दबाव समूह
- ‘दबाव समूह’ शब्द का उद्भव संयुक्त राज्य अमेरिका से हुआ है।
- दबाव समूह उन लोगों का समूह होता है, जो सरकार पर दबाव बनाकर लोकनीति को बदलने की कोशिश है। ये सरकार और उसके सदस्यों के बीच संपर्क का काम करते हैं।
- इन दबाव समूहों को हितैषी समूह या हितार्थ समूह भी कहा जाता है।
- ये राजनीतिक दलों से भिन्न होते हैं ये न तो चुनाव में भाग लेते हैं और न ही राजनीतिक शक्तियों को हथियाने की कोशिश करते हैं।
- ये कुछ खास कार्यक्रमों और मुद्दों से संबंधित होते हैं और इनकी इच्छा सरकार में प्रभाव बनाकर अपने सदस्यों की रक्षा और हितों को बढ़ाना होता है।
- हालांकि ये कभी-कभी लोकहितों और प्रशासनिक एकता को नष्ट करने वाले अतर्कसंगत और गैर-विधिक तरीकों का आश्रय लेते हैं, जैसे कि हड़ताल और हिंसक गतिविधियां और भ्रष्टाचार।
- ओडिगोड़ दबाव समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तीन तकनीकों का सहारा लेते हैं-
नियुक्तिकरण
- लोक कार्यालयों में उन कर्मचारियों की नियुक्तियों की कोशिश करते हैं जो कि इनके हितों का पक्ष ले लें।
लॉबिंग
- वे अपने लिए हितकारी नीतियों के लिए लोकसेवकों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। चाहे वे प्रारंभ में इनके पक्षधर हों या विरोधी।
प्रचार व्यवस्था
- जनता की राय को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं और सरकार पर इसके परिणामस्वरूप पड़ने वाले प्रत्यक्ष प्रभाव का लाभ उठाते हैं। चूंकि सरकार जनतांत्रिक होती है और जनता की राय से पूर्ण प्रभावित रहती है।
भारत में दबाव समूह
- भारत के दबावकारी समूहों को इन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
1.व्यवसाय समूह
- व्यवसाय समूह में औद्योगिक एवं वाणिज्यिक इकाइयां शामिल हैं।
- ये भारत में दबावकारी समूहों में से सबसे बड़े होते हैं।
- उनमें शामिल हैं:
- (i) Federation of Indian Chamber of Commerce and Industry (FICCI) :
- (ii)Associated Chamber of Commerce and Industry of India (ASSOCHAM)
- एसोचैम, विदेशी ब्रिटिश पूंजी का प्रतिनिधित्व करता है।
- (iii) Federation of All India Foodgrain Dealers Association (FAIFDA).
- फेइफडा अनाज डीलरों का पूरी तरह प्रतिनिधित्व करता है।
- (iv) All India Manufacturers Organization (AIMO).
- ऐमो मध्यवर्गीय व्यवसायों से संबंधित मामलों को उठाता है।
2. व्यापार संघ/श्रमसंघः
- व्यापार संघ औद्योगिक श्रमिकों की मांगों के संबंध में आवाज उठाते हैं।
- इन्हें श्रमिक समूहों के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत में व्यापार संघों की एक खास विशेषता यह है कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न राजनीतिक दलों से संबद्ध होते हैं, उनमें शामिल हैं:
- (i) All India Trade Union Congress (AITUC)
- oldest trade union federation in India.
- It is associated with the Communist Party of India.
- second largest trade union federation in India
- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस (AITUC), की स्थापना 31 oct 1920 में हुई थी और लाला लाजपत राय इसके प्रथम अध्यक्ष थे।
- (ii) Indian National Trade Union Congress (INTUC) – कांग्रेस (आई) से संबद्ध
- It was founded on 3 May 1947
- First largest trade union federation in India
- (iii) हिंद मजदूर सभा (HMS)- समाजवादियों से संबद्ध।
- HMS was founded in Howrah in west Bengal on 29 December 1948
3. खेतिहर समूह
- खेतिहर समूह, किसानों और कृषि मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, उनमें शामिल हैं:
- 1.भारतीय किसान यूनियन (उत्तर भारत के गेहूं उत्पादक क्षेत्र में महेंद्र सिंह टिकैट के नेतृत्व में)
- (ii) ऑल इंडिया किसान सभा
- (प्राचीनतम एवं सबसे बड़ा खेतिहर समूह)
- (ii) ऑल इंडिया किसान सभा
- (ii) Revolutionary Peasants Convention
- (नक्सलवाड़ी आंदोलन को जन्म देने वाला, जिसे 1967 में सीपीएम ने संगठित किया)
- 1.भारतीय किसान यूनियन (उत्तर भारत के गेहूं उत्पादक क्षेत्र में महेंद्र सिंह टिकैट के नेतृत्व में)
4. पेशेवर समितियां
- ये ऐसे लोगों की समितियां होती हैं, जो डॉक्टर, वकील, पत्रकार और अध्यापकों से संबंधित मांगों को उठाती हैं।
- (i) Indian Medical Association (IMA)
- (ii) Bar Council of India (BCI)
- (iii) Indian Federation of Working Journalists (IFWJ)
- (iv) All India Federation of University and College Teachers (AIFUCT)
5. छात्र संगठन
- छात्र समुदाय के प्रतिनिधित्व के लिए बहुत सारे संघ बनाए गए हैं। हालाकि मजदूर संघों की तरह ये भी विभिन्न राजनीतिक दलों से संबद्ध होते हैं । ये हैं:
- (i) Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP, affiliated to BJP)
- (ii) All India Student Federation (AISF, affiliated to CPI)
- (iii) National Students Union of India (NSUI, affiliated to Congress )
- (iv) Progressive Students Union (PSU affiliated to CPM)
6. धार्मिक संगठन
- धार्मिक आधार पर बने संगठन भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संकुचित सांप्रदायिक अभिरुचि का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- (i) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS)
- (ii) विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी)
- (iii) जमात-ए-इस्लामी
- (iv) इत्तेहाद-उल-मुसलमीन
- (v) एंग्लो-इंडियन एसोसिएशन
- (vi) एसोसिएशन ऑफ़ रोमन कैथालिक्स
- (vii) ऑल इंडिया कांफ्रेंस ऑफ़ इंडियन क्रिश्चियन
- (vii) पारसी सेंट्रल ऐसोसिएशन
- (ix) शिरोमणि अकाली दल
7. जातीय समूह
- भारतीय राजनीति में धर्म के समान जाति भी महत्वपूर्ण कारक है। राजनीति में कई राज्यों में जातीय संघर्ष होता है।
- तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र में ब्राह्मण बनाम गैर-ब्राह्मण,
- राजस्थान में राजपूत बनाम जाट,
- आंध्र में कम्मा बनाम रेड्डी,
- हरियाणा में अहीर बनाम जाट, गु
- जरात में बनिया ब्राह्मण बनाम पाटीदार,
- बिहार में कायस्थ बनाम राजपूत,
- केरल में नैय्यर बनाम ऐज्हावा,
- कर्नाटक में लिंगायत बनाम ओक्कालिगा।
- कुछ जाति आधारित संगठन हैं:
- (i) नादर कास्ट एसोसिएशन, तमिलनाडु
- (ii) मारवाड़ी एसोसिएशन
- (ii) हरिजन सेवक संघ
- (iv) क्षत्रिय महासभा, गुजरात
- (v) बनिया कुल क्षत्रिय संगम
- (vi) कायस्थ समूह
8. आदिवासी संगठन
- आदिवासी संगठन की मांगें सुधार से लेकर भारत से अलग होने और उनमें से कुछ राजविद्रोही गतिविधियों में शामिल हैं।
- आदिवासी संगठनों में ये प्रमुख हैं:
- (i) नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन)
- (ii) ट्राइबल नेशनल वॉलनटियर्स (टीएनयू), त्रिपुरा
- (iii) पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी, मणिपुर
- (iv) झारखंड मुक्ति मोर्चा
- (v) ट्राइबल संघ ऑफ़ असम
- (vi) यूनाइटेड मिज़ो फेडरल ऑर्गनाइज़ेशन
9. भाषागत समूह भाषा
- भाषा ही राज्यों के पुनर्गठन का मुख्य आधार है। भाषा, जाति, धर्म और जनजाति के साथ मिलकर राजनीतिक दलों सहित दबाव समूहों के उद्भव के लिए उत्तरदायी है।
- कुछ भाषागत समूह इस तरह हैं:
- (i) तमिल संघ
- (ii) अंजुमन तारीकी-ए-उर्दू
- (iii) आंध्र महासभा
- (iv) हिंदी साहित्य सम्मेलन
- (v) नागरी प्रचारिणी सभा
- (vi) दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा
10.विचारधारा आधारित समूह
- हाल ही में कई दवाव समूह एक विशेष विचारधारा के प्रसार के लिए निर्मित हुए हैं। इनकी उत्पत्ति किसी विशेष कारण, सिद्धांत या कार्यक्रम के तहत हुई है।
- इन समूहों में शामिल हैं:
- (i) पर्यावरण सुरक्षा संबंधी समूह जैसे-नर्मदा बचाओ आंदोलन और चिपको आंदोलन
- (ii) लोकतांत्रिक अधिकार संगठन
- (iii) सिविल लिबर्टीज़ एसोसिएशन
- (iv) गांधी पीस फाउंडेशन
- (v) महिला अधिकार संगठन
11.विलोम समूह
- विलोम समूह द्वारा हमारा तात्पर्य समाज से राजनीतिक व्यवस्था के विरुद्ध समान्तर व्यवस्था से है ।
- विद्रोह, प्रदर्शन और धरनों के जरिए ये मांगें उठाते हैं।
- भारत सरकार और अफसरशाह उपलब्ध स्रोतों के जरिए आर्थिक विकास आदि में दिक्कत महसूस करते हैं क्योंकि गैर-राजनीतिक मानसिकता और इनकी कानूनी प्रक्रिया को न मानने से ऐसा होता है। जिस कारण हितैषी समूह राजनीतिक तंत्र से दूर हो जाते हैं। कुछ विलोम कारी दबाव समूह इस तरह हैं:
- (1) ऑल इंडिया सिख स्टुडेंट्स फेडरेशन
- (ii) गुजरात की नव-निर्माण समिति
- (iii) नक्सली समूह
- (iv) जम्मू एंड कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ़)
- (v) ऑल इंडिया स्टुडेंट्स यूनियन
- (vi) यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (यूएलएफए)
- (vii) दल खालसा