Universe and Solar System Quiz 1 / 601. सौरमंडल में सबसे बड़ा ग्रह कौन सा है? बृहस्पति वरुण शुक्र शनि 2 / 602. (a) केवल 1, 2 और 3 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 3 (d) केवल 1 और 3 3 / 603. क्षुदग्रहों तथा धूमकेतु के बीच क्या अंतर होता है? (UPSC CSE 2011)क्षुदग्रह लघु चट्टानी ग्राहिकाएँ (प्लेनेटॉयड) होती हैं, जबकि धूमकेतु हिमशीतित गैसों से निर्मित होते हैं जिन्हें चट्टानी और धातु पदार्थ आपस में बाँधे रहता है।क्षुद्रग्रह अधिकांशतः वृहस्पति और मंगल के परिक्रमापथों के बीच पाए जाते हैं, जबकि धूमकेतु अधिकांशतः शुक्र एवं बुध के बीच पाए जाते हैं।धूमकेतु गोचर दीप्तिमान पुच्छ दर्शाते हैं, जबकि क्षुदग्रह ऐसा नहीं दर्शाते।उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 3 (d) केवल 1 और 3 4 / 604. 'गोल्डीलॉक्स जोन (Goldilocks Zone) शब्द निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में अक्सर समाचारों में देखा जाता है? I.A.S. (Pre) 2015 (a) भूपृष्ठ के ऊपर वासयोग्य मंडल की सीमाएं (b) पृथ्वी के अंदर का वह क्षेत्र जिसमें शेल गैस उपलब्ध है (c) बाह्य अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज (d) मूल्यवान धातुओं से युक्त उल्कापिंडों (मीटिओराइट्स) की खोज गोल्डीलॉक्स जोन को आवासीय क्षेत्र भी कहा जाता है। यह किसी तारे के चारों ओर स्थित ऐसा क्षेत्र है, जहां किसी ग्रह की सतह पर तरल पानी होने की उचित स्थिति पाई जाती है। तरल पानी ग्रहों पर जीवन की खोज में एक महत्वपूर्ण घटक है। हमारे सौरमंडल के गोल्डीलॉक्स जोन में स्थित ग्रह पृथ्वी है। अन्य की खोज में अनुसंधान जारी हैं। यह जोन न अत्यधिक गर्म और न ही अत्यधिक ठंडा होता है।5 / 605. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रह सौरमंडल का नहीं है ? M.P.P.C.S. (Pre) 2010 (a) बुध (c) शुक्र (b) फ्लोरिडा (d) शनि वरुण (नेपच्यून) सबसे दूर स्थित है। यह सूर्य की परिक्रमा करने में सर्वाधिक समय 59,800 दिन (लगभग 165 वर्ष) लगाता है।सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।ग्रह (Planet) अप्रकाशवान होते हैं, किंतु सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं।6 / 606. हाइड्रोजन, हीलियम तथा मीथेन प्रमुख गैसें हैं, जो विद्यमान होती हैं- U.P.P.C.S. (Mains) 2004 (a) यूरेनस, नेप्च्यून तथा प्लूटो पर (b) बृहस्पति, शनि तथा मंगल पर (c) यूरेनस, नेप्च्यून तथा शुक्र पर (d) बृहस्पति, शनि यूरेनस और नेप्च्यून हाइड्रोजन, हीलियम और मीथेन तीनों गैसों की उपस्थिति बृहस्पति, शनि यूरेनस और नेप्च्यून पर पाई जाती है। यद्यपि बृहस्पति एवं शनि के वातावरण में मीथेन की गौण मात्रा है। प्लूटो पर मीथेन तो है, परंतु हाइड्रोजन और हीलियम नहीं हैं। मंगल पर CO2, N, तथा Ar ( आर्गन) है। शुक्र पर CO, तथा N उपस्थित हैं।7 / 607. निम्नलिखित को आकार के अनुसार घटते क्रम में लगाइए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए- M.P.P.C.S. (Pre) 2008 (a) (1), (4), (3), (2) (b) (4), (1), (2), (3) (c) (1), (4), (2), (3) (d) (4), (1), (3), (2) वरुण (नेपच्यून) सबसे दूर स्थित है। यह सूर्य की परिक्रमा करने में सर्वाधिक समय 59,800 दिन (लगभग 165 वर्ष) लगाता है।सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।ग्रह (Planet) अप्रकाशवान होते हैं, किंतु सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं।8 / 608. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा सुमेलित नहीं है ? U.P.P.C.S. (Mains) 2011 (a) सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह - बृहस्पति (b) सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह -बुध (c) सौरमंडल का सर्वाधिक चमकीला ग्रह - शुक्र (d) सौरमंडल का मन्दतम गति वाला ग्रहें- मंगल वरुण (नेपच्यून) सबसे दूर स्थित है। यह सूर्य की परिक्रमा करने में सर्वाधिक समय 59,800 दिन (लगभग 165 वर्ष) लगाता है।सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।ग्रह (Planet) अप्रकाशवान होते हैं, किंतु सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं।9 / 609. ग्रहों के बारे में निम्न में क्या सत्य है- U.P. P.C.S. (Pre) 1992 (a) ये प्रकाशहीन होते हैं, किंतु चमकते नहीं हैं। (b) ये अप्रकाशवान होते हुए भी चमकते हैं। (c) ये प्रकाशवान होते हैं, किंतु चमकते नहीं हैं। (d) ये प्रकाशवान भी हैं और चमकते भी हैं। सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।ग्रह (Planet) अप्रकाशवान होते हैं, किंतु सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं।10 / 6010. पृथ्वी स्थित है- U.P. P.C.S. (Mains) 2012 (a) शुक्र एवं मंगल के मध्य (c) शुक्र एवं बृहस्पति के मध्य (b) मंगल एवं बृहस्पति के मध्य (d) बुध एवं शुक्र के मध्य सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।11 / 6011. सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य ग्रह हैं- U.P.P.S.C. (GIC) 2010 (a) मंगल एवं बुध (b) मंगल एवं शुक्र (c) बुध एवं शुक्र (d) बृहस्पति एवं शनि सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।12 / 6012. निम्नलिखित ग्रहों को उनकी सूर्य से दूरी के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए- U.P. Lower Sub. (Pre) 20021. प्लूटो 2. पृथ्वी 3. बृहस्पति 4. यूरेनस (a) 2, 3, 4, 1 (c) 3, 2, 4, 1 (b) 4,3, 2, 1, (d) 1, 2, 4, 3 सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।13 / 6013. सौरमंडल में ग्रहों की संख्या है- U.P.P.C.S. (Pre) 1992 (a) 8 (b) 9 (c) 12 (d) 21 सौरमंडल में ग्रहों की संख्या पूर्व मान्यता के अनुसार 9 थी14-25 अगस्त, 2006 के मध्य प्राग (चेक गणराज्य) में संपन्न 'अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ' (IAU) की 26वीं महासभा की बैठक में प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह (Dwarf) की श्रेणी में डाल दिया गया। अतः ग्रहों की संख्या नई मान्यता के अनुसार 9 से घटकर 8 हो गई है।14 / 6014. किस वैज्ञानिक ने पहली बार कहा था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है और पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र बिंदु नहीं है ? M.P. P.C.S. (Pre) 1998 (a) गैलीलियो (b) कॉपरनिकस (c) आइजक न्यूटन (d) केप्लर 1514 ई. में एक हस्तलिखित पुस्तक 'Little Commentary ' में कॉपरनिकस (Copernicus) ने उस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था, जिसमें कहा गया था कि 'सूर्य ब्रह्माण्ड के केंद्र में है तथा पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है।' उल्लेखनीय है कि छठी शती ई. के प्रसिद्ध भारतीय खगोलविद् वराहमिहिर ने इससे लगभग 1000 वर्ष पूर्व ही यह बता दिया था कि चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा करती है।निकोलस कॉपरनिकस ने पहली बार कहा था कि पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है और पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र बिंदु नहीं है। कॉपरनिकस ने सर्वप्रथम यह स्थापित किया कि सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं पोलैंड के खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ निकोलस कॉपरनिकस (Nicolaus Copernicus) इस मत के प्रतिपादक थे कि दैनिक गति में पृथ्वी अपने अक्ष पर तथा वार्षिक गति में स्थिर सूर्य के चतुर्दिक चक्कर लगाती है। इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिलेई (Galileo Galilei) ने गिरने वाले पिंडों के आधारभूत नियमों का निरूपण किया है। अंग्रेज वैज्ञानिक आइजक न्यूटन (Isaac Newton) ने गुरुत्वाकर्षण तथा गति के तीन नियमों का प्रतिपादन किया। जर्मनी के खगोलविद् जोहान्स केप्लर (Johannes Kepler) ग्रहीय गतियों से संबंधित 3 आधारभूत नियमों के जनक हैं। 15 / 6015. यह किसने सर्वप्रथम प्रतिपादित किया कि सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र है और पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है? M.P.P.C.S. 1995 (a) न्यूटन (b) गैलीलियो (c) पाणिनि (d) कॉपरनिकस 1514 ई. में एक हस्तलिखित पुस्तक 'Little Commentary ' में कॉपरनिकस (Copernicus) ने उस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था, जिसमें कहा गया था कि 'सूर्य ब्रह्माण्ड के केंद्र में है तथा पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है।' उल्लेखनीय है कि छठी शती ई. के प्रसिद्ध भारतीय खगोलविद् वराहमिहिर ने इससे लगभग 1000 वर्ष पूर्व ही यह बता दिया था कि चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा करती है।16 / 6016. निम्नलिखित में से कौन-सा सौरमंडल का भाग नहीं है? 53rd to 55th B. P.S.C. (Pre) 2011 (a) क्षुद्र ग्रह (b) धूमकेतु (c) ग्रह (d) निहारिका सौरमंडल का निर्माण लगभग 4.53 से 4.58 (लगभग 4.6 ) बिलियन वर्ष पूर्व हुआ था। सौरमंडल में सूर्य (तारा) और ऐसे खगोलीय पिंड सम्मिलित होते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा उससे जुड़े रहते हैं; इनमें ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्र ग्रह, उल्काएं, धूमकेतु और खगोलीय धूल आदि शामिल हैं, जबकि निहारिका सौरमंडल का भाग नहीं होती है। 17 / 6017. सूर्य के केंद्र में उपस्थित पदार्थ होते हैं- U.P.P.C.S. (Pre) 2001 (a ) ठोस, द्रव तथा गैसीय अवस्थाओं में (b) केवल द्रव अवस्था में (c) केवल गैसीय अवस्था में (d) गैस और प्लाज्मा के रूप में सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) की स्थिति तब होती है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है। यह स्थिति केवल प्रतिपदा (New Moon Day) या अमावस्या को ही होती है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्यग्रहण की स्थिति होती है। इस स्थिति में पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होता है, वहीं चंद्रमा की छाया पड़ती है। साथ ही पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना में पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया का आकार छोटा होता है। यही कारण है कि पूर्ण सूर्यग्रहण पृथ्वी के सभी भागों पर एक साथ दिखाई नहीं देता है तथा यह केवल सीमित भू-क्षेत्र में ही दिखाई देता है।'हीरक वलय' (Diamond Ring) का दृश्य पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) के समय, जब चंद्रमा, सूर्य को पूर्णतः ढक लेता है, के कुछ सेकंड पूर्व एवं कुछ सेकंड बाद परिधि रेखा पर दिखाई पड़ता है।सूर्य के केंद्र में अत्यधिक उच्च तापमान (लगभग 15000000°C) के कारण उपस्थित सभी पदार्थ गैस और प्लाज्मा के रूप में मिलते हैं। उल्लेखनीय है कि प्लाज्मा द्रव्य (Matter) की ठोस, द्रव एवं गैस के अतिरिक्त चौथी अवस्था है। 18 / 6018. हीरक वलय एक दृश्य है जिसे देखा जा सकता है- I.A.S. (Pre) 1996 (a) पूर्ण सूर्यग्रहण के आरंभ में (b) पूर्ण सूर्यग्रहण के अंत में (c) केवल पूर्णतया पथचिह्न के परिधीय क्षेत्रों पर (d) केवल पूर्णतया पथचिह्न के केंद्रीय क्षेत्रों पर सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) की स्थिति तब होती है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है। यह स्थिति केवल प्रतिपदा (New Moon Day) या अमावस्या को ही होती है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्यग्रहण की स्थिति होती है। इस स्थिति में पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होता है, वहीं चंद्रमा की छाया पड़ती है। साथ ही पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना में पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया का आकार छोटा होता है। यही कारण है कि पूर्ण सूर्यग्रहण पृथ्वी के सभी भागों पर एक साथ दिखाई नहीं देता है तथा यह केवल सीमित भू-क्षेत्र में ही दिखाई देता है।'हीरक वलय' (Diamond Ring) का दृश्य पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) के समय, जब चंद्रमा, सूर्य को पूर्णतः ढक लेता है, के कुछ सेकंड पूर्व एवं कुछ सेकंड बाद परिधि रेखा पर दिखाई पड़ता है।19 / 6019. सूर्यग्रहण कब होता है- U.P.P.C.S. (Pre) 1991 (a) चतुर्थांश चंद्रमा के दिन (b) प्रतिपदा (New Moon Day) (c) किसी दिन (d) पूर्णिमा को सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) की स्थिति तब होती है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है। यह स्थिति केवल प्रतिपदा (New Moon Day) या अमावस्या को ही होती है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्यग्रहण की स्थिति होती है। इस स्थिति में पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होता है, वहीं चंद्रमा की छाया पड़ती है। साथ ही पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना में पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया का आकार छोटा होता है। यही कारण है कि पूर्ण सूर्यग्रहण पृथ्वी के सभी भागों पर एक साथ दिखाई नहीं देता है तथा यह केवल सीमित भू-क्षेत्र में ही दिखाई देता है।20 / 6020. सूर्यग्रहण कब होता है ? U.P.P.C.S. (Pre) 1990 (a) सूर्य जब चंद्रमा व पृथ्वी के बीच आता है (b) पृथ्वी जब सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है (c) चंद्रमा जब सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है (d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) की स्थिति तब होती है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है। यह स्थिति केवल प्रतिपदा (New Moon Day) या अमावस्या को ही होती है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्यग्रहण की स्थिति होती है। इस स्थिति में पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होता है, वहीं चंद्रमा की छाया पड़ती है। साथ ही पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना में पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया का आकार छोटा होता है। यही कारण है कि पूर्ण सूर्यग्रहण पृथ्वी के सभी भागों पर एक साथ दिखाई नहीं देता है तथा यह केवल सीमित भू-क्षेत्र में ही दिखाई देता है।21 / 6021. खग्रास (पूर्ण) सूर्यग्रहण केवल सीमित भू-क्षेत्र में ही दिखाई पड़ता है क्योंकि- I.A.S. (Pre) 1993 (a) पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना में पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया का आकार छोटा होता है। (b) पृथ्वी की सतह सपाट नहीं है, बल्कि उसमें उभार और अवनमन है। (c) सूर्य के चारोंओर पृथ्वी का तथा पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा का कक्ष पथ पूर्णतः वृत्ताकार नहीं है। (d) वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य की किरणें चंद्र छाया के अधिकांश परिधीय क्षेत्र तक पहुंच सकती हैं। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्यग्रहण की स्थिति होती है। इस स्थिति में पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होता है, वहीं चंद्रमा की छाया पड़ती है। साथ ही पृथ्वी के अनुप्रस्थ परिच्छेद की तुलना में पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया का आकार छोटा होता है। यही कारण है कि पूर्ण सूर्यग्रहण पृथ्वी के सभी भागों पर एक साथ दिखाई नहीं देता है तथा यह केवल सीमित भू-क्षेत्र में ही दिखाई देता है।22 / 6022. सूर्य का प्रभामंडल (Halo) प्रकाश के अपवर्तन से उत्पन्न होता है- (a) स्तरी मेघों के जलवाष्प में (b) पक्षाभ - कपासी मेघों के हिमस्फटिकों में (c) पक्षाभ मेघों के हिमस्फटिकों में (d) स्तरी मेघों के धूल कणों में चंद्रमा अथवा सूर्य के चारों ओर पक्षाभ (Cirrus) एवं पक्षाभ स्तरी (Cirro-stratus) बादलों के प्रतिबिंबन से बने श्वेत दूधिया रंग के छल्ले को प्रभामंडल कहते हैं।23 / 6023. एक खगोलीय एकक (One Astronomical Unit) औसत दूरी है- I.A.S. (Pre) 1998, Jharkhand P.C.S. (Pre) 2011 (b) पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की (a) पृथ्वी और सूर्य के बीच की (c) बृहस्पति और सूर्य के बीच की (d) प्लूटो और सूर्य के बीच की सूर्य एक मध्यम आयु का मध्यम तारा है।इसका व्यास लगभग 13.9 लाख किमी. है।सूर्य की वर्तमान आयु लगभग 4.7 अरब वर्ष है।सूर्य के द्रव्यमान का 70.6 प्रतिशत भाग हाइड्रोजन और 27.4 प्रतिशत भाग हीलियम से बना है।सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लगभग 8 मिनट में पहुँचता है।सूर्य अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। इसकी घूर्णन अवधि भूमध्य रेखा पर 25 पृथ्वी दिवस है।सूर्य का अपना कोई चंद्रमा नहीं है। साथ ही, सूर्य पर किसी छल्ले की भी विद्यमानता नहीं है।सूर्य, पृथ्वी से लगभग 109 गुना बड़ा है. सूर्य का व्यास 13 लाख 90 हज़ार किलोमीटर है, जबकि पृथ्वी का व्यास 12,742 किलोमीटर है.सूर्य का वज़न भी पृथ्वी से करीब 333,000 गुना ज़्यादा है. सूर्य की सतह का तापमान 10,000 डिग्री फ़ारेनहाइट होता है.सूर्य से पृथ्वी की दूरी : 149.6 मिलियन किमी.खगोलीय इकाई (Astronomical Unit) लंबाई मापने की इकाई है। यह इकाई सूर्य एवं पृथ्वी के बीच की औसत दूरी लगभग 150 × 106 किमी. (149.598×106 किमी. या 149.6 मिलियन किमी.) के बराबर होती है। 24 / 6024. सूर्य से पृथ्वी की दूरी कितनी है ? U.P.P.C.S. (Pre) 2010 (a) 107.7 मिलियन किमी. (b) 142.7 मिलियन किमी. (c) 146.6 मिलियन किमी. (d) 149.6 मिलियन किमी. सूर्य एक मध्यम आयु का मध्यम तारा है।इसका व्यास लगभग 13.9 लाख किमी. है।सूर्य की वर्तमान आयु लगभग 4.7 अरब वर्ष है।सूर्य के द्रव्यमान का 70.6 प्रतिशत भाग हाइड्रोजन और 27.4 प्रतिशत भाग हीलियम से बना है।सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लगभग 8 मिनट में पहुँचता है।सूर्य अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। इसकी घूर्णन अवधि भूमध्य रेखा पर 25 पृथ्वी दिवस है।सूर्य का अपना कोई चंद्रमा नहीं है। साथ ही, सूर्य पर किसी छल्ले की भी विद्यमानता नहीं है।सूर्य, पृथ्वी से लगभग 109 गुना बड़ा है. सूर्य का व्यास 13 लाख 90 हज़ार किलोमीटर है, जबकि पृथ्वी का व्यास 12,742 किलोमीटर है.सूर्य का वज़न भी पृथ्वी से करीब 333,000 गुना ज़्यादा है. सूर्य की सतह का तापमान 10,000 डिग्री फ़ारेनहाइट होता है.सूर्य से पृथ्वी की दूरी : 149.6 मिलियन किमी.खगोलीय इकाई (Astronomical Unit) लंबाई मापने की इकाई है। यह इकाई सूर्य एवं पृथ्वी के बीच की औसत दूरी लगभग 150 × 106 किमी. (149.598×106 किमी. या 149.6 मिलियन किमी.) के बराबर होती है। 25 / 6025. पृथ्वी सूर्य से निकटतम दूरी पर होती है- Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006 (a) 3 जनवरी को (b) 4 जुलाई को (c) 22 मार्च को (d) 21 सितंबर को पृथ्वी सूर्य से निकटतम दूरी पर जनवरी के प्रथम सप्ताह में होती है, इस स्थिति को पेरीहिलियन (उपसौर) कहते हैं। इसके विपरीत जुलाई प्रथम सप्ताह में पृथ्वी, सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर होती है, इस स्थिति को अपहिलियन (अपसौर) कहते हैं। सामान्यतः उपसौर की स्थिति 4 जनवरी या उसके निकटतम तिथि यथा 2, 3, 5 जनवरी को होती है, उसी प्रकार अपसौर 4 जुलाई या उसके निकटतम तिथि को होती है।26 / 6026. सूर्य का आकार पृथ्वी से कितने गुना बड़ा है? M.P.P.C.S. (Pre) 2014 (a) 124 गुना (b) 100 गुना (c) 109 गुना (d) 115 गुना सूर्य एक मध्यम आयु का मध्यम तारा है।इसका व्यास लगभग 13.9 लाख किमी. है।सूर्य की वर्तमान आयु लगभग 4.7 अरब वर्ष है।सूर्य के द्रव्यमान का 70.6 प्रतिशत भाग हाइड्रोजन और 27.4 प्रतिशत भाग हीलियम से बना है।सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लगभग 8 मिनट में पहुँचता है।सूर्य अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। इसकी घूर्णन अवधि भूमध्य रेखा पर 25 पृथ्वी दिवस है।सूर्य का अपना कोई चंद्रमा नहीं है। साथ ही, सूर्य पर किसी छल्ले की भी विद्यमानता नहीं है।सूर्य, पृथ्वी से लगभग 109 गुना बड़ा है. सूर्य का व्यास 13 लाख 90 हज़ार किलोमीटर है, जबकि पृथ्वी का व्यास 12,742 किलोमीटर है.सूर्य का वज़न भी पृथ्वी से करीब 333,000 गुना ज़्यादा है. सूर्य की सतह का तापमान 10,000 डिग्री फ़ारेनहाइट होता है.27 / 6027. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रह सबसे कम समय में सूर्य का चक्कर लगाता है ? U.P. P.C.S. (Pre) 2002 (a) शुक्र (b) बुध (c) पृथ्वी (d)शनि यह सूर्य से सबसे निकट का ग्रह है एवं सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है।यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय (88 दिन) में पूरा कर लेता है।इसकी कक्षीय गति सौरमंडल के अन्य ग्रहों की अपेक्षा सर्वाधिक है। यह 48 किमी. प्रति सेकंड की गति से सूर्य की परिक्रमा करता है। (कुछ अन्य स्रोतों में 50 किमी. प्रति सेकंड)यहाँ दिन अत्यधिक गर्म तथा रातें बर्फीली होती हैं, अतः बुध का तापांतर अन्य ग्रहों की अपेक्षा सर्वाधिक है।बुध के पास अपना कोई उपग्रह नहीं है।बुध पर वायुमंडल का अभाव है।28 / 6028. निम्नलिखित ग्रह युग्मों में से कौन बिना उपग्रह के हैं? U.P.P.C.S. (Mains) 2016 (a) शुक्र एवं मंगल (b) बुध एवं मंगल (c) पृथ्वी और बृहस्पति (d) बुध और शुक्र बुध (Mercury) एवं शुक्र (Venus) ग्रह के कोई भी उपग्रह नहीं हैं। सूर्य और पृथ्वी के बीच में होने के कारण इन्हें अंतर्ग्रह (Interior Planets) भी कहा जाता है।पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह ‘चंद्रमा’ है। सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में 8 मिनट 18 सेकंड लगता हैमंगल के दो उपग्रह ‘फोबोस’ तथा ‘डीमोस’ हैं तथा डीमोस सौरमंडल का सबसे छोटा उपग्रह है।बृहस्पति के कुल 79 उपग्रह हैं। गैनीमीड इस सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।शनि के 82 (सर्वाधिक ) उपग्रह हैं, जिसमें ‘एंसेलेडस’ नामक उपग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी पाये गए हैं।29 / 6029. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- I.A.S. (Pre) 2008 किसी पिंड का एल्बिडो, परावर्तित प्रकाश में देखने पर, उसकी चाक्षुष द्युति निर्धारित करता है। बुध का एल्बिडो, पृथ्वी के एल्बिडो से बहुत अधिक है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 दोनों (d) न तो 1 और न ही 2 अपने ऊपर पड़ने वाले किसी सतह के प्रकाश या अन्य विद्युतचुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) को प्रतिबिंबित करने की शक्ति की माप को प्रकाशानुपात (Albedo / ऐल्बीडो ) या धवलता कहते हैं।अगर कोई वस्तु अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को पूरी तरह वापस चमका देती है तो उसका ऐल्बीडो 1.0 या प्रतिशत में 100% कहा जाता है।परावर्तित प्रकाश में देखने पर किसी पिंड का एल्बिडो उसकी चमक ( Brightness) अर्थात चाक्षुष द्युति निर्धारित करता है। बुध बहुत अधिक मात्रा में सूर्य का प्रकाश ग्रहण करता है, किंतु इसका एल्बिडो पृथ्वी की तुलना में बहुत कम होने के कारण इसमें चमक कम होती है। पृथ्वी का एल्बिडो लगभग 0.3 है, जबकि बुध का लगभग 0.1 है। 30 / 6030. सौरमंडल का सर्वाधिक गर्म ग्रह है- 41st B.P.S.C. (Pre) 1996 (a) बुध (c) मंगल (b) शुक्र (d) शनि समान आकार तथा द्रव्यमान के कारण , शुक्र (Venus) ग्रह को पृथ्वी की जुड़वां बहन (Sister Planet) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इस ग्रह को सर्वाधिक चमकीला ग्रह, सुबह का तारा तथा शाम का तारा, 'भोर का तारा' आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।मैगलन अंतरिक्षयान (Magellan Spacecraft) को रडार मैपिंग मिशन के तहत शुक्र (Venus) ग्रह पर वर्ष 1989 में भेजा गया था।यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता हैशुक्र (Venus) ग्रह पर वायुमंडल (Atmosphere) के प्रमाण उपलब्ध हैं। शुक्र के वायुमंडल में मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड का ही संकेंद्रण है। इसके अतिरिक्त शुक्र की सतह का तापमान औसतन 464°C से अधिक रहता है। उपर्युक्त कारणों (अत्यधिक तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड) शुक्र पर जीवन की संभावना अत्यधिक कम हो जाती है।शुक्र, सूर्य के दूसरा सबसे निकटतम ग्रह तथा रात्रि में आकाश में सबसे चमकीला प्राकृतिक ग्रह है।मंगल को 'लाल ग्रह' कहा जाता है। बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, जबकि शनि छल्लों से युक्त ग्रह है।31 / 6031. 'Evening Star' किस ग्रह को कहते हैं ? 44th B.P.S.C. (Pre) 2000 (a) बुध (c) मंगल (b) शुक्र (d) शनि समान आकार तथा द्रव्यमान के कारण , शुक्र (Venus) ग्रह को पृथ्वी की जुड़वां बहन (Sister Planet) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इस ग्रह को सर्वाधिक चमकीला ग्रह, सुबह का तारा तथा शाम का तारा, 'भोर का तारा' आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।मैगलन अंतरिक्षयान (Magellan Spacecraft) को रडार मैपिंग मिशन के तहत शुक्र (Venus) ग्रह पर वर्ष 1989 में भेजा गया था।यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता हैशुक्र (Venus) ग्रह पर वायुमंडल (Atmosphere) के प्रमाण उपलब्ध हैं। शुक्र के वायुमंडल में मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड का ही संकेंद्रण है। इसके अतिरिक्त शुक्र की सतह का तापमान औसतन 464°C से अधिक रहता है। उपर्युक्त कारणों (अत्यधिक तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड) शुक्र पर जीवन की संभावना अत्यधिक कम हो जाती है।शुक्र, सूर्य के दूसरा सबसे निकटतम ग्रह तथा रात्रि में आकाश में सबसे चमकीला प्राकृतिक ग्रह है।मंगल को 'लाल ग्रह' कहा जाता है। बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, जबकि शनि छल्लों से युक्त ग्रह है।32 / 6032. निम्नलिखित में से किस एक को 'भोर का तारा' के नाम से जाना जाता है? U.P. Lower Sub. (Pre) 2015 (a) बुध (c) मंगल (b) शुक्र (d) शनि समान आकार तथा द्रव्यमान के कारण , शुक्र (Venus) ग्रह को पृथ्वी की जुड़वां बहन (Sister Planet) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इस ग्रह को सर्वाधिक चमकीला ग्रह, सुबह का तारा तथा शाम का तारा, 'भोर का तारा' आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।मैगलन अंतरिक्षयान (Magellan Spacecraft) को रडार मैपिंग मिशन के तहत शुक्र (Venus) ग्रह पर वर्ष 1989 में भेजा गया था।यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता हैशुक्र (Venus) ग्रह पर वायुमंडल (Atmosphere) के प्रमाण उपलब्ध हैं। शुक्र के वायुमंडल में मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड का ही संकेंद्रण है। इसके अतिरिक्त शुक्र की सतह का तापमान औसतन 464°C से अधिक रहता है। उपर्युक्त कारणों (अत्यधिक तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड) शुक्र पर जीवन की संभावना अत्यधिक कम हो जाती है।शुक्र, सूर्य के दूसरा सबसे निकटतम ग्रह तथा रात्रि में आकाश में सबसे चमकीला प्राकृतिक ग्रह है।33 / 6033.कथन (A): शुक्र (वीनस) ग्रह पर मानव जीवन का होना अत्यधिक असम्भाव्य है। कारण (R) : शुक्र के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का अत्यधिक उच्च स्तर है। नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए- I.A.S. (Pre) 2005 (a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है (b) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है (d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है शुक्र (Venus) ग्रह को पृथ्वी की जुड़वां बहन (Sister Planet) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इस ग्रह को सर्वाधिक चमकीला ग्रह, सुबह का तारा तथा शाम का तारा आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।मैगलन अंतरिक्षयान (Magellan Spacecraft) को रडार मैपिंग मिशन के तहत शुक्र (Venus) ग्रह पर वर्ष 1989 में भेजा गया था।यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता हैशुक्र (Venus) ग्रह पर वायुमंडल (Atmosphere) के प्रमाण उपलब्ध हैं। शुक्र के वायुमंडल में मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड का ही संकेंद्रण है। इसके अतिरिक्त शुक्र की सतह का तापमान औसतन 464°C से अधिक रहता है। उपर्युक्त कारणों (अत्यधिक तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड) शुक्र पर जीवन की संभावना अत्यधिक कम हो जाती है।34 / 6034. पृथ्वी की जुड़वां बहन कहे जाने वाले ग्रह का नाम है- U.P.P.C.S. (Pre) 2007 (a) प्लूटो (b) शनि (c) मंगल (d) शुक्र शुक्र (Venus) ग्रह को पृथ्वी की जुड़वां बहन (Sister Planet) के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इस ग्रह को सर्वाधिक चमकीला ग्रह, सुबह का तारा तथा शाम का तारा आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है।मैगलन अंतरिक्षयान (Magellan Spacecraft) को रडार मैपिंग मिशन के तहत शुक्र (Venus) ग्रह पर वर्ष 1989 में भेजा गया था।यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है35 / 6035. मैगलन अंतरिक्षयान किस ग्रह हेतु भेजा गया है ? U.P.P.C.S. (Pre) 1991 (a) प्लूटो (b) शनि (c) मंगल (d) शुक्र मैगलन अंतरिक्षयान (Magellan Spacecraft) को रडार मैपिंग मिशन के तहत शुक्र (Venus) ग्रह पर वर्ष 1989 में भेजा गया था।36 / 6036. कभी-कभी समाचारों में 'इवेंट होराइजन', 'सिंगुलैरिटी', 'स्ट्रिंग थियरी' और 'स्टैंडर्ड मॉडल' जैसे शब्द किस संदर्भ में आते हैं? I.A.S. (Pre) 2017 (a) ब्रह्माण्ड का प्रेक्षण और बोध (b) सूर्य और चंद्र ग्रहणों का अध्ययन (c) पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों का स्थापन (d) पृथ्वी पर जीवित जीवों की उत्पत्ति और क्रमविकास इवेंट होराइजन - यह एक ऐसी सीमा (Boundary) है, जो अंतरिक्ष में ब्लैक होल के चारों ओर के क्षेत्र को परिभाषित करती है। इसी सीमा के अंदर किसी भी घटना का प्रेक्षण संभव नहीं है। सिंगुलैरिटी - यह अंतरिक्ष-काल (Space Time) में एक ऐसा स्थल है. जहां किसी खगोलीय पिंड का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र अनंत हो जाता है। स्ट्रिंग थियरी इसमें सभी पदार्थों एवं बलों को एकल सैद्धांतिक रूपरेखा में सम्मिलित कर ब्रह्माण्ड के मूल स्तर की व्याख्या कणों के स्थान पर कंपायमान स्ट्रिंग के पदों में की जाती है। स्टैंडर्ड मॉडल- कण भौतिकी का स्टैंडर्ड मॉडल एक ऐसा सिद्धांत है, जिसमें ब्रह्माण्ड में ज्ञात चार मूल बलों में से तीन (विद्युत चुंबकीय, दुर्बल एवं प्रबल ) की व्याख्या की जाती है तथा सभी ज्ञात मूल कणों का वर्गीकरण किया जाता है। 37 / 6037. निम्नांकित में से कौन अंतरिक्ष शब्दावली से संबंधित नहीं है? U.P.P.C.S. (Pre) 1997 (a) टेलीमीटरिंग (b) भारहीनता (c) सिसलुनर (d) बाइट बाइट (Byte) कम्प्यूटर प्रणालियों में आठ द्विआधारी अंकों वाली इकाई होती है। अधिकांश कम्प्यूटरों में इसका प्रयोग अक्षरों, संख्याओं और प्रतीक चिह्नों को प्रदर्शित करने में किया जाता है।38 / 6038. जिस तारामंडल के तारे ध्रुव तारे की ओर संकेत करते हैं, वह 41st B.P.S.C. (Pre) 1996 (a) सप्तऋषि (b) मृग (c) वृश्चिक (d) वृष ध्रुव तारा उत्तर की दिशा में चमकता है, अतः पूर्व की ओर जाने के लिए ध्रुव तारे को अपनी बाई ओर रखकर चलना होगा।ध्रुव तारे को उत्तर सितारा भी कहा जाता है.यह तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के करीब होता है और उत्तरी ध्रुव से सीधे ऊपर की ओर दिखाई देता है. पृथ्वी के घूर्णन अक्ष पर स्थित होने के कारण ध्रुव तारे की स्थिति पृथ्वी के किसी भी स्थान के सापेक्ष नहीं बदलती, इसलिए यह स्थिर दिखाई देता है. इस वजह से, नाविक नेविगेशन के लिए इसका इस्तेमाल करते थे.ध्रुव तारा, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का सबसे चमकीला तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से 45वां सबसे चमकीला तारा है. यह पृथ्वी से करीब 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है.भगवान विष्णु ने ध्रुव तारे को आकाश का पहला तारा माना था.ध्रुव तारे (Polaris) का संकेत सप्तऋषि तारामंडल से प्राप्त होता है। ध्रुव तारे की स्थिति देखकर, आस-पास नज़र घुमाकर सप्तऋषि तारामंडल को देखा जा सकता है. पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के आकाश में रात में दिखने वाला एक तारामंडल है. इसे फाल्गुन-चैत महीने से श्रावण-भाद्र महीने तक आकाश में सात तारों के समूह के रूप में देखा जा सकता है. ये तारे उत्तर दिशा में दिखाई देते हैं इस तारामंडल का नाम देश के सात प्रसिद्ध ऋषियों के नाम पर रखा गया है. इनके नाम हैं - क्रतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरस, वशिष्ठ और मारीचि.सप्तऋषि तारामंडल, कांस्टेलेशन Ursa Major का हिस्सा है39 / 6039. एक व्यक्ति काली अंधेरी रात में रेगिस्तान में अकेला खड़ा था। उसे अपने गांव जाना था, जो वहां से पूर्व में पांच किलोमीटर की दूरी पर था। उसके पास दिशा-ज्ञान के लिए कोई यंत्र नहीं था, पर उसने ध्रुव तारे को पहचान लिया। अब उसको गांव पहुंचने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा मार्ग अपनाना अधिकतम सुविधाजनक होगा ? I.A.S. (Pre) 2012 (a) ध्रुव तारे की दिशा में चले (b) ध्रुव तारे से विपरीत दिशा में चले (c) ध्रुव तारे को अपनी बाईं ओर रखकर चले (d) ध्रुव तारे को अपनी दाहिनी ओर रखकर चले ध्रुव तारा उत्तर की दिशा में चमकता है, अतः पूर्व की ओर जाने के लिए ध्रुव तारे को अपनी बाई ओर रखकर चलना होगा।ध्रुव तारे को उत्तर सितारा भी कहा जाता है.यह तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के करीब होता है और उत्तरी ध्रुव से सीधे ऊपर की ओर दिखाई देता है. पृथ्वी के घूर्णन अक्ष पर स्थित होने के कारण ध्रुव तारे की स्थिति पृथ्वी के किसी भी स्थान के सापेक्ष नहीं बदलती, इसलिए यह स्थिर दिखाई देता है. इस वजह से, नाविक नेविगेशन के लिए इसका इस्तेमाल करते थे.ध्रुव तारा, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का सबसे चमकीला तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से 45वां सबसे चमकीला तारा है. यह पृथ्वी से करीब 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है.भगवान विष्णु ने ध्रुव तारे को आकाश का पहला तारा माना था.40 / 6040. यदि एक प्रेक्षक तारों को क्षितिज से लंबवत उठते देखता है, तो वह अवस्थित होता है- I.A.S. (Pre) 2001 (a) विषुवत रेखा पर (b) कर्क रेखा पर (c) दक्षिण ध्रुव पर (d) उत्तर ध्रुव पर तारे उत्तरी और दक्षिणी खगोलीय ध्रुवों (North & South Celestial Poles) के चारों ओर खगोलीय विषुवत रेखा (Celestial Equator) के समानांतर चक्कर लगाते दिखाई देते हैं। उत्तरी एवं दक्षिणी खगोलीय ध्रुव, भौगोलिक उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों (Geographical North & South Poles ) के ठीक ऊपर स्थित होते हैं तथा खगोलीय विषुवत रेखा पृथ्वी की विषुवत रेखा के लगभग ऊपर एवं ध्रुवों के सदैव 90° पर स्थित होती है और यह क्षितिज पर पूर्व एवं पश्चिम के बिंदुओं से अंतर्रोध करती है। खगोलीय ध्रुवों के अंशों (Degrees) की संख्या क्षितिज की विषुवत रेखा के अक्षांशों के बराबर होती है। अतः यदि कोई प्रेक्षक (Observer) तारों को क्षितिज से लंबवत उठते हुए देखता है, तो निश्चित ही वह विषुवत रेखा पर है। 41 / 6041. तारों के मध्य दूरी ज्ञात करने की इकाई है- Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006 (a) स्टीलर गील (b) कॉस्मिक किलोमीटर (c) गैलेक्टिक इकाई (d) प्रकाश वर्ष निर्वात में प्रकाश द्वारा 3 x 105 किमी./सेकंड की गति से एक वर्ष में चली गई दूरी प्रकाश वर्ष कहलाती है। प्रकाश वर्ष तारों के मध्य दूरी ज्ञात करने की इकाई है।42 / 6042. निम्नलिखित कथनों पर ध्यान दीजिए- I.A.S. (Pre) 1996पृथ्वी और सूर्य के बीचो-बीच स्थित अंतरिक्ष यान में बैठे व्यक्ति को दिखाई पड़ेगा कि- आकाश स्याह काला है तारे टिमटिमाते नहीं हैं अंतरिक्ष यान के बाहर का ताप पृथ्वी तल के ताप से कहीं अधिक है इन कथनों में- (a) केवल 3 सही है (b) 1 और 2 सही हैं (c) 1 और 3 सही हैं (d) 1, 2 और 3 सही हैं अंतरिक्ष यान में बैठे व्यक्ति को आकाश के काला दिखने या तारे टिमटिमाते न दिखाई पड़ने का कारण वायुमंडल हीनता है। अंतरिक्ष यान के बाहर ( बाह्य आकाश ) का तापमान लगभग 3° केल्विन (-270°C) होता है, जो पृथ्वी तल के ताप से बहुत कम है।43 / 6043. हब्बल अंतरिक्ष टेलीस्कोप ने पहली बार एक दूरस्थ तारे के सतह की छाया भेजी है। तारे का नाम है- U.P.P.C.S. (Pre) 1995 (a) विरगो (b) वरजिन्स (c) बीटलग्यूस (d) बिग डिपर बीटलग्यूस ओरियन तारा समूह का दूसरा सबसे चमकीला तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 650 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसे सर्वप्रथम 1836 ई. में सर जॉन हर्शेल ने देखा किन्तु वर्ष 1995 में हब्बल दूरबीन ने इसका चित्र खींचा। सूर्य के अतिरिक्त किसी तारे का खींचा जाने वाला यह प्रथम चित्र था।हबल दूरबीन का नाम खगोलशास्त्री एडविन हबल के नाम पर रखा गया हैहबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) एक अंतरिक्ष दूरबीन है जिसे 1990 में पृथ्वी की निचली कक्षा में लॉन्च किया गया था44 / 6044. एक निश्चित आकृति में व्यवस्थित ताराओं का समूह, कहलाता है। U.P.P.C.S. (Pre) 2013 (a) आकाश गंगा (c) एंड्रोमीडा (b) नक्षत्र (d) सौरमंडल खगोलशास्त्र में, आकाश में दिखने वाले तारों का ऐसा समूह, जो हमें एक निश्चित आकृति में व्यवस्थित प्रतीत होते हैं तथा जिन्हें एक नाम प्रदान किया गया है 'तारामंडल' अथवा 'नक्षत्र' (Constellation ) कहलाते हैं।हाइड्रा सबसे बड़ा तारामंडल है। यह 1303 वर्ग डिग्री को मापता है और यह 100 डिग्री से अधिक लंबा भी है।सेंटोरस सबसे चमकीला तारामंडल है।सप्तर्षि तारामंडल को "अरसा मेजर" (Ursa Major), "ग्रेट बेयर" (Great Bear) या "बिग बेयर" (Big Bear) कहा जाता है - इन सब का अर्थ "बड़ा भालू" होता है। इसे अमेरिका और कनाडा में "बिग डिप्पर" (यानि बड़ा चमचा) भी कहा जाता है। चीन में यह "पे-तेऊ" कहलाता है.1922 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 88 नक्षत्रों की सूची तैयार की।45 / 6045. निम्नांकित में से कौन अंतरिक्ष में नहीं पाया जाता है? U.P.P.C.S. (Pre) 1996 (a) पल्सर (c) ब्लैक होल (b) ब्रिटल स्टार (d) क्वासर कृष्ण मास्टर नहीं बल्कि कृष्ण विवर या ब्लैक होल खगोलीय वस्तु है। क्वासर एक तारावत स्रोत है, जो लगभग 2.5 से 13 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। कुछ इससे भी अधिक दूरी पर स्थित हैं। ये प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इनसे आने वाली रेडियो तरंगों से इनकी जानकारी प्राप्त की जाती है।ब्रिटल स्टार (Brittle Stars) का संबंध एनीमेलिया जगत, इकानोडर्मेटा संघ तथा ओफिरोइडिया वर्ग से है, जो समुद्री जीव 'सी स्टार' के समान है। ये दोनों ही समुद्री सतह पर रेंग कर चलने वाले समुद्री जीव हैं, जिन्हें मछली के समीप माना जा सकता है। अतः ब्रिटल स्टार का संबंध अंतरिक्ष से न होकर समुद्र से है।इसी प्रकार पल्सर एक खगोलीय पिंड है, जो स्पंदन के रूप में नियमित अंतराल पर रेडियो तरंगें उत्सर्जित करता रहता है।46 / 6046. निम्नलिखित में से कौन-सी खगोलीय वस्तु नहीं है ? I.A.S. (Pre) 1993 (a) पल्सर (c) कृष्ण मास्टर (b) भंगुर तारा (d) क्वासर कृष्ण मास्टर नहीं बल्कि कृष्ण विवर या ब्लैक होल खगोलीय वस्तु है। क्वासर एक तारावत स्रोत है, जो लगभग 2.5 से 13 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। कुछ इससे भी अधिक दूरी पर स्थित हैं। ये प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इनसे आने वाली रेडियो तरंगों से इनकी जानकारी प्राप्त की जाती है। इसी प्रकार पल्सर एक खगोलीय पिंड है, जो स्पंदन के रूप में नियमित अंतराल पर रेडियो तरंगें उत्सर्जित करता रहता है।47 / 6047. हमारे अंतरिक्ष में कितने तारामंडल (Constellations) हैं? 44th B.P.S.C. (Pre) 2000 (a) 87 (b) 88 (c) 89 (d) 90 इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) के अनुसार, आकाश में कुल 88 तारामंडल (Constellations) हैं, जिसमें से अधिकांश को दक्षिणी गोलार्द्ध से ही देखा जा सकता है।सप्तर्षि तारामंडल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमीस्फ़ेयर) के आकाश में रात्रि में दिखने वाला एक तारामंडल है।48 / 6048. 'सुपर नोवा' है- U.P. Lower Sub. (Mains) 2015 (a) एक ग्रहिका (b) एक ब्लैक होल (c) एक पुच्छलतारा (d) एक मृतप्राय तारा भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। सुपर नोवा विस्फोट के पश्चात तारा मृत्यु की दशा को प्राप्त होता है। अतः सुपर नोवा एक मृतप्राय तारे की विस्फोट अवस्था है।श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.49 / 6049. 'ब्लैक होल' (Black Hole ) अंतरिक्ष में एक पिंड है जो किसी भी प्रकार के विकिरण (Radiation) को बाहर नहीं आने देता। इस गुण का कारण है इसका - I.A.S. (Pre) 2000 (a) बहुत छोटा आकार (b) बहुत बड़ा आकार (c) बहुत उच्च घनत्व (d) बहुत अल्प घनत्व भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.50 / 6050. दिए गए विकल्पों में एस. चंद्रशेखर ने सर्वप्रथम 'ब्लैक होल' की जानकारी दी थी। U.P.P.C.S. (Pre) 2001कथन (A) : कृष्ण छिद्र (Black Hole) एक ऐसा खगोलीय अस्तित्व है जिसे दूरबीन से देखा नहीं जा सकता। कारण (R) : कृष्ण छिद्र पर गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि यह प्रकाश को भी बच निकलने नहीं देता । उपर्युक्त वक्तव्यों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सही है ? (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या करता है (b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता है। (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है (d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.51 / 6051. 'ब्लैक होल' की जानकारी सर्वप्रथम दी थी- U.P.P.C.S. (Pre) 2015 (a) हरमान बाण्डी ने (b) मेघनाथ साहा ने (c) एस. चंद्रशेखर ने (d) जे.वी. नार्लिकर ने भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.52 / 6052. कृष्ण छिद्र सिद्धांत को प्रतिपादित किया था- U.P.P.C.S. (Pre) 1996 (a) सी.वी. रमन ने (b) एच.जे. भाभा ने (c) एस. चंद्रशेखर ने (d) हरगोविंद खुराना भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.53 / 6053. तारों के कारण घटित आकाशीय परिघटना कौन है - U.P.P.C.S. (Pre) 1997 (a) ओजोन छिद्र (b) कृष्ण विवर (c) इंद्रधनुष (d) धूमकेतु भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.54 / 6054. श्याम - विवर होता है - U.P.P.C.S. (Pre) 2019 (a) हवाई जहाज की उड़ान का अभिलेखक (b) सूर्य पर एक धब्बा (c) अंटार्कटिका की एक जगह (d) सिमट गया तारा भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। श्याम विवर (Black Hole) या कृष्ण विवर, एक खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता.श्याम विवर में बहुत कम क्षेत्र में इतना ज़्यादा द्रव्यमान होता है कि उससे उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण किसी भी अन्य बल से शक्तिशाली हो जाता है. श्याम विवर को 'काला' (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता.55 / 6055. वह सीमा, जिसके बाहर तारे आंतरिक मृत्यु से ग्रसित होते हैं, कहलाती है- U.P.P.C.S. (Pre) 1997 (a ) चंद्रशेखर सीमा (b) एडिंगटन सीमा (c) हायल - सीमा (d) फाउलर सीमा भारतीय भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1930 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर / श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। 56 / 6056. तारे का रंग सूचक है- I.A.S. (Pre) 1994 (a) सूर्य से दूरी का (b) उसकी ज्योति का (c) उसकी पृथ्वी से दूरी का (d) उसके ताप का गैलेक्टिक केंद्र से लगभग 7.94 KPC या 25.896 हजार प्रकाश वर्ष की औसत दूरी तथा औसत 828 हजार किमी / घंटा गति के कारण सूर्य को एक परिक्रमा करने में लगभग 22.5 से 25 करोड़ वर्ष लगते हैं। परिक्रमा की यह अवधि ब्रह्माण्ड वर्ष (Cosmic Year) कहलाती है।57 / 6057. हमारी आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करने में सूर्य को समय लगता है- I.A.S. (Pre) 1994 , 40th B.P.S.C. (Pre) 1995 (a) 2.5 करोड़ वर्ष (b) 10 करोड़ वर्ष (c) 25 करोड़ वर्ष (d) 50 करोड़ वर्ष गैलेक्टिक केंद्र से लगभग 7.94 KPC या 25.896 हजार प्रकाश वर्ष की औसत दूरी तथा औसत 828 हजार किमी / घंटा गति के कारण सूर्य को एक परिक्रमा करने में लगभग 22.5 से 25 करोड़ वर्ष लगते हैं। परिक्रमा की यह अवधि ब्रह्माण्ड वर्ष (Cosmic Year) कहलाती है।58 / 6058. आकाशगंगा (Milky Way) वर्गीकृत की गई है- (a) सर्पिलाकार गैलेक्सी के रूप में (b) विद्युत गैलेक्सी के रूप में (c) अनियमित गैलेक्सी के रूप में (d) गोलाकार गैलेक्सी के रूप में गैलेक्सी अनेक आकार-प्रकार में दृश्य होती हैं यथा- अंडाकार (Elliptical), सर्पिलाकार (Spiral) और अनियमित आकार (Irregular) इत्यादि । वर्ष 2005 में स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप ने आकाशगंगा के आकार के बारे में पूर्व धारणाओं एवं विभ्रम के विपरीत इस बात के स्पष्ट साक्ष्य पेश किए कि आकाशगंगा का आकार दण्ड सज्जित सर्पिलाकार (Barred Spiral) है।59 / 6059. 'बिग बैंग सिद्धांत' निम्नलिखित के उद्भव की व्याख्या करता है- U.P.P.C.S. (Pre) 2016 (a) स्तनधारी जीव (b) हिम युग (c) ब्रह्माण्ड (d) महासागर महाविस्फोट सिद्धांत (Big Bang Theory ) ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, आकाशगंगा तथा सौरमंडल की उत्पत्ति से संबंधित है। इस सिद्धांत का प्रतिपादन जॉर्ज लेमेंतेयर (1894-1966) ने वर्ष 1927 में किया था, जिसे वर्ष 1949 में फ्रेड होयल ने बिग बैंग नाम दिया। 60 / 6060. महाविस्फोट सिद्धांत संबंधित है- R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007 (a) महाद्वीपीय विस्थापन से (b) ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से (c) हिमालय की उत्पत्ति से (d) ज्वालामुखियों के विस्फोट से महाविस्फोट सिद्धांत (Big Bang Theory ) ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, आकाशगंगा तथा सौरमंडल की उत्पत्ति से संबंधित है। इस सिद्धांत का प्रतिपादन जॉर्ज लेमेंतेयर (1894-1966) ने वर्ष 1927 में किया था, जिसे वर्ष 1949 में फ्रेड होयल ने बिग बैंग नाम दिया। Your score is Restart quiz Universe and Solar System QuizPost published:June 17, 2025