चुनाव सुधार से संबंधित समितियां
- संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय आयोग (2000-2002)। एम.एन. वेंकटचलैया इस आयोग के अध्यक्ष थे।
- शासन में नैतिकता के सवाल पर भारत सरकार के दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट (2007) वीरप्पा मोइली इस आयोग के अध्यक्ष थे।
- आपराधिक कानून में संशोधन पर जे.एस. वर्मा समिति की रिपोर्ट (2013)
वोट देने की आयु घटाना :
- 61वें संविधान संशोधन अधिनियम’1988 के द्वारा वोट डालने की उम्र को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन :
- 1989 में चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल की व्यवस्था की गई।
- पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल 1998 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली विधानसभा के चुनाव में हुआ।
- 1999 के गोवा विधानसभा चुनाव में पहली बार ईवीएम का पूरे राज्य में इस्तेमाल हुआ।
बूथ कब्जाः
- 1989 में बूथ कब्जा होने पर चुनाव स्थगित करने या रद्द करने का प्रावधान किया गया।
मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC ):
- मतदाताओं को फोटो पहचान पत्र जारी करने के लिए वर्ष 1993 में चुनाव आयोग द्वारा एक निर्णय लिया गया था।
1996 के चुनाव सुधार
- 1990 में वी.पी. सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने तत्कालीन कानून मंत्री दिनेश गोस्वामी की अध्यक्षता में चुनाव सुधार समिति का गठन किया।
- समिति ने 1990 में रिपोर्ट दी और चुनाव सुधार के कई सुझाव दिए। इनमें से कुछ अनुशंसाएं 1996 में लागू की गई।
- इनके बारे में नीचे बताया गया है:
राष्ट्रीय गौरव का अनादर करने पर अयोग्य घोषित करने का कानूनः
- राष्ट्रीय गौरव अपमान निरोधक अधिनियम, 1971 के तहत निम्नलिखित अपराधों के लिए सजा प्राप्त व्यक्ति छह साल तक लोकसभा और राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगाः
- (i) राष्ट्रीय झंडे के अनादर का अपराध;
- (ii) भारत के संविधान का अनादर करने का अपराध,
- (iii) राष्ट्रगान गाने से रोकने का अपराध।
शराब बिक्री पर प्रतिबंध:
- मतदान खत्म होने की अवधि के 48 घंटे पहले तक मतदान केंद्र के पास शराब या नहीं बेचा जा सकता।
- इस कानून का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति 6 माह के कैद या 2000 रुपये के जुर्माने या दोनों सजा का भागी होगा।
प्रस्तावकों की संख्या :
- लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति अगर किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का उम्मीदवार नहीं है तो उसके नामांकन-पत्र के लिए दस प्रस्तावक होने चाहिए।
- अगर उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त दल का है तो सिर्फ एक प्रस्तावक की जरूरत होगी।
उप-चुनाव की समय सीमा :
संसद या राज्य विधानमंडल के किसी सदन की सीट खाली होने के छह महीने के अंदर उप-चुनाव कराना होगा। लेकिन यह व्यवस्था दो स्थितियों में लागू नहीं होती है:
(i) जिस सदस्य की खाली जगह भरी जानी है, उसका कार्यकाल अगर एक साल से कम अवधि का बचा हुआ हो , या
(ii) जब चुनाव आयोग केंद्र सरकार से सलाह-मशविरा कर यह सत्यापित करे कि निर्धारित अवधि के अंदर उप-चुनाव कराना कठिन है।
दो से अधिक चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबंधः
- एक साथ हो रहे आम चुनाव या उप-चुनाव में कोई उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा की दो से अधिक सीटों से चुनाव नहीं लड़ सकता।
डाक मतपत्र के जरिए वोट डालनाः
- 1999 में कुछ खास तरह के मतदाताओं के लिए डाक मतपत्र के जरिए वोट देने की व्यवस्था की गई।
एक्जिट पोल
यह एक जनमत सर्वेक्षण है कि वोटरों ने किस तरह वोट किया है या फिर चुनाव में सभी वोटरों ने किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के बारे में क्या सोचा
- 2009 के प्रावधान के अनुसार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव के दौरान एक्जिट पाल करने और उसके परिणामों को प्रकाशित करने पर रोक लग गई है।
- None of the Above, NOTA
- Voter Verifiable Paper Audit Trial, VVPAT की शुरुआत:
- जो व्यक्ति जेल में या पुलिस हिरासत में हैं, उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति है।
ईवीएम एवं मतपत्रों पर उम्मीदवारों के फोटो:
- चुनाव आयोग के एक आदेशानुसार 1 मई, 2015 के बाद होने वाले किसी भी चुनाव में ईवीएम एवं मतपत्रों पर उम्मीदवारों का फोटो, नाम तथा पार्टी चुनाव चिन्ह के साथ प्रकाशित रहेंगे