भारतीय कैलेंडर के रूपों का वर्गीकरण
- ग्रेगोरियन कैलेंडर
- वर्तमान समय में सर्वाधिक प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर सायन सौर वर्ष पर आधारित है।
- इसमें 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 45.25 सेकेंड होते हैं
- प्रत्येक 4 वर्ष बाद फरवरी माह में एक दिन की व्यवस्था अपनाई जाती है।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर वास्तव में जूलियन कैलेंडर का ही सुधरा हुआ रूप है।
- जूलियन कैलेंडर में एक वर्ष में 365.25 दिन होते थे और प्रत्येक चौथा वर्ष अधिवर्ष (Leap Year) होता था, जिसमें एक अतिरिक्त दिन फरवरी में जोड़ दिया जाता था
- पोप ग्रेगोरी तेरहवें ने सन् 1582 में नियम बनाया कि वही शताब्दी वर्ष अधिवर्ष होगा, जो 400 से पूर्णतः विभाजित हो जाए।
- 15 अक्तूबर, 1582 से ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत हुई।
- विक्रम संवत्
- विक्रम संवत् का आरंभ 57 ईसा पूर्व में हुआ था।
- यह एक चंद्र-सौर कैलेंडर है, जिसमें महीनों की गणनाचंद्रमा की कलाओं के आधार पर की जाती है तथा वर्ष की गणना के लिये निरयण या नाक्षत्रिय सौर वर्ष को आधार बनाया जाता है।
- विक्रम संवत् का आरंभउज्जैन के शासक विक्रमादित्य द्वारा शकों पर विजय प्राप्त करने के बाद किया गया था
- इस संवत् का प्रारंभ ‘मालव गणराज्य’ द्वारा किया गया था जो कालांतर में गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा मालवा विजय के पश्चात् इसका नाम विक्रम संवत् रखा गया।
- भारत में हिंदू पर्व, त्योहार व अन्य धार्मिक कार्यों की तिथिया विक्रम संवत् के आधार पर ही निश्चित की जाती हैं।
- स्थानीय परंपराओं के अनुसार नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा या कृष्ण शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
- शक संवत्
- शक संवत् या शालिवाहन शक संवत् का आरंभ 78 ई. से माना जाता है।
- इसका प्रचलन सम्राट कनिष्क ने शकों पर विजय प्राप्त करने या सिंहासनारूढ होने के उपरांत किया था।
- विक्रम संवत् के समान शक संवत् भी चंद्र-सौर कैलेंडर है।
- दक्षिण भारत में शक नववर्ष चैत्र माह में कृष्ण प्रतिपदा से प्रारंभ होता है, वहीं उत्तर भारत में यह चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है।
- भारत का राष्ट्रीय कैलेंडरशक संवत् का ही सुधरा हुआ रूप है।
- हिजरी कैलेंडर या इस्लामी कैलेंडर
- हिजरी कैलेंडर चंद्रमा के चक्र पर आधारित एक चंद्र कैलेंडर है।
- इसका प्रचलन खलीफा उमर ने 638 ई. में किया था।
- यह कैलेंडर पैगंबर मुहम्मद द्वारा 622 ई. में मक्का से मदीना आने की याद में शुरू किया गया था, अतः हिजरी कैलेंडर के लिये 622 ई. शून्य वर्ष है।
- हिजरी वर्ष में 354 दिन ही होते हैं और यह सौर वर्ष से 11 दिन छोटा होता है।
- इसी कारण मुसलमानों के त्योहार लगभग 33 वर्षों में एक चक्र पूरा कर लेते हैं।
- हिजरी कैलेंडर में दिन का आरंभ सूर्यास्त के साथ माना जाता है।
- हिजरी वर्ष में 12 महीने होते हैं।
- हिजरी वर्ष के 12 महीनों के नाम निम्नलिखित है
- 1. मुहर्रम
- 2. सफ़र
- 3. रबी अल-अव्वल
- 4. रबी अल-थानी
- 5. जुमादा अल-अव्वल
- 6. जुमादा अल-थानी
- 7. रज़ब
- 8. शआबान या शाबान
- 9. रमजान या रमदान
- 10. शव्वाल
- 11. जु-अल-कादा
- 12. जु-अल-हज्जा
- भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर
- किस संवत् को भारत के आधिकारिक संवत् का दर्जा प्रदान किया जाए। इस समस्या के निराकरण के लिये भारत सरकार ने 1952 में ‘मेघनाद साहा’ की अध्यक्षता में ‘संवत् सुधार समिति’ का गठन किया।
- समिति की अनुशंसाओं के आधार पर भारत सरकार ने 22 मार्च, 1957 से शक संवत् को सुधारों के साथ राष्ट्रीय संवत् के रूप में अपना लिया।
- भारतीय राष्ट्रीय शक संवत् की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- 1. राष्ट्रीय कैलेंडर ‘शक संवत्’ पर आधारित है और यह ईसवी सन् से 78 वर्ष पीछे है।
- 2. राष्ट्रीय कैलेंडर में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास से होता है।
- सामान्य वर्षों में राष्ट्रीय संवत् का नववर्ष, 22 मार्च को पड़ता है
- जबकि लीप ईयर में 21 मार्च को।
- यही वह समय है, जब सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत् चमकता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है।
- इसके लिये राष्ट्रीय कैलेंडर में वर्ष की गणना सायन या ट्रॉपिकल सौर वर्ष के आधार पर की जाती है।
- 4. राष्ट्रीय संवत् में सामान्य वर्ष में चैत्र माह में 30 दिन होते हैं,
- लीप वर्ष की स्थिति में चैत्र माह में 31 दिन होते हैं।
- चैत्र के बाद अगले 5 महीनों यथा – वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण व भाद्रपद में 31 दिन होते हैं।
- वर्ष के शेष महीनों, यथा – आश्विन, कार्तिक, अग्रहायण, पौष, माघ, फाल्गुन में 30-30 दिन रखे गए हैं।
- 5. राष्ट्रीय संवत् में तारीखें, ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साम्यता रखती हैं अर्थात् बदलती नहीं हैं।