सामान्य परिचय (General Introduction)
- भारत एक कृषि प्रधान देश है
- वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, देश की लगभग 55 प्रतिशत जनसंख्या कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों से जुड़ी हुई है।
- कृषि एक प्राथमिक क्रिया है
- कृषि के अंतर्गत खेती, पशुपालन एवं मत्स्यपालन तथा वानिकी आदि को शामिल किया जाता है।
- भारतीय कृषि मुख्यतः मानसून पर आधारित होती है, इसलिए इसे ‘मानसून का जुआ’ भी कहते हैं।
ऋतुओं के आधार पर भारतीय कृषि के तीन वर्ग
- खरीफ फसल
- रबी फसल
- जायद फसल
खरीफ फसल
- बुआई – जून से जुलाई तक
- कटाई – सितंबर-अक्तूबर में
- ये वर्षा काल की फसलें होती हैं।
- खरीफ फसलों की बुआई के समय अधिक तापमान और अधिक आर्द्रता की आवश्यकता होती है।
- प्रमुख फसलें– धान, सोयाबीन, अरहर, तिल, मूंग, उड़द, लोबिया, ज्वार, रागी, बाजरा, मूंगफली, तंबाक इत्यादि
रबी फसल
- बुआई – अक्तबर -नवंबर तक
- कटाई – अप्रैल-मई
- ये शीत काल की फसलें होती हैं।
- रबी फसलों को उगाते समय अपेक्षाकृत कम तापमान तथा पकने के लिए अधिक तापमान एवं दीर्घ प्रकाश काल की आवश्यकता होती है।
- प्रमुख फसलें– गेहूँ, जौ, मटर, चना, सरसों, आलू, मसूर, अलसी,राई इत्यादि
जायद फसल
- रबी एवं खरीफ के मध्यवर्ती काल में उगाया जाता है।
- बुवाई – मार्च में
- कटाई – जून तक
- यह मुख्यतः ग्रीष्म काल की फसलें होती हैं।
- प्रमुख फसलें– खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूज, करेला आदि
प्रमुख कृषि के तरीके (Major Farming Methods)
- निर्वाह/जीविकोपार्जी कृषि(Subsistence Farming)
- स्थानांतरी कृषि (Shifting Cultivation)
- विस्तृत कृषि (Extensive Cultivation)
- वाणिज्यिक कृषि (Commercial Farming)
- बागानी/बागाती/रोपण कृषि (Plantation Agriculture)
- जैविक कृषि (Organic Farming)
- जल कृषि (Aquaculture)
- एक्वापोनिक कृषि (Aquaponic Farming)
- समुद्री शैवाल कृषि (Seaveed Farming)
- सहकारी कृषि (Cooperative Farming)
- संविदा कृषि (Contract Farming)
- शुष्क भूमि कृषि (Dryland Farming)
- ट्रक फार्मिंग (Truck Farming)
- मिश्रित कृषि (Mixed Farming)
निर्वाह/जीविकोपार्जी कृषि(Subsistence Farming)
- इसके अंतर्गत न्यूनतम भूमि से अधिकतम उपज ली जाती है
- उपज का अधिकांश भाग कृषक अपने परिवार के लिये प्रयोग करता है।
- इसे ‘गहन कृषि’ या ‘जीवन निर्वाह कृषि’ भी कहते हैं।
स्थानांतरी कृषि (Shifting Cultivation)
- यह कृषि की सबसे प्राचीन विधि है।
- इसके अंतर्गत स्थल की वनस्पति को काटकर या जलाकर साफ कर दिया जाता है और फिर उस पर कृषि की जाती है
- इसे ‘कर्तन एवं दहन, प्रणाली’ या ‘पैड़ा पद्धति’ कहते हैं।
- भारत के उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में मुख्यतः (असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश) यह कृषि की जाती है तथा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान के कुछ भागों में भी स्थानांतरी कृषि विधि को अपनाया जाता है।
- अलग-अलग राज्यों में इसे भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है
विस्तृत कृषि (Extensive Cultivation)
- इस कृषि विधि में बड़े आकार वाले जोतों पर बडे-बडे आधु निक यंत्रों की सहायता से कृषि कार्य किया जाता है। इसमें मानव श्रम कम लगता है किंतु प्रति व्यक्ति उत्पादन की मात्रा अधिक होती है।
- इस विधि को अपनाने हेतु पूंजी की भी पर्याप्त मात्रा में आवश्यकता होती है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में इस विधि द्वारा कृषि की जाती है।
- भारत में हरित क्रांति के पश्चात् पंजाब व हरियाणा में विस्तृत कृषि पर बल दिया जा रहा है।
वाणिज्यिक कृषि (Commercial Farming)
- इसमें कृषि निवेश’ लाभ को ध्यान में रखकर किया जाता है।
बागानी/बागाती/रोपण कृषि (Plantation Agriculture)
- इस प्रकार की खेती बागानों तथा कृषि फार्मों पर की जाती है, जिसमें विशिष्ट प्रकार की फसलों या एकल फसलों, जैसे-रबड़, नारियल काजू, चाय, कॉफी, केला आदि का उत्पादन किया जाता है।
- इस विधि में उन्नत बीजों एवं आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है
- यह भी एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि का ही रूप है।
जैविक कृषि (Organic Farming)
- जैविक कृषि, खेती करने की ऐसी पद्धति है, जिसमें कृषक रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर माइक्रोबियल पोषक दाता, जैसे- शैवाल, फंगस, बैक्टीरिया, माइकोराइज़ा आदि का उपयोग करता है।
- कीटनाशकों एवं खरपतवार नाशकों के स्थान पर बायो-पेस्टीसाइड (जैव कीटनाशकों) जैसे ‘क्राईसोपा’ का उपयोग किया जाता है।
- गोबर खाद कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद, मिश्रित फसल, अन्य पशु अपशिष्ट, फसलों एवं सब्जियों के अपशिष्ट आदि जैविक कृषि के अन्य तत्त्व हैं।
- भारत में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत ‘राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना’, (अक्तूबर 2004) शुरू की गई।
- आधुनिक जैविक कृषि का जनक – ‘अल्बर्ट हॉवर्ड’
- वृहद् स्तर पर जैविक कृषि अपनाने वाला विश्व में प्रथम देश ‘क्यूबा‘ है।
- वर्ष 2016 में ‘सिक्किम’ देश का पहला पूर्ण जैविक कृषि राज्य बन गया है।
जल कृषि (Aquaculture)
- जलीय जीवों के पालन, संवर्द्धन तथा उपभोग को ‘जल कृषि’ कहते हैं।
- यह मत्स्यन से भिन्न होती है, क्योंकि इस कृषि के अंतर्गत नियंत्रित परिस्थितियों में जलीय जीवों का पालन एवं संवर्द्धन किया जाता है।
एक्वापोनिक कृषि (Aquaponic Farming)
- किसानों द्वारा पौधे उगाने के साथ-साथ मत्स्य पालन सम्मिलित रूप से किया जाता है।
- इसमें एक ही टैंक में मछली और पौधे एक साथ ही वृद्धि करते हैं। मछलियों के अपशिष्ट के कारण टैंक का पानी पोषक तत्त्वों से समृद्ध होता है, जिससे पौधों को पोषण मिलता है।
समुद्री शैवाल कृषि (Seaveed Farming)
- शैवाल एक समुद्री वनस्पति है, जिसका उपयोग औषधि, व्यवसाय और भोजन के रूप में किया जाता है।
- ‘क्लोरेला’ नामक शैवाल को केबिन के हौज में उगाकर अंतरिक्ष यात्री प्रोटीनयुक्त भोजन प्राप्त करते हैं।
- भारत में समुद्री शैवाल की कृषि कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, लक्षद्वीप आदि क्षेत्रों में की जाती है।
सहकारी कृषि (Cooperative Farming)
- इस विधि के अंतर्गत व्यक्ति आपस में मिलकर व्यावसायिक संगठन बनाकर अपनी भूमि पर कृषि कार्य संपादित करता है।
- कृषि उत्पादन बाज़ार की मांग या स्वयं की पूर्ति हेतु किया जा सकता है।
- सहकारी कृषि में वे लोग भी शामिल हो सकते हैं जो केवल कृषि मजदूर तथा भूमिहीन हैं।
- भारत में आर्थिक कार्यक्रम समिति, 1947 की अनुशंसा पर सहकारी कृषि को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया गया था।
संविदा कृषि (Contract Farming)
- संविदा कृषि के अंतर्गत कृषक एक समझौते के तहत किसी कंपनी के लिये उत्पादन कार्य करता है तथा उत्पादों को संबंधित कंपनी को एक निश्चित समयावधि में उपलब्ध करवाता है।
- इस विधि में कृषक को कंपनी द्वारा नई तकनीक एवं उन्नत किस्म के बीज व उर्वरक एवं परिवहन की सुविधा मुहैया करवाई जाती है।
शुष्क भूमि कृषि (Dryland Farming)
- सिंचाई किये बिना ही कृषि करने की तकनीक है।
- यह उन क्षेत्रों जहाँ वार्षिक वर्षा 75 सेमी. से भी कम होती है।
मिश्रित कृषि (Mixed Farming)
- फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन का कार्य भी किया जाता है तो उसे ‘मिश्रित कृषि’ कहते हैं।
हरित क्रांति (Green Revolution)
- हरित क्रांति उच्च गुणवत्ता वाले बीज, रासायनिक उर्वरक व नहरी सिंचाई आधारित कृषि उत्पादन की एक नवीन प्रक्रिया थी।
- इसे ‘अधिक उपज देने वाली किस्मों का कार्यक्रम’ (High Yielding Varieties Programme – HYVP) के नाम से पुकारा गया।
- सर्वप्रथम 1966-67 में पंजाब व हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के गंगानगर आदि क्षेत्रों में इसे अपनाया गया ।
- सर्वप्रथम‘हरित क्रांति’ शब्द का प्रयोग – के डॉ. विलियम गौड (अमेरिका)
- हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत रॉकफेलर और फोर्ड फाउंडेशन के तत्वधान में बोने फसल वाली गेहूं की एक नई प्रजाति का विकास किया गया किया गया, जो
- पारंपरिक किस्मों से अधिक उत्पादक थी
- मौसम परिवर्तन से कम प्रभावित होती थी
- शीघ्र तैयार हो जाती थी
- उर्वरकों के साथ अनुकूल प्रतिक्रिया दर्शाती थी।
- हरित क्रांति के जनक – डॉ. नॉर्मन बोरलॉग’
- 1970 में विश्व शांति का नोबेल पुरस्कार
- भारत में हरित क्रांति की शुरुआत : ‘एम.एस. स्वामीनाथन’
- भारत में ‘हरित क्रांति का जनक’ (Father of Green Revolution) : एम.एस. स्वामीनाथन को
भारत में दूसरी हरित क्रांति (The Second Green Revolution in India)
- 1990 के दशक के मध्य में द्वितीय हरित क्रांति (Second Green Revolution) की अवधारणा का विकास हुआ।
- इसे ‘सदाबहार क्रांति’ (Evergreen Revolution) भी कहा गया।
- द्वितीय हरित क्रांति में सभी फसलों एवं कृषि उत्पादों को शामिल किया जाएगा।
- द्वितीय हरित क्रांति में धारणीय कृषि पद्धति के साथ जैविकीय उर्वरको एवं जैव कीटनाशकों के प्रयोग पर बल दिया जाएगा।
NPK अनुपात (Nitrogen-Plhosphorus-Potassium Ratio)
- भारत में दलहनी फसलों में यह अनुपात 1 : 2 : 1 या 1 : 2 : 2 है।
प्रमुख कृषि संस्थान
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission)
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन को वर्ष 2014-2015 में लागू किया गया।
- इसके अंतर्गत पशुपालक बीपीएल परिवारों एवं किसानों को सब्सिडी दी जाती है।
डेयरी विकास (Dairy Development)
- विश्व के दुग्ध उत्पादक देशों में भारत का प्रथम स्थान है
- भारत में दूध उत्पादन में शीर्ष स्थान
- उत्तर प्रदेश
- राजस्थान
- गुजरात
- विश्व के दुग्ध उत्पादन में भारत का योगदान – 19 प्रतिशत
- भारत में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता – 337 ग्राम प्रतिदिन
- भारत में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता की दृष्टि से शीर्ष स्थान
-
- पंजाब (1,032 ग्राम)
- हरियाणा (877 ग्राम)
- राजस्थान (704 ग्राम)
राष्ट्रीय डेयरी योजना
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB ) एवं विश्व बैंक के सहयोग से ‘राष्ट्रीय डेयरी योजना’ चलायी जा रही है
- योजना के अंतर्गत दूध उत्पादन का लक्ष्य – 2021-22 तक सलाना 18 करोड़ टन
श्वेत क्रांति (White Revolution)
- देश में श्वेत क्रांति का संबंध दूध के उत्पादन में वृद्धि करने से है।
- भारत में ‘श्वेत क्रांति’ का जनक – डॉ. वर्गीज कुरियन को
- श्वेत क्रांति को सार्थक करने हेतु 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ कार्यक्रम की शुरुआत ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड’द्वारा की गई।
अमूल (Amul)(आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड)
- गुजरात के आणद जिले में
- दिसंबर 1946 में पंजीकरण हुआ।
- 1965 में यहीं पर (आणंद में) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना की गई जिसने आगे चलकर 1969-70 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ अथवा श्वेत क्रांति की शुरुआत की।
नीली क्रांति(Blue Revolution)
- भारत में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हेतु नीली क्रांति चलाया गया
- मत्स्य उत्पादन – एक्वा कल्चर (Aquaculture)
- विश्व का सबसे बड़ा मछली उत्पादक राष्ट्र
- भारत(दूसरा)
- ‘झींगा मछली की राजधानी’ – ‘नेल्लोर ,(आंध्र प्रदेश)