Indian Minerals Yearbook 2020(59th Edition)
- खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं।
- ‘खनिज’ से तात्पर्य प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले ऐसे पदार्थों से है, जिनका निश्चित रासायनिक-भौतिक गुणधर्म एवं रासायनिक संघटक हो।
- इनको खनन, उत्खनन एवं प्रवेधन(Mining, quarrying and drilling) द्वारा प्राप्त किया जाता है।
- खनिज, क्षयशील संसाधन है जिनका नवीकरण नहीं किया जा सकता।
- हमारे देश में 100 से अधिक प्रकार के खनिज मिलते हैं।
खनिज संसाधनों का वर्गीकरण (Classification of Mineral Resources)
खनिजों को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
1.धात्विक खनिज
-
- लौह धात्विक खनिज – लौहांश पाया जाता है
- अलौह धात्विक खनिज – लौहांश नहीं पाया जाता है।
2.अधात्विक खनिज
- अधात्विक खनिज कार्बनिक व अकार्बनिक प्रकृति के होते हैं।
- कार्बनिक प्रकार में खनिज ईंधन, जैसे- पेट्रोलियम, कोयला आदि तथा अकार्बनिक प्रकार में अभ्रक, चूना पत्थर तथा ग्रेफाइट आदि शामिल हैं।
धातु
- धातुएँ कठोर पदार्थ हैं, जो उष्मा और विद्युत की सुचालक होती हैं,
अधातु
- अधातुएँ उष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं।
खनिज पेटियाँ (Mineral Belts)
भारत में अधिकांश खनिज संपदा का संकेंद्रण प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्रों में है।
प्रमुख खनिज पेटियाँ
- उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र की पेटी
- मध्यवर्ती पेटी
- उत्तर-पश्चिमी पेटी या अरावली क्षेत्र की पेटी
- दक्षिणी एवं दक्षिणी-पश्चिमी पेटी
उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र की पेटी (North-Eastern Plateau Region Belt)
- उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र की पेटी का विस्तार छोटानागपुर पठार के झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा तक है।
- खनिज संसाधनों के भंडार की दृष्टि से यह भारत का सर्वाधिक संसाधन संपन्न क्षेत्र है। इसे ‘भारतीय खनिज का हृदय स्थल (Mineral Heartland of India) भी कहते हैं।
- यहाँ धारवाड़ एवं गोंडवाना दोनों प्रकार की संरचनाओं का विकास होने के कारण लौह अयस्क, तांबा, अभ्रक एवं कोयला आदि खनिज संसाधनों के सर्वाधिक भंडार हैं।
- कुडप्पा संरचना का विकास होने के कारण यहाँ चूना पत्थर के भी निक्षेप मिलते हैं।
- छोटानागपुर पठार में लौह अयस्क एवं कोयला की उपलब्धता के कारण ही यहाँ ‘लौह इस्पात एवं भारी इंजीनियरिंग उद्योग’ का सर्वाधिक विकास हुआ है।
- छोटानागपुर के पठार को भारत के ‘रूर प्रदेश’ कहते है।
मध्यवर्ती पेटी (Middle Belt)
- मध्यवर्ती पेटी का विस्तार मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना तक है।
- खनिज संसाधनों के भंडार की दृष्टि से यह भारत का दूसरा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। यहाँ लौह अयस्क, कोयला एवं तांबा के भंडार मिलते हैं।
- यहाँ खनिज संसाधनों की उपलब्धता के कारण ‘खनन उद्योग’ का विकास तो हुआ है, लेकिन आधारभूत संरचना के अभाव के कारण यहाँ खनिज संसाधन पर आधारित अन्य उद्योगों का विकास नहीं हुआ है।
उत्तरी-पश्चिमी पेटी या अरावली क्षेत्र की पेटी (North-Western Region Belt Or Aravali Region Belt)
- इस पेटी के अंतर्गत गुजरात तथा राजस्थान के अरावली पर्वतीय क्षेत्र को शामिल किया जाता है।
- यहाँ धारवाड़ एवं कुडप्पा संरचना का विकास होने के कारण धात्विक एवं अधात्विक खनिज संसाधनों के पर्याप्त भंडार हैं।
- यह क्षेत्र तांबा, जिंक, बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम जैसे भवन निर्माण के पत्थरों से समृद्ध है और यहाँ मुल्तानी मिट्टी के भी विस्तृत निक्षेप पाए जाते हैं।
- खनिज संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद भी यहाँ खनन उद्योग का सीमित स्तर पर विकास हुआ है।
दक्षिणी एवं दक्षिणी-पश्चिमी पेटी (South and South-Western Belt)
- इस पेटी के अंतर्गत गोवा, कर्नाटक का पठारी क्षेत्र तथा तमिलनाडु के उच्च क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाता है।
- खनिज संसाधनों के भंडार की दृष्टि से प्रायद्वीपीय भारत का यह तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है किंतु इस पट्टी में उत्तर-पूर्व पेटी की भाँति विविधतापूर्ण खनिज संसाधनों का विकास नहीं हुआ है।
- यहाँ धारवाड़ संरचना का विकास होने के कारण धात्विक खनिज संसाधन-‘लौह अयस्क’ का सर्वाधिक भंडार है।
- कर्नाटक के पठारी क्षेत्र के बाबा बुदन पर्वतीय क्षेत्र में कुद्रेमुख तथा गोवा लौह अयस्क के उत्पादन की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
- केरल में मोनाजाइट के भंडार हैं।
हिमालयी पेटी
- हिमालयी पेटी एक अन्य खनिज पटी है, जहाँ तांबा, सीसा, जस्ता, कोबाल्ट तथा कीमती पत्थर पाए जाते है।
प्रमुख खनिज (Major Minerals)
लौह अयस्क (Iron Ore)
- भारत में लौह अयस्क के प्रचुर भंडार हैं। भारत में लौह अयस्क ओडिशा, झारखंड, खासगढ़, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में संचित है।
तांबा (Copper)
- भारत में तांबा धारवाड़ एवं कुडप्पा के प्राचीन रवेदार संरचनाओं में पाए जाते हैं।
- भारत में तांबा झारखंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में मिलता है।
- भारत में तांबे का उत्पादन मांग से काफी कम होता है। भारत बड़ी मात्रा में तांबे का आयात करता है। भारत मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जिंबाब्वे, जापान, मेक्सिको आदि देशों से तांबे का आयात करता हैं।
मैंगनीज़ (Manganese)
- यह काले रंग की कठोर धातु है, जो धारवाड़ संरचनाओं में पाई जाती है।
- इसका उपयोग मुख्यतः जंगरोधी इस्पात बनाने, शुष्क बैटरी, रंग एवं काँच उद्योग तथा विभिन्न रासायनिक उद्योगों में किया जाता है।
- भारत मैंगनीज़ का प्रमुख निर्यातक राष्ट्र है हालाँकि भारत कच्चा मैंगनीज़ ही निर्यात करता है।
- इसके प्रमुख अयस्क पायरोल्यूसाइट, साइलोमैलीन एवं ब्रोनाइट हैं।
- भारत में प्रमुख मैंगनीज़ उत्पादक क्षेत्र कर्नाटक के बेल्लारी तथा शिमोगा में तथा ओडिशा के क्योंझर व सुंदरगढ़ में अवस्थित हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर मैंगनीज़ की विशाल पेटी स्थित है, जिसका विस्तार महाराष्ट्र के नागपुर एवं भंडारा तथा मध्य प्रदेश के बालाघाट एवं छिंदवाड़ा जिले में है।
बॉक्साइट (Bauxite)
- यह एल्युमीनियम का ऑक्साइड है। इसमें पाए जाने वाले लोहांश के आधार पर यह सफेद, गुलाबी या लाल रंग का हो सकता है।
- यह टर्शियरी काल की संरचनाओं में पाया जाता है।
- यह मुख्यतः प्रायद्वीपीय भारत के पठारी क्षेत्रों व पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ तटीय भागों में पाया जाता है।
- भारत में ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट क्षेत्र में बॉक्साइट के वृहद् भंडार हैं।
- इसका उपयोग मशीनरी निर्माण, चमड़ा रंगने, पेट्रोल एवं नमक साफ करने इत्यादि में किया जाता है।
- ओडिशा का कालाहांडी तथा कोरापुट जिला भारत में बॉक्साइट का सबसे बड़ा क्षेत्र है।
- झारखंड के पलामू तथा लोहरदगा में उच्च कोटि का बॉक्साइट पाया जाता है।
अभ्रक (Mica)
- यह आग्नेय तथा कायांतरित चट्टान में परतों के रूप में पाया जाता है।
- अभ्रक सफेद, काला या हरे रंग का होता है।
- सफेद अभ्रक के टुकडे पैग्मेटाइट नामक आग्नेय चट्टानों में ही मिलते हैं। इसे ‘रूबी अभ्रक’ अथवा ‘मस्कोविट अभ्रक’ भी कहते हैं। यह सबसे उत्तम किस्म का अभ्रक होता है।
- अभ्रक अपनी लचक, पारदर्शिता तथा बिजली एवं गर्मी की कुचालकता के कारण बिजली के उपकरणों, बेतार के तार, कंप्यूटर, वायुयान आदि के निर्माण में प्रयोग होता है।
- इसके चूरे को स्प्रिट में मिलाकर किसी भी आकार की चादर बनाई जा सकती है।
- विश्व में अभ्रक का लगभग 80 प्रतिशत, उत्पादन भारत में होता है।
चूना पत्थर (Lime Stone)
- चूना पत्थर गोंडवाना को छोड़कर सभी काल की अवसादी शैलों में पाया जाता है। ये मुख्यतः कुडप्पा एवं विंध्यन शैल समूहों में पाए जाते हैं।
- भारत में आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक चूना पत्थर के भण्डार हैं। राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु अन्य उत्पादित केंद्र हैं।
सोना (Gold)
- भारत में सोना प्रमुख आयातक खनिज है।
- By States, largest resources in terms of gold ore (primary) are located in Bihar (44%) followed by Rajasthan (25%), Karnataka (21%),West Bengal & Andhra Pradesh (3% each) and Jharkhand (2%).However, the resource estimate are at preliminary stage
- In terms of metal content, Karnataka remained on top followed by Rajasthan, Andhra Pradesh, Bihar, Jharkhand, etc.
HGML is the only Public Sector Company producing gold in the country.
- हुट्टी गोल्ड माइन्स कंपनी लिमिटेड (HGML), कर्नाटक सरकार का उपक्रम (1947 में हैदराबाद गोल्ड माइन्स के रूप में स्थापित),
Deccan Gold Mines Ltd (DGML) is India’s first and largest listed gold exploration company
- Within the States of Karnataka, Andhra Pradesh and Kerala, DGML has explored several regions spanning 6,574 sq. km. in
- Dharwar-Shimoga Greenstone belt,
- HuttiMaski Greenstone Belt,
- Mangalur Schist Belt
- Ramagiri Schist Belt.
Shirpur Gold Refinery Limited
- शिरपुर स्वर्ण शोधनी (Shirpur Gold Refinery) भारत की प्रथम स्वर्ण शोधनी (रिफाइनरी) है।
- इसका मुख्यालय मुंबई में है।
- incorporated on 9th November 1984 as“Skipper Mercantile Limited”.
- On 18thMarch 2002, the name of the Company was changed to its present name.
दुनिया की सबसे बड़ी गोल्ड रिफाइनरी
- दुनिया की सबसे बड़ी गोल्ड रिफाइनरी वेलकांबी स्विट्जरलैंड के बलरेना शहर में है।
- 1963 में स्थापित रिफाइनरी को भारतीय कंपनी राजेश एक्सपोर्ट्स ने 2015 में अधिग्रहीत किया था।
World Mine Production of Gold (By Principal Countries)
- China ( 11%)
- Australia (10%)
- Russia (9% )
World Reserves of Gold : USGS, Mineral Commodity Summaries, 2021.
- Australia
- Russia
- USA
चांदी (Silver)
- इसके प्रमुख अयस्क अर्जेण्टाइट, पायराजाइराइट व हॉर्न सिल्वर आदि
- भारत में चांदी का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान से होता है। उदयपुर व चित्तौड़गढ़ की जस्ता की खानें चांदी के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध हैं।
हीरा (Diamond)
- कार्बन का सबसे शुद्ध अपरूप है
- काले हीरे का उपयोग कांच काटने चट्टानों में छेद करने आदि में होता है
जस्ता (Zinc)
- भारत में राजस्थान जस्ता उत्पादन व भंडार के दृष्टिकोण से एकाधिकार रखता है। यहाँ का भीलवाड़ा, अलवर, जावर (उदयपुर), राजसमंद, चित्तौड़ आदि क्षेत्र प्रमुख जस्ता उत्पादक क्षेत्र हैं।
सीसा (Lead)
- सीसा मुख्यतः ‘गैलेना’ नामक अयस्क से प्राप्त किया जाता है।
- यह प्रकृति में मुक्त रूप में नहीं पाया जाता।
ग्रेफाइट (Graphite)
- ग्रेफाइट मुख्यतः आग्नेय व रूपांतरित चट्टानों में पाया जाता है। इसे ‘क्रिस्टलीय कार्बन’ एवं ‘ब्लैक लेड’ भी कहते हैं। यह कार्बन का एक अपरूप है।
- इसका उपयोग पेंसिल की लीड बनाने व परमाणु रियक्टरों में मंदक के रूप में किया जाता है।
जिप्सम (Gypsum)
- यह चूना पत्थर, बलुआ पत्थर और शैल चटटानों में पाया जाता है। यह कैल्शियम का हाइड्रेटेड सल्फाइड होता है।
- इसका उपयोग अमोनियम सल्फेट, रासायनिक उर्वरक और सीमेंट बनाने में किया जाता है।
Tungsten टंगस्टन
- Tungsten objects are also commonly formed by sintering.
- Tungsten is found in the minerals wolframite (iron -manganese tungstate ,scheelite (calcium tungstate), ferberite and huebnerite.
- Resources of tungsten bearing minerals are mainly distributed in
- Karnataka (42%),
- Rajasthan (27%),
- Andhra Pradesh (17%)
- Maharashtra (9%).
- The remaining 5% resources are in Haryana, Tamil Nadu,Uttarakhand and West Bengal
The world mine production of tungsten in terms of metal content in 2015
- China was the leading producer (80%)
- tungsten reserves – 1.China (56%)
अन्य प्रमुख खनिज संसाधन व उनकी विशेषताएँ
क्रोमाइट (chromite)
- इसका सर्वाधिक उत्पादन ओडिशा में होता है।
- ओडिशा का कटक व क्योंझर ज़िले क्रोमाइट उत्पादन हेतु प्रसिद्ध हैं।
- ओडिशा के अतिरिक्त कर्नाटक के हासन ज़िले से भी क्रोमाइट का उत्पादन होता है।
डोलोमाइट (dolomite)
- यह चूना पत्थर व मैग्नीशियम का मिश्रण है।
- डोलोमाइट के उत्पादन में छत्तीसगढ़ शीर्ष स्थान पर है।
- इसका उत्पादन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, आंध्र प्रदेश के कुडप्पा तथा ओडिशा के संबलपुर व कोरापुट से होता है।
संगमरमर (marble)
- संगमरमर एक प्रकार का कायांतरित चट्टान है।
- इसका प्रयोग मुख्यतः भवन निर्माण में होता है।
- राजस्थान का मकराना क्षेत्र उत्तम कोटि के संगमरमर के लिये प्रसिद्ध है।
बैराइट्स (barites)
- आंध्र प्रदेश भारत का शीर्ष बैराइट्स उत्पादक राज्य है। यहाँ के कुडप्पा जिले में विश्व का सबसे बड़ा बैराइट्स खनिज भंडार है।
पाइराइट (pyrite)
- यह लोहे का सल्फाइड होने के साथ-साथ सल्फर का भी एक प्रमुख स्रोत है।
- पाइराइट के उत्पादन में बिहार का रोहतास जिला सर्वप्रमुख है।
ऐपाटाइट (Appetite)
- इसका उपयोग फास्फेट उर्वरक व फास्फोरिक अम्ल बनाने में किया जाता है।
- ऐपाटाइट के उत्पादन में पश्चिम बंगाल का पुरूलिया जिला व आंध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम सर्वप्रमुख हैं।
कायनाइट (Kyanite)
- कायनाइट का प्रयोग सीसा, सीमेंट व चीनी मिट्टी उद्योग में होता है क्योंकि यह एक गलनरोधी खनिज है।
- कायनाइट का उत्पादन झारखंड के सिंहभूम व धनबाद तथा महाराष्ट्र में मुख्य रूप से किया जाता है।
- यह राजस्थान के भीलवाड़ा व उदयपुर आदि में भी पाया जाता है।
मैग्नेसाइट (magnesite)
- इसका उपयोग उष्मासह पदार्थ (heat absorber) के रूप में ईंट व तरल कार्बन डाइऑक्साइड बनाने में किया जाता है।
- इसकी प्राप्ति आग्नेय शैलों से की जाती है।
- मैग्नेसाइट के उत्पादन में तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तराखंड अग्रणी राज्य रहे हैं।
सिलीमैनाइट (sillimanite)
- यह भी एक प्रकार उष्मासह खनिज है। इसका उपयोग सीसा उद्योग में किया जाता है।
- इसका उत्पादन मुख्य रूप से तमिलनाडु, ओडिशा व उत्तर प्रदेश में किया जाता है।
स्टिऐटाइट (steatite)
- इसकी प्राप्ति आग्नेय व कायांतरित शैलों से की जाती है।
- इसे ‘साबुन पत्थर’ (Soap Stone) की भी उपमा दी जाती है।
- इसका प्रयोग साबुन, प्रसाधन सामग्री व रंग बनाने में किया जाता है।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY-Pradhan Mantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana )
- 17 सिंतबर 2015 में प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के अंतर्गत खनन प्रभावित लोगों के जीवन स्तर को सुधारने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि जिला खनिज फाउंडेशन (District Mineral Foundations ) की निधि को बेहतर ढंग से खर्च किया जाए।
प्रमुख संस्थान
- खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड(Mineral Exploration Corporation Limited) – नागपुर
- भारतीय खान ब्यूरो (Indian Bureau of Mines) – नागपुर
- केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान(Central Institute of Mining and Fuel Research) – धनबाद
- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला(National Metallurgical Laboratory) – जमशेदपुर
- हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड – उदयपुर
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड – खेतड़ी
- भारतीय हीरा संस्थान (Indian Diamond Institute) – Surat, Gujarat
राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 (National Mineral Policy 2019)
- राष्ट्रीय खनिज नीति 2019, मौजूदा राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 (NMP 2008) का स्थान लेती है जिसे वर्ष 2008 में घोषित किया गया था।
- खान मंत्रालय ने NMP 2008 की समीक्षा करने के लिये डॉ. के. राजेश्वर राव की अध्यक्षता में 14 अगस्त, 2017 को एक समिति गठित की थी।इसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 लागू किया गया
- राष्ट्रीय खनिज नीति (1993) की समीक्षा के लिए योजना आयोग द्वारा गठित होदा समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने एक नई राष्ट्रीय खनिज नीति, 2008 को मंजूरी दी थी ।
- भारत की प्रथम खनिज नीति 1951 ई घोषित हुई थी
- भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार खनिज संसाधनों के प्रबंधन का उत्तरदायित्व केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों का है
- देश में खनन और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957(Mining and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957) खानों और खनिज क्षेत्रें के विनियमन(regulation) के लिए मुख्य कानून है।
production of petroleum (crude) followed by
- Rajasthan 21%
- Gujarat 15%
- Assam 13%.
National Mineral Development Corporation
- Incorporated in 1958 as a Government of India public enterprise,
- NMDC is India’s largest producer of iron ore.