु कोशिकाओं में प्रयोगशाला की पेट्री डिश में कोशिका विभाजन कराया जा सकता है।
  • एक उथला, गोलाकार, कांच या प्लास्टिक का बर्तन, जिसके ऊपर और किनारों पर ढीले-ढाले आवरण होते हैं, जिसका उपयोग बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों के संवर्धन के लिए किया जाता है।
  • Inventor: Julius Richard Petri

 

MCQ QUESTIONS BASED ON Cell Division

कोशिका विभाजन पर आधारित प्रश्न 

 

1. शुक्राणु एवं अण्डाणु का निर्माण होता है

(a) माइटोसिस द्वारा 

(b) मियोसिस द्वारा

(c) एमाइटोसिस द्वारा 

(d) सभी 

 

2. पादप कोशिका में कोशिका द्रव का विभाजन होता है

(a) संकुचन द्वारा 

(b) कोशिका प्लेट द्वारा 

(c) दोनों

(d) कोई नहीं 

 

3. किस अवस्था में DNA का संश्लेषण होता है

(a) G, Phase 

(b) G2  phase 

(c) S phase

(d) कोई नहीं 

 

4. कौन-सी अवस्था सबसे छोटी है ? 

(a) प्रोफेज

(b) मेटाफेज

(c) एनाफेज

(d) टेलोफेज 

 

5. किस अवस्था में सेन्ट्रोसोम विभाजित होता है? 

(a) प्रोफेज

(b) मेटाफेज 

(c) एनाफेज

(d) टेलोफेज 

 

6. समसूत्री विभाजन के फलस्वरूप मातृकोशिका सेना पुत्रीकोशिका का निर्माण होता है? (a) 2

(b) 4 

(c) 8

(d) 16

 

7. अर्द्धसूत्री विभाजन होता है

(a) कायिक कोशिकाओं में 

(b) जनन कोशिकाओं में 

(c) दोनों में

(d) कोई नहीं 

 

8. क्रोसिंग ओवर होता है

(a) माइटोसिस में 

(b) मियोसिस में

(c) एमाइटोसिस में 

(d) कोई नहीं 

 

9. विभाजन की किस अवस्था में केन्द्रक झिल्ली गायब हो जाती है? 

(a) मेटाफेज

(b) एनाफेज 

(c) एनाफेज

(d) टेलोफेज 

 

10. समसूत्री विभाजन में पुत्रीकोशिका में गुणसूत्रों की संख्या मातृकोशिका में उपस्थित गुणसूत्रों की संख्या की

(a) बराबर होती है 

(b) आधी होती है 

(c) दुगुनी होती है 

(d) सभी

Cell and Cell Division