सोहराय चित्रकला
- सम्बंधित – सोहराय पर्व से
- सोहराय चित्रकला का प्रसिद्ध क्षेत्र – हजारीबाग जिले में
- शुरुवात – वर्षा ऋतु के बाद
- चित्रण – प्रजापिता या पशुपति
- इस चित्रकला की दो प्रमुख शैलियाँ हैं।
- मंझू सोहराय
- कुर्मी सोहराय
- झारखण्ड का पहला जीआई टैग (GI Tag )
- 2020 में – सोहराय व कोहबर चित्रकला को
कोहबर चित्रकला
- ‘कोह’ का अर्थ – गुफा एवं ‘वर’ का अर्थ – दुल्हा
- कोहबर का अर्थ – गुफा में विवाहित जोड़ा
- कोहबर चित्रकला करनेवाला – विवाहित महिला द्वारा अपने पति के घर में
- यह चित्रकारी बिरहोर जनजाति में प्रचलित है।
- चित्रण – सिकी (देवी) का
- शुरुवात – विवाह के मौसम में, जनवरी से जून
जादोपटिया चित्रकला
- जादो का अर्थ – चित्रकार एवं पटिया का अर्थ – (कागज/कपड़ा के टुकड़े)
- जादोपटिया का अर्थ
- जादो/चित्रकार द्वारा कपड़ा या कागज के छोटे-छोटे टुकड़े को जोड़कर बनाया जाने वाला चित्र
- यह चित्रकारी संथालों में प्रचलित है।
- चित्रण – बाघ देवता और जीवन के बाद के दृश्यों का
- जादोपटिया चित्रकला का प्रसिद्ध क्षेत्र – दुमका जिले
पईत्कर चित्रकला
- भारत का सबसे पुराना आदिवासी चित्रकला
- झारखण्ड का स्क्रॉल चित्रकला
- जादोपटिया चित्रकला का प्रसिद्ध क्षेत्र – अमादुबी गाँव (सिंहभूम)
- अमादुबी गाँव को पईत्कर का गाँव भी कहा जाता है।
- इसकी शुरूआत सबर जनजाति द्वारा की गई थी।
- उल्लेख – चित्रकला गरुड़ पुराण में
- चित्रण – जीवन के बाद होने वाली घटनाओं का वर्णन
गंजू चित्रकला
- चित्रण – पशुओं, वन्य तथा पालतू जानवरों एवं वनस्पतियों की तस्वीरें
- इसके माध्यम से संकटग्रस्त जानवरों को रीति-रिवाजों में दर्शाया जाता है।
राना, तेली एवं प्रजापति चित्रकला
- इन तीन चित्रकलाओं का प्रयोग उक्त तीन उपजातियों द्वारा किया जाता है
- चित्रण – पशुपति (भगवान शिव) को पशुओं एवं पेड़-पौधों के देवता के रूप में
- इसमें धातु के तंतुओं का प्रयोग किया जाता है।
स्ट्रा आर्ट
- यह झारखंड में प्रचलित नवीनतम चित्र कला है जो धान के पुआल पर चित्र अंकित होता है
भित्ति चित्रकारी
- भित्ति चित्रकला का सर्वाधिक विकसित रूप संथाल जनजाति में पाया जाता है
- भित्ति चित्रकला का उद्गम स्थल – संथाल परगना का चायचंपागढ़
शिल्पकला
डोकरा कला
- दस्तकारी की एक प्राचीन कला
- इसे घढ़वा कला भी कहा जाता है।
- इस कला का संबंध मलार जाति से है।
- मोम-कास्टिंग तकनीक द्वारा मूर्तियों का निर्माण
अन्य तथ्य
- झारखण्ड के चित्रकार
- कमल नाथ प्रजापति
- ललित मोहन राय
- हरेंन ठाकुर
- झारखंड
- सबई घास या जंगली घास से कटोरा बुना जाता है
- झारखंड के चित्रकारी से संबंधित संस्था
- झारखंड कला मंदिर