भारत गान कविता 

तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक

देस हमर जान हे कोटी – कोटिक परान है । ई करा सहिदेक बलिदान है । बासे मास जाड़ कसमीरे पछिमें गर जहान है । हिमालय , बिंध , पारस पहार गंगा – काबेरि गान है ।। पंजाब जइसन बीर माटी द्रविड़ मुलूक महान है । झारखंडें करम – बंउड़ी मनवादेक सान है ।। पसु – पंछी बोने कल – कल झरनाक दान है । बाह रे , भारतेक माटी परकिरतिक बरदान है ।। भीनू – भीनू भेस – भुसा भीनू खान – पान है । भीनू – भीनू बोली – भाखा तवो एके आन है ।। लील आकासें उड़े हियां तिरंगा झंडाक सान है । गौतम बुद्ध हियां जनमला अंबेदकरेक संविधान है । बीर भगत सिंह , सुभाष हियां बिरसाक उलगुलान है । आदिबासी सदानी हियां एके माटिक संतान है ।

11 : भारत गान  कविता

भावार्थ : इस कविता में भारत की भौगोलिक, मासिक, सांस्कृतिक, खान-पान, वेष-भूषा, प्राकृतिक सुषमा, पशु-पक्षी, नदी-पहाड़, झरने की विशेषता बताते हुए यशोगान, गौरवगान किया गया है और अपनी मातृभूमि के प्रति सम्मान आदर प्रकट किया गया है। 

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