मंत्रिमंडलीय समिति

  • मंत्रिमंडलीय समितियाँ गैर-संवैधानिक अथवा संविधानेत्तर हैं। 
  • इनका उल्लेख संविधान में नहीं है। कार्य-नियमों (Rules of Business) में इनकी स्थापना के लिए कहा गया है। 
  • ये समितियाँ दो प्रकार की होती हैं 
    • स्थाई  
    • तदर्थ 
  • स्थाई समितियाँ स्थाई प्रकृति की होती हैं जबकि तदर्थ अस्थाई प्रकृति की। तदर्थ समितियों का गठन समय-समय पर विशेष समस्याओं को सुलझाने के लिए किया जाता है। प्रयोजन पूरा होते ही इन्हें विघटित कर दिया जाता  है।
  • इनकी सदस्य संख्या तीन से आठ तक हो सकती है। 
  • सामान्यतः इनके सदस्य केवल कैबिनेट मंत्री होते हैं, तथापि गैर-कैबिनेट मंत्री इनकी सदस्यता से प्रतिबंधित नहीं होते।
  • इन समितियों में मंत्री ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ मंत्री भी हो सकते हैं। 
  • समितियों के प्रमुख प्रायः प्रधानमंत्री होते हैं। कभी-कभी गृह-मंत्री या वित्त मंत्री भी इनकी अध्यक्षता करते हैं। लेकिन यदि किसी समिति में प्रधानमंत्री सदस्य हों, तो अध्यक्षता वही करते हैं। 

महत्वपूर्ण मंत्रिमंडलीय समितियाँ

  • राजनीतिक मामलों की समिति
    • राजनीतिक परिस्थितियों से सम्बन्धित सभी मामलों को देखती है।
    • समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। 
  • आर्थिक मामलों की समिति
    • आर्थिक क्षेत्र की सरकारी गतिविधियों को निर्देशित करती है तथा उनमें समन्वय भी स्थापित करती है। 
    • समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। 
  • नियुक्ति समिति
    • केन्द्रीय सचिवालय, लोक उद्यमों, बैंकों, तथा वित्तीय संस्थाओं में सभी उच्च पदों पर नियुक्तियों के सम्बन्ध में निर्णय लेती है।
    • समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।  
  • संसदीय मामलों की समिति
    • संसद में सरकार की भूमिका एवं कार्यों को देखती है।
    • समिति के अध्यक्ष गृह मंत्री होते हैं। 
  • राजनीतिक मामलों की समिति – जिसे ‘सुपर कैबिनेट’ भी कहा जाता है।

मंत्रियों के समूह (Group of ministers)

  • मंत्रिमंडलीय समितियों के अतिरिक्त विभिन्न मुद्दों/ विषयों देखने के लिए कुछ मंत्री-समूहों का भी गठन किया गया हैं।

 

मंत्रिमंडलीय समितियां