खोरठा भाषा की 10 गीत

 

1. मांदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे -सुकुमार

माँदइर बाजे रे बाँसी बाजे रे -सुकुमार
माँदर बाजे रे, बाँसी बाजे रे, 
अखरें गहदम झूमइर लागे रे …. 2
जखन आवइ करमा चाहे सोहराइ 
टुसू के रंग भइया कहलो ना जाइ 
डोहा के सुरें झुमें बाँउड़ी पोरोब 
सरहुल आवइथीं गोटे झारखंड माताइ 
माँदर बाजे ..2 
झींगा फुले काँसी फुटे, भादो जखन आवे 
करमा के गीत गूंजे तखन गाँव-गाँव 
जावाडाली, बेलदरी, धान के पतइया 
बहिन कहे लाख बछर जिये हामर भइया, 
चाँद हाँसे रे, मेंजूर नाचे रे 
अखरें गहदम झूमर लागे रे । 
माँदइर बाजे .2 
झारखंडें जखन आवे, सोहराइ के दिन 
घरें-घरें माँदर बाजे धांग – धातिंग-तिना 
गोरू – डाँगर मलक मारे, सिंघें सिंदुर माखे 
बरदा के मिरवें परीछे ढोले-ढाँके, 
धान पाके रे, डाँगर नाचे रे 
अखरें गहदम झूमइर लागे रे 
माँदइर बाजे .2
पूस मार्से मारो हइ, कनकनी अंगें- अंगें 
बाँउड़ी-टुसू काँधा जोइर आवइ एक संग 
चिउरा – गुर, लाइ- पीठा अछल-गदल घरें 
दामुदरें डोहा के जे हाँको हइ भिनसरें, 
मेला लागे रे, घेरा, बाजे रे 
अखरें गहदम झूमइर लागे रे 
माँदइर बाजे ……2
सरहूल पोरोबेक राजा झारखंडें दादा
 गाछें-गाछें फूल फुटे लाल-पियर-सादा 
मधु चुवइ मन मातइ, माइत जा हइ हावा 
परकिरति कर-हइ सिंगार नावाँ – नावाँ 
कोइ कूके रे, भरा गूँजे रे 
अखरें गहदम झूमइर लागे रे 
माँदर बाजे .. .2

2 .बोने पाकलइ सोन्या कोइर – (दिनेश दिनमणि)

बोने पाकलइ सइयाँ कोइर – दिनेश दिनमणि,
बाराडीह, बोकारो
(पत्नी) सइयाँ चला, चला ना हो बोने, पाकलइ सइयाँ कोइर-2
बाछी-बाछी पाकल-पाकल -2, तोरब खोइँछा भोइर
सइयाँ चाला चाला ना….
(पति) बड़ी कठिन धनी बोना के डहरा
(पत्नी) हाँसइते खेलइते संग बिततइ डहरा
गाला मारबइ सइयाँ-2 हामिन हिया भोइर
सइयाँ चला……..।।
(पति) कोइरा तोरइतें जोदि काँटा गड़ल हाथे 
(पत्नी) काँटा काढ़बो सइयाँ हमें धरी दाँते
घावें लगइबो सइयाँ-2 पीसी बोनेक जइर
सइयाँ चला……..।।
(पति) बाघा हुँड़ारा धनी, बोना गाजारें
(पत्नी) घात करले सइयाँ बिंधबइ काँड़े
पीटबइ कुरथीपीटा पारास ठेंगा तोइर
सइयाँ चला….।।
(पति) कोइरा खायलें धनी, लागतउ पियास
(पत्नी) झरना केर हेमाल पानीं मेटइबो पियास
दोना टिपी पानी देबो-2
सरइ पाता तोइर, सइयाँ चला….।।
(पत्नी) बोना माँझइरे सइयाँ, नाना लेखे फूला
तोहर लगी गाँथब पिया, अति सुंदर माला ।
हाम्हूँ गोंजब फूला, आपन खोपा भोइर, सइयाँ चला…2  
बाछी बाछी….
सइयाँ चला चला ना हो..
(पति) धनी चालें – चालें ना गे
बोनें तोर-बइ सइयाँ कोइर।

3 सोहान लागे रे – शांति भारत

सोहान लागे रे – शांति भारत, चौफांद, बोकारो
सोहन लागे रे… सोहान लागे रे
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे
सोहान लागे रे….!
हरियर बोन सोभे, झरे कहीं झरना
झार बोनें गीत गुंजे, गुँजे घर के अँगना
गाछें-पातें जिनगी हाँसे, माँदइर बाजे रे -2
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे….!
सरगम बरसे सोलहो सिंगारे
रिमझिम रस चुवइ बागे – बहारें
खोपें खोंसल सरइ फूल रूप साजे रे -2
धरती केर अँचरा सेहान लागे रे….!
अखरें आँकुर फुटी गीत बइन जाहे
बोली फुइट मधुर-मधुर पिरित बइन जाहे
आधा रातीं कोयल कूके रसिक जागे रे-2
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे
सेहान लागे रे…. सेहान लागे रे
धरती के अँचरा सोहान लागे रे-2

4. कते सुंदर छोटानागपुर- दीपक रावाल

1. कते सुंदर छोटानागपुर – दीपक सवाल, खैराचातर, बोकारो
ओ दादा रे कते सुन्दर छोटानागपुर -2 
छोड़ के तोंय जाहें काहे दूर, ओ दादा रे-2 
कते सुन्दर छोटानागपुर …..
हियाँ कर बोली भासा, सुनी के माते हावा 
बहिन सब झूमे लागथ जखन आवे टुसू जावा 
गीत गावथ सोभे सुरे-सुर ओ दादा रे-2 
कते सुंदर छोटानापुर….. ओ दादा रे…..।।
हियाँ कर बोना-झारें, नाना रकम फूल-फल 
एक डारीं सुगा मइना एक डारी कूके – कोयल 
जोहार करे हियाँक माटी – धूर, ओ दादा रे-2 
कते सुंदर छोटानापुर ….. ओ दादा रे…..।।
हियाँ कर माटी लागे, चाँदी हीरा आर सोना 
हिया हुलाइस उठे देखि के हियाँक बोना 
झारखंड ई देसवा के रूर, ओ दादा रे || 2 || 
छोइड़ के तोंय … ओ दादा रे….।

5. हामर भारत महान – अम्बुज कुमार

 हमर भारत महान रे – अंबुज कुमार ‘अंबुज 
 बाराडीह, बोकारो
सभ्यताक किरन फुइटके जहाँ 
पहिले भेलइ बिहान रे-हाइरे.. 
दुनियाँक गुरु रूपें जानाइल 
हामर भारत महान रे 
दुनियाँक गुरु रूपें जानाइल 
हामर हिंदुस्तान रे।।
गौतम – गांधी हामर पुरखा 
दुनियाइँ पइला सम्मान रे- हाइरे… 
मानुसेक डहरें खातिर 
सबके करला आहान रे ।।
आजाद-सुभास-भगत- बिरसा 
देसेक खातिर देला जान रे, हाइरे… 
नेहरू- अंबेदकर लड़के अइला 
देखें नावाँ बिहान रे।।
बीर नारी लक्ष्मीबाई 
अरूणा – इंदिरा महान रे, हाइरे… 
कस्तूरबा – कोयली – सरोजिनी 
कतेक करिये बखान रे ।।
हामर माटी सोना झरे 
हीरा मोतिक हियाँ खान रे, हाइरे… 
हियाहारी हरियर धरती 
देख के चोकाइ जहान रे…
अइसन देसें जनम हामर 
काहे  नाइँ करों गुमान रे, हाइरे…. 
तिरंगा नियर ऊँचा राखब 
आपन स्वाभिमान रे ।।

6 मिली के रहिहा –  प्रदीप कुमार दीपक

मिली के रहिहा –  प्रदीप कुमार दीपक
भारतवासी मिली के रहिहा रे…
भारतवासी मिली के रहिहा रे…….. 
काँधा जोरी सुख-दुख मिली के सहिहा रे… 
भारतवासी मिली के रहिहा रे … ।
काशमीरेक माटी आपन मुड़ें माखा चंदन रकम 
कन्याकुमारिक पानी अंजुरी भइर खा तोयं कसम 
धरम-जाति के नामें ना लड़िहा रे, भारतवासी…..।
भारत माँ के रक्षा खातिर कते बीर शहीद भेला 
रकतेक नदी डेंगी आजादी के चेरँय पइला 
ई चेय के बँचाय के राखिहा रे, भारतवासी.. …
भिनु – भिनु लुगा- फटा, भिनु – भिनु भासा – बोली 
दिवाली, गुरु परब, ईद, क्रिसमस, फगुवा – होली 
कते फुले सोभो हइ बगिया रे, भारतवासी..
देश केर आँगनें सोभे परदेसेक टोना-टोना 
रोजी-रोटी पेट खातिर माइड़ लिहा कोन्हो कोना 
एक माँय केर कोरें तोंय बुझिहा रे, भारतवासी…।

7. साँझे हॉसइ झीगा फूल – महेन्द्र नाथ गोस्वामी

साँझे हाँसइ झींगा फूल- महेन्द्र नाथ गोस्वामी
गरजइ बदरवा, नाचइ मेंजुरवा, भादर मासें!
हाय रे, भादर मासें!
नदिया उमड़इ दुइयो कूल रे, भादर मासें ।
साजइ अखरवा, बाजइ माँदरवा भादर मासें!
हाय रे, भादर मासें!
साँझें हाँसइ झींगा फूल रे! भादर मासें!
गाँथ-बइ फूलवा, खोंसबइ खोंपवाय , भादर मासें!
हाय रे, भादर मासें!
रीझें हिया बेयाकुल रे, भादर मासें!
पिया परदेसवा, कुहकय करेजवा, भादर मासें!
हाय रे, भादर मासें!
जीयें होवइ हुलुसथुल रे! भादर मासें!

8 वोन  रक्षा जीवन रक्षा – अनीता कुमारी

 
 बोन रक्षा जीवन रक्षा
अनीता कुमारी, बिसुनगढ़, हजारीबाग
 
कइसें बाँचतइ बोन-झार 
सभिन मिली करा अब बिचार… ए भाइ ! 
 कइसें बाँचतइ बोन झार 
 गाँव-गाँवे करा सब परचार… ए भाइ ! 
 बोन हय बचावे के दरकार… ए भाइ! 
 पानि’क सोवा हेठ गेलइ, माघ मास’ हीं जेठ भेल । 
 बदरी आब नाञ मँडराइ, आदरो अब हेराइ गेल | 
तीख रउद झोला अपार… ए भाइ! 
 सब मिली करा आब बिचार… ए भाइ ! 
 कइसें बाँचतइ बोन झार… ए भाइ ! 
 झूर-झार गाछ -पात, धरतीक सिंगार हइ, 
 गाछेक हवा रहल से, जीवन अपार हइ, 
 हवा बिनु साँस ने संसार… ए भाइ ! 
 माँ के घुघा नाञ उघार… ए भाइ! 
 कइसे बाँचतइ बोन झार… ए भाइ ! 
 किना खइता हाँथी – बाँदर, कहाँ जइता खेरहा सियार 
 पंछी कहाँ खोंधा करता, कहाँ उड़ता पाँइख पसाइर 
 बिरिछ खोजइत लेता जान माइर… ए भाइ! 
 निमुँहाक घार नाञ उजार.. ए भाइ! 
कइसें बाँचतइ बोन झार… ए भाइ !

9 सेवालिक बाउँदी मेला – सुभद्रा कुमारी

सेवाँतिक बाउँड़ी मेला- सुभद्रा कुमारी,
नारायणपुर, नावाडीह, बोकारो
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला
चाइरो दनेक लोक कुधाइ गेला,
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला ।
चढ़इते नाभइते भाला
माझे-माझे बहइ नाला,
नाला देखी पियास लागी गेला
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला …
ठोनगी उठाइ पानी पिला ।
चढ़इते गाड़ी ठेला
नाभइते बेरेक देला
माझे-माझे गाड़ी रोइक देला,
हायरे हामर सेवाँतिक मेला …
सारइ पतइ टिइप खाला
दिदी बोहनइ बुँदिया लेला
छोउवा पुता मिली सभीन खाइला,
हाइरे हामर सेवाँतिक मेला
चाइरो दनेक लोक कुधाइ गेला
हायरे हामर सेवाँतिक मेला ।

10. जय माँय जननी – शिवनाथ प्रमाणिक

 जय माँय जननी – शिवनाथ प्रमाणिक
 बैदमारा, बोकारो
हिमालयेक मुकुट साजे बिस्वमोहिनी 
जय-जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंग।
गोड़-धोवे समुदरें, विंध मेखला कमअरें 
कच्छ- कामरुप सोभे माँयेक हाँथेक किंकिनी. 
जय-जय माँ भारत, जय माँ जननी । रंग ।
गंगा-काबेरिक धारा, उत्तर – दखिन चहुँ ओरा 
कसमीर साजे माँयेक नाकेक नथुनी. 
जय जय माँ भारत, जय माँ जननी । रंग।
सीधा-सादा परिपाटी, जन-गनेक मनेक माटी 
महिमा अपार माँयेक सुबदनी. 
जय-जय माँ भारत, जय माँ जननी । रंग।
बन- परिधन साजे, नाना रंगेक पइंखी राजे 
लहर-लहर उड़े तिरंगा निसानी. 
जय-जय माँ भारत, जय माँ जननी । रंग ।
Khortha bhasa ke geet