वायुमंडल: संरचना, बनावट और स्तरीकरण

परिचय:
पृथ्वी के चारों ओर विद्यमान गैसों के आवरण को वायुमंडल कहते हैं। यह जीवन के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ऑक्सीजन प्रदान करता है, सौर विकिरण को अवशोषित करता है, जलवायु को नियंत्रित करता है और उल्कापिंडों से रक्षा करता है। वायुमंडल की संरचना गैसों, जलवाष्प और एरोसोल्स से बनी है, जिसका स्तरीकरण तापमान, दाब और संघटन के आधार पर होता है।


1. वायुमंडल की संरचना और बनावट

वायुमंडल मुख्यतः गैसों, जलवाष्प और कणिकीय पदार्थों (एरोसोल) का मिश्रण है। इसके संघटन को दो भागों में बाँटा जा सकता है:

  • स्थाई गैसें: नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%), आर्गन (0.93%), कार्बन डाइऑक्साइड (0.04%) और अन्य गैसें (नीॉन, हीलियम, मीथेन आदि)।
  • परिवर्तनशील घटक: जलवाष्प, ओज़ोन, धूलकण, लवण और प्रदूषक। जलवाष्प की मात्रा स्थान और मौसम के अनुसार बदलती है (0-4%) और यह मौसमी प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भौतिक बनावट:

  • वायुमंडल का द्रव्यमान मुख्यतः निचले 30 किमी में केंद्रित है।
  • दाब और घनत्व ऊँचाई के साथ घटते हैं।
  • तापमान वितरण ऊर्ध्वाधर स्तरीकरण को निर्धारित करता है।

2. वायुमंडल का स्तरीकरण

  • तापमान के ऊर्ध्वाधर वितरण के आधार पर वायुमंडल को पाँच प्रमुख परतों में बाँटा गया है:
A. क्षोभमंडल (Troposphere)
  • ऊँचाई: ध्रुवों पर 8-10 किमी, विषुवत वृत्त पर 18 किमी।
  • विशेषताएँ:
    • तापमान ऊँचाई के साथ घटता है (6.5°C प्रति किमी)।
    • अधिकांश मौसमी घटनाएँ (बादल, वर्षा, आँधी) इसी परत में होती हैं।
    • जलवाष्प और एरोसोल्स की अधिकता।
  • ऊपरी सीमा: क्षोभसीमा (Tropopause)
B. समतापमंडल (Stratosphere)
  • ऊँचाई: 12-50 किमी।
  • विशेषताएँ:
    • तापमान ऊँचाई के साथ बढ़ता है (ओज़ोन परत द्वारा UV अवशोषण के कारण)।
    • ओज़ोन परत (20-35 किमी) सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है।
    • मौसमी घटनाओं का अभाव; विमान इस परत में उड़ान भरते हैं।
  • ऊपरी सीमा: समतापसीमा (Stratopause)
C. मध्यमंडल (Mesosphere)
  • ऊँचाई: 50-80 किमी।
  • विशेषताएँ:
    • तापमान ऊँचाई के साथ घटता है (—100°C तक)।
    • उल्कापिंड इस परत में जलते हैं।
  • ऊपरी सीमा: मध्यसीमा (Mesopause)
D. तापमंडल (Thermosphere)
  • ऊँचाई: 80-700 किमी।
  • विशेषताएँ:
    • तापमान ऊँचाई के साथ तेजी से बढ़ता है (1000°C तक)।
    • आयनमंडल (Ionosphere) इसी का भाग है, जो रेडियो तरंगों को परावर्तित करता है।
    • अरोरा (Aurora) और उपग्रह इसी परत में स्थित होते हैं।
E. बहिर्मंडल (Exosphere)
  • ऊँचाई: 700 किमी से ऊपर।
  • विशेषताएँ:
    • वायुमंडल की सबसे बाहरी परत; हाइड्रोजन और हीलियम जैसी हल्की गैसों का प्रभुत्व।
    • गैसें अंतरिक्ष में मिल जाती हैं।

3. महत्वपूर्ण परतें और उनका कार्यात्मक महत्व

  • ओज़ोन परत: UV-B और UV-C किरणों को अवशोषित कर जैवमंडल की रक्षा करती है।
  • आयनमंडल: रेडियो संचार में सहायक; अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन।
  • क्षोभमंडल: जलवायु और मौसम की प्रक्रियाओं का केंद्र।

4. मानवीय गतिविधियों का प्रभाव

  • ग्रीनहाउस गैसों (CO₂, CH₄) का बढ़ना → ग्लोबल वार्मिंग
  • CFC के कारण ओज़ोन परत का क्षरण।
  • एरोसोल्स से सौर विकिरण का प्रकीर्णन और शीतलन प्रभाव।

निष्कर्ष:
वायुमंडल पृथ्वी की जीवन-समर्थन प्रणाली का अभिन्न अंग है। इसकी संरचना और स्तरीकरण जलवायु नियंत्रण, ऊर्जा संतुलन और जैविक प्रक्रियाओं के लिए आधार प्रदान करते हैं। जलवायु परिवर्तन और ओज़ोन क्षरण जैसी चुनौतियों के समाधान हेतु वायुमंडलीय गतिशीलता का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

JPSC MAINS PAPER 3/Geography Chapter – 4