भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) भारतीय संविधान के अंतर्गत एक स्वतंत्र एवं अत्यंत महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है। यह लोकतंत्र की ‘न्यासी’ (Trustee) और ‘सार्वजनिक कोष का संरक्षक’ (Guardian of the Public Purse) की भूमिका निभाता है। इसका प्राथमिक कार्य केंद्र, राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों की सरकारों के समस्त राजस्व एवं व्यय का लेखा-जोखा रखना तथा उनका अंकेक्षण (Audit) करना है।
CAG की अवधारणा (Concept)
CAG की अवधारणा ब्रिटिश भारत से उत्पन्न हुई, जहाँ 1858 के बाद सरकारी लेखा-जोखा और अंकेक्षण की एक केंद्रीकृत प्रणाली स्थापित की गई। भारतीय संविधान निर्माताओं ने इस संस्था के महत्व को पहचाना और इसे स्वतंत्र तथा सशक्त बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 में इसके पद, शक्तियों, कर्तव्यों और कार्यों का विस्तार से वर्णन किया। CAG की अवधारणा सरकार की ‘जवाबदेही’ (Accountability) और ‘पारदर्शिता’ (Transparency) सुनिश्चित करने के सिद्धांत पर आधारित है। यह सुनिश्चित करता है कि संसद और विधानसभाओं द्वारा स्वीकृत धन का उपयोग उद्देश्यपूर्ण, कुशल और नियमानुसार हुआ है।
CAG की मुख्य विशेषताएँ (Key Features)
- संवैधानिक दर्जा (Constitutional Status): CAG एक संवैधानिक अधिकारी है, न कि एक सामान्य सरकारी कर्मचारी। इसे संविधान द्वारा स्थापित किया गया है।
- नियुक्ति (Appointment): CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत की जाती है।
- कार्यकाल एवं हटाए जाने की प्रक्रिया (Tenure and Removal):
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष की अवधि का होता है या 65 वर्ष की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो)।
- उसे संसद के दोनों सदनों द्वारा महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया के समान ही, केवल सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर ही राष्ट्रपति के आदेश से हटाया जा सकता है।
- वेतन एवं भत्ते (Salary and Allowances): CAG का वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होता है। इसे संविधान की द्वितीय अनुसूची में सूचीबद्ध किया गया है और इसे उसके कार्यकाल के दौरान कम नहीं किया जा सकता।
- स्वतंत्रता (Independence): CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं:
- कार्यालय का व्यय भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) पर भारित होता है, अतः संसद में इस पर मतदान नहीं होता।
- पद से हटाए जाने की कठोर प्रक्रिया।
- नियुक्ति के बाद सेवा शर्तों में कोई प्रतिकूल परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
- कार्यकाल पूरा होने के बाद भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई पद ग्रहण नहीं कर सकता।
- कार्यक्षेत्र (Jurisdiction): CAG का अधिकार क्षेत्र व्यापक है और इसमें शामिल है:
- केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों के सभी विभाग।
- निगमित निकाय जैसे- भारतीय रेलवे, डाकतार विभाग।
- सार्वजनिक उद्यम (Public Undertakings) जैसे- BHEL, ONGC, SAIL, आदि।
- सरकारी company अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित निकाय।
- सरकारी धन प्राप्त करने वाले अन्य निकाय या अधिकरण।
CAG के कार्य (Functions)
- लेखा रखना (Comptrolling Function): CAG भारत की संचित निधि, भारत की आकस्मिकता निधि और लोकलेखा (Public Account) से होने वाले सभी भुगतानों पर नियंत्रण रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि संसद/विधानसभा द्वारा स्वीकृत राशि के अनुरूप और नियमों के अनुसार ही भुगतान किया गया है।
- अंकेक्षण करना (Auditing Function): यह CAG का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- वित्तीय अंकेक्षण (Financial Audit): यह जाँचता है कि सरकारी खर्चा संसद द्वारा स्वीकृत अनुदान के अनुरूप, प्राधिकृत और नियमानुसार किया गया है।
- नियतत्व अंकेक्षण (Compliance Audit): यह जाँचता है कि व्यय संबंधी नियमों, कानूनों और विनियमों का पालन हुआ है या नहीं।
- परिणाम मूल्यांकन अंकेक्षण (Performance Audit): यह सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों और संगठनों की ‘लागत-प्रभावशीलता’, ‘अर्थव्यवस्था’ और ‘दक्षता’ का मूल्यांकन करता है। यह देखता है कि निर्धारित लक्ष्य कितने प्रभावी ढंग से प्राप्त किए गए।
- रिपोर्टिंग (Reporting): CAG अपनी अंकेक्षण रिपोर्टों को तैयार करता है, जिन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में प्रस्तुत किया जाता है:
- विनियोग लेखा (अनुदान) पर प्रतिवेदन
- वित्तीय विवरण पर प्रतिवेदन
- सार्वजनिक उद्यमों पर प्रतिवेदन
महत्व एवं भूमिका (Significance and Role)
भारतीय लोकतंत्र में CAG की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सरकार की कार्यपद्धति में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था है। इसकी रिपोर्टें सरकारी विभागों में अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और अकुशलता को उजागर करती हैं, जिससे सुधार के लिए दबाव बनता है। यह नागरिकों और करदाताओं के हितों की रक्षा करता है और शासन की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करता है। इस प्रकार, CAG लोकतंत्र के चौथे स्तंभ (मीडिया) की तरह ही एक ‘संवैधानिक सतर्कता प्रहरी’ (Constitutional Watchdog) के रूप में कार्य करता है।
चुनौतियाँ (Challenges)
- रिपोर्टों पर संसदीय समितियों द्वारा समय पर कार्रवाई न होना।
- सरकारी विभागों द्वारा CAG की सिफारिशों के कार्यान्वयन में देरी या अनिच्छा।
- डिजिटलीकरण और नई सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों के साथ तालमेल बैठाना।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के जटिल और बड़े होते ढाँचे का अंकेक्षण करना।