भारत पर मंगोल आक्रमण (Mongol Invasions of India)
मंगोल आक्रमण मध्यकालीन भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने दिल्ली सल्तनत की विदेश नीति, सैन्य रणनीति और प्रशासनिक ढाँचे को गहराई से प्रभावित किया।
पृष्ठभूमि
13वीं शताब्दी की शुरुआत में चंगेज खान (Genghis Khan) के नेतृत्व में मंगोल साम्राज्य का उदय हुआ। उनकी सेनाएँ एशिया और यूरोप के एक बड़े हिस्से में तेजी से फैलीं। भारत पर मंगोल आक्रमण मुख्य रूप से ख्वारिज्म साम्राज्य के पतन के बाद हुआ, जब ख्वारिज्म शाह के पुत्र जलालुद्दीन मंगबर्नी (Jalaluddin Mangbarni) ने मंगोलों से बचने के लिए भारत में शरण ली।
प्रमुख आक्रमण एवं घटनाक्रम
शासक/अवधि | मंगोल नेता | मुख्य घटनाएँ एवं परिणाम |
1. जलालुद्दीन मंगबर्नी (1221 ई.) | जलालुद्दीन मंगबर्नी (शरणार्थी) | पहला मंगोल खतरा। जलालुद्दीन, चंगेज खान से पराजित होकर सिन्धु नदी पार कर भारत आया। उसने इल्तुतमिश से सहायता माँगी, पर इल्तुतमिश ने सतर्कता बरतते हुए उसे देश छोड़ने को कहा। इससे मंगोलों का तत्काल खतरा टल गया। |
2. बलबन का काल (1240-1280 ई.) | सली दी, हलाकू खान | मंगोलों ने लाहौर और मुल्तान पर आक्रमण किए। गुलाम वंश के शासक बलबन (सुल्तान और वज़ीर दोनों रूप में) ने सीमा सुरक्षा को मजबूत किया। उसने सीमावर्ती क्षेत्रों में किलों का जाल बिछाया, शक्तिशाली सेना तैनात की और ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) को सुदृढ़ किया। |
3. ख़िलजी काल (1290-1320 ई.) | अब्दुल्लाह, कादर, कुतलुग ख्वाजा | अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में सबसे गंभीर मंगोल आक्रमण हुए। • आक्रमण: मंगोलों ने कई बार दिल्ली की घेराबंदी की (जैसे 1299-1300 में कुतलुग ख्वाजा का आक्रमण)। • अलाउद्दीन की रणनीति: उसने सेना का पुनर्गठन किया, सीमा किलों (जैसे सिरी का किला) का निर्माण करवाया, और सेनापति ज़फर खान एवं मलिक काफूर जैसे योग्य जनरलों के बल पर मंगोलों को निर्णायक पराजय दी (जैसे 1306 ई. का अमरोहा का युद्ध)। |
4. तुगलक काल (1320 onwards) | तर्माशिरीन, तैमूर लंग | मुहम्मद बिन तुगलक के समय मंगोल नेता तर्माशिरीन ने आक्रमण किया। बाद में, 1398 ई. में, तैमूर लंग (जो मंगोल वंशज था) का भीषण आक्रमण हुआ, जिसने दिल्ली को लूटा और तुगलक साम्राज्य की नींव हिला दी। |
दिल्ली सल्तनत पर प्रभाव
- सैन्य सुधार: एक बड़ी स्थायी सेना (दीवान-ए-अर्ज) का गठन, घोड़ों का दाग़ प्रथा (हुलिया), सैन्य भर्ती में सुधार।
- राजनीतिक प्रभाव: सल्तनत का ध्यान दक्षिण के विस्तार के बजाय उत्तर-पश्चिमी सीमा की सुरक्षा पर केंद्रित हुआ। सीमांत प्रांतों के गवर्नर (जैसे सीमांत सूबेदार) अत्यधिक शक्तिशाली हो गए।
- आर्थिक प्रभाव: बड़ी सेना के रखरखाव के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण नीति (market control policy) लागू की, जिसमें वस्तुओं के दाम तय किए गए।
- सांस्कृतिक प्रभाव: मंगोल आक्रमणों के कारण मध्य एशिया के许多 विद्वान, सैनिक और कारीगर भारत आकर बसे, जिससे भारतीय संस्कृति में एक नया समन्वय हुआ।
मंगोल आक्रमण विफल क्यों हुए?
- दिल्ली सल्तनत की मजबूत सैन्य प्रतिक्रिया: बलबन, अलाउद्दीन खिलजी जैसे शक्तिशाली शासक।
- भौगोलिक कारण: भारत की गर्म और आर्द्र जलवायु मंगोलों के लिए अनुकूल नहीं थी, जो ठंडे और शुष्क क्षेत्रों के अभ्यस्त थे।
- मंगोल साम्राज्य में आंतरिक संघर्ष: चंगेज खान की मृत्यु के बाद साम्राज्य का विखंडन होना और विभिन्न खानाबदोशों के बीच आपसी संघर्ष।
- शक्तिशाली किलेबंद शहर: दिल्ली और मुल्तान जैसे शहरों की मजबूत दीवारें और किले।
निष्कर्ष
भारत पर मंगोल आक्रमणों ने यद्यपि विनाश किया, परंतु इसने दिल्ली सल्तनत को एक सुसंगठित सैन्य तंत्र, एक स्पष्ट उत्तर-पश्चिमी सीमा नीति और एक केंद्रीकृत प्रशासनिक ढाँचा विकसित करने के लिए विवश किया। यह एक ऐसा बाह्य दबाव था जिसने मध्यकालीन भारतीय राज्य के चरित्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।