वाष्पीकरण एवं संघनन: ओस, पाला, कोहरा, धुंध, बादल एवं वर्षा

यह लेख जलचक्र (Hydrological Cycle) के दो प्रमुख प्रक्रियाओं—वाष्पीकरण (Evaporation) और संघनन (Condensation)—तथा इनसे उत्पन्न होने वाली विभिन्न मौसमी घटनाओं जैसे ओस, पाला, कोहरा, धुंध, बादल और वर्षा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। 

1. वाष्पीकरण (Evaporation)

वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें जल का तरल अवस्था से गैसीय अवस्था (जलवाष्प) में परिवर्तन होता है। यह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होने वाली जलचक्र की प्राथमिक प्रक्रिया है।

    • कारक: वाष्पीकरण की दर तापमान, आर्द्रता, पवन की गति, जल की सतह का क्षेत्रफल और वायुमंडलीय दबाव जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

    • महत्व: यह वायुमंडल में नमी का प्राथमिक स्रोत है, जो मौसम के पैटर्न और वर्षा को निर्धारित करती है।

2. संघनन (Condensation)

संघनन वह प्रक्रिया है जिसमें जलवाष्प ठंडा होकर पुनः तरल अवस्था (जल की बूंदों) में परिवर्तित हो जाता है। यह तब होता है जब संतृप्त वायु (सैचुरेटेड एयर) और ठंडी सतह या हवा के संपर्क में आती है।

    • आवश्यक शर्त: संघनन के लिए संतृप्ति बिंदु (Dew Point) तक पहुँचना और संघनन केंद्रक (Condensation Nuclei) (जैसे धूल, लवण, पराग) की उपस्थिति आवश्यक है।

    • परिणाम: संघनन से ओस, पाला, कोहरा, बादल आदि का निर्माण होता है।

संघनन से उत्पन्न घटनाएँ

क. ओस (Dew)

    • परिभाषा: जब संतृप्त वायु पृथ्वी की सतह के ठंडी वस्तुओं (जैसे घास, पत्तियाँ, पत्थर) के संपर्क में आती है, तो उस पर जमा होने वाली पानी की सूक्ष्म बूंदों को ओस कहते हैं।

    • निर्माण की शर्तें: साफ आकाश, शांत हवा और उच्च सापेक्ष आर्द्रता। यह रात में विकिरण द्वारा तीव्र शीतलन के कारण बनती है।

ख. पाला (Frost)

    • परिभाषा: जब ओस बनने का तापमान हिमांक (0°C) से नीचे होता है, तो जलवाष्प सीधे ठोस अवस्था (बर्फ के सूक्ष्म क्रिस्टल) में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को उर्ध्वपातन (Sublimation) कहते हैं और इसके परिणामस्वरूप बनने वाली बर्फ की परत को पाला कहा जाता है।

    • महत्व: पाला कृषि (विशेषकर फलों की खेती) के लिए हानिकारक हो सकता है।

ग. कोहरा (Fog) एवं धुंध (Mist)

दोनों ही वायुमंडल के निचले स्तर में निलंबित जल की सूक्ष्म बूंदों के संग्रह हैं, जो दृश्यता को कम करते हैं। इनके बीच का अंतर दृश्यता की सीमा में है।

विशेषता कोहरा (Fog) धुंध (Mist)
दृश्यता 1 किमी से कम 1 किमी से 2 किमी के बीच
घनत्व अधिक सघन कम सघन
बूंदों का आकार अपेक्षाकृत बड़ा अपेक्षाकृत छोटा
कारण विकिरण, advection (तटीय क्षेत्र), ऊपरी ढलानों पर हल्की वर्षा या उच्च आर्द्रता के बाद

घ. बादल (Clouds)

बादल वायुमंडल में ऊँचाई पर स्थित जल की बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल का एक दृश्य संग्रह है, जो संघनन के फलस्वरूप बनते हैं। इनका वर्गीकरण उनकी ऊँचाई और आकृति के आधार पर किया जाता है।

    • पर्वतों पर संघनन (Orographic Condensation): जब नम हवा किसी पर्वत के सहारे ऊपर उठती है, तो यह फैलकर ठंडी होती है और संघनन द्वारा बादल बनाती है, जिससे ऊपरी उठान वर्षा (Orographic Rainfall) होती है।

    • प्रकार: सिरस (पंख जैसे, उच्च), क्यूम्यलस (रुई के गोले जैसे, मध्य), स्ट्रैटस (स्तरीय, निम्न), और निम्बस (वर्षा के बादल)।

ङ. वर्षा (Precipitation)

वर्षा वायुमंडल से पृथ्वी की सतह पर जल के किसी भी रूप (तरल या ठोस) की गिरावट है। यह तब होती है जब बादलों में मौजूद जल की बूंदें आपस में मिलकर इतनी भारी हो जाती हैं कि हवा उन्हें सहारा नहीं दे पाती और वे गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे गिरने लगती हैं।

    • वर्षा के प्रकार:
        • संवहनीय वर्षा (Convectional Rainfall): गर्मियों में भूमि के तीव्र गर्म होने से संवहन धाराएँ बनती हैं, जिससे मूसलधार वर्षा होती है।
        • ऊपरी उठान वर्षा (Orographic Rainfall): पर्वतों के windward ढाल पर होने वाली वर्षा।
        • चक्रवाती/फ्रंटल वर्षा (Cyclonic/Frontal Rainfall): गर्म और ठंडी वायु राशियों के मिलने से बने मौसम फ्रंट के कारण होने वाली व्यापक और लगातार वर्षा।

    • वर्षा के रूप: बारिश (Rain), बर्फ (Snow), ओले (Hail), स्लीट (Sleet), और बर्फ के गोले (Snow Pellets)।

निष्कर्ष

वाष्पीकरण और संघनन पृथ्वी के जलचक्र और मौसम प्रणाली के मूल में स्थित परस्पर जुड़ी हुई प्रक्रियाएँ हैं। इन प्रक्रियाओं से उत्पन्न होने वाली घटनाएँ—ओस, पाला, कोहरा, बादल और वर्षा—न केवल हमारे दैनिक मौसम को निर्धारित करती हैं, बल्कि कृषि, जल संसाधन प्रबंधन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनकी समझ जलवायु अध्ययन और आपदा प्रबंधन का एक अनिवार्य अंग है।

JPSC MAINS PAPER 3/Geography Chapter -8