1917 में अमेरिका मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शामिल हुआ जिससे युद्ध का रुख बदल गया।
1917 में ही रूस ने बोल्शेविक क्रांति के बाद युद्ध से खुद को अलग कर लिया।
युद्ध का अंत 11 नवम्बर 1918 को जर्मनी के आत्मसमर्पण से हुआ।
इसके परिणामस्वरूप वर्साय की संधि (Treaty of Versailles, 1919) हुई, जिसमें जर्मनी पर कठोर शर्तें लगाई गईं।
युद्ध के परिणाम:
चार बड़े साम्राज्यों का पतन → जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, रूस, उस्मानी साम्राज्य।
लीग ऑफ नेशन्स (1920) का गठन विश्व शांति हेतु।
एशिया व अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलनों को बल मिला।
द्वितीय विश्व युद्ध की नींव रखी गई।
इंग्लैंड का प्रधानमंत्री : एस्क्विथ (शुरुआत) → डेविड लॉयड जॉर्ज (अंत)
अमेरिका का राष्ट्रपति : वुडरो विल्सन (पूरे युद्धकाल में राष्ट्रपति)
द्वितीय विश्व युद्ध
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) – आरंभ: 1 सितम्बर 1939
जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया।
ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।
प्रमुख पक्ष:
धुरी राष्ट्र (Axis Powers) – जर्मनी, इटली, जापान।
मित्र राष्ट्र (Allied Powers) – ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ (1941 से), अमेरिका (1941 से), चीन।
प्रमुख घटनाएँ:
1940 – जर्मनी ने फ्रांस पर कब्ज़ा किया।
1941 – हिटलर ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया (ऑपरेशन बारबारोसा)।
7 दिसम्बर 1941 – जापान ने पर्ल हार्बर (हवाई, अमेरिका) पर हमला किया → अमेरिका युद्ध में शामिल।
1942 – स्टालिनग्राद की लड़ाई (सोवियत संघ ने जर्मनी को हराया, निर्णायक मोड़)।
1944 – नॉर्मैंडी लैंडिंग (डी-डे, मित्र सेनाओं ने फ्रांस को मुक्त कराया)।
1945 – जर्मनी ने आत्मसमर्पण किया (8 मई 1945 – यूरोप विजय दिवस)।
6 और 9 अगस्त 1945 – अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए।
हिरोशिमा पर हमला (6 अगस्त 1945)
अमेरिका ने “लिटिल बॉय” (Little Boy) नामक परमाणु बम गिराया।
बम को B-29 विमान एनोला गे (Enola Gay) से गिराया गया।
लगभग 1.40 लाख लोग मारे गए (सीधे और बाद में विकिरण के कारण)।
शहर का 90% भाग नष्ट हो गया।
नागासाकी पर हमला (9 अगस्त 1945)
दूसरा बम “फैट मैन” (Fat Man) नागासाकी पर गिराया गया।
लगभग 74,000 लोग मारे गए।
शहर का बड़ा हिस्सा पूरी तरह तबाह।
2 सितम्बर 1945 – जापान का आत्मसमर्पण → द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त।
इंग्लैंड का प्रधानमंत्री –
नेविल चेम्बरलिन – 1937 से मई 1940 तक
विंस्टन चर्चिल – मई 1940 से 1945 तक
अमेरिका का राष्ट्रपति – फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट
परिणाम:
करोड़ों लोग मारे गए (लगभग 6 करोड़)।
जर्मनी को 4 भागों में बाँटा गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई।
अमेरिका और सोवियत संघ महाशक्ति बनकर उभरे → शीत युद्ध की शुरुआत।
भारत से संबंधित तथ्य:
भारत से लगभग 25 लाख सैनिक युद्ध में शामिल हुए।
सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज (INA) का पुनर्गठन किया और जापान व जर्मनी से सहयोग लिया।
पुनर्जागरण
पुनर्जागरण का प्रारंभ इटली के फ्लोरेंस नगर से माना जाता है ।
इटली के महान कवि दाँते (1260-1321 ई.) को पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है।इनका जन्म फ्लोरेन्स नगर में हुआ था । दाँते ने प्राचीन लैटिन भाषा को छोड़कर तत्कालीन इटली की बोल-चाल की भाषा ‘टस्कन’ में ‘डिवाइन कॉमेडी’ नामक काव्य लिखा । इसमें दाँते ने स्वर्ग और नरक की एक काल्पनिक यात्रा का वर्णन किया है ।
दाँते के बाद पुनर्जागरण की भावना का प्रश्रय देनेवाला दूसरा व्यक्ति पेट्रॉक (1304-1367 ई.) था ।
पेट्रॉक को मानववाद का संस्थापक माना जाता है। वह इटली का निवासी था ।
इटालियन गद्य का जनक कहानीकार बोकेशियो (1313-1375 ई.) को माना जाता है ।
कहानीकार बोकेशियो की डेकामेरॉन (Decameron ) प्रसिद्ध पुस्तक है।
आधुनिक विश्व का प्रथम राजनीतिक चिन्तक फ्लोरेंस निवासी मैकियावेली (1469-1567 ई.) को माना जाता है ।
मैकियावेली की प्रसिद्ध पुस्तक है : द प्रिन्स, जो राज्य का एक नवीन चित्र प्रस्तुत करती है ।
आधुनिक राजनीतिक दर्शन का जनक मैकियावेली को कहा जाता हैं ।
लियोनार्दो द विंची : चित्रकार, मूर्तिकार, इंजीनियर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, कवि और गायक था ।
लियोनार्दो द विंची ‘द लास्ट सपर’ और ‘मोनालिसा’ नामक अमर चित्रों के रचयिता होने के कारण प्रसिद्ध हैं ।
माइकल एंजेलो : मूर्तिकार एवं चित्रकार था ।
‘द लास्ट जजमेंट‘ एवं ‘द फाल ऑफ मैन‘ माइकल एंजलो की कृतियाँ हैं ।
सिस्तान के गिरजाघर की छत में माइकल एंजेलो के द्वारा ही चित्र बनाये गये हैं ।
रॉफेल : इटली का एक चित्रकार था
इसकी सर्वश्रेष्ठ कृति जीसस क्राइस्ट की माता मेडोना का चित्र है ।
पुनर्जागरण काल में चित्रकला का जनक जियाटो को माना जाता है ।
पुनर्जागरण काल का सर्वश्रेष्ठ निबंधकार इंग्लैंड का फ्रांसिस बेकन था ।
हॉलैंड के इरासमस ने अपनी पुस्तक द प्रेज आफ फौली में व्यंग्यात्मक ढंग से पादरियों के अनैतिक जीवन एवं ईसाई धर्म की कुरीतियों पर प्रहार किया है ।
इंग्लैंड के लेखक टॉमस मूर ने अपनी पुस्तक यूटोपिया में आदर्श समाज का चित्र प्रस्तुत किया है ।
मार्टिन लूथर ने जर्मन भाषा में बाइबिल का अनुवाद प्रस्तुत किया है ।
‘रोमियो एण्ड जुलियट’शेक्सपीयर (इंग्लैंड) की अमर कृति है ।
इंग्लैंड के रोजर बेकन को आधुनिक प्रयोगात्मक विज्ञान का जन्मदाता माना जाता है ।
पृथ्वी सौरमंडल का केन्द्र है : इसका खंडन सर्वप्रथम पोलैंड निवासी कोपरनिकस ने किया ।
गैलीलियो (1560-1642 ई.) ने भी कोपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया ।
जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक केपलर (1571-1630 ई.) ने गणित की सहायता से यह बतलाया कि ग्रह सूर्य के चारों ओर किस प्रकार घूमते हैं ।
न्यूटन (1642-1726 ई.) ने गुरुत्वाकर्षण के नियम का पता लगाया ।
धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरुआत 16वीं सदी में हुई ।
धर्म-सुधार आन्दोलन का प्रवर्तक मार्टिन लूथर था, जो जर्मनी का रहनेवाला था । इसने बाइबिल का अनुवाद जर्मन भाषा में किया ।
धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरुआत इंग्लैंड में हुई ।
जॉन विकलिफ को धर्म-सुधार आन्दोलन का प्रातःकालीन तारा कहा जाता है। इसके अनुयायी लोलार्ड्स कहलाते थे ।
अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलम्बस ने की थी ।
अमेरिगो बेस्पुसी (इटली) के नाम पर अमेरिका का नाम अमेरिका पड़ा ।
प्रशान्त महासागर का नामकरण स्पेन निवासी मैगलन ने किया ।
समुद्री मार्ग से सम्पूर्ण विश्व का चक्कर लगानेवाला प्रथम व्यक्ति मैगलन था ।
अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम
अमेरिका में ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य की नींव जेम्स प्रथम के शासनकाल में डाली गयी ।
अमेरिकी स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान इंग्लैंड का शासक जॉर्ज तृतीय था ।
रेड इंडियन अमेरिका के मूल निवासी थे ।
अमेरिका को पूर्ण स्वत्रंतता 4 जुलाई, 1776 ई. को मिली ।
अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा नैसर्गिक अधिकार (Natural Rights) के सिद्धान्तों पर आधारित थी ।
अमेरिका का स्वतंत्रता – युद्ध 1783 ई. में पेरिस की संधि के तहत समाप्त हुआ।
इस संधि के अनुसार ब्रिटेन ने उत्तरी अमेरिका के 13 अंग्रेजी उपनिवेशों की स्वतंत्रता स्वीकार कर ली ।
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में लफायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने इंग्लैंड के विरुद्ध भाग लिया था ।
सप्तवर्षीय युद्ध में इंग्लैंड की काफी आर्थिक क्षति हुई थी । इस क्षतिपूर्ति हेतु तत्कालीन प्रधानमंत्री ग्रेनविले ने 1765 ई. में स्टाम्प एक्ट पारित किया जिसके अनुसार सभी अदालती कागजों, अखबारों आदि पर 20 शिलिंग का स्टाम्प लगना अनिवार्य था । 1767 में ब्रिटिश संसद ने कागज, शीशा, चाय एवं रोगन जैसे उपभोक्ता वस्तुओं पर भी कर लगाया । उपनिवेशवासियों ने इन करों का व्यापक विरोध किया तथा सैमुअल एडम्स ने ‘प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं’ का नारा दिया ।
नोट: सप्तवर्षीय युद्ध इंग्लैंड एवं फ्रांस में 1756 से 1763 ई. के बीच हुआ था।
1776 में टॉमस पेन की लघु पत्रिका कॉमनसेंस प्रकाशित हुई । टॉमस पेन ने राइट्स ऑफ मैन की भी रचना की ।
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का नायक जॉर्ज वाशिंगटन थे, जो बाद में अमेरिका का प्रथम राष्ट्रपति बने ।
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण ‘बोस्टन की चाय पार्टी’ थी, जो 16 दिसम्बर, 1773 ई. को हुई थी। इसी घटना से अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हुआ । इस घटना का नायक सैमुयल एडम्स था ।
प्रजातंत्र की स्थापना सर्वप्रथम अमेरिका में हुई । इसे ही आधुनिक गणतंत्र की जननी कहा जाता है । धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना भी सर्वप्रथम अमेरिका में हुई ।
संसार में सर्वप्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका में 1789 ई. में लागू हुआ जिसमें महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार मिला तथा उत्तराधिकार कानून को न्यायसंगत बनाया गया ।
माँटेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त को मान्यता मिली ।
1781 ई. में उपनिवेशी सेना के सम्मुख आत्मसमर्पण करनेवाला ब्रिटेन का सेनापति लॉर्ड कार्नवालिस था ।
अमेरिका विश्व का पहला देश था, जिसने मनुष्यों की समानता तथा उसके मौलिक अधिकारों की घोषणा की।
अमेरिका में दासों के आयात को 1808 ई. में अवैध घोषित किया गया ।
अब्राहम लिंकनअमेरिका के राष्ट्रपति 1860 ई. में हुए ।
अमेरिका में गृह युद्ध की शुरुआत 12 अप्रैल, 1861 ई. में दक्षिण एवं उत्तरी राज्यों के बीच हुई । दक्षिणी राज्य दासता के समर्थक एवं उत्तरी राज्य उसके विरोधी थे ।
अमेरिकी गृह-युद्ध की शुरुआत दक्षिणी कैरोलिना राज्य से हुई ।
इसी युद्ध के फलस्वरूप ही दास प्रथा का अंत हुआ ।
1 जनवरी, 1863 ई. को अब्राहम लिंकन ने दास प्रथा का उन्मूलन किया ।
“प्रजातंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है” – प्रजातंत्र की यह परिभाषा अब्राहम लिंकन ने ही दी है ।
अब्राहम लिंकन की हत्या जॉन विल्कीज ब्रुश नामक व्यक्ति ने 14 अप्रैल, 1865 ई. को कर दी ।
अमेरिकी गृह-युद्ध की समाप्ति 26 मई, 1865 ई. को हुई ।
अमेरिका फिलोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना बेंजामिन फ्रैंकलिन ने की थी ।
फ्रांस की राज्यक्रांति
फ्रांस की राज्यक्रांति 1789 ई. में लुई सोलहवाँ के शासनकाल में हुई । इस समय फ्रांस में सामन्ती व्यवस्था थी ।
14 जुलाई, 1789 ई. को क्रांतिकारियों ने बास्तील के कारागृह के फाटक को तोड़कर बंदियों को मुक्त कर दिया। तब से 14 जुलाई को फ्रांस में ‘राष्ट्रीय दिवस’ स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
समानता, स्वतंत्रता और बन्धुत्व का नारा फ्रांस की राज्यक्रांति की देन है ।
“मैं ही राज्य हूँ और मेरे शब्द ही कानून हैं।” यह कथन है-लुई चौदहवाँ का ।
राजा की निरंकुशता एवं स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाने के लिए फ्रांस में पार्लमा नामक संस्था थी जिसकी संख्या 17 थी और जिसका गठन न्यायालय के रूप में किया गया था। न्यायाधीशों का पद कुलीन वर्ग के लिए सुरक्षित होता था और ये पद वंश क्रमानुगत होते थे ।
वर्साय के शीशमहल का निर्माण लुई चौदहवाँ ने करवाया था ।
वर्साय को फ्रांस की राजधानी लुई चौदहवाँ ने बनाया था।
लई सोलहवाँ 1774 ई. में फ्रांस की गद्दी पर बैठा ।
लुई सोलहवाँ की पत्नी मेरी एंत्यानेत आस्ट्रिया की राजकुमारी थी।
राष्ट्र की समाधि वर्साय का भड़कीला राजदरबार था ।
लुई सोलहवाँ को देशद्रोह के अपराध में फाँसी दी गई।
टैले (Taille) एक प्रकार का भूमि-कर था और टीथे ( Tithe ) एक प्रकार का धार्मिक कर था, जिसे चर्च को देना पड़ता था ।
फ्रांसीसी क्रांति में वाल्टेयर, मॉटेस्क्यू एवं रूसो ने सर्वाधिक योगदान किया ।
वाल्टेयर चर्च का विरोधी था ।
रूसो फ्रांस में प्रजातंत्रात्मक शासन पद्धति का समर्थक था ।
“सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंह का शासन उत्तम है” यह उक्ति वाल्टेयर की है ।
सोशल कांट्रैक्ट रूसो की एवं लेटर्स ऑन इंगलिश वाल्टेयर की रचना है ।
‘कानून की आत्मा’ (The sprit of laws) की रचना माँटेस्क्यू ने की थी जिसमें सरकार के तीन अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अगल-अलग रखने के विषय में बताकर शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का पोषण किया ।
फ्रांस की क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण नारा ‘समानता’ था जिसे मध्यम वर्ग ने आगाज किया था। स्वतंत्रता एवं बन्धुत्व भी क्रांति का नारा था ।
18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स (Estates) अर्थात् श्रेणी में बँटा हुआ था – प्रथम एस्टेट् – पादरी ( Clergy ), द्वितीय एस्टेट् – अभिजात वर्ग (Nobility ) था जबकि तृतीय एस्टेट् इसमें देश की 90% जनता थी, उन्हें सभी प्रकार के कर देने पड़ते थे । इस वर्ग में व्यापारी, डॉक्टर, वकील, जज, अध्यापक, शिक्षक, लेखक, शिल्पी, किसान एवं मजदूर सभी शामिल थे । नोट : फ्रांस की राज्यक्रांति के समय फ्रांस की मुद्रा लिव्रे थी।
स्टेट्स जनरल के अधिवेशन की शुरुआत 5 मई, 1789 ई. में हुई थी ।
माप-तौल की दशमलव प्रणाली फ्रांस की देन है ।
सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का जनक हर्डर को कहा जाता है ।
नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त, 1769 ई. को कोर्सिका द्वीप की राजधानी अजासियो में हुआ था ।
नेपोलियन के पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था ।
नेपोलियन ने ब्रिटेन के सैनिक अकादमी में शिक्षा प्राप्त की ।
1796 ई. में नेपोलियन ने इटली में आस्ट्रिया के प्रमुख को समाप्त किया ।
फ्रांस में डायरेक्टरी के शासन का अन्त 1799 ई. में हुआ ।
नेपोलियन 1799 ई. में प्रथम कॉन्सल बना और 1802 ई. में जीवनभर के लिए कॉन्सल बना ।
1804 ई. में नेपोलियन फ्रांस का सम्राट् बना ।
आधुनिक फ्रांस का निर्माता नेपोलियन को माना जाता है ।
नेपोलियन ने ही सर्वप्रथम इंग्लैंड को ‘बनियों का देश’ कहा था।
नेपोलियन ने पत्नी जोजेफाइन को तलाक देकर आस्ट्रिया की राजकुमारी मोरिया लुइसा से शादी की ।
ट्राल्फगर का युद्ध 21 अक्टूबर, 1805 ई. में इंग्लैंड एवं नेपोलियन के बीच हुआ ।
नेपोलियन ने बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना 1800 ई. में की।
नेपोलियन ने कानूनों का संग्रह तैयार करवाया, जिसे नेपोलियन का कोड कहा जाता है ।
नेपोलियन को नील नदी के युद्ध में अंग्रेजी जहाजी बेड़े के नायक नेल्सन के हाथों बुरी तरह पराजित होना पड़ा।
यूरोप के राष्ट्रों ने मिलकर 1813 ई. में नेपोलियन को लिपजिग नामक स्थान पर हरा दिया और उसे बन्दी बनाकर एल्बा के टापू पर भेज दिया गया; परन्तु वह एल्बा से भाग निकला और पुनः फ्रांस का सम्राट् बना ।
अन्ततः मित्रराष्ट्रों की सेना ने नेपोलियन को 18 जून, 1815 ई. को वाटरलू के युद्ध में पराजित कर बन्दी बना लिया और उसे सेंट हेलेना द्वीप पर भेज दिया। वहाँ 1821 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी । नेपोलियन लिट्ल कारपोरल के नाम से जाना जाता है। नेपोलियन के पतन का कारण था, उसका रूस पर आक्रमण करना । इंग्लैंड के वाणिज्य एवं व्यापार का बहिष्कार करने के लिए नेपोलियन ने महाद्वीपीय व्यवस्था का सूत्रपात किया था ।
विएना काँग्रेस समझौता के तहत यूरोप के राष्ट्रों ने 1815 ई. में फ्रांस के प्रभुत्व को समाप्त किया।
इटली का एकीकरण
19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में इटली में 13 राज्य थे ।
इटली के एकीकरण का जनक जोसेफ मेजिनी को माना जाता है।
मेजिनी का जन्म जेनेवा में हुआ था |
इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक आस्ट्रिया था ।
इटली के एकीकरण में सार्डीनिया पीडमौंट राज्य ने अगुआई की थी।
इटली की समस्या को काउण्ट कावूर ने अन्तरराष्ट्रीय समस्या बना दिया ।
इटली के एकीकरण की तलवार गैरीबाल्डी को कहा जाता है।
इटली के एकीकरण का श्रेय मेजिनी, काउण्ट कावूर और गैरीबाल्डी को दिया जाता है ।
‘यंग इटली’ की स्थापना 1831 ई. में जोसेफ मेजिनी ने की । गैरीबाल्डी ‘लाल कुरती’ नाम से सेना का संगठन किया था । ‘कार्बोनरी सोसायटी’ का संस्थापक गिवर्टी था ।
विक्टर एमैनुएल सार्डिनिया का शासक था ।
इटली के एकीकरण की शुरुआत लोम्बार्डी और सार्डिनिया राज्यों के मेल से हुई ।
इटली राष्ट्र का जन्म 2 अप्रैल, 1860 ई. को माना जाता है । 1871 ई. में रोम को संयुक्त इटली का राजधानी घोषित किया गया । “यदि समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्व नवयुवकों के हाथ में दे दो” यह कथन जोसेफ मेजिनी का है ।
इटली का एकीकरण 1871 ई. में काउण्ट कावूर ने किया ।
इटली की एकता का जन्मदाता नेपोलियन था ।
जर्मनी का एकीकरण
जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क ने किया । बिस्मार्क प्रशा के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री था ।
जर्मनी का सबसे शक्तिशाली राज्य प्रशा था ।
बिस्मार्क जर्मनी का एकीकरण प्रशा के नेतृत्व में चाहता था ।
विलियम को जर्मन संघ के सम्राट् का ताज 8 फरवरी, 1871 ई. में पहनाया गया ।
बिस्मार्क को सबसे अधिक भय फ्रांस से था ।
जर्मनी में राष्ट्रीयता का संदेशवाहक नेपोलियन बोनापार्ट को माना जाता है ।
जर्मनी के आर्थिक राष्ट्रवाद का पिता फ्रेडरिक लिस्ट को माना जाता है । जर्मनी राष्ट्रीय सभा को डायट के नाम से जाना जाता था, यह फ्रैंकफर्ट में होती थी ।
1815 ई. से 1850 ई. के बीच जर्मन साम्राज्य पर आस्ट्रिया का आधिपत्य था ।
आस्ट्रिया का चान्सलर मेटरनिख था ।
एकीकृत जर्मन राष्ट्र के निर्माण में राके, बोमर, लसर इत्यादि दार्शनिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
फ्रैंकफर्ट संविधान सभा का गठन मई, 1848 ई. में किया गया।
विलियम प्रथम के शासनकाल में प्रशा का रक्षामंत्री वानरून एवं सेनापति वान माल्टेक था।
23 सितम्बर, 1862 ई. को बिस्मार्क प्रशा का चांसलर बना ।
बिस्मार्क का जन्म 1 अप्रैल, 1815 ई. को ब्रेडनबर्ग में हुआ था।
विलियम प्रथम ने बिस्मार्क को बाजीगर कहा था ।
सेरेजोवा के युद्ध में 1866 ई. में आस्ट्रिया ने प्रशा के आगे आत्मसमर्पण कर दिया ।
23 अगस्त, 1866 ई. के प्राग संधि के तहत आस्ट्रिया जर्मन संघ में शामिल हुआ ।
फ्रांस एवं प्रशा के बीच सेडान का युद्ध 15 जुलाई, 1870 ई. को हुआ । > नेपोलियन तृतीय ने प्रशा के आगे 1 सितम्बर, 1870 ई. को आत्मसमर्पण किया ।
बिस्मार्क ने जर्मनी के सम्राट् विलियम प्रथम का राज्याभिषेक वर्साय के राजमहल में किया ।
फ्रैंकफर्ट की संधि 10 मई, 1871 ई. को फ्रांस और प्रशा के बीच हुई ।
सूडान के युद्ध के बाद जर्मनी का एकीकरण संभव हो सका ।
रूसी क्रांति
समाजवाद शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रॉबर्ट ओवेन ने किया था । वह वेल्स का रहनेवाला था ।
आदर्शवादी समाजवाद का प्रवक्ता रॉबर्ट ओवेन को माना जाता है ।
वैज्ञानिक समाजवाद का संस्थापक कार्ल मार्क्स था ।
कार्ल मार्क्स जर्मनी का निवासी था ।
कार्ल मार्क्स ने दास कैपिटल और कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो नामक पुस्तक लिखी है।
‘दुनिया के मजदूरों एक हो‘ का नारा कार्ल मार्क्स ने दिया ।
फ्रांसीसी साम्यवाद का जनक सेंट साइमन को माना जाता है ।
फेबियन सोशलिज्म का नेतृत्व जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने किया ।
लंदन में फेबियन सोसायटी की स्थापना 1884 ई. में हुई ।
रूस के शासक को ‘जार’ कहा जाता था ।
यह जारशाही व्यवस्था मार्च, 1917 ई. में समाप्त हुई ।
जार मुक्तिदाता के नाम से अलेक्जेंडर द्वितीय को जाना जाता है ।
रूस का अंतिम जार शासक जार निकोलस द्वितीय था ।
एक जार, एक चर्च और एक रूस का नारा जार निकोलस द्वितीय ने दिया था ।
1917 ई. में हुई रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय थी ।
7 नवम्बर, 1917 ई. की वोल्शेविक क्रांति का नेता लेनिन था ।
लेनिन ने चेका का संगठन किया था ।
लाल सेना का संगठन ट्राटस्की ने किया था ।
अन्ना कैरेनिना के लेखक लियो टाल्सटाय था ।
शून्यवाद का जनक तुर्गनेव को माना जाता है ।
रूसी साम्यवाद का जनक प्लेखानोव को माना जाता है ।
सोशल डेमोक्रेटिक दल की स्थापना 1903 ई. में रूस में हुई ।
यह दल दो गुटों में विभाजित था – वोल्शेविक और मेन्शेविक ।
वोल्शेविक का अर्थ ‘बहुसंख्यक’ एवं मेन्शेविक का अर्थ ‘अल्पसंख्यक’ होता है ।
वोल्शेविक दल का नेता लेनिन था ।
16 अप्रैल, 1917 ई. में लेनिन ने रूस में क्रांतिकारी योजना प्रकाशित की, जो ‘अप्रैल थीसिस‘ के नाम से जानी जाती है।
1921 ई. में लेनिन ने रूस में नई आर्थिक नीति लागू की ।
लेनिन की मृत्यु 1924 ई. में हो गयी।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान लेनिन का नारा था ‘युद्ध का अन्त करो’ ।
आधुनिक रूस का निर्मातास्टालिन को माना जाता है।
‘राइट्स ऑफ मैन‘ का लेखक टॉमस पेन है।
‘मदर’ की रचना मैक्सिम गोर्की ने की ।
स्थायी क्रांति के सिद्धांत का प्रवर्तक ट्राटस्की था ।
औद्योगिक क्रांति
औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैंड में हुई, क्योंकि इंग्लैंड के पास उपनिवेशों के कारण कच्चे माल और पूँजी की अधिकता थी ।
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ा उद्योग से हुई ।
सबसे पहले स्कॉटलैंड के मैकेडम नामक व्यक्तियों ने पक्की सड़कें बनाने की विधि निकाली ।
1761 ई. में ब्रिडले नामक इंजीनियर ने मैनचेस्टर से वर्सले तक नहर बनायी !
1814 ई. में जॉर्ज स्टीफेंसन ने पहला भाप से चलने वाला रेल इंजन रॉकेट बनाया ।
औद्योगिक क्रांति की दौड़ में जर्मनी इंग्लैंड का प्रतिद्वन्द्वी था ।
औद्योगिक क्रांति के हुए आविष्कार
तेज चलने वाला शटल – जान , 1733 ई.
स्पिनिंग जेनी – जेम्स हारग्रीव्ज , 1765 ई.
स्पिनिंग जेनी (पानी की शक्ति से चालित) – रिचार्ड आर्कराइट, 1767 इ
इंग्लैंड में क्रांति
इंग्लैंड में गृह-युद्ध चार्ल्स प्रथम के शासनकाल में 1642 ई. में हुआ । इंग्लैंड में गौरवपूर्ण क्रांति 1688 ई. में हुई। उस समय इंग्लैंड का शासक जेम्स द्वितीय था ।
सप्तवर्षीय युद्ध इंग्लैंड एवं फ्रांस के बीच ( 1756 से 1763) में हुआ था ।
गुलाबों का युद्ध इंग्लैंड में हुआ ।
इंग्लैंड के सामन्तों ने राजा जॉन को सन् 1215 ई. में एक अधिकार- पत्र पर हस्ताक्षर करने को मजबूर किया। इस अधिकार-पत्र को मैग्नाकार्टा कहा जाता है । यह सर्वसाधारण के अधिकारों का घोषणा-पत्र था ।
ट्यूडर वंश के शक्तिशाली राजाओं के शासनकाल में संसद उनके हाथों की कठपुतली बनी रही ।
एलिजाबेथ प्रथम का संबंध ट्यूडर वंश से था ।
इंग्लैंड में गृह-युद्ध सात वर्षों तक चला ।
इंग्लैंड के राजा चार्ल्स प्रथम को फाँसी की सजा दी गयी ।
गृह-युद्ध के दौरान राजा के समर्थकों को कैवेलियर कहा गया था और संसद के समर्थकों को राउंडहेड्स कहा गया ।
प्रथम विश्वयुद्ध
प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई, 1914 ई. को आस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ हुई। यह चार वर्षों तक चला। इसमें 37 देशों ने भाग लिया ।
प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण आस्ट्रिया के राजकुमार आर्क ड्यूक फर्डिनेंड की बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में 28 जून, 1914 को की गई हत्या थी ।
प्रथम विश्वयुद्ध में सम्पूर्ण विश्व दो खेमों में बँट गया— मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र ।
धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी ने किया। इसमें शामिल अन्य देश थे- आस्ट्रिया, हंगरी, तुर्की, बुल्गारिया और इटली आदि ।
मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस एवं फ्रांस शामिल था ।
गुप्त संधियों की प्रणाली एवं यूरोप में गुटबन्दी का जनक जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को माना जाता है ।
आस्ट्रिया, जर्मनी एवं इटली के बीच त्रिगुट का निर्माण 1882 ई. हुआ । त्रिगुट का सदस्य होने के व बावजूद इटली कुछ समय तक तटस्थ रहा और अन्ततः वह 26 अप्रैल, 1915 को ऑस्ट्रिया- हंगरी और जर्मनी के खिलाफ युद्ध में शामिल हुआ ।
सर्बिया की गुप्त क्रांतिकारी संस्था थी— काला हाथ ।
रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.) का अन्त अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट की मध्यस्थता से हुआ ।
मोरक्को संकट 1906 ई. में पैदा हुई ।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस पर आक्रमण 1 अगस्त, 1914 ई. में एवं फ्रांस पर आक्रमण 3 अगस्त, 1914 ई. में किया । 4 अगस्त, 1914 ई. को इंग्लैंड प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ । 26 अप्रैल, 1915 ई. को इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ ।
प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति वुडरो विल्सन था ।
अमेरिका 6 अप्रैल, 1917 ई. को प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ ।
जर्मनी के यू-बोट द्वारा इंग्लैंड के लूसीतानिया नामक जहाज को
डुबाने के बाद अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ, क्योंकि उस जहाज पर मरनेवाले 1153 व्यक्तियों में 128 व्यक्ति अमेरिकी
जुलाई 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने संयुक्त सैि
अभियान आरंभ किया और जर्मनी तथा उनके सहयोगी देशों के हार होने लगी। सितम्बर, 1918 में बुल्गारिया, अक्टूबर, 1918 में तुर्की तथा 3 नवम्बर, 1918 की ऑस्ट्रेलिया तथा हंगरी के सम्राट ने आत्मसमर्पण कर दिया ।
जर्मन सम्राट् कैंसर विलियम द्वितीय ने 10 नवम्बर, 1918 ई. को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और हॉलैण्ड भाग गया। ऐसी अवस्था में समाजवादी प्रजातांत्रिक दल ने सत्ता अपने हाथों में लेकर एकतंत्र के स्थान पर गणतंत्र की स्थापना की और अपने नेता फ्रेडरिक एबर्ट को जर्मनी का चांसलर बनाया, जिसने 11 नवम्बर, 1918 को युद्ध विराम की संधि पर हस्ताक्षर कर दिया फलस्वरूप प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ ।
18 जून, 1919 ई. को पेरिस शांति सम्मेलन हुआ, जिसमें 27 देश भाग ले रहे थे; मगर शांति – संधियों की शर्तें केवल तीन देश- ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका तय कर रहे थे ।
पेरिस शांति सम्मेलन में शांति संधियों की शर्तें निर्धारित करने में जिन राष्ट्राध्यक्षों ने मुख्य भूमिका निभाई, वे थे— अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉर्ज क्लेमेसो ।
वर्साय की संधि 28 जून, 1919 ई. को जर्मनी के साथ हुई । संधि के तहत् जर्मनी की सेना 1 लाख तक सीमित कर दी गयी । उससे वायुसेना एवं पनडुब्बियाँ रखने के अधिकार छीन लिए गए। जर्मनी के सारे उपनिवेश विजित राष्ट्रों ने आपस में बाँट लिए । युद्ध के हर्जाने के रूप में जर्मनी से 6 अरब 10 करोड़ पौंड की राशि की माँग की गयी।
अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रसंघ की स्थापना थी ।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान होनेवाली वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध का बीजारोपण हुआ ।
चीनी क्रांति
मंचू राजवंश का पतन – चीनी क्रांति -1911 का नायक सनयात सेन था ।
1905 ई. में सनयात सेन ने तुंग-मेंग दल की स्थापना की, जिसका उद्देश्य चीन में मंचू वंश के शासन को समाप्त करना था ।
कोवीनेड लीग सोसायटी का संस्थापक सनयात सेन था ।
1911 ई. की क्रांति के बाद चीन में गणतंत्र शासन-पद्धति की स्थापना हुई ।
1912 ई. में सनयात सेन ने कुओमिनतांग पार्टी की स्थापना की।
डॉ. सनयात सेन के तीन सिद्धान्त थे— राष्ट्रवाद, लोकतंत्रवाद और सामाजिक न्याय ।
डॉ. सनयात सेन को चीन का राष्ट्रपिता कहा जाता है ।
डॉ. सनयात सेन की मृत्यु 1925 ई. में हो गयी ।
डॉ. सनयात सेन की मृत्यु के बाद च्यांग काई शेक ने 1926 ई. में कुओमिनतांग पार्टी का नेतृत्व सँभाला ।
1927 ई. में कुओमिनतांग पार्टी से साम्यवादी लोग अलग हुए ।
ताग वंश
चीन में तांग राजवंश लगभग तीन सौ वर्षों तक (7वीं से 9वीं सदी तक) सत्ता में रहा।
इसकी राजधानी शिआन दुनिया के सबसे बड़े नगरों में एक थी।
तांग साम्राज्य परीक्षा के माध्यम से नियुक्त की गई नौकरशाही द्वारा प्रशासित होता था ।
चीन में गृह-युद्ध 1928 ई. में शुरू हुआ ।
1925 ई. को हूनान के विशाल किसान आन्दोलन का नेतृत्व माओत्से तुंग ने किया ।
माओत्से तुंग का जन्म 1893 ई. में हुनान में हुआ था ।
साम्यवादियों के दमन करने के लिए च्यांग काई शेक ने ब्लूशर्ट आतंकवादी दल का गठन किया ।
माओत्से तुंग के नेतृत्व में 1 अक्टूबर, 1949 ई. जनवादी गणराज्यकी स्थापना चीन में की गई।
चीनी साम्यवादी गणतंत्र का प्रथम अध्यक्ष माओत्से तुंग था ।
चीनी जनवादी गणराज्य का प्रथम प्रधानमंत्री चाऊ-एन-लाई था ।
चीन के जनवादी गणराज्य की राजधानी हूनान था ।
खुले द्वार की नीति का प्रतिपादक ‘जॉन हे’ था ।
चीन ‘एशिया का मरीज’ के नाम से जाना गया ।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1921 ई. में हुई ।
तुर्की को ‘यूरोप का मरीज’ कहा जाता था ।
पान इस्लामिज्म का नारा अब्दुल हमीद द्वितीय ने दिया था ।
युवा तुर्क आन्दोलन की शुरुआत अब्दुल हमीद द्वितीय के शासनकाल में 1908 ई. में हुई ।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद तुर्की के साथ भीषण अपमानजनक संधि सेब की संधि 10 अगस्त, 1920 ई. को की गयी। मुस्तफा कमाल पाशा ने इसे मानने से इनकार कर दिया ।
आधुनिक तुर्की का निर्माता मुस्तफा कमाल पाशा को माना जाता है। इसे ‘अतातुर्क’ (तुर्की का पिता) के उपनाम से भी जाना जाता है।
मुस्तफा कमाल पाशा का औपचारिक जन्म तिथि 19 मई 1881 ई. में सेलेनिका में हुआ था। इसके पिता का नाम अली रजा (Ali Riza ) था ।
तुर्की में एकता और प्रगति समिति का गठन 1889 ई. में हुआ ।
प्रारंभ में कमाल पाशा एकता और प्रगति समिति के प्रभाव में आया । > एक सेनापति के रूप में कमाल पाशा ने गल्लीपोती युद्ध में शानदार सफलता हासिल की। इसके बाद 1919 ई. में कमाल पाशा ने सैनिक पद से इस्तीफा दे दिया ।
1919 ई. के अखिल तुर्क काँग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता मुस्तफा कमाल पाशा ने की। 1923 ई. में तुर्की एवं यूनान के बीच में लोजान की संधि हुई ।
23 अक्टूबर, 1923 ई. को तुर्की गणतंत्र की घोषणा हुई ।
कमाल पाशा ने तुर्की में 3 मार्च, 1924 ई. को खिलाफत को समाप्त कर दिया ।
20 अप्रैल, 1924 ई. को तुर्की में नये संविधान की घोषणा हुई ।
तुर्की के नये गणतंत्र का राष्ट्रपति मुस्तफ़ा कमाल पाशा हुआ ।
रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी का संस्थापक मुस्तफा कमाल पाशा था ।
मुस्तफा कमाल पाशा द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य निम्न हैं :
1. 1932 ई. में तुर्की भाषा परिषद की स्थापना ।
2. 1933 ई. में तुर्की में प्रथम पंचवर्षीय योजना का लागू होना ।
3. 1924 ई. में तुर्की को धर्मनिरपेक्ष राज्य की घोषणा ।
4. इस्ताम्बुल में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना ।
5. ग्रेगोरियन कैंलेडर का प्रचलन (26 दिसम्बर, 1925 ई. से लागू) ।
इस्ताम्बुल का पुराना नाम कुस्तुनतुनिया था ।
25 नवम्बर, 1925 ई. को तुर्की में टोपी और औरतों को बुरका पहनने पर कानूनी प्रतिबंध लगाया गया ।
कमाल पाशा की मृत्यु 1938 ई. में हो गयी ।
इटली में फासिस्टों का उदय
फासिज्म का उदय सर्वप्रथम इटली में हुआ । इसका जन्मदाता मुसोलिनी को माना जाता है ।
मुसोलिनी का जन्म 1883 ई. में रोमाग्ना में हुआ था ।
मुसोलिनी के दल का नाम फासिस्टवाद था । इसकी स्थापना मिलान में की गयी थी ।
ड्यूस के नाम से मुसोलिनी को पुकारा जाता था।..
फासीवादी राष्ट्रवाद का समर्थन करते थे ।
फासीवादी दल के स्वयंसेवक काली कमीज पहनते थे ।
मुसोलिनी ने डियाज को सेना का अधिकारी नियुक्त किया ।
मुसोलिनी द्वारा बनाये गये निगमों की संख्या 22 थी ।
राष्ट्रीय निगम परिषद् का अध्यक्ष मुसोलिनी था, जिसकी सदस्यों की संख्या 500 थी ।
ग्रैण्ड कौंसिल ऑफ फासिस्ट पार्टी के सदस्यों की संख्या 25 थी ।
मुसोलिनी ने अक्टूबर, 1922 ई. में रोम पर और 1935 ई. में अबीसीनिया पर आक्रमण किया ।
जापान एवं जर्मनी के साथ मुसोलिनी ने रोम-बर्लिन – टोकियो धुरी का निर्माण 1936 ई. में किया ।
मुसोलिनी ने 10 जून, 1939 ई. को द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की । इटली में फासीवाद का अन्त 28 अप्रैल, 1945 ई. को माना जाता है ।
जर्मनी में नाजीवाद का उदय
जर्मनी में नाजी दल का उत्थान हिटलर के नेतृत्व में हुआ ।
हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई. को ऑस्ट्रिया के बीना नामक शहर में हुआ था ।
हिटलर बचपन में चित्रकार बनना चाहता था ।
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) में हिटलर जर्मनी की तरफ से लड़ा
था और युद्ध में अभूतपूर्व वीरता के लिए उसे आयरन क्रास प्राप्त हुआ था ।
युद्ध के बाद हिटलर जर्मन बर्कर्स पार्टी का सदस्य बना। 1920 ई. में इस पार्टी का नाम बदलकर नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी रखा गया। धीरे-धीरे हिटलर इसका फ्यूहरर (नेता) बन गया । 1923 में हिटलर ने लूडेनडार्फ के साथ मिलकर वाइमर गणतंत्र के खिलाफ विद्रोह कर दिया। विद्रोह असफल हुआ। हिटलर को बंदी बना लिया गया। जेल में ही हिटलर ने अपनी प्रसिद्ध आत्मकथा मीनकैम्फ की रचना की। 1924 के अंत में उसे जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद उसने अपने दल को फिर से संगठित किया और स्वास्तिक को प्रतीक के रूप में ग्रहण किया । 1932 के चुनाव में हिटलर की नाजी पार्टी को 230 सीटें प्राप्त हुई परन्तु उसे सरकार बनाने का मौका नहीं मिला। बाद में राष्ट्रपति हिंडेनवर्ग ने 30 जनवरी 1933 को हिटलर को चांसलर मनोनीत किया ।
अगस्त, 1934 में हिंडेनवर्ग की मृत्यु ने पर चांसलर और राष्ट्रपति के पद को मिलाकर एक कर दिया गया और हिटलर जर्मन का सर्वेसर्वा बन गया ।
गुप्तचर पुलिस ‘गेस्टापों’ का संगठन हिटलर ने किया था ।
‘एक राष्ट्र एक नेता’ का नारा हिटलर ने दिया ।
नाजी दल का प्रचार कार्य गोयबल्स सँभालता था ।
जर्मन सुरक्षा परिषद् की स्थापना 4 अप्रैल, 1933 ई. में हुई । > हिटलर ने 16 मार्च, 1935 ई. में जर्मनी में पुनः शस्त्रीकरण की घोषणा की उसने वर्साय संधि की निःशस्त्रीकरण संबंधी सभी धाराओं को तोड़ने की घोषणा की एवं उसने पूरे जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दिया ।
साम्यवादी खतरा से बचने के लिए जर्मनी, इटली एवं जापान के बीच कामिन्टर्न विरोधी समझौता 1936 में सम्पन्न हुआ जो कालान्तर में धुरी राष्ट्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
हिटलर ने 1 सितम्बर, 1939 ई. को पोलैंड पर आक्रमण किया ।
हिटलर की विस्तारवादी नीति का पहला शिकार आस्ट्रिया हुआ ।
एडोल्फ हिटलर के लिए शामी विरोधी नीति का अर्थ था – यहूदी विरोधी नीति ।
हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945 ई. को आत्महत्या की ।
जापानी साम्राज्यवाद
जापान के साम्राज्यवाद का सबसे पहला शिकार चीन हुआ । 1863 ई. में एक अमेरिकी नाविक पेरी ने बल-प्रयोग कर जापान का द्वार अमेरिकी व्यापार के लिए खोला ।
जापान में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत मूतसुहीतों ने की । 1872 ई. में जापान में सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी गई ।
1905 ई. में जापान ने रूस को हराया ।
जापान – रूस युद्ध की समाप्ति 5 सितम्बर, 1905 ई. को पार्ट्समाउथ की संधि के द्वारा हुई ।
जापान ने 1931 ई. में अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मंचूरिया पर आक्रमण किया ।
20 मार्च, 1933 ई. को जापान ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता त्याग दी ।
पीत आतंक से जापान को संबोधित किया जाता था ।
द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने धुरी राष्ट्र का साथ दिया था । अमेरिका ने जापान पर पहला अणु बम 6 अगस्त, 1945 ई. को हिरोशिमा पर गिराया था ।
द्वितीय विश्वयुद्ध में 10 सितम्बर, 1945 ई. को जापान ने आत्मसमर्पण किया ।
हिरोशिमा और नागासाकी पर अणु बम गिराये जाने के कारण जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध में आत्मसमर्पण किया था ।
द्वितीय विश्वयुद्ध
1 सितम्बर, 1939 ई. को जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया। इसके दो दिन बाद फ्रांस एवं ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की और इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। यह 6 वर्षों तक लड़ा गया। इसका अन्त 2 सितम्बर, 1945 ई. को हुआ । इसमें 61 देशों ने भाग लिया ।
द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण था ।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन जनरल रोम्पेल का नाम डेजर्ट फॉक्स रखा गया था ।
म्यूनिख पैक्ट सितम्बर, 1938 ई. में सम्पन्न हुआ ।
जर्मनी ने वर्साय की संधि का उल्लंघन 1935 ई. में किया।
स्पेन में गृह-युद्ध 1936 ई. में शुरू हुआ। संयुक्त रूप से इटली एवं जर्मनी का पहला शिकार स्पेन था ।
जर्मनी द्वारा सोवियत संघ पर आक्रमण करने की योजना को ऑपरेशन बारबोसा कहा गया ।
23 अगस्त, 1939 ई. को जर्मनी – रूस आक्रमण समझौते पर हस्ताक्षर हुए। जर्मनी ने रूस पर समझौता उल्लंघन का आरोप लगाकर उस पर 22 जून, 1941 ई. में आक्रमण कर दिया। फरवरी 1943 में रूसी सेना जर्मनी को हराने में सफल हुई ।
जर्मनी की ओर से द्वितीय विश्वयुद्ध में 10 जून, 1940 ई. को इटली ने प्रवेश किया ।
अमेरिका का द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रवेश 8 दिसम्बर, 1941 ई. को हुआ । इसका कारण जापान द्वारा 7 दिसम्बर, 1941 का हवाई द्वीप स्थित पर्ल हार्बर के अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर जबरदस्त हमला था ।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल एवं अमेरिका का राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट था ।
इंग्लैंड की शानदार अलगाववाद की नीति का विचारक सेलिसेवरी था ।
वर्साय की संधि को आरोपित संधि के नाम से जाना जाता है। > द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय का श्रेय रूस को दिया जाता है ।
मित्र राष्ट्रों के सामूहिक प्रयासों से 6 जून, 1944 को जर्मन सेना परास्त हो गयी और 7 मई, 1945 को इसने आत्मसमर्पण कर दिया ।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 ई. को जापान पर अणुबम का प्रयोग किया। इस युद्ध में मित्रराष्ट्रों द्वारा पराजित होनेवाला अंतिम देश जापान था ।
अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 ई. को हिरोशिमा पर लिट्ल बॉय ( यूरेनियम – 235 ) तथा 9 अगस्त, 1945 ई. को नागासाकी पर फैटमैन ( प्लोटेनियम – 293 ) नामक एटम बम गिराया था । 2 सितम्बर, 1945 को यदों की खाड़ी स्थित अमेरिकी युद्ध पोत मिसूरों पर मित्र राष्ट्रों के सर्वोच्च सेनापति मैक आथर के समक्ष जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया । जापानी प्रधानमंत्री एडमिरल सुजुकी ने त्यागपत्र दे दिया ।
अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में द्वितीय विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा योगदान संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना है ।