विशिष्ट वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधान

  • प्रस्तावना में उल्लिखित समानता और न्याय के उद्देश्य को हासिल करने के लिए संविधान में SC,ST.OBCऔर आंग्ल-भारतीयों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। 
  • ये विशेष प्रावधान संविधान केभाग XVI(16) में धारा 330 से 342 में उल्लिखित हैं। ये प्रावधान निम्न बातों से संबंधित हैं:
    • 1. विधायिकाओं में आरक्षण 
    • 2. विधायिकाओं में विशेष प्रतिनिधित्व 
    • 3. नौकरी एवं पदों में आरक्षण 
    • 4. शैक्षणिक अनुदान  
    • 5. राष्ट्रीय आयोग का गठन 
    • 6. जांच आयोग का गठन

वर्गों का आधार 

  • संविधान में उल्लेख नहीं है कि कौन सी जातियों या जातीय समूहों को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति कहा जाएगा। 
  • किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में किन जातियों को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति माना जाएगा, संविधान ने यह तय करने का अधिकार राष्ट्रपति है।
  • इस कारण हर राज्य या केंद्र शासित क्षेत्र में अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की सूची अलग अलग होती है। 

राज्यों के मामले में

  • राष्ट्रपति राज्य के राज्यपाल से परामर्श कर अधिसूचना जारी करते हैं। लेकिन राष्टपति द्वारा जारी अधिसूचना में किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति कोजोड़ने या हटाने का काम सिर्फ संसद कर सकती है। 

अन्य पिछड़ा वर्ग

  • पिछड़े वर्ग का मतलब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अलावा केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित नागरिकों के पिछड़े वर्गों से है ।

आंग्ल-भारतीय समुदाय

  • आंग्ल भारतीय का मतलब ऐसे व्यक्ति से है जिसके पिता या उनका कोई भी पुरुष पूर्वज यूरोपीय वंश के थे लेकिन वे भारत में आकर बस गए और इस तरह स्थायी रूप से बसे लोगों ने जिन्हें जन्म दिया है। उन्हें आंग्ल-भारतीय कहा जाता है  [(Article 366(2) ] 
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, एंग्लो-इंडियन की संख्या 296 थी।

                                  

विशेष प्रावधान के अंग 

1. विधायिकाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण तथा आंग्ल-भारतीयों को विशेष प्रतिनिधित्व: 

  • आबादी के अनुपात में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए लोकसभा एवं राज्यों के विधानसभाओं में सीटों का आरक्षण होगा।

आंग्ल-भारतीय समुदाय

  • आंग्ल-भारतीय समुदाय के 2 सदस्यों को, राष्ट्रपति लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकते हैं। 
  • राज्य की विधानसभा में राज्य के राज्यपाल समुदाय के एक सदस्य को विधानसभा के लिए मनोनीत कर सकते हैं।

SEAT

 RESERVATION

LOKSABHA

STATE LEGISLATURE

SC/ST

ART 330

GEN

SC

ST

412

84

47

332

ANGLO INDIAN

ART 331-  2 SEAT

ART 333- 1 SEAT

  • आरक्षण के ये दोनों का प्रावधान सिर्फ दस वर्षों (यानी 1960 तक) के लिए थे। लेकिन उसके बाद इसकी अवधि हर बार दस के लिए बढ़ाई जाती रही हैं। 
  • 2009 के 95वें  संशोधन के अनुसार यह दोनों प्रावधान 25 जनवरी, 2020 तक लागू रहेंगे। यानि आरक्षण 25 जनवरी, 2020 तक समाप्त होने वाला था ।

126वां संशोधन बिल), 2019/104वें संशोधन, 2020

  • 104वें संशोधन, 2020 द्वारा लोकसभा और विधान सभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के आरक्षण को समाप्त कर दिया गया 
  • लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में SC & ST के सीटों के आरक्षण को अगले 10 वर्षों  यानी 25 जनवरी, 2030 तक जारी होगा ।

आरक्षण तथा विशेष प्रतिनिधित्व के दो प्रावधानों के विस्तार के कारण निम्नवत् हैं :

  • (i) संविधान की धारा 334 के अनुसार संविधान का प्रावधान, SC,ST & आंग्ल-भारतीय समुदाय के नामांकन द्वारा प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई है, संविधान लागू होने के 60 साल बाद अप्रभावी हो जाएगा यानि 25 जनवरी, 2010 में से प्रावधान खारिज हो जाएँगे, यदि इन्हें आगे नहीं बढ़ाया गया तो। 
  • (ii) जिन कारणों से संविधान सभा ने सीटों के आरक्षण तथा सीटों पर नामांकन का प्रावधान किया था, वे कारण अभी भी मौजूद हैं। अत: सदस्यों को प्रतिनिधित्व के लिए नामांकन करना 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया जाए। 

2. नौकरी एवं पदों के लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का दावा: 

  • 82वें संशोधन अधिनियम 2000 में केंद्र या राज्यों के सरकारी पदों पर बहाली की किसी परीक्षा में SC/ST लोगों के लिए न्यूनतम अंक कम करने या पदोन्नति में मूल्यांकन  का मापदंड घटाने का प्रावधान है। 

3. आंग्ल-भारतीयों के लिए नौकरी में विशेष प्रावधान कर तथा शिक्षा अनुदान : 

  • संविधान के तहत 1960 में यह सुविधा समाप्त हो गयी। 

4. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग: 

  • राष्ट्रपति एक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का गठन करेंगे (धारा 338)। 
  • राष्ट्रपति राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन करेंगे (धारा 338 ए)। 
  • पहले संविधान में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए एक संयुक्त आयोग का प्रावधान था।2003 के 89वें संशोधन के जरिए इस संयुक्त आयोग को दो स्वतंत्र निकायों के रूप में बांट दिया गया। 

5. अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन पर केंद्र का नियंत्रण एवं अनुसूचित जनजाति का कल्याण: 

  • राज्यों में अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए राष्ट्रपति एक आयोग का गठन करेंगे। 
  • संविधान लागू होने के दस वर्षों के अंदर इस आयोग का गठन अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए। 
  • इस तरह 1960 में आयोग का गठन हुआ। यू.एन. ढेबर इसके अध्यक्ष बनाए गए और आयोग ने 1961 में अपनी रिपोर्ट दी। 
  • 2002 में दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में दूसरे आयोग का गठन हुआ। इसने अपनी रिपोर्ट 2004 में प्रस्तुत की। 

 6. पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति 

  • सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रपति आयोग का गठन कर सकते हैं। 
  • उपरोक्त प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति ने अब तक दो आयोगों का गठन किया है। 1953 में पहला पिछड़ा वर्ग आयोग काका कालेलकर की अध्यक्षता में गठित हुआ था। इसने 1955 में अपनी रिपोर्ट दी। 
  • दूसरे पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1979 में बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में हुआ। इसने 1980 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। 
    • इसकी अनुशंसाओं द्वारा सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

विशिष्ट वर्गों के लिए विशेष प्रावधानों से जुड़े अनुच्छेद, एक नजर में

अनुच्छेद

विषय-वस्तु 

330

लोकसभा में SC & ST के लिए सीटों का आरक्षण 

331

लोकसभा में ANGLO INDIAN के लोगों का प्रतिनिधित्व

332

राज्यों की विधानसभाओं में SC & ST के लिए सीटों का आरक्षण

333

राज्यों की विधानसभाओं में ANGLO INDIAN के लोगों का प्रतिनिधित्व

334

सीटों के आरक्षण एवं विशेष प्रतिनिधित्व की व्यवस्था 

70 साल बाद समाप्त हो जाना

335

नौकरी एवं पदों पर SC & ST का दावा

336

खास सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष प्रावधान

337

आंग्ल भारतीय समुदाय के हित में शैक्षणिक अनुदान का विशेष प्रावधान 

338

अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग

338A

अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग

339

अनसचित क्षेत्रों के प्रशासन पर केंद्र का नियंत्रण 

एवं अनुसूचित जनजातियों का कल्याण 

340

पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति

341

अनुसूचित जातियां 

342

अनुसूचित जनजातियां

विशिष्ट वर्गों से से संबंधित विशेष प्रावधान