• छन्द की परिभाषा  – छन्द मात्रिक, वर्णिक तथा ध्वनियों का ऐसा क्रम है, जो गति और गति के नियमों से आबद्ध रहता है तथा कविता में प्रवाह, लय एवं संगीतात्मकता बनाये रखता है। 
  • छन्द की प्रथम चर्चा ऋग्वेद में मिलती है। 
  • छन्दशास्त्र की परम्परा का सूत्रपात ई.पू. 200 के लगभग पिंगलाचार्य के छन्दसूत्र से होता है। 
  • पिंगलाचार्य छन्दशास्त्र के प्रथम आचार्य माने जाते हैं।
  • छन्द के निम्नलिखित आठ अंग हैं
    1. पाद
    2. मात्रा और वर्ण
    3. संख्या और क्रम
    4. लघु और गुरू
    5. गण
    6. यति
    7. गति
    8. तुक 
  •  छन्द के चार भेद हैं
    1. वर्णिक छन्द
    2. वर्णिक वृत्त
    3. मात्रिक छन्द 
    4. मुक्तछन्द 
  • 1. वर्णिक छन्द जिस छन्द की रचना वर्णगणना के आधार पर की गई हो, उसे वर्णिक छन्द कहते हैं। जैसे – घनाक्षरी (कवित्त), अमिताक्षर 
  • 2. वर्णिक वृत्त – जिस छन्द के गणों में वर्गों का बंधन होता है, उसे वर्णिक वृत्त, गणबद्ध या गणात्मक छन्द कहते हैं। जैसे – मत्तगयंद सवैया, द्रुतविलम्बित, मालिनी। 
  • 3. मात्रिक छन्द – जिस छन्द की रचना मात्रा की गणना के आधार पर होती है, उसे मात्रिक छन्द कहते हैं। जैसे – दोहा, चौपाई। 
  • 4. मुक्तछन्द – जिस छन्द में अनियमित चरण, असमान, स्वच्छन्द गति और भावानुकूल यति हो उसे मुक्तछन्द कहते हैं।
  • प्रमुख वर्णिक छन्द 
    • विद्युन्माला– 8 वर्ण 
    • प्रमाणिका – 8 वर्ण 
    • चम्पकमाला– 10 वर्ण 
    • शालिनी– 11 वर्ण
    • दोधक – 11 वर्ण
    • स्वागता -11 वर्ण
    • रथोद्धता – 11 वर्ण
    • भुजंगी – 11 वर्ण
    • इंदिरा – 11 वर्ण
    • इन्द्रवजा – 11 वर्ण
    • उपेन्द्रवजा – 11 वर्ण
    • उपजाति – 11 वर्ण
    • भुजंगप्रयात – 12  वर्ण
    • प्रमिताक्षरा – 12  वर्ण
    • द्रुतविलम्बित – 12  वर्ण
    • भोदक – 12  वर्ण
    • तोटक – 12  वर्ण
    • स्रग्विणी – 12  वर्ण
    • इन्द्रवंशा – 12  वर्ण
    • मौक्तिकदाम -12   वर्ण
    • जलोद्धतगति – 12  वर्ण
    • तारक -13   वर्ण
    • मजुभाषिणी – 13 वर्ण
    • वसन्ततिलका – 14 वर्ण
    • मालिनी – 15  वर्ण
    • चामर – 15  वर्ण
    • निशिपाल – 15  वर्ण
    • चंचला – 16 वर्ण
    • मन्दाक्रांता –  17  वर्ण
    • शिखरिणी – 17 वर्ण
    • पृथिवी – 17 वर्ण
    • चञ्चरी – 18 वर्ण
    • शार्दूलविक्रीदित –  19 वर्ण
    • गीतिका –  20 वर्ण
    • स्रग्धरा –  21 वर्ण
    • भदिरा – 22 वर्ण
    • भत्तगयन्द – 23 वर्ण
    • दुर्मिल –  24 वर्ण
    • किरीट – 24 वर्ण
    • सुन्दरी – 25 वर्ण
    • कुन्दलता –  26 वर्ण
    • मत्तमातंग लीलाकर – 26 वर्ण
    • घनाक्षरी – 31 वर्ण
    • रूपघनाक्षरी – 32 वर्ण 
    • देवघनाक्षरी  – 33 वर्ण 
  • प्रमुख मात्रिक छन्द 
    • अहीर – 11 मात्रा 
    • तोमर – 14 मात्रा 
    • हाकलि – 14 मात्रा 
    • विजात – 14 मात्रा 
    • चौपाई – 16 मात्रा
    • पादाकुलक – 16मात्रा 
    • पद्धरि- 16 मात्रा 
    • मात्रा समक – 16 मात्रा 
    • शक्ति- 18 मात्रा 
    • पीयूषवर्ष – 18मात्रा 
    • सुमेरू – 19 मात्रा 
    • बरवै – 19 मात्रा 
    • हंसगति- 20 मात्रा 
    • राधिका- 22 मात्रा 
    • कुण्डल- 22 मात्रा 
    • रोला- 24 मात्रा 
    • दिक्पाल –  24 मात्रा 
    • रूपभाला- 24 मात्रा 
    • दोहा- 24 मात्रा 
    • सोरठा- 24 मात्रा 
    • कुण्डलिया –  24मात्रा
    • मुक्तामणि-  25मात्रा 
    • गीतिका- 26 मात्रा 
    • सरसी- 27 मात्रा 
    • हरिगीतिका- 28 मात्रा 
    • सार- 28 मात्रा
    • उल्लाला-  28 मात्रा 
    • मरहठा- 29 मात्रा 
    • चतुष्पदी- 30 मात्रा 
    • ताटंक – 30 मात्रा 
    • वीर- 31 मात्रा 
    • त्रिभंगी- 32 मात्रा 
    • विजया –  40मात्रा
    • विधाता – 28 मात्रा
छंद / छन्द की परिभाषा , अंग, प्रकार, भेद और उदाहरण