राष्ट्रीय एकता
भारत धर्म, भाषा, जाति, जनजाति, नस्ल, क्षेत्र आदि के रूप में एक विस्तृत विभिन्नता वाला देश है। अतः देश के विकास एवं संपन्नता के लिए राष्ट्रीय एकता अत्यंत आवश्यक हो जाती है।
- “राष्ट्रीय एकता का अर्थ है- देश को विभाजित और विघ्न उत्पन्न करने वाले आंदोलनों को नकारना तथा समाज में राष्ट्रीय एवं लोकहित धारणा फैलाना, जो संकीर्ण हितों से परे हो।”- मायरोन वेनर
- राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है।
- राष्ट्रीय एकता का मतलब ही होता है, राष्ट्र के सब घटकों में भिन्न-भिन्न विचारों और विभिन्न आस्थाओं के होते हुए भी आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे का बना रहना।
राष्ट्रीय एकता में अवरोध
राष्ट्रीय एकता में निम्न बड़े अवरोध शामिल हैं:
- 1. क्षेत्रवाद
- 2. सम्पदायिकता
- 3. जातिवाद
- 4. भाषावाद
1. क्षेत्रवाद
- क्षेत्रवाद का अर्थ उप-राष्ट्रवाद और उप-क्षेत्रवाद निष्ठा से है।
- यह किसी विशेष क्षेत्र या राज्य के लिए राष्ट्र की तुलना में अधिक लगाव को इंगित करता है।
- इसमें उप-क्षेत्रीयतावाद है, जिसके अंतर्गत किसी राज्य के किसी विशेष क्षेत्र हेतु अधिक लगाव होता है।
- क्षेत्रवाद एक विचारधारा है जो किसी ऐसे क्षेत्र से सबंधित होती है जो धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक कारणों से अपने पृथक अस्तित्व के लिये उत्पन्न होती है और अपनी पृथकता को बनाए रखने का प्रयास करता रहता है।
- क्षेत्रवाद मुख्यतः चार तरीकों से व्यक्त किया जाता है-
- किसी क्षेत्र द्वारा भारतीय संघ से संबंध विच्छेद करने की मांग द्वारा ।
- एक निश्चित क्षेत्र को पृथक राज्य बनाने की मांग द्वारा ।
- किसी क्षेत्र को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग द्वारा।
- अंतर्राज्यीय मसलों में अपने पक्ष में समाधान पाने की मांग द्वारा, जैसे- प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार आदि।
2. सम्पदायिकता
- सांप्रदायिकता का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक समुदाय के प्रति प्रेम को राष्ट्र पर प्राथमिकता देना तथा किसी भी अन्य धार्मिक समुदाय के हितों की कीमत पर अपने सांप्रदायिक हितों को बढ़ावा देना
- इसकी जड़े ब्रिटिश शासन में भी थी जहां 1909,1919 और 1935 के अधिनियम में मुस्लिम सिख व अन्य को सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व दिया गया था
- सांप्रदायिकता को धर्म के राजनीति के कारण से बढ़ावा मिलता है
- इसके विभिन्न परिणाम निम्न है
- धर्म के आधार पर राजनीतिक दलों का गठन
- धर्म के आधार पर प्रभावशाली समूहों का उभरना
- सांप्रदायिक दंगे
- धार्मिक आकारों पर मतभेद
3. जातिवाद
- जातिवाद का अर्थ सामान्य राष्ट्रीय हित की अपेक्षा किसी जाति वर्ग के प्रति निजी प्रेम से है।
- यह मुख्य रूप से जातिवाद राजनीतिकरण का परिणाम है।
- इसकी विभिन्न अभिव्यक्तियों में शामिल हैं:
- (i) जाति के आधार पर राजनीतिक पार्टियों का गठन
- (जैसे मद्रास में जस्टिस पार्टी, डी.एम.के., केरल कांग्रेस, रिपब्लिकन पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा अन्य)
- (ii) दबाव समूहों का जाति के आधार पर उभरना
- (जैसे – नादर एसोसिएशन, हरिजन सेवक संघ, क्षत्रिय महासभा और अन्य)
- (iii) चुनाव के दौरान पार्टी टिकटों का आवंटन तथा राज्य में जाति आधार पर मंत्रियों की परिषद का गठन।
- (iv) विभिन्न राज्यों में ऊंची तथा निम्न जातियों या प्रभावशाली जातियों के बीच जाति मतभेद, जैसे-बिहार, उत्तर प्रदेश. मध्य प्रदेश तथा अन्य।
- (v) आरक्षण नीति पर हिंसक मतभेद तथा विरोध प्रदर्शन।
- (i) जाति के आधार पर राजनीतिक पार्टियों का गठन
4. भाषावाद
- भाषावाद का अर्थ किसी भी भाषा के प्रति प्रेम तथा अन्य भाषा बोलने वाले लोगों से घृणा है।
- भाषावाद का विषय भी क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता या जातिवाद की तरह राजनीतिक प्रक्रिया का परिणाम है।
- इसके दो आयाम हैं-
- (अ) भाषा के अधार पर राज्यों का पुनर्गठन
- (ब)संघ की राजभाषा का निर्धारण।
- भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की देशव्यापी मांग के कारण आंध्र प्रदेश राज्य 1953 में तब मद्रास से बना।
- 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग (1953-1955) द्वारा दिए सुझावों के आधार पर राज्यों का भाषा के आधार पर विस्तृत रूप से पुनर्गठन हुआ।
- भाषावाद की परेशानी हाल के समय में कुछ क्षेत्रीय दलों के बढ़ने के साथ और भी बढ़ी है, जैसे-टीडीपी, एजीपी, शिवसेना तथा इसी प्रकार के अन्य दल।
राष्ट्रीय एकता परिषद (National integration Council)
- राष्ट्रीय एकता परिषद (NIC) का गठन 1961 में ‘अनेकता में एकता‘ के सिद्धांत पर केंद्रीय सरकार द्वारा स्थापित किया गया ।
- यह एक सरकारी सलाहकार निकाय है और इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।
- परिषद के सदस्यों में कैबिनेट मंत्री, उद्यमी, मशहूर हस्तियाँ, मीडिया प्रमुख, मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता आदि शामिल होते हैं।
- इसका उद्देश्य मुख्य रूप से राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के उपाय सुझाना है।
- अक्टूबर 2010 में सरकार ने राष्ट्रीय एकता परिषद की एक स्थाई समिति भी गठित की। इस समिति की अध्यक्षता गृह मंत्री करते हैं ।
साम्प्रदायिक सौहार्द्र के लिए राष्ट्रीय फाउंडेशन (National Foundation for Communal Harmony)
- साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए राष्ट्रीय फाउंडेशन (NFCH) की स्थापना 1992 में हुई थी।
- गृह मंत्रालय के अधीन यह एक स्वायत्त निकाय है।
- यह साम्प्रदायिक सौहार्द, भाईचारा तथा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।