प्रथम चरण (1912 -1950 )

 क्रिश्चियन स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (1912 ई.)

  • चाईबासा के निवासी व एंग्लिकन मिशन से जुड़े जे. बार्थोलमन ने 1912  में ‘क्रिश्चियन स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन’ की स्थापना राँची में की थी। 
  • इस संगठन का प्रारंभिक उद्देश्य गरीब ईसाई विद्यार्थियों को मदद था। 
  • जे. बार्थोलमन संत कोलंबा महाविद्यालय, हजारीबाग के छात्र थे। 
  • बाद में वे संत पॉल स्कूल राँची के प्राध्यापक भी रहे। 
  • जे. बार्थोलमन को झारखण्ड आंदोलन का जनक/पितामह  माना जाता है।
  • बाद में इस संगठन का नाम परिवर्तित करके ‘छोटानागपुर उन्नति समाज‘ कर दिया। 

 

छोटानागपुर उन्नति समाज (1915 ई.) 

  • एंग्लिकन मिशन के बिशप कैनेडी की सलाह पर ‘क्रिश्चियन स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन’ का नाम बदल कर 1915 ई.में  ‘छोटानागपुर उन्नति समाज’ कर दिया गया। 
  • ‘छोटानागपुर उन्नति समाज’ की स्थापना जुएल लकड़ा, पॉल दयाल, बंदीराम उरांव व ठेबलउराँव के नेतृत्व में की गयी थी। 
  • 1915 ई.में संस्था द्वारा मुण्डारी भाषा में “आदिवासी” पत्रिका का प्रकाशन किया गया था। 
  • यह झारखण्ड का प्रथम अंतरजातीय आदिवासी संगठन था 
    • इसके सदस्य केवल आदिवासी ही हो सकते थे। 
  • इस संगठन की स्थापना का मूल उद्देश्य छोटानागपुर की प्रगति एवं आदिवासियों की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति में सुधार करना था। 
  • 1928 ई. में छोटानागपुर उन्नति समाज द्वारा बिशप बंगयुन ल्यूक एवं जुएल लकड़ा के नेतृत्व में साइमन कमीशन को एक मांग पत्र सौंपा गया था। 
    • इस मांग-पत्र में आदिवासियों के लिए  एक पृथक प्रशासनिक इकाई के गठन की मांग की गयी थी।
    • जिसकी सिफारिश कमीशन ने 1930 के अपने रिपोर्ट में की थी

 

किसान सभा (1930 ई.) 

  • किसान सभा का गठन 1930 ई.(अन्य – 1931 ) में छोटानागपुर उन्नति समाज से ही अलग होकर किया था। 
  • इसकी शुरुआत छोटा नागपुर में स्वामी सहजानंद सरस्वती ने की थी
  • इसके प्रथम अध्यक्ष ठेबले उराँव तथा प्रथम सचिव पॉल दयाल थे। 
  • इस संगठन प्रमुख उद्देश्य किसानों को जमींदारों के विरूद्ध संगठित करना था। 
  • 1935 में छोटानागपुर उन्नति समाज तथा किसान सभा का विलय किया गया। 

 

छोटानागपुर कैथोलिक सभा (1933 ई.) 

  • छोटानागपुर कैथोलिक सभा का गठन 1933 ई. में आर्च बिशप सेबरिन की प्रेरणा से किया गया था। 
  • छोटानागपुर कैथोलिक सभा के प्रथम अध्यक्ष बोनिफेस लकड़ा थे तथा प्रथम महासचिव इग्नेस बैक थे। 
  • इस संगठन का उद्देश्य कैथोलिकों के हितों की रक्षा करना था। 
  • भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत होने वाले प्रांतीय चुनाव में इस संगठन ने भाग लिया और श्री इग्निस बैक संसद में इसके प्रतिनिधि बने 
  • इग्नेश बैक 1937 में गठित बिहार प्रांतीय सरकार में इस क्षेत्र के किसी भी नेता को मंत्री न बनाने के कारण छोटानागपुर को बिहारी उपनिवेशवाद की संज्ञा दी 
  • इग्नेश बैग छोटानागपुर उन्नति समाज, किसान सभा और कैथोलिक सभा का आपस में विलय चाहते थे परिणाम स्वरूप 1938 में छोटानागपुर आदिवासी महासभा गठित हुआ 
  • इन तीनों दलों के समर्थन से इग्नेश बैंक रांची नगर पालिका का चुनाव भी जीते। 

 

आदिवासी महासभा (1938 ई.) 

  • 1937 ई. में हुए प्रांतीय चुनाव के बाद बिहार के मंत्रिमंडल में दक्षिणी बिहार (झारखण्ड क्षेत्र ) से किसी भी नेता को शामिल नहीं किया गया 
  • झारखण्ड के सभी आदिवासी संगठनों को एकजुट करने का प्रयास इग्नेस बैक ने किया 
  • 1938 ई. में आदिवासी संगठनों ने मिलकर राँची नगरपालिका चुनाव में सभी 5 सीटों विजयी हुए। 
  •  मई 1938 में 5 आदिवासी संगठनों को मिलाकर छोटानागपुर-संथाल परगना आदिवासी महासभा’ की स्थापना की गयी  (source)
    1. छोटानागपुर उन्नति समाज 
    2. किसान सभा 
    3. छोटानागपुर कैथोलिक सभा 
    4. मुण्डा सभा  
    5. हो मालटो सभा 

 

  • इस नवगठित संगठन का प्रथम अध्यक्ष थियोडोर सुरीन, उपाध्यक्ष बंदराम उराँव तथा सचिव पॉल दयाल को चुना गया। 
  • आदिवासी महासभा
  • 1939 में इसका नाम बदल कर ‘आदिवासी महासभा‘ कर दिया गया। 
  • 1939 ई. में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष जयपाल सिंह मुण्डा को चुना गया।

आदिवासी महासभा का दूसरा अधिवेशन 

  • जयपाल सिंह मुण्डा के अध्यक्षता में 20-21 जनवरी, 1939 को राँची में आदिवासी महासभा का दूसरा अधिवेशन आयोजित किया गया।
    •  इस अधिवेशन के स्वागत समिति के अध्यक्ष सैम्यूल पूर्ति थे। 
    • दूसरा अधिवेशन के दौरान जयपाल सिंह मुण्डा को ‘मरंङ गोमके’ (बड़े गुरुजी) की उपाधि दी गयी थी। 
    • दूसरा अधिवेशन के दौरान जयपाल सिंह मुण्डा ने ही पहली बार एक प्रस्ताव के द्वारा छोटानागपुर-संथाल परगना क्षेत्र के रूप में एक पृथक गवर्नर के प्रांत का निर्माण करने का आग्रह किया था। 
      • जमशेदपुर के एन. एन. दीक्षित ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया था तथा प्रस्ताव को पारित हो गया था। 
      • प्रस्तुत प्रस्ताव केआधार पर नवीन प्रांत के निर्माण हेतु में देवकी नंदन सिंह की अध्यक्षता में एक ‘पृथक्करण संघ’ के गठन किया गया, जिसका कार्य सुझाव देना था। । 
    • बिहार विधानसभा में बिहार से पृथक करके छोटानागपुर-संथाल परगना प्रांत के गठन का एक प्रस्ताव फरवरी, 1939 में रायबहादुर सतीश चंद्र सिन्हा द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसे बिहार प्रांत के मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने अस्वीकृत कर दिया। 
    • मई, 1939 ई. में आदिवासी महासभा ने राँची के 25 में 16 सीटों पर तथा सिंहभूम के 25 में से 22 सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस को पराजित कर दिया। 
    • 31 अक्टूबर, 1939 ई. को द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण बिहार के मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया जिसे आदिवासी महासभा ने ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया । 
      • आदिवासी महासभा ने द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन का साथ दिया 
      • जयपाल सिंह मुण्डा को राँची का चीफ वार्डेन तथा बाद में ईस्टर्न कमांड सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड का सलाहकार बनाया गया। 

आदिवासी महासभा का तीसरा अधिवेशन

  • मार्च, 1940 में आदिवासी महासभा का तीसरा अधिवेशन राँची में आयोजित किया गया 

आदिवासी महासभा का पांचवां अधिवेशन

  • 8-9 मार्च, 1942 को राँची में आदिवासी महासभा का पांचवां अधिवेशन आयोजित किया गया 
    • जिसमें बंगाल मुस्लिम लीग को आमंत्रित किया गया 
    • ब्रिटिश सरकार को समर्थन देने का संकल्प लिया गया। 

आदिवासी महासभा का छठा अधिवेशन

  • मार्च, 1943 में राँची में आदिवासी महासभा का छठा अधिवेशन आयोजित किया गया 
    • जिसमें ब्रिटिश सरकार पर आदिवासियों की मांगों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। 

बंगेइस्लाम परिसंघ

  • अगस्त, 1944 में मुस्लिम लीग के नेता रगीब एहसान ने पूर्वी पाकिस्तान एवं आदिवासिस्तान को मिलाकर  बंगेइस्लाम नामक एक परिसंघ बनाने का सुझाव दिया। 
  • 1946 ई. के संसदीय चुनाव में आदिवासी महासभा 3 सीटों पर विजय प्राप्त की। 
    • जयपाल सिंह खूंटी से कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. पूर्णचंद्र मित्र से हार गये। 
    • जयपाल सिंह मुस्लिम लीग के सहयोग से संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 

जयपाल सिंह का मुस्लिम लीग से अलग होना 

  • 16 अगस्त, 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा आयोजित प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के बाद जयपाल सिंह , मुस्लिम लीग से अलग हो गए । 
  • 13 अप्रैल, 1946 को राँची में आयोजित आदिवासी महासभा के वार्षिक अधिवेशन में जयपाल सिंह ने पाकिस्तान के निर्माण का विरोध करने के साथ ही संविधान सभा का समर्थन किया। 
  • सरदार पटेल की अध्यक्षता में अल्पसंख्यकों व आदिवासियों के लिए गठित मूलाधिकार समिति की आदिवासी उपसमिति में जयपाल सिंह को सदस्य बनाया गया। इस उपसमिति के अध्यक्ष ए. बी. ठक्कर थे।

 

खरसावां गोलीकांड (1 जनवरी, 1948)

  • देश की आजादी के बाद सरायकेला एवं खरसावां रियासतों को 1 जनवरी, 1948 को उड़ीसा में मिलाने की घोषणा का विरोध किया गया। 
  • आदिवासी महासभा ने 1 जनवरी, 1948 को इसके खिलाफ सिंहभूम के खरसावां हाट मैदान में एक सभा का आयोजन किया। 
  • इस जनसभा में ‘झारखण्ड अबुआ, उड़ीसा जारी कबुआ’ (झारखण्ड अपना है, उड़ीसा शासन नहीं चाहिए) का नारा दिया गया। 
  • उड़ीसा पुलिस द्वारा इस सभा पर गोली चलाया गया जिसमें कई लोग मारे गए तथा घायल हुए। 
  • इस घटना को खरसावां गोलीकांड के नाम से जाना जाता है। 
  • 1 जनवरी, 1948 से 18 मई, 1948 तक (139 दिन) यह क्षेत्र उड़ीसा के अधीन रहने के बाद बिहार प्रांत में पुनः  मिला दिया गया। 

 

आजादी के बाद आदिवासी महासभा का पहला वार्षिक अधिवेशन

  • देश की आजादी के बाद आदिवासी महासभा का पहला वार्षिक अधिवेशन 28 फरवरी, 1948 को राँची में आयोजित किया गया 
    • जिसकी अध्यक्षता जयपाल सिंह ने की। 
    • इस सम्मेलन में जयपाल सिंह ने खरसावां गोलीकांड के लिए उड़ीसा सरकार को दोषी माना।

 छोटानागपुर प्रोटेक्शन लीग

  • इसी क्रम में झारखंड में गैर आदिवासियों ने छोटानागपुर प्रोटेक्शन लीग का गठन किया 

सनातन आदिवासी समाज

  • ठेबले उराँव ने सनातन आदिवासी समाज की स्थापना की 

 

यूनाइटेड झारखण्ड पार्टी (1948 ई.) 

  • जस्टिन रिचर्ड तथा जयपाल सिंह मुंडा द्वारा 1948 ई. में यूनाइटेड झारखण्ड पार्टी का गठन किया गया था।
  • बाद में जयपाल सिंह मुण्डा द्वारा झारखण्ड पार्टी का गठन किया गया। 

 द्वितीय  चरण (1950 – 2020 )

झारखण्ड पार्टी (1950 ई.) 

  • 31 दिसंबर से 1 जनवरी, 1950 को जमशेदपुर में जयपाल सिंह मुण्डा  द्वारा आदिवासी महासभा का नाम बदल कर झारखण्ड पार्टी कर दिया गया। 
  •  इस पार्टी के पहले अध्यक्ष जयपाल सिंह मुण्डा को बनाया गया। 
  •  2 जुलाई, 1951 को छोटानागपुर-संथाल परगना प्रांत के गठन की मांग को  झारखण्ड के दौरे पर आए जयप्रकाश नारायण ने समर्थन किया। 
  • 2 जनवरी, 1952 को पृथक झारखण्ड राज्य के गठन को राँची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित सभा में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विरोध किया था। 

बिहार विधानसभा चुनाव में झारखण्ड पार्टी

1952 

  • चुनाव चिह्न ‘मुर्गा’
  • 33 सीटें प्राप्त
  • मुख्य विपक्षी दल
  • बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता – सुशील कुमार बागे

1957

  • 32  सीटें प्राप्त
  • विपक्षी दल का दर्जा
  • बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता – सुशील कुमार बागे

1962 

  • 20 सीट प्राप्त

 

  • राज्य पुनर्गठन आयोग का आगमन 5 फरवरी, 1955 को राँची  । 
  • 1957 के चुनाव में बॉम्बे  के पारसी मीनू मसानी ने राँची से चुनाव जीता था  

राज्य पुनर्गठन आयोग ,1955

  • 16 जिलों को मिलाकर झारखण्ड राज्य के गठन का प्रस्ताव

(बिहार-7, उड़ीसा-4, बंगाल-3 मध्य प्रदेश-2)

 

  • बिहार विधानसभा में सीताराम जगतराम द्वारा पहली बार पृथक झारखण्ड राज्य के गठन हेतु एक प्रस्ताव 10 फरवरी, 1961 को प्रस्तुत किया गया। परन्तु यह प्रस्ताव निरस्त हो गया। 

20 जून, 1963 ई

  • झारखण्ड पार्टी का कांग्रेस में विलय
  • बिहार के मुख्यमंत्री विनोदानंद झा की पहल पर
  • सामुदायिक विकास मंत्री – जयपाल सिंह(मंत्री के पद से एक माह बाद इस्तीफा)

30 मई, 1969 

  • कांग्रेस से इस्तीफा

 

  • जयपाल सिंह की पत्नी जहाँआरा इंदिरा गाँधी की मंत्रिपरिषद् में परिवहन एवं विमानन विभाग की उपमंत्री थीं। 

 

छोटानागपुर संयुक्त संघ (1954 ई.) 

  • छोटानागपुर संयुक्त संघ का गठन 7 फरवरी, 1954 को किया गया था। 
  •  इसके प्रथम अध्यक्ष सुखदेव सिंह थे। 
  • बाद में राम नारायण सिंह इस संगठन के अध्यक्ष बने। 
  • राम नारायण सिंह को ‘शेर-ए-छोटानागपुर’ भी कहा जाता है। 
  • महात्मा गांधी ने इन्हें छोटानागपुर केसरी की उपाधि कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन-1940 के दौरान दी थी। 
  • छोटानागपुर संयुक्त संघ द्वारा 7 अप्रैल, 1954 को ‘छोटानागपुर सेपरेशन : दि ओनली सॉल्यूशन’ नामक पुस्तिका का प्रकाशन किया गया था। 
  • 11 नवंबर, 1953 को लोहरदगा में ‘छोटानागपुर संयुक्त मोर्चा’ की एक सभा का आयोजन किया गया। इसके प्रमुख नेता राम नारायण खलखो, सत्यदेव साहू व मधुसूदन अग्रवाल सहित कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। 

 

बिरसा सेवा दल (1965 ई.)

  • ललित कुजुर द्वारा 1965 ई. में  बिरसा सेवा दल का गठन किया गया। 
  • यह झारखण्ड का पहला छात्र संगठन था। 
  • इसका गठन झारखण्ड पार्टी से विभाजित होकर किया गया था। 

 

अखिल भारतीय झारखण्ड पार्टी (1967 ई.) 

  • अखिल भारतीय झारखण्ड पार्टी का गठन 1967 ई. में बागुन सुम्ब्रई द्वारा किया गया। 
  • 1969 ई. में अखिल भारतीय झारखण्ड पार्टी से विभाजित होकर  ‘झारखण्ड पार्टी’ नामक एक अलग पार्टी का गठन किया गया। 

 

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद 

  • इस संगठन के संस्थापक इस संगठन का स्थापना 1968 में कार्तिक उरांव के द्वारा किया गया था

झारखण्ड पार्टी (1969 ई.) 

  • इस पार्टी का गठन 1969 में अखिल भारतीय झारखण्ड पार्टी से टूटकर हुआ था। 
  •  इस पार्टी के प्रथम अध्यक्ष एन. ई. होरो थे। 

 

हुल झारखण्ड पार्टी (1969 ई.) 

  • हुल झारखण्ड पार्टी का गठन 1969 में जस्टिन रिचर्ड द्वारा किया गया। 
  • इसे ‘क्रांतिकारी झारखण्ड पार्टी’ भी कहा जाता है। 
  • यह पार्टी संथाल परगना क्षेत्र में सक्रिय थी। 
  • 1970 ई. में इस पार्टी का विभाजन हो गया। 

 

शिवाजी समाज 

  • शिवाजी समाज की स्थापना – 1969 में , विनोद बिहारी महतो  द्वारा । 

सोनोत (शुद्ध) संथाल समाज (1970 ई.) 

  • सोनोत संथाल समाज की स्थापना – 1970 में , शिबू सोरेन द्वारा । 

 

मार्क्सवादी समन्वय समिति (MCC)

  • मार्क्सवादी समन्वय समिति की स्थापना –  1971 ,ए.के.राय  द्वारा
  • धनबाद क्षेत्र में ए. के. राय (अरुण कुमार राय) ने श्रमिक संघ आंदोलन का नेतृत्व किया था। 
  • 1971 ई. में MCC के द्वारा अलग राज्य की मांग रखी गयी थी।

 

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (1973 ) 

  • गठन – 4 फरवरी, 1973 को,धनबाद के गोल्फ मैदान में 
    • विनोद बिहारी महतो तथा शिबू सोरेन के नेतृत्व में, ए. के. राय का महत्वपूर्ण भूमिका । 
    • अध्यक्ष – विनोद बिहारी महतो
    • महासचिव – शिबू सोरेन । 
  • 1978 ई. में शिबू सोरेन एवं ए. के. राय ने पटना में आदिवासियों एक जुलूस निकाला। 
  • 6-7 मई, 1978 को राँची में झारखण्ड क्षेत्रीय बुद्धिजीवी सम्मेलन की गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो, डॉ. निर्मल मिंज, डॉ. रामदयाल मुण्डा समेत कई लोगों ने भाग लिया। 
  • झामुमो द्वारा जंगल काटो अभियान का संचालन 1978 में किया गया। 
  • 1980 बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो को 13 सीटों पर जीत मिली। 

 

ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन  (1986) 

All Jharkhand Students Union (AJSU)

  • स्थापना –  सूर्य सिंह बेसरा द्वारा, जमशेदपुर में,  22 जून, 1986 को । 
    • असम के AASU की तर्ज पर । 
    • झारखण्ड  का द्वितीय छात्र संगठन । 
    • प्रथम अध्यक्ष – प्रभाकर तिर्की
    • प्रथम महासचिव –  सूर्य सिंह बेसरा
  • सूर्यसिंह बेसरा ने ‘खून के बदले खून’ की रणनीति की घोषणा की थी। 
  • आजसू पार्टी ने खुद को JMM से पूरी तरह अलग 1987 में कर लिया। 
  • 30 Dec 1991 में रांची सम्मलेन में Dr. Ram Dayal Munda के नेतृत्व में आजसू के सहयोगी पार्टी के रूप में ‘झारखण्ड पीपुल्स पार्टी (JPP)’ का गठन किया गया था। 

 

झारखण्ड समन्वय समिति (1987) 

Jharkhand Coordination Committee,JCC

  • 11-13 सितम्बर, 1987 को रामगढ़ में एक संयुक्त सम्मेलन का आयोजन कर 53 दलों को आपस में संगठित कर
  •  समिति का मनोनीत संयोजक-  ‘डॉ० बिशेश्वर प्रसाद केसरी (बी. पी. केसरी)
  • JCC ने राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन को बिहार, प० बंगाल, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश के 21 जिलों को मिलाकर झारखण्ड राज्य के निर्माण हेतु 23 सूत्री एक मांग पत्र सौंपा।

 

झारखण्ड विषयक समिति (1989 )

Committee on Jharkhand Matters

  • केंद्र सरकार द्वारा 24 सदस्यीय झारखण्ड विषयक समिति का गठन 23 अगस्त, 1989 को किया गया 
    • समिति का संयोजक –  बी. एस. लाली
    • समिति के अन्य सदस्य 
    • केन्द्र और बिहार सरकार के 9 अधिकारी
  • झारखण्ड आंदोलन से जुड़े 14 प्रतिनिधि । 
  • इस समिति द्वारा ‘झारखण्ड क्षेत्र विकास परिषद’ के गठन की सिफारिश की गयी थी। 

 

झारखण्ड क्षेत्र स्वशासी परिषद् (1995 ) 

Jharkhand Area Autonomous Council,JAAC

  • बिहार विधानमंडल में ‘झारखण्ड क्षेत्र स्वशासी परिषद् विधेयक’ 20 दिसंबर, 1994 को पारित किया गया था। 
    • अधिसूचना–   7 अगस्त, 1995  को 
    • गठन9 अगस्त, 1995  को 
    • अध्यक्ष–  शिबू सोरेन 
    • उपाध्यक्ष – सूरज मंडल 
    • गठन – 18 जिलों को मिलाकर किया गया था। 

 

झारखण्ड गठन – अंतिम चरण

25 अप्रैल, 2000

  • बिहार सरकार द्वारा बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक, 2000 को स्वीकृति

2 अगस्त, 2000

  • लोकसभा से पारित

11 अगस्त, 2000

  • राज्यसभा से पारित

25 अगस्त, 2000

  • राष्ट्रपति के. आर. नारायणन स्वीकृति

15 नवंबर, 2000

  • झारखण्ड  का गठन (28वें राज्य)
  • बिरसा मुण्डा के जन्मदिन के अवसर पर
  • बिहार के 18 जिलों (46 % भू-भाग) शामिल 
  • भारत के राष्ट्रपति–  श्री के. आर. नारायणन 
  • भारत के प्रधानमंत्री–  अटल बिहारी वाजपेयी 
  • बिहार की मुख्यमंत्री–  राबड़ी देवी 

 

  • साइमन कमीशन द्वारा पृथक झारखण्ड राज्य के गठन हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत – 1929 में 
  • वनांचल (वर्तमान झारखण्ड) प्रदेश की मांग – BJP द्वारा 1988 ई. में 

 

झारखंड राज्य निर्माण आंदोलन से संबंधित संस्थाएं/समितियां

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संस्था/समिति का नाम

स्थापना वर्ष

संस्थापक

1. क्रिश्चियन स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन

1912

जे. बारथोलोमेन

झारखण्ड आंदोलन का जनक

2. छोटानागपुर उन्नति समाज

1915

जुएल लकड़ा

मुण्डारी भाषा में “आदिवासी” पत्रिका 

3. किसान सभा

1930

ठेबले उरांव

अध्यक्ष-ठेबले उराँव 

प्रथम सचिव-पॉल दयाल

4. छोटानागपुर कैथोलिक सभा

1933

बोनिफेस लकड़ा

प्रथम अध्यक्ष -बोनिफेस लकड़ा 

प्रथम महासचिव -इग्नेस बैक

5. छोटानागपुर-संथाल परगना आदिवासी सभा

1938

थियोडोर सुरीन

अध्यक्ष -थियोडोर सुरीन 

उपाध्यक्ष-बंदराम उराँव

सचिव-पॉल दयाल 

आदिवासी महासभा

(2 + 3 +4 + मुण्डा सभा + हो मालटो मारंग सभा)

1939

छोटानागपुर-संथाल परगना आदिवासी सभा का  नाम परिवर्तन

यूनाइटेड  झारखंड पार्टी

1948

जस्टिन रिचर्ड

जयपाल सिंह

6. झारखंड पार्टी

1950

जयपाल सिंह (1963 में कांग्रेस में विलय)

7. छोटानागपुर संयुक्त संघ

1954

सुखदेव महतो

8. बिरसा सेवा दल

(झारखंड का प्रथम छात्र संगठन) 

1965 

ललित कुजूर 

9. ऑल इंडिया झारखंड पार्टी

1967

बागुन सुम्ब्रई

झारखंड पार्टी

1969

एन इ होरो 

ऑल इंडिया झारखंड पार्टी

से अलग होकर 

10. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद्

1968

कार्तिक उरांव

11. हुल झारखंड पार्टी 

(क्रांतिकारी झारखंड पार्टी) 

1969

जस्टिन रिचर्ड

  • शिवाजी समाज

1969 

विनोद बिहारी महतो 

  • सोनोत (शुद्ध) संथाल समाज 

1970 

शिबू सोरेन

  • मार्क्सवादी समन्वय समिति 

1971 

ए. के. राय ने 

12. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)

1973 

विनोद बिहारी महतो

शिबू सोरेन व ए. के. राय 

13. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU)

(झारखंड का. द्वितीय छात्र संगठन)

1986

सूर्य सिंह बेसरा

  • झारखण्ड पीपुल्स पार्टी (JPP)

30 Dec 1991

 

14. झारखण्ड समन्वय समिति JCC

1987

53 संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा

संयोजक-बी. पी. केसरी

23 सूत्री एक मांग पत्र

21 जिलों की मांग 

15. झारखंड विषयक समिति 

  • 24 सदस्यीय

1989 

भारत सरकार द्वारा

संयोजक बी. एस. लाली

 

 

झारखण्ड क्षेत्र स्वशासी परिषद्

JAAC 

1995

बिहार सरकार द्वारा पारित

बिहार विधानमंडल 

20 दिसंबर, 1994

अधिसूचना 

7 अगस्त, 1995

गठन

9 अगस्त, 1995

 

 

झारखण्ड राज्य निर्माण आंदोलन (Jharkhand Rajya Nirman Aandolan)